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आधी रात को नड्डा-फडणवीस से मिले उद्धव-राउत, महाराष्ट्र में फिर सियासी माहौल गर्म, हालांकि कहीं से नहीं आई कोई आधिकारिक टिप्पणी

महाराष्ट्र में हाल ही में भारतीय जनता पार्टी (BJP) और शिवसेना (UBT) नेताओं के बीच संभावित मुलाकातों को लेकर राजनीतिक माहौल गर्म हो रहा है। वंचित बहुजन अघाड़ी (VBA) ने दावा किया है कि उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे के बीच एक गुप्त बैठक हुई है। इसके साथ ही, VBA ने यह भी आरोप लगाया है कि शिवसेना सांसद संजय राउत दिल्ली में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा से मिले थे। हालांकि, इन दावों पर न तो भाजपा और न ही शिवसेना (UBT) ने आधिकारिक तौर पर कोई टिप्पणी की है।

VBA के मुख्य प्रवक्ता सिद्धार्थ मोकले ने एक वीडियो संदेश जारी करते हुए कहा कि संजय राउत ने 25 जुलाई को रात 2 बजे नड्डा से दिल्ली स्थित 7 डी मोतीलाल मार्ग पर मुलाकात की थी। मोकले के अनुसार, इसके बाद 5 अगस्त को रात 12 बजे महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस मातोश्री बंगले पर गए थे, जहां वह अकेले ही उद्धव ठाकरे से मिले और दोनों के बीच यह बैठक करीब 2 घंटे तक चली। मोकले ने यह भी कहा कि 6 अगस्त को उद्धव ठाकरे दिल्ली गए थे, लेकिन उन्होंने यह सवाल उठाया कि ठाकरे के साथ कौन था और वहां उन्होंने किन लोगों से मुलाकात की। उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि भाजपा आरक्षण के विरोध में रही है, जबकि शिवसेना (UBT) को आरक्षण समर्थक मतदाताओं का समर्थन प्राप्त हुआ है। इस संदर्भ में, मोकले का दावा है कि यदि भाजपा और शिवसेना (UBT) के बीच कोई समझौता होता है, तो आरक्षण समर्थक मतदाताओं को धोखा महसूस हो सकता है।

यह दावा ऐसे समय में सामने आया है जब महाराष्ट्र में आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारियां चल रही हैं, और भाजपा, शिवसेना (UBT), और एनसीपी (अजित पवार गुट) के बीच सीट बंटवारे की चर्चाएं चल रही हैं। पहले ऐसा कहा जा रहा था कि VBA विपक्षी गठबंधन का हिस्सा हो सकता है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अगर VBA का यह दावा सही साबित होता है और उद्धव ठाकरे वाकई भाजपा के साथ गठबंधन का मन बना रहे हैं, तो यह महाराष्ट्र चुनाव से पहले कांग्रेस और एनसीपी के लिए एक बड़ा झटका हो सकता है। कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन को नुकसान होने के कारण चुनावी समीकरण बदल सकते हैं, जिससे भाजपा और शिवसेना (UBT) को फायदा हो सकता है।

युद्ध तब शुरू नहीं होता जब आप.., इजराइली अटैक पर इंडियन आर्मी चीफ का बयान, तकनीकी और मैनुअल स्तर पर सतर्कता को बताया जरूरी

लेबनान में हिज़्बुल्लाह को निशाना बनाकर किए गए पेजर अटैक से पूरी दुनिया चौंक गई थी। इज़रायल की खुफिया एजेंसी मोसाद द्वारा किए गए इस पेजर अटैक ने लेबनान को हिला कर रख दिया। अब भारतीय सेना के प्रमुख, जनरल उपेंद्र द्विवेदी, ने पेजर अटैक के बारे में अपने विचार साझा किए हैं।

एक कार्यक्रम में जनरल द्विवेदी से पेजर अटैक के बारे में सवाल पूछा गया, और भारत इस तरह के हमलों से कैसे निपट सकता है, इस पर उनका कहना था कि हंगरी की एक कंपनी ने ताइवान की कंपनी के नाम से पेजर बनाए थे, और बाद में इन पेजर्स को हिज़्बुल्लाह को सप्लाई किया गया। इज़रायल ने जिस तरह शेल कंपनी बनाकर इस ऑपरेशन को अंजाम दिया, वह एक मास्टरस्ट्रोक था। जनरल ने यह भी बताया कि इस तरह की कार्रवाई के लिए सालों की योजना बनानी पड़ती है। युद्ध तभी शुरू नहीं होता जब आप हथियार उठाते हैं, बल्कि तब से शुरू हो जाता है जब आप उसकी योजना बनाते हैं। भारत के संदर्भ में उन्होंने कहा कि इस तरह के हमलों से निपटने के लिए सप्लाई चेन में गड़बड़ियों से बचना आवश्यक है। तकनीकी और मैनुअल स्तर पर सतर्कता बरतनी होगी ताकि इस तरह की घटनाएं भारत में न हों।

