आक्रोशपूर्ण प्रदर्शन के साथ सेविका सहायिकाओं का अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू
751 आंगनबाड़ी केंद्रों में लटका ताला,
25000 बच्चों का पोषाहार बंद
केन्द्र सरकार हर साल बजट में कटौती कर आंगनबाड़ी को समाप्त करना चाहती है : संजय पासवान
झारखंड राज्य आंगनबाड़ी सेविका सहायिका संयुक्त संघर्ष मोर्चा के आह्वान पर आठ सूत्री मांगों को लेकर 5 अक्टूबर से सेविका सहायिकाओं का राज्यव्यापी अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू हो गया. जिसके कारण जिला में 751 आंगनबाड़ी केंद्रों में ताला लटक गया है. 3 से 6 वर्ष के लगभग 25 हजार बच्चों को डेलि मिलने वाला पोषाहार भी बंद हो गया है. टीकाकरण और बीएलओ का काम भी प्रभावित हो गया है. शनिवार को झारखंड राज्य आंगनबाड़ी सेविका सहायिका यूनियन (सीटू) के बैनर तले डॉ० उर्मिला चौधरी क्लिनिक के पास से विशाल जुलूस निकाला गया, जो रांची पटना रोड हनुमान मंदिर, कोडरमा बाजार होते हुए समाहरणालय पहुंचकर प्रदर्शन व सभा में तब्दील हो गया. जुलूस में आईसीडीएस का निजीकरण बंद करो, देशभर में सेविका सहायिका को 26 हजार वेतन देना होगा, झारखंड में सेवाशर्त नियमावली में संशोधन करो, सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार ग्रेच्युटी लागू करो, रिटायर्मेंट के बाद पेंशन देना होगा, पोषाहार राशि बाजार रेट पर देना होगा, हर साल मानदेय बढ़ाने की प्रक्रिया सरल करो, कोडरमा जिला में इसे लागू करो, झारखंड सरकार होश में आओ, सेविका सहायिका की एकता जिन्दाबाद आदि नारे लगाए जा रहे थे. समाहरणालय पर आंगनबाड़ी यूनियन की जिलाध्यक्ष शोभा प्रसाद की अध्यक्षता व जिला सचिव वर्षा रानी के संचालन में हुई सभा को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता सीटू के राज्य सचिव संजय पासवान ने कहा कि कहा कि मोदी सरकार के द्वारा आईसीडीएस का निजीकरण कर और हर साल बजट में कटौती कर आंगनबाड़ी को समाप्त करने की साजिश कर रही है. 2017 के बाद केन्द्र सरकार ने सेविका सहायिका का मानदेय नहीं बढ़ाया है. जबकि महंगाई कई गुणा बढ़ गया है. सेविका सहायिका बच्चों की देखभाल, नर्सरी शिक्षा, ताजा नाश्ता खाना देने के अलावा दर्जनों काम सरकार इनसे कराती है, सर्वजन पेंशन, सावित्रीबाई फुले योजना, मईयां सम्मान योजना, अनाथ बच्चों का सर्वे सहित कई काम अलग से कराया जाता है. जिसका कोई अलग से मेहनताना नहीं दिया जाता है. इसलिए इनके समक्ष आंदोलन ही एकमात्र रास्ता है. झारखंड राज्य आंगनबाड़ी सेविका सहायिका यूनियन की प्रदेश अध्यक्ष मीरा देवी ने कहा कि झारखंड सरकार ने 2022 में सेविका सहायिकाओं के लिए नियमावली बनाई थी. जिसके आधार पर सेविका सहायिकाओं के मानदेय में थोड़ी बढ़ोतरी हुई थी, लेकिन इस महंगाई के दौर में वह काफी कम है. सेविका व सहायिका के मानदेय में हर साल 500 और 250 रूपये बढ़ाना है. जो कोडरमा जिला में लागू नहीं होना दुर्भाग्यपूर्ण है. हमारे लिए कोई सामाजिक सुरक्षा नहीं है. अचानक मौत या रिटायर्मेंट के बाद कोई व्यवस्था नहीं है. इसलिए पूरे राज्य में सेविका सहायिका हड़ताल को मजबूर हुई है. जिलाध्यक्ष शोभा प्रसाद और सचिव वर्षा रानी ने कहा कि कोडरमा जिला में सेविका सहायिका की हड़ताल शत प्रतिशत सफल है. किसान सभा के राज्य संयुक्त सचिव असीम सरकार ने आंदोलन का समर्थन करते हुए कहा कि सेविका सहायिका की मांग जायज है. जरूरत पड़ी तो किसान कार्यकर्ता भी आंदोलन में शामिल होंगे. सभा को सीटू के जिलाध्यक्ष प्रेम प्रकाश, अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के जिलाध्यक्ष शैलेन्द्र तिवारी, सुरेन्द्र पाण्डेय, रेहाना फातमा, अनीता कुमारी, कुमारी अनामिका, रूबी, सरस्वती देवी, कविता यादव ने मुख्य रूप से सम्बोधित किया. प्रदर्शन में जिला संयुक्त सचिव संतोषी कुमारी, मंजू मेहता, बेबी कुमारी, कविता यादव, संध्या वर्णवाल, सुमैया जमीर, सरवरी खातुन, अर्चना देवी, विमला देवी, नीलम यादव, ममता सिहं, चिंतामणी देवी, मीना देवी, सोनी कुमारी, मुशरत जहां, सोनी कुमारी, रीना कुमारी, गजाला प्रवीण, सुषमा, दीपा, रानी, रेखा, सुनीता, तर्रनुम प्रवीण, पुनम, संध्या, आशा, शशि, श्रुति, ललिता, अंजु, तारा देवी, उमा मोदी, मीना एक्का, संजू, कोमन, रीता, संगीता, देवंती, रूपा, पुष्पा, जिन्नत प्रवीण, सुमित्रा, कविता, निर्मला, शबाना सहित पूरे जिले से सैकड़ों की संख्या में सेविका सहायिका शामिल थी.
Oct 05 2024, 18:10