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मणिपुरः सीमा पर से घुसपैठ और हिंसा, क्यों बार-बार भड़क उठती है “आग”, लंबा है संघर्ष का इतिहास
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* पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर को जातीय हिंसा की आग में जलते हुए डेढ़ साल से ज्यादा का वक्त बीत चुका है। समाधान अभी तक कुछ निकला नहीं है। शांति बहाली की कोशिशें हो रही है, लेकिन बात नहीं बन पा रही। कुछ दिनों की शांति के बाद राज्य फिर जल उठता है। सीमा पार से कथित घुसपैठ, हथियारों के इस्तेमाल, ड्रग्स की भूमिका, हिंसा के तमाम कारण बताए जा रहे हैं, लेकिन अब तक समाधान नहीं निकाले जा सकें हैं। मणिपुर में भाजपा शासन कर रही है। मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह की मानें तो आने वाले 4 से 6 महीने में हिंसा पर पूरी तरफ से काबू पाया जा सकेगा। हालांकि, इस बीच एक रिपोर्ट के खुलासे से हडकंप मचा हुआ है। खुफिया जानकारी के अनुसार, 900 से अधिक कुकी उग्रवादी जो ड्रोन-आधारित बम, प्रोजेक्टाइल, मिसाइल और जंगल में युद्ध लड़ने में ट्रेंड हैं उन्होंने म्यांमार के रास्ते मणिपुर में एंट्री कर ली है। रिपोर्ट के अनुसार, ये उग्रवादी 30 सदस्यों के समूहों में बंटे हुए हैं और राज्य के चारों ओर फैले हुए हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह का दावा कितना सही होगा, ये तो भविष्य ही बताएगा। अब भविष्य देखने से राज्य में हिंसा के इतिहास पर एन नजर डालते हैं। मणिपुर एक ऐसा राज्य रहा है जहां हिंसा का एक लंबा इतिहास रहा है।भारत में विलय के पहले से ये इलाक़ा हिंसक वारदातों का गवाह रहा है और द्वितीय विश्व युद्ध में तो यहाँ जापानी फौजों ने लगातार दो सालों तक बमबारी भी की।60 के दशक में मैतेई समुदाय ने यहां एक बड़ा विद्रोह किया था और दावा किया था कि 1949 में मणिपुर को भारत में धोखे से शामिल किया गया था। इतिहासकारों ने लिखा है कि मणिपुर साम्राज्य की स्थापना ‘निंगथोउजा’ कुनबे के दस क़बीलों के एक साथ आने के बाद हुई। इतिहासकार बताते हैं कि ये इलाक़ा बर्मा और चीन के साथ व्यापार का मुख्य केंद्र हुआ करता था। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापान की सेना और ‘मित्र देशों’ की सेना के बीच चल रहे युद्ध का एक बड़ा केंद्र भी रहा। नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के नेतृत्व वाली ‘आज़ाद हिन्द फ़ौज’ का साथ जापान की सेना ने दिया था क्योंकि बोस जापान की सेना की मदद से ब्रितानी हुकूमत को शिकस्त देना चाहते थे। लेकिन इस मोर्चे पर जापान की सेना और ‘आज़ाद हिन्द फ़ौज’ को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा। मणिपुर दो सालों तक बमबारी झेलता रहा जिसने पूरे प्रांत में भारी तबाही मचाई थी. इस दौरान इंफ़ाल स्थित राजा का महल भी क्षतिग्रस्त हो गया था। इस तबाही के बाद मणिपुर के लोग ब्रितानी हुकूमत के ख़िलाफ़ गोलबंद होने लगे। आखिरकार ब्रितानी हुकूमत ने 1947 में प्रान्त की बागडोर महाराजा बुधाचंद्र को सौंप दी। *केंद्र शासित घोषित होने के बाद शुरू हुआ संघर्ष* मणिपुर के महाराजा ने शिलॉन्ग में, 21 सितम्बर 1949 को, भारत के साथ विलय के दस्तावेज़ों पर हस्ताक्षर किये और उसी साल 15 अक्टूबर को मणिपुर भारत का अभिन्न अंग बन