पिछले महीने लेबनान में बड़ी संख्या में पेजर और वॉकी-टॉकी अटैक हुए थे, जिनमें लगभग 40 लोगों की मौत हुई और 3000 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। लेबनान और सीरिया के सीमावर्ती इलाकों, विशेषकर बेका वैली, में सीरियल ब्लास्ट हुए थे, जिन क्षेत्रों को हिज़्बुल्लाह का गढ़ माना जाता है। इसके अलावा, सोलर पैनल और हैंडहेल्ड रेडियो में भी धमाके हुए थे।

वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीन द्वारा आर्टिफिशियल गांव बसाने के सवाल पर जनरल द्विवेदी ने कहा कि चीन अपने देश में चाहे जो करे, लेकिन भारत इसके प्रति सतर्क है। उन्होंने बताया कि चीन द्वारा पहले मछुआरों और अन्य नागरिकों को आगे भेजा जाता है, और फिर उन्हें बचाने के लिए सेना आती है। भारत में पहले से ही मॉडल विलेज बनाए जा रहे हैं, और अब राज्य सरकारों को भी संसाधन लगाने का अधिकार है। सेना, राज्य सरकारें और केंद्र सरकार मिलकर बेहतर मॉडल विलेज बना रही हैं, जो भविष्य में और भी प्रभावी होंगे।

जमानत मांगने सुप्रीम कोर्ट पहुंचे ममता के पूर्व-मंत्री शिक्षा पार्थ चटर्जी, घर में मिले थे करोड़ों कैश, ईडी से मांगा गया जवाब

पश्चिम बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से जवाब मांगा है। चटर्जी पर शिक्षक भर्ती घोटाले का आरोप है। जस्टिस सूर्य कांत की बेंच ने नोटिस जारी करते हुए मामले की सुनवाई को दो हफ्तों के लिए स्थगित कर दिया। इससे पहले, कलकत्ता हाई कोर्ट ने 30 अप्रैल को उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया था। उनके खिलाफ प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत मामला दर्ज है।

टीएमसी नेता की ओर से पेश सीनियर वकील मुकुल रोहतगी ने कोर्ट में कहा कि पार्थ चटर्जी पिछले दो साल और दो महीने से जेल में हैं। उन्होंने बताया कि पीएमएलए की धारा 4 के तहत अधिकतम सजा सात साल है। इसके अलावा, चटर्जी 74 साल के हैं और बीमार भी रहते हैं। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से ईडी के जवाब को जल्द से जल्द विचार करने का अनुरोध किया। ED ने जून 2022 में पार्थ चटर्जी के खिलाफ मामला दर्ज किया था। इसके बाद सीबीआई ने भी उनके खिलाफ जांच शुरू की। उन पर आरोप है कि शिक्षक भर्ती के दौरान पैसे लेकर भर्तियां की गईं, जिसमें योग्य उम्मीदवारों को नजरअंदाज कर दिया गया। यहां तक कि कुछ लोग जो परीक्षा में पास नहीं हुए थे, वे भी शिक्षक बन गए। भर्ती के लिए रिश्वत लेने के आरोप लगे हैं। टीएमसी ने इन आरोपों को खारिज किया है।

चटर्जी के ठिकानों पर छापेमारी में बड़ी मात्रा में नकदी और आभूषण बरामद हुए थे। उनकी करीबी अर्पिता मुखर्जी के फ्लैट से 49 करोड़ से अधिक नकदी और 5 करोड़ की जूलरी मिली थी। इसके अलावा, कई महत्वपूर्ण दस्तावेज भी बरामद हुए। फर्जी कंपनियों के भी सबूत उनके घर से मिले थे। ईडी को चटर्जी के घर से एक डिजिटल डिवाइस भी मिला, जिससे घोटाले में उनकी संलिप्तता का संकेत मिला। अर्पिता के फ्लैट से बरामद नकदी और जूलरी से चटर्जी ने खुद को दूर बताने की कोशिश की, लेकिन एजेंसियों ने उन पर अपना शिकंजा कस दिया।

'हवस का मौलवी क्यों नहीं', बागेश्वर धाम के प्रमुख पंडित धीरेंद्र शास्त्री के बयान पर मुस्लिम समाज में मचा बवाल

