13 साल के बच्चे के सपने में आई माता दुर्गा बना डाली मां की मनमोहक प्रतिमा
कृष्ण राज सिंह
शंकरगढ़/प्रयागराज। शारदीय नवरात्रि पर्व में शंकरगढ़ क्षेत्र में एक से बढ़कर एक मां दुर्गा की प्रतिमा विराजित है। कहीं मनमोहक झांकी है तो कहीं मां की मनमोहक प्रतिमा श्रद्धालुओं को अपनी ओर बरबस आकर्षित करती है। इस शारदीय नवरात्रि पर्व में जनपद के यमुनानगर नगर पंचायत शंकरगढ़ रामभवन चौराहा के पास नगर में विराजी मां दुर्गा भी आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं क्योंकि मां की मूर्ति को 13 साल के एक बच्चे ने बनाया है। बच्चे का नाम समर्थ सिंह है जिसे बचपन से ही आर्ट (कला) का शौक है।
बताया गया कि समर्थ को अक्सर मां दुर्गा सपनों में आतीं थीं जिसके चलते उसने मां दुर्गा की मनमोहक प्रतिमा बनाई है। समर्थ के दिमाग में जैसे-जैसे माता की तस्वीर आती गई वैसे-वैसे वह प्रतिमा बनाता गया। आखिरकार समर्थ ने बेजोड़ मेहनत करके 21 दिन में मां दुर्गा की खूबसूरत मनोहर मूर्ति बना डाली। मां दुर्गा की प्रतिमा को समर्थ के द्वारा निर्मित किया गया उसे शारदीय नवरात्र के अवसर पर नगर के पूजा पांडाल में विराजमान किया गया है। माता दुर्गा के दर्शन करने के लिए आरती के समय 8 दिनों से रोजाना श्रद्धालुओं की भारी मात्रा में भीड़ उमड़ रही है।
राजा कमलाकर डिग्री कॉलेज के पास नगर में रहने वाले 13 साल के समर्थ सिंह रानी देवयानी स्कूल शंकरगढ़ में आठवीं कक्षा के छात्र हैं। पढ़ाई लिखाई के साथ पेंटिंग करना और मूर्ति बनाना बालक को बहुत अच्छा लगता है। बातचीत के दौरान समर्थ ने बताया कि करीब 1 महीना पहले उसके सपनों में मां दुर्गा आई। इस बात को उसने अपनी मां पुष्पांजलि सिंह को बताया और दुर्गा मां की मूर्ति बनाने की जिद करने लगा। मां पुष्पांजलि सिंह ने बच्चे की जिद मान ली इसके बाद समर्थ मां दुर्गा की मूर्ति बनाने में जुट गया। और 21 दिन की अथक परिश्रम से सफलता हासिल हुई और मूर्ति को तैयार कर कलश स्थापना के दिन माता की प्रतिमा को विराजमान किया। समर्थ ने बताया कि खेल-खेल में इससे पहले कागजों में पेंटिंग और मूर्ति बना चुके हैं।
परंतु इस बार उन्होंने मिट्टी से मां दुर्गा की प्रतिमा बनाई है। समर्थ ने कहा कि सबसे पहले माता जी के लिए लकड़ी का बेस बनाया उसके बाद फिर घास और मिट्टी की मदद से मूर्ति को आकार दिया उसके बाद कलर किया तब जाकर माता की मूर्ति तैयार हुई। समर्थ के हुनर का कायल अब उनका परिवार भी हो गया है। पढ़ाई को लेकर हमेशा समर्थ को डांटना वाली माता पुष्पांजलि सिंह व पिता रवि सिंह(पत्रकार) भी अपने बेटे की इस कला को देखकर खाशा खुश हैं। माता-पिता का कहना है कि अब हमें इस बात की खुशी है कि समर्थ पढ़ाई के साथ-साथ कला में भी निपुण हो रहा है। पड़ोसी और रिश्तेदारों का कहना है कि जब समर्थ के द्वारा बनाई गई मां दुर्गा की प्रतिमा को देखा तो हमें भी विश्वास नहीं हुआ की 13 साल के बच्चे ने कितनी अच्छी मां दुर्गा की मूर्ति बनाई है।
जब समर्थ से पूछा गया कि इस सुंदर प्रतिमा बनाने का श्रेय किसे देना चाहेंगे तो समर्थ सिंह का कहना था की सबसे प्रथम श्रेय माता दुर्गा जी को जो सपने में आई दूसरा श्रेय अपनी मां पुष्पांजलि सिंह को जिन्होंने मेरी जिद को माना और तीसरा श्रेय स्कूल के शिक्षक और शिक्षिकाओं को जिन्होंने मुझे इस सुंदर प्रतिमा के लिए उत्साहवर्धन एवं प्रोत्साहित किया मेरे हौसले को बढ़ाया मैं उनका आभार प्रकट करता हूं जिन्होंने मुझे इस लायक बनाया।
Oct 10 2024, 19:38