गया। इसकी औपचारिक घोषणा भारतीय सेना के मेजर जनरल अमर रावल ने की थी। महाराजा बुधाचंद्र की मृत्यु वर्ष 1955 में हो गयी। मणिपुर स्वतंत्र भारत का हिस्सा बन गया था और एक निर्वाचित विधायिका के माध्यम से सरकार का गठन भी हो गया। फिर 1956 से लेकर 1972 तक मणिपुर केंद्र शासित राज्य बना रहा। जानकार मानते हैं कि 1956 में केंद्र शासित राज्य घोषित किये जाने के बाद से ही मणिपुर में संघर्ष शुरू हो गया और बाद में ये संघर्ष हिंसक होने लगा। *अलग राज्य की मांग को लेकर शुरू हुआ उग्र आन्दोलन* इस बीच अलग राज्य की मांग को लेकर राजनीतिक और छात्र संगठनों का उग्र आन्दोलन भी चलता रहा। इस दौरान ‘यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट’ नाम का संगठन खड़ा किया जो आज़ादी की मांग करने लगा और समाजवादी विचारधारा की वकालत करने लगा। 1971 की जंग के बाद मणिपुर के तत्कालीन मुख्यमंत्री आर के दोरेंद्रो सिंह ने कई अलगाववादी नेताओं से आत्मसमर्पण करवा लिया, जबकि कुछ बाग़ी मैतेई अलगाववादी नेताओं को गिरफ़्तार भी किया गया। इनमें अलगाववादी नेता एन बिशेश्वर सिंह भी शामिल थे जिन्हें त्रिपुरा की जेल में बंद किया गया था जहां उनकी मुलाक़ात पहले से बंद माओवादी नेताओं से हुई। जून 1975 में जेल से छूटने के बाद 16 अन्य मेतेई अलगावादी नेताओं के साथ बिशेश्वर सिंह ने तिब्बत के ल्हासा में शरण ले ली। हथियार चलाने और छापामार युद्ध का प्रशिक्षण लेने के बाद वो अपने सहयोगियों के साथ मणिपुर लौटे। मणिपुर आने के बाद बिशेश्वर ने ‘जनमुक्ति छापामार सेना’ का गठन कर लिया और ‘अलगाववादी संघर्ष ने फिर ज़ोर पकड़ लिया। *सत्तर-अस्सी के दशक में चरम पर थी हिंसा* सत्तर के दशक के अंत में और अस्सी के दशक की शुरुआत में कई और अलगाववादी संगठन पनप उठे जिनमें ‘पीपल्स रेवोल्यूशनरी पार्टी ऑफ़ कांगलेइपाक’, ‘कांगलेइपाक कम्युनिस्ट पार्टी’ (केसीपी), ‘पोइरेई लिबरेशन फ्रंट’, ‘मेतेई स्टेट कमिटी’ और ‘यूनाइटेड पीपल्स रेवोल्युशनरी सोशलिस्ट पार्टी’ शामिल थे। इसी दौरान नागा चरमपंथियों ने भी सक्रिय होना शुरू कर दिया। मणिपुर ने नगा बहुल चंदेल, उखरुल, तामेंगलांग और सेनापति ज़िलों में आइज़ैक मुईवाह के नेतृत्व वाले संगठन ‘नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ़ नागालैंड’ ने एक के बाद एक हिंसक वारदातों को अंजाम देना शुरू किया। 1993 में मई और सितम्बर महीनों के बीच ‘नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ़ नागालैंड’ के हथियारबंद चरमपंथियों के हमलों में सुरक्षा बलों के 120 के आसपास जवान और अधिकारी मारे गए थे। *अलगावादी गतिविधियों और हिंसा के लिए बना विशेष कानून* आर्म्ड फोर्सेज़ स्पेशल पॉवर्स एक्ट यानी सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) अधिनियम, 1958 का ही क़ानून है जो पूर्वोत्तर राज्यों में अलगावादी गतिविधियों और हिंसा को रोकने के लिए बनाया गया था। ये क़ानून तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और असम के तत्कालीन मुख्यमंत्री बिष्णु राम मेढ़ी की पहल पर 1958 में ही लाया गया था। शुरू में तो ये क़ानून मणिपुर के नगा बहुल उखरुल ज़िले में ही प्रभावी था, मगर 18 सितंबर 1981 को इसे पूरे मणिपुर में लागू कर दिया गया। हालंकि मार्च 2023 में इसे मणिपुर, असम और नागालैंड के कई इलाकों से हटा लिया