बागेश्वर धाम के प्रमुख धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री एक बार फिर अपने विवादास्पद बयान के कारण चर्चा में हैं। इस बार उन्होंने अपने बयान में यह सवाल उठाया कि क्यों सिर्फ हवस के पुजारी शब्द का इस्तेमाल किया जाता है, हवस के मौलवी नहीं। उनका दावा है कि मुस्लिम मौलवियों की कभी निंदा नहीं की जाती, जबकि हिंदुओं के मन में ऐसी नकारात्मक धारणाएँ जानबूझकर प्रायोजित रूप से डाली गई हैं। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का यह बयान विभिन्न धार्मिक और सामाजिक समूहों में तीखी प्रतिक्रिया का कारण बना है, विशेषकर मुस्लिम समुदाय के बीच।

बागेश्वर बाबा के इस बयान के बाद मुस्लिम धर्मगुरुओं ने कड़ा विरोध जताया है। ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के मौलाना शहाबुद्दीन ने धीरेंद्र कृष्ण के बयान को अत्यधिक नफरत फैलाने वाला बताया है। मौलाना शहाबुद्दीन ने एक वीडियो संदेश में अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री अक्सर ऐसे आपत्तिजनक बयान देते रहते हैं, जो समाज में नफरत फैलाने का काम करते हैं।

मौलाना शहाबुद्दीन ने संदेश में कहा, "यह बयान उनके दृष्टिकोण और सोच का स्पष्ट प्रतीक है। एक धार्मिक व्यक्ति होने के बावजूद वह धर्म के प्रचारकों के खिलाफ ऐसी गलत और अनर्गल बातें कहते हैं। उन्हें अपने शब्दों पर शर्म आनी चाहिए। एक धार्मिक नेता के रूप में उन्हें हमेशा ऐसी बातें कहनी चाहिए जो समाज को सीख और प्रेरणा दे, न कि समाज में वैमनस्य और विभाजन पैदा करें। धीरेंद्र शास्त्री लगातार ऐसी बातें कहते हैं जो न सिर्फ आपत्तिजनक होती हैं, बल्कि समाज के विभिन्न धर्मों के बीच वैमनस्य को बढ़ावा देती हैं। उन्होंने अपने हालिया बयान से न केवल हिंदू और मुस्लिम धर्म के प्रचारकों को, बल्कि सभी धर्मों के प्रचारकों को कटघरे में खड़ा कर दिया है।

समंदर में तैनात होंगे 22 राफेल, रेंज 3700 किलोमीटर 50 हजार फीट की ऊंचाई तक भर सकता है उड़ान

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल दो दिन के दौरे पर फ्रांस में हैं। उनका मुख्य उद्देश्य राफेल सौदे पर चर्चा करना है। कुछ दिन पहले ही फ्रांस ने राफेल डील के लिए विस्तृत प्रस्ताव भारत को सौंपा था। भारत इस साल के अंत तक इस डील को अंतिम रूप देने की योजना बना रहा है। डोभाल के दौरे से पहले, फ्रांस की कंपनी ने कीमत घटाकर अपना अंतिम प्रस्ताव भी दे दिया है।

भारतीय नौसेना के लिए यह डील बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है। अगर यह डील फाइनल होती है, तो फ्रांस के राफेल विमानों से नौसेना के मिग-29K विमानों को बदलने की योजना है। इस सौदे में 22 सिंगल-सीट राफेल मरीन एयरक्राफ्ट और चार टू-सीटर ट्रेनर एयरक्राफ्ट शामिल हो सकते हैं। भारतीय नौसेना को आधुनिक विमानों और पनडुब्बियों की आवश्यकता है, और इस डील को उसकी ताकत बढ़ाने के लिए अहम माना जा रहा है। डिफेंस अक्विजिशन काउंसिल पहले ही इस डील को मंजूरी दे चुकी है।

इस सौदे की कीमत को लेकर ही अब तक चर्चा हो रही थी, लेकिन डोभाल के दौरे से पहले फ्रांस ने कीमत में कटौती कर अंतिम प्रस्ताव दिया है। हालांकि, सौदे की सही कीमत का खुलासा नहीं हुआ है, लेकिन यह अनुमान है कि सौदा 50 हजार करोड़ रुपये से अधिक का हो सकता है। 2016 में भारत ने 36 राफेल विमान खरीदे थे, और भारत इसी आधार पर सौदे की कीमत रखना चाहता है। इसके अलावा, फ्रांस भारत को राफेल विमानों के साथ हथियार, सिमुलेटर, क्रू ट्रेनिंग, और लॉजिस्टिक सपोर्ट भी प्रदान करेगा। साथ ही, भारतीय हथियारों को असेंबल करने में भी सहायता करेगा। इन विमानों को INS विक्रांत और INS डेगा पर तैनात किए जाने की संभावना है।

