सत्य और अहिंसा के मिसाल महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री दोनों की ही जयंती आज !
गाधी जी के विचारों को शास्त्री जी ने सत्ता के शीर्ष पर रहकर भी जिया
नयी दिल्ली :* आज 2 अक्टूबर का दिन भारत के दो महान नेताओं, महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री की जयंती के रूप में मनाया जाता है। ये दोनों नेता अपने आदर्शों और विचारों के लिए जाने जाते हैं जिन्होंने भारत की आजादी और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।सत्य के साधक गांधी जी व सादगी की मिसाल पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का जीवन कई मायनों में समान था।
गांधी जी के विचारों को शास्त्री जी ने सत्ता के शीर्ष पर रहकर भी जिया। इसके कुछ उदाहरण आज हम आपको दिखा रहे
हैं.....
गांधी जी कहते थे... मेरा धर्म सत्य और अहिंसा पर आधारित है शास्त्री जी ने अपनाया… बनारस के हाई स्कूल में प्रैक्टिकल में शास्त्री जी से कांच की बॉटल टूट गई थी। तब स्कूल के चपरासी देवीलाल ने उन्हें थप्पड़ मार दिया था। बाद में देश का रेल मंत्री बनकर जब शास्त्री जी उसी स्कूल में पहुंचे तो देवीलाल को मंच पर बुलाकर गले लगाया।
शास्त्री जी की पूरा नाम लाल बहादुर श्रीवास्तव था। वे जाति व्यवस्था के विरोधी थे इसलिए उन्होंने अपना सरनेम हटा दिया था। 1925 में स्नातक करने के बाद उन्हें शास्त्री की उपाधि दी गई।
गांधी जी मानते थे… स्वदेशी का सार है समीपस्थ की सेवा शास्त्री जी ने किया… 1906 में महात्मा गांधी ने स्वदेशी आंदोलन में ब्रिटिश कपड़ों और मसालों का बहिष्कार करने का आह्वान किया।
जब शास्त्री जी देश के प्रधानमंत्री बने तो ‘हरित क्रांति’ की शुरुआत की। इसके परिणामस्वरूप, भारत खाद्यान्न में आत्मनिर्भर बना।
आजादी के बाद देश खाद्यान्न के लिए अमेरिका पर निर्भर था। उस वक्त पाकिस्तान से युद्ध के समय अमेरिका बार-बार धमकी देता था तो शास्त्री जी ने हरित क्रांति की शुरुआत की।
गांधी जी कहते थे… कर्म में ईमानदार होना जरूरी है शास्त्री जी ने पालन किया… बतौर प्रधानमंत्री शास्त्री जी को सरकारी कार मिली हुई थी। एक बार उनके बेटे सुनील शास्त्री ने कार किसी निजी काम में इस्तेमाल कर ली। शास्त्री जी को पता चला तो उन्होंने किलोमीटर के हिसाब से इसका धन सरकारी खाते में जमा करवाया।
जब कलकत्ता से दिल्ली जाते वक्त रोड पर ट्रैफिक की वजह से पुलिस अधिकारी ने सायरन लगा एस्कॉर्ट भेजने के लिए कहा तब शास्त्री जी ने कहा मैं कोई बड़ा आदमी नही हूं।
गांधी जी मानते थे… उदाहरण के द्वारा नेतृत्व सबसे प्रभावी होता है शास्त्री जी ने कर दिखाया… 1956 में शास्त्री जी रेल मंत्री थे। तब एक बड़ी रेल दुर्घटना की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए शास्त्री जी ने इस्तीफा दे दिया था।
इस पर प्रधानमंत्री नेहरू ने कहा था कि इस्तीफा स्वीकार कर रहे हैं ताकि यह नजीर बने कि नेता का व्यवहार कैसा होना चाहिए।
1965 में भारत-पाक युद्ध के दौरान शास्त्री जी ने एक वक्त का खाना छोड़ कर भोजन बचाने की मुहिम शुरू की थी।
1965 में भारत-पाक युद्ध के दौरान शास्त्री जी ने एक वक्त का खाना छोड़ कर भोजन बचाने की मुहिम शुरू की थी।
गांधी जी कहते थे… बचत कमाए हुए धन के समान अहम है शास्त्री जी ने स्वीकारा… एक बार शास्त्री जी के पुराने कुर्ते फेंके जा रहे थे, लेकिन उन्होंने कहा कि खादी के कुर्ते बहुत प्यार और मेहनत से बनते हैं। इन्हें फेंको मत, जब सर्दियां आएंगी तो मैं इन्हें कोट के नीचे पहन लूंगा। इनका एक-एक सूत काम में आना चाहिए।
शास्त्री जी ने 1965 में इलाहाबाद जिले के उरुवा गांव में एक सभा के दौरान “जय जवान, जय किसान” का नारा दिया था।
Oct 02 2024, 12:54