गया था। *हालिया हिंसा का कारण* मणिपुर में हाल में भड़की हिंसा का प्रमुख कारण मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग रहा है। मैतेई समुदाय की यह मांग नई नहीं है, बल्कि 10 साल से अधिक समय से वह ये मांग कर रहे हैं। इस बार हिंसा तब भड़की जब मणिपुर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया कि वह मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने के लिए चार हफ्ते के अंदर सिफारिश केंद्रीय आदिवासी मंत्रालय को भेजे। इस संबंध में याचिकाकर्ताओं ने दलील दी कि मैतेई समुदाय को 1949 में मणिपुर के भारत में शामिल होने से पहले अनुसूचित जनजाति का दर्जा हासिल था। उनका कहना है कि अपनी रिति-रिवाज, संस्कृति, जमीन और बोली को बचाए रखने के लिए उन्हें अनुसूचित जनजाति का दर्जा वापस मिलना चाहिए। मणिपुल हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद राज्यभर में प्रदर्शनों का दौर शुरू हो गया। राज्य के सभी 10 जिलों में छात्र संगठनों के आह्वान पर हजारों लोग ‘ट्राइबल सॉलिडेरिटी मार्च’ के नाम पर सड़कों पर उतर आए। इन प्रदर्शनों के जरिए मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने का विरोध किया गया।
दिल्ली में रानी लक्ष्मीबाई की मूर्ति लगाने को लेकर क्यों खड़ा हुआ विवाद? जानें पूरा मामला
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* दिल्ली के सदर बाजार इलाके में शाही ईदगाह के पास डीडीए की जमीन पर रानी लक्ष्मीबाई की मूर्ति लगाने को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। मूर्ति लगाने का काम फिलहाल रोक दिया गया है और इलाके में भारी पुलिस बल तैनात किया गया है। ईदगाह पार्क में स्थानीय मुस्लिम समुदाय रानी झांसी की प्रतिमा लगाने का विरोध कर रहे हैं। मस्जिद समिति की ओर से दावा किया गया था कि यह जमीन वक्फ बोर्ड की है। *मूर्ति को लेकर क्यों शुरू हुआ विवाद* बता दें कि दिल्ली सरकार के तहत आने वाले लोक निर्माण विभाग ने 2016-17 में एक प्रोजेक्ट शुरू किया, जिसमें तीस हजारी से फिमिस्तान होते हुए पंचकुइया रोड की ओर भारी जाम को देखते हुए सिग्नल फ्री रोड बनाने का प्रोजेक्ट भी था। इसी के तहत देशबंधु गुप्ता रोड पर रानी लक्ष्मीबाई की मूर्ति को शिफ्ट किया जाना था। डीडीए ने प्रतिमा को लगाने के लिए शाही ईदगाह के पास अपनी जमीन दे दी, लेकिन ईदगाह समिति इसके खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट चली गई। कोर्ट ने अपने फैसले में इसे सरकारी जमीन करार दिया। *कोर्ट ने इस मामले में और क्या कहा?* मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि ईदगाह कमेटी का यह दावा करना कानून के मुताबिक नहीं है। कोर्ट ने कहा, ‘ एक तरफ हम महिला सशक्तीकरण की बात कर रहे हैं। वह सभी धार्मिक सीमाओं से परे एक राष्ट्रीय गौरव हैं और आप यह धार्मिक आधार पर कर रहे हैं। इतिहास को सांप्रदायिक राजनीति के आधार पर न बांटें। ऐसा प्रतीत होता है कि इसका उद्देश्य अदालत के माध्यम से सांप्रदायिक राजनीति करना है। रानी लक्ष्मीबाई का धर्म से कोई लेना-देना नहीं है। अगर जमीन आपकी थी, तो आपको स्वेच्छा से आगे आना चाहिए था।’ *कोर्ट की फटकार के बाद वापस ली याचिका* हाईकोर्ट की फटकार के बाद शाही ईदगाह मस्जिद कमेटी की तरफ से याचिकाकर्ता ने बिना किसी शर्त के माफी मांगते हुए अपनी याचिका वापस लेने की बात कही। कोर्ट ने इसके लिए कमेटी को माफीनामा दाखिल करने का निर्देश भी दिया। *भड़काऊ मैसेज?