राफेल मरीन विमान की विशेषताओं में इसका शक्तिशाली इंजन, कम जगह से टेकऑफ और लैंडिंग की क्षमता, और उच्च गति शामिल हैं। इसका वजन 10600 किलोग्राम है और यह 1912 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ सकता है। इसकी रेंज 3700 किलोमीटर है और यह विमान 50 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ान भरने में सक्षम है। इसे एंटी-शिप स्ट्राइक के लिए एक बेहतरीन विकल्प माना जाता है। सौदे के बाद इन विमानों की पहली खेप भारत को 2-3 साल के भीतर मिल सकती है।

टीम इंडिया ने किया बांग्लादेश का क्लीन स्वीप, लगातार 18वीं सीरीज जीत के साथ रचा कीर्तिमान*
#india_won_the_kanpur_test_against_bangladesh

भारतीय टीम ने बांग्लादेश के खिलाफ दो मैचों की टेस्ट सीरीज 2-0 से अपने नाम कर लिया है। चेन्नई टेस्ट को 280 रन के बड़े अंतर से अपने नाम करने के बाद कानपुर में चमत्कारी जीत दर्ज की। भारत के सामने बांग्लादेश ने जीत के लिए 95 रन का लक्ष्य रखा था जिसे आसानी से हासिल किया। इस जीत के साथ ही दो मैचों की सीरीज में बांग्लादेश का भारत ने क्लीन स्वीप कर दिया है। कानपुर टेस्ट का दूसरा और तीसरा दिन बारिश में धुलने के बाद ऐसा लग रहा था कि ये मुकाबला ड्रॉ हो जाएगा लेकिन टीम इंडिया ने ऐसा होने नहीं दिया। भारतीय टीम ने कानपुर टेस्ट के पांचवें दिन बांग्लादेश को एकतरफा अंदाज में हरा दिया। टीम इंडिया को दूसरा टेस्ट जीतने के लिए महज 95 रनों का लक्ष्य मिला था जिसे उसने आसानी से हासिल कर लिया। भारतीय टीम सिर्फ 17.2 ओवर में तीन विकेट खोकर ये मैच जीत गई। भारत ने बांग्लादेश को कानपुर टेस्ट में सात विकेट से हराकर दो मैचों की टेस्ट सीरीज 2-0 से अपने नाम कर ली है। टीम इंडिया को 95 रन का लक्ष्य मिला था, जिसे रोहित एंड कंपनी ने तीन विकेट गंवाकर हासिल कर लिया। विराट कोहली 29 रन और ऋषभ पंत चार रन बनाकर नाबाद रहे। रोहित शर्मा आठ रन, शुभमन गिल छह रन और यशस्वी जायसवाल 51 रन बनाकर आउट हुए। विराट और यशस्वी के बीच तीसरे विकेट के लिए 58 रन की साझेदारी हुई। बांग्लादेश की ओर से मेहदी हसन मिराज ने दो विकेट लिए, जबकि तैजुल इस्लाम को एक विकेट मिला। यशस्वी ने अपनी पारी में आठ चौके और एक छक्का लगाया। टॉस हारकर पहले बल्लेबाजी करते हुए बांग्लादेश ने अपनी पहली पारी में 233 रन बनाए थे। जवाब में भारत ने ताबड़तोड़ बल्लेबाजी करते हुए अपनी पहली पारी नौ विकेट पर 285 रन बनाकर घोषित कर दी थी। भारत को तब 52 रन की बढ़त मिली थी। दूसरी पारी में बांग्लादेश की टीम ने 146 रन बनाए और भारत के सामने 95 रन का लक्ष्य दिया था। टेस्ट में आधिकारिक तौर पर एक दिन में 90 ओवर फेंके जाते हैं। बांग्लादेश ने अपनी पहली पारी में 74.2 ओवर, भारत ने अपनी पहली पारी में 34.4 ओवर, बांग्लादेश ने अपनी दूसरी पारी में 47 ओवर और भारत ने अपनी दूसरी पारी में 17.2 ओवर खेले। इन सभी को मिला दें तो लगभग 174 ओवर बनते हैं और यह दो दिन के कुल ओवरों (180) से भी कम है। भारत ने इस टेस्ट में साहसिक खेल दिखाया। पहले दिन 35 ओवर का ही खेल हो पाया था। बारिश ने मैच में खलल डाला और फिर दूसरे और तीसरे दिन का खेल बारिश से धुल गया था। चौथे दिन खेल शुरू हुआ और भारत ने बांग्लादेश को समेटने के बाद फिर ताबड़तोड़ बल्लेबाजी कर टेस्ट में किसी टीम द्वारा सबसे तेज 50, 100, 150, 200 और 250 रन बनाने का रिकॉर्ड बना डाला। इसके बाद बांग्लादेश को दूसरी पारी में जल्दी समेटकर आसान लक्ष्य का पीछा किया। इसके बाद पांचवें दिन भारतीय गेंदबाजों ने कहर बरपाते हुए बांग्लादेश को सिर्फ 146 रनों पर ढेर कर दिया और फिर यशस्वी जायसवाल और विराट कोहली ने बेहतरीन बैटिंग कर टीम इंडिया को जीत दिला दी टीम इंडिया की घर में ये लगातार 18वीं सीरीज जीत है। भारतीय टीम के नाम पहले से ही घर में लगातार सबसे ज्यादा सीरीज जीतने का रिकॉर्ड है। इस मामलें में दूसरे नंबर ऑस्ट्रेलिया है जिसने अपने अपने घर में लगातार 10 सीरीज जीतने का बड़ा कारनामा किया था।बता दें, भारत पिछले 12 साल से घर में टेस्ट सीरीज नहीं हारा है। टीम इंडिया आखिरी बार घर पर 2012 में टेस्ट सीरीज हारी थी। तब इंग्लैंड ने भारतीय टीम को 2-1 से मात दी थी। इस सीरीज के बाद से टीम इंडिया अपने घर में कोई भी टेस्ट सीरीज नहीं हारी है। पिछले 12 साल में भारत ने घर में लगातार 18 बार टेस्ट सीरीज में विरोधी टीम को धूल चटाई है।
चीन से मुकाबला करना होगा': सेना प्रमुख जनरल उपेन्द्र द्विवेदी बोले LAC पर स्थिति 'असामान्य'*

सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने मंगलवार को वास्तविक नियंत्रण रेखा - वास्तविक भारत-चीन सीमा - पर स्थिति को संवेदनशील और “सामान्य नहीं” बताया। चाणक्य रक्षा संवाद में बोलते हुए, सेना प्रमुख ने कहा कि वास्तविक सीमा पर स्थिति “स्थिर” है, लेकिन भारतीय पक्ष चाहता है कि इसे अप्रैल 2020 से पहले की स्थिति में बहाल किया जाए। अप्रैल 2020 में, चीन ने वास्तविक सीमा के भारतीय हिस्से का अतिक्रमण करने का प्रयास किया। भारतीय बलों ने इस प्रयास को विफल कर दिया। हालांकि, चीन की सीमा से लगे पूर्वी लद्दाख में तनाव बना हुआ है। चीन की विध्वंसक गतिविधियों ने भारत के साथ उसके राजनयिक संबंधों को भी नुकसान पहुंचाया है। पिछले सप्ताह, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन के साथ भारत के राजनयिक संबंधों को “बहुत महत्वपूर्ण रूप से अशांत” बताया था। *जनरल द्विवेदी ने कहा कि LAC पर भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच विश्वास "सबसे बड़ी क्षति" बन गया है* "जहां तक चीन का सवाल है, यह काफी समय से हमारे दिमाग में कौंध रहा है। चीन के साथ आपको प्रतिस्पर्धा, सहयोग, सह-अस्तित्व, टकराव और मुकाबला करना होता है। तो आज स्थिति क्या है? यह स्थिर है, लेकिन यह सामान्य नहीं है और यह संवेदनशील है। हम चाहते हैं कि स्थिति अप्रैल 2020 से पहले जैसी हो जाए, चाहे वह जमीनी कब्जे की स्थिति हो या बफर जोन जो बनाए गए हैं या गश्त जो अभी तक योजनाबद्ध है। इसलिए जब तक वह स्थिति बहाल नहीं हो जाती, जहां तक हमारा सवाल है, स्थिति संवेदनशील बनी रहेगी और हम किसी भी तरह की आकस्मिकता का सामना करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं, विश्वास सबसे बड़ी क्षति बन गया है," उन्होंने कहा। *भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख में LAC पर लंबित मुद्दों का जल्द समाधान खोजने के लिए जुलाई और अगस्त में दो दौर की कूटनीतिक वार्ता की।* पीटीआई के अनुसार, उन्होंने कहा, "राजनयिक पक्ष से सकारात्मक संकेत मिल रहे हैं, लेकिन हमें यह समझने की ज़रूरत है कि राजनयिक पक्ष विकल्प और संभावनाएँ देता है।" सेना प्रमुख ने कहा, "लेकिन जब ज़मीन पर क्रियान्वयन की बात आती है, जब यह ज़मीन से संबंधित होता है, तो यह दोनों पक्षों के सैन्य कमांडरों पर निर्भर करता है कि वे निर्णय लें।" 2020 से, भारत और चीन ने सैन्य-स्तर और कूटनीतिक-स्तर की कई दौर की बातचीत की है, जिसके परिणामस्वरूप कई टकराव बिंदुओं पर विघटन हुआ है। हालाँकि, सीमा विवाद का पूर्ण समाधान नहीं हो पाया है। पिछले महीने, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान चीन के विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात की। दोनों पक्ष पूर्वी लद्दाख में शेष टकराव बिंदुओं पर पूर्ण विघटन प्राप्त करने के लिए "तत्परता" और "दोगुने" प्रयासों के साथ काम करने पर सहमत हुए। जनरल द्विवेदी ने एलएसी के साथ चीन द्वारा गाँवों के निर्माण के बारे में भी बात की। एएनआई के अनुसार, उन्होंने कहा, "वे कृत्रिम प्रवास और बस्तियों का निर्माण कर रहे हैं। कोई समस्या नहीं है, यह उनका देश है, वे जो चाहें कर सकते हैं। लेकिन हम दक्षिण चीन सागर में जो देखते हैं। जब हम ग्रे जोन के बारे में बात करते हैं, तो शुरुआत में हमें मछुआरे और इस तरह के लोग मिलते हैं जो सबसे आगे रहते हैं। उन्हें बचाने के लिए, फिर आप देखते हैं कि सेना आगे बढ़ रही है, जहां तक भारतीय सेना का सवाल है, हम पहले से ही इस तरह के आदर्श गांव बना रहे हैं, लेकिन इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि अब राज्य सरकारों को उन संसाधनों को लगाने का अधिकार दिया गया है और यह वह समय है जब सेना, राज्य सरकारें और केंद्र सरकार द्वारा पर्यवेक्षण सभी एक साथ आ रहे हैं। इसलिए अब जो आदर्श गांव बनाए जा रहे हैं, वे और भी बेहतर होंगे।
सिद्धारमैया की बढ़ी मुश्किलें तो पत्नी ने उठाया बड़ा कदम, क्या प्लॉट सरेंडर करने से कम होगी मुश्किल?