* इससे पहले गुरुवार को ईदगाह मस्जिद में उस वक्त लोगों की भीड़ जुटनी शुरू हो गई जब ये मैसेज वायरल किया गया कि ईदगाह की जमीन पर रानी लक्ष्मीबाई की मूर्ति लगाई जा रही है। पुलिस ने फौरन मैसेज जारी करके चेतावनी दी कि सदर बाजार इलाके में किसी को भी प्रदर्शन की इजाजत नहीं दी गई है। स्थानीय निवासियों ने बताया कि कुछ लोगों ने मस्जिद के अंदर नारेबाजी की और फरार हो गए। जो मैसेज वायरल हुआ था, उसमें लिखा था, ‘मुसलमानों अब भी नहीं उठे तो कब उठोगे? अब भी नहीं लड़े तो कब लड़ोगे? अभी भी नहीं बोले तो तुम्हें इजाज़त लेनी पड़ेगी नमाज़ के लिए? शर्म करो क्या मुंह दिखाओगे खुदा को?’ *दिल्ली पुलिस ने फौरन एक्शन लिया* मैसेज में दावा किया गया कि ईदगाह के सामने वाले पार्क की जमीन पर कब्जा करके मुसलमानों का हक मारा जा रहा है। इस मैसेज के वायरल होने के बाद ईदगाह के अंदर कुछ लोगों ने नारेबाजी शुरू कर दी। देखते ही देखते भीड़ जमा होने लगी जिसके बाद पुलिस ने फौरन एक्शन लिया और अपनी तरफ से मैसेज सर्कुलेट किया कि किसी भी तरह के प्रदर्शन की इजाजत नहीं दी गई है और ऐसा करने पर कानूनी कार्रवाई हो सकती है। गुरुवार की शाम को भारी मात्रा में पुलिस बल भी तैनात हो गया और हालात को काबू से बाहर नहीं होने दिया गया।
खरीफ-रबी की फसलों में अंतर भी जानते हैं राहुल गांधी..', हरियाणा के रेवाड़ी में MSP पर अमित शाह ने किया जमकर हमला

हरियाणा के रेवाड़ी में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने एक जनसभा में कांग्रेस और राहुल गांधी पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने अग्निवीर योजना को लेकर जनता में भ्रम फैलाने का काम किया है। अमित शाह ने हरियाणा के जवानों की वीरता की सराहना करते हुए कहा कि देश की सीमाएं आज सुरक्षित हैं और जम्मू-कश्मीर में शांति है, जिसका श्रेय हरियाणा के वीर जवानों के बलिदान और साहस को जाता है।

अमित शाह ने कांग्रेस के शासनकाल को कट, कमीशन, और करप्शन से भरा हुआ बताया और कहा कि उस समय डीलर, दलाल और दामादों का दबदबा था। लेकिन भाजपा सरकार में न डीलर बचे, न दलाल, और दामाद का तो सवाल ही नहीं है। राहुल गांधी पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा कि राहुल को किसी ने समझाया कि MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) का जिक्र करने से वोट मिलेंगे, लेकिन क्या उन्हें इसका फुलफॉर्म भी पता है, रबी और खरीफ फसलों का अंतर पता है ? उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वो MSP के नाम पर किसानों को गुमराह कर रही है, जबकि हरियाणा की भाजपा सरकार 24 फसलों को MSP पर खरीद रही है। उन्होंने कांग्रेस से पूछा कि उनकी कोई सरकार 24 फसलें MSP पर खरीद रही है या नहीं।

राहुल गांधी के विदेशी धरती पर दिए गए बयानों पर भी अमित शाह ने आलोचना की। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी विदेश जाकर कहते हैं कि कांग्रेस आरक्षण खत्म कर देगी। जबकि राहुल लोकसभा चुनाव के समय भाजपा पर आरक्षण खत्म करने का आरोप लगाते थे। अमित शाह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वन रैंक-वन पेंशन (OROP) योजना का जिक्र करते हुए कहा कि कांग्रेस 40 सालों तक इसे लागू नहीं कर पाई, जबकि मोदी सरकार ने इस मांग को पूरा किया। उन्होंने यह भी बताया कि एक महीने पहले OROP का तीसरा वर्जन भी लागू किया जा चुका है। शाह ने सभा में भाजपा सरकार की उपलब्धियों को गिनाते हुए कांग्रेस पर भ्रष्टाचार और गलत राजनीति का आरोप लगाया।