#siddaramaiah_wife_parvathi_muda_scam_able_to_escape_ed_action_by_offering_return_land

कर्नाटक के चर्चित मैसूरु शहरी विकास प्राधिकरण (मुडा) भूमि घोटाले में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की मुश्किलें बढ़ती जा रही है। प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने सिद्धारमैया के खिलाफ केस दर्ज किया है। मुडा स्कैम में सिद्धारमैया और उनके परिवार के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में ईडी की जांच शुरू कर दी है। इस बीच सिद्धारमैया की पत्नी ने बड़ा कदम उठाया है। पार्वती ने मुडा को पत्र लिखकर उन्हें आवंटित 14 प्लॉट वापस करने की बात कही है। अब सवाल उठता है कि जमीन लौटाने का दांव कारगर साबित होगा? 

सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती ने मैसूरु शहरी विकास प्राधिकरण मुडा को पत्र लिखा है। पार्वती ने कहा है कि मुडा से मुझे जो प्लॉट मिले हैं, वो मैं वापस करना चाहती हूं। पार्वती ने मुडा से कहा है कि उनके लिए पति ज्यादा जरूरी है, इसलिए मैं उन 14 साइटों को वापस करना चाहती हूं, जो मुझे आवंटित की गई है। पार्वती के इस फैसले पर मुडा की तरफ से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। वहीं सिद्धारमैया ने पार्वती के इस पत्र पर कहा है कि ये उनका फैसला है, लेकिन मैं लंबी लड़ाई लड़ने के लिए भी तैयार हूं।

बता दें कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मुडा भूमि मामले में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, उनकी पार्वती और अन्य पर मामला दर्ज किया है। एफआईआर में पार्वती के भाई मल्लिकार्जुन स्वामी भी शामिल हैं। आरोप है कि उन्होंने जमीन खरीदी थी और बाद में उसे पार्वती को तोहफे में दे दिया था। यह मामला लोकायुक्त की एफआईआर के बाद दर्ज किया गया है। ईडी का मामला इस आरोप पर आधारित है कि पार्वती को मैसूरु के एक प्रमुख स्थान पर मुआवजे के 14 प्लॉट आवंटित किए गए थे। इस प्लॉट आवंटन में लेनदेन की वैधता पर सवाल उठे हैं। 

पिछले हफ्ते बेंगलुरु की एक विशेष अदालत द्वारा मामले में सिद्धारमैया के खिलाफ लोकायुक्त पुलिस जांच का आदेश देने के बाद एफआईआर दर्ज की गई थी। कानूनी प्रक्रियाओं के अनुसार, सिद्धारमैया को पूछताछ के लिए बुलाने के लिए ईडी अधिकृत है और जांच के दौरान उनकी संपत्ति भी कुर्क कर सकता है। पिछले हफ्ते एक बयान में, सिद्धारमैया ने आरोपों का जवाब देते हुए दावा किया कि राजनीतिक प्रतिशोध के परिणामस्वरूप मामले में उन्हें अनुचित तरीके से निशाना बनाया जा रहा है।

साल 2020 में मुडा ने एक स्कीम की शुरुआत की। स्कीम में कहा गया कि जिन लोगों की जमीन विकास के काम के लिए लिया जाएगा, उन्हें 50-50 पॉलिसी के तहत मैसूर शहर में प्लॉट और मुआवजा दिया जाएगा। बीजेपी सरकार की तरफ से शुरू की गई इस स्कीम की खूब आलोचना हुई, जिसके बाद 2023 में इसे रद्द कर दिया गया। सिद्धारमैया परिवार पर फर्जी दस्तावेज और पावर का दुरुपयोग कर इस स्कीम का लाभ लेने का आरोप है। सिद्धारमैया की पत्नी पर करीब 55 करोड़ रुपए का लाभ लेने का आरोप है। हालांकि, सिद्धारमैया इस पूरे मामले को राजनीतिक साजिश बता रहे हैं।

इज़रायली सेना ने दक्षिणी लेबनान में हिज़्बुल्लाह के साथ भीषण लड़ाई की दी चेतावनी

इज़रायली रक्षा बलों ने सोमवार रात (स्थानीय समय) दक्षिणी लेबनान के कई गाँवों में हिज़्बुल्लाह के ठिकानों पर “लक्षित ज़मीनी हमले” किए, जबकि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तनाव कम करने की माँग बढ़ रही है। ज़मीनी हमलों के साथ-साथ इज़रायल की उत्तरी सीमा के नज़दीकी स्थानों पर हवाई हमले और तोपखाने भी दागे गए।

इज़रायल ने राष्ट्रपति जो बिडेन के विरोध के बावजूद ज़मीनी कार्रवाई की अपनी योजना के बारे में संयुक्त राज्य अमेरिका को सूचित किया, जिन्होंने कहा कि “हमें अब युद्धविराम कर देना चाहिए”। जो बिडेन ने यह भी कहा कि उन्होंने दोनों पक्षों से बात की और शांति स्थापित करने के लिए “सामूहिक सौदेबाजी के प्रयास” का समर्थन किया। व्हाइट हाउस ने प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को एक बड़े और दीर्घकालिक ज़मीनी अभियान के प्रति आगाह किया है, जिससे ईरान के साथ सीधे टकराव का जोखिम हो सकता है।

बेंजामिन नेतन्याहू ने एक वीडियो संदेश में तेहरान को एक अप्रत्यक्ष चेतावनी जारी करते हुए कहा कि मध्य पूर्व में “कोई भी स्थान” इज़रायल की पहुँच से परे नहीं है। उन्होंने ईरानी लोगों से यह कहते हुए अपील की कि इजरायल, ईरान के साथ शांति से रहना चाहता है, क्योंकि उन्होंने अयातुल्ला पर इजरायल को 'नष्ट' करने के लिए पूरे क्षेत्र में 'वॉर्ड्स' को 'फंडिंग' करने का आरोप लगाया।

ईरान के विदेश मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि इजरायल के "अपराधों" को दंडित नहीं किया जाएगा और वह अपने द्वारा चुने गए समय और स्थान पर जवाब देगा। तेहरान ने कहा कि वह पूर्ण पैमाने पर युद्ध नहीं चाहता है, लेकिन इससे डरता भी नहीं है। इस बीच, हिजबुल्लाह के उप प्रमुख नईम कासेम ने इजरायल से लड़ाई जारी रखने की कसम खाई और कहा कि समूह इजरायल के हमलों में शीर्ष कमांडरों को खोने के बावजूद एक लंबे युद्ध का सामना करने के लिए तैयार है। कासेम ने यह भी कहा कि इजरायल द्वारा जमीनी आक्रमण की स्थिति में उनके लड़ाके लेबनान की रक्षा करेंगे।

बुलडोजर एक्शन पर रोक बरकरार, सुप्रीम कोर्ट ने कहा-कोई आरोपी या दोषी है, ये संपत्ति गिराने का आधार नहीं

#supreme_court_hearing_pleas_against_demolition_of_properties_buldozer_action

सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को बुलडोजर एक्‍शन के खिलाफ लगाई गई याचिका पर सुनवाई हुई। बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। बुलडोजर की कार्रवाई पर लगी अंतरिम रोक जारी रहेगी। संपत्तियों को गिराने के खिलाफ याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम यह स्पष्ट करने जा रहे हैं कि सिर्फ इसलिए कि कोई आरोपी या दोषी है, उसकी संपत्ति को गिराने का आधार नहीं बनाया जा सकता। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सार्वजनिक सड़कों, सरकारी जमीन पर किसी भी अनधिकृत निर्माण, फिर चाहे वो धार्मिक स्थल निर्माण ही क्यों न हो, उसे संरक्षण नहीं दिया जाएगा। 

मामले की सुनवाई शीर्ष अदालत की जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की बेंच कर रही है। पिछली सुनवाई में भी सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर कार्रवाई पर 1 अक्टूबर तक के लिए रोक लगा दी थी। सुप्रीम कोर्ट में सोलिसिटर जनरल तुषार मेहता 3 राज्यों यूपी, मध्य प्रदेश और राजस्थान सरकार की ओर से पेश हुए।

न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की अध्यक्षता वाली बेंच ने अपराध के आरोपी के खिलाफ बुलडोजर कार्रवाई को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा, चाहे वह मंदिर हो या दरगाह, उसे जाना ही होगा। सार्वजनिक सुरक्षा सर्वोपरि है। जबकि आरोपियों पर बुलडोजर कार्रवाई करने वाले राज्य के अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि ऐसे मामलों में केवल अवैध निर्माण को ही ध्वस्त किया जा रहा है।

बेंच ने माना कि तरह की चीजें करना संवैधानिक रूप से गलत है। उन्‍होंने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि भले ही किसी व्‍यक्ति को दोषी ठहराया गया हो, क्या अपराध में शामिल होने पर उसके घर पर बुलडोजर एक्‍शन का आधार हो सकता है? एसजी ने नहीं में जवाब देते हुए कहा कि यह कहना कि किसी विशेष समुदाय को टारगेट किया जा रहा है, यह गलत है। बुलडोजर की कार्रवाई से 10 दिन पहले नोटिस जारी किया गया था।

एसजी ने कहा कि किसी ने एनजीटी के समक्ष याचिका दायर की है कि वन भूमि अवैध अतिक्रमण के अधीन है। बुलडोजर के कुछ उदाहरणों से कानून बनाने में मदद नहीं मिल सकती है, जिससे पूरा देश पीड़ित है। जस्टिस गवई ने कहा कि नोटिस की वैध सेवा होनी चाहिए। पंजीकृत माध्यम से यह नोटिस चिपकाने वाली बात जाएगी। डिजिटल रिकॉर्ड होना चाहिए। अधिकारी भी सुरक्षित रहेंगे। हमारे पास पर्याप्त विशेषज्ञ हैं। जस्टिस गवई ने कहा कि हम स्पष्ट करेंगे कि विध्वंस केवल इसलिए नहीं किया जा सकता कि कोई आरोपी या दोषी है। इसके अलावा इस बात पर भी विचार करें कि बुलडोजर कार्रवाई के आदेश पारित होने से पहले भी एक संकीर्ण रास्ता होना चाहिए। जस्टिस गवई ने कहा कि जब मैं बॉम्बे हाई कोर्ट में था तो मैंने खुद फुटपाथों पर अनधिकृत निर्माण को ध्वस्त करने का निर्देश दिया था।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह संपत्तियों को ध्वस्त करने के मुद्दे पर सभी नागरिकों के लिए दिशा-निर्देश तय करेगा, किसी विशेष समुदाय के लिए नहीं। पीठ ने कहा कि हम जो भी तय कर रहे हैं, हम इसे पूरे देश में सभी नागरिकों, सभी संस्थानों के लिए तय कर रहे हैं, किसी विशेष समुदाय के लिए नहीं। हम एक धर्मनिरपेक्ष देश हैं। किसी धर्म विशेष के लिए अलग कानून नहीं हो सकता। पीठ ने कहा कि 'वह सार्वजनिक सड़कों, सरकारी भूमि या जंगलों पर किसी भी अनधिकृत निर्माण को संरक्षण नहीं देगी। सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि 'हम ये भी सुनिश्चित करेंगे कि हमारी सीमाओं या किसी भी सार्वजनिक संपत्ति पर अतिक्रमण न हो सके।