देश की रक्षा समिति में राहुल गांधी को अहम भूमिका, कंगना को संचार में स्थान, पढ़िए, और किस नेता को मिली अहम जिम्मेवारी

संसद ने 26 सितंबर को अपनी स्थायी समितियों का पुनर्गठन करते हुए 24 प्रमुख समितियों का गठन किया, जिनमें विभिन्न दलों के प्रमुख नेताओं को महत्वपूर्ण जिम्मेदारियाँ दी गई हैं। लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी को रक्षा मामलों की समिति में सदस्य के रूप में शामिल किया गया है। इस समिति की अध्यक्षता भाजपा सांसद राधा मोहन सिंह करेंगे। वहीं, भाजपा सांसद निशिकांत दुबे को संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी समिति की अध्यक्षता दी गई है, जिसमें अभिनेत्री से नेता बनीं कंगना रनौत भी सदस्य के रूप में शामिल हैं, जो उनकी पहली संसदीय भूमिका है।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह को महिला, शिक्षा, युवा और खेल मामलों की समिति का अध्यक्ष बनाया गया है, जबकि समाजवादी पार्टी के नेता राम गोपाल यादव को स्वास्थ्य मामलों की समिति का प्रमुख नियुक्त किया गया है। कांग्रेस सांसद शशि थरूर विदेश मामलों की समिति का नेतृत्व करेंगे, जिसमें भाजपा सांसद और अभिनेता अरुण गोविल भी सदस्य होंगे। भाजपा के अन्य नेता राधा मोहन दास अग्रवाल को गृह मामलों की समिति का अध्यक्ष और भर्तृहरि महताब को वित्त मामलों की समिति का प्रमुख बनाया गया है। भाजपा के सीएम रमेश को रेलवे समिति की अध्यक्षता और पूर्व मंत्री अनुराग ठाकुर को कोयला, खान और इस्पात मामलों की समिति की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

सूची में कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी का नाम नहीं है। साथ ही, तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) और जनता दल (यू) के नेताओं के साथ भाजपा के महाराष्ट्र में सहयोगी दल शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) को भी प्रमुख समितियों में भूमिकाएँ दी गई हैं। एनसीपी के सुनील तटकरे पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस समिति के प्रमुख होंगे, जबकि शिवसेना के श्रीरंग अप्पा बारणे ऊर्जा समिति का नेतृत्व करेंगे। जेडी(यू) के संजय झा परिवहन, पर्यटन और संस्कृति समिति के अध्यक्ष होंगे और टीडीपी के मगुंटा श्रीनिवासुलु रेड्डी आवास और शहरी मामलों की समिति की देखरेख करेंगे।

कांग्रेस नेता चरणजीत सिंह चन्नी और सप्तगिरि उलाका क्रमशः कृषि, पशुपालन और खाद्य प्रसंस्करण तथा ग्रामीण विकास और पंचायती राज समिति के प्रमुख नियुक्त किए गए हैं। डीएमके नेता तिरुचि शिवा और के. कनिमोझी उद्योग, उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण समितियों का नेतृत्व करेंगे। पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता राजीव प्रताप रूडी को जल संसाधन समिति का अध्यक्ष बनाया गया है। स्थायी समितियां केंद्रीय मंत्रालयों की कार्यवाही पर नज़र रखती हैं और विभिन्न मुद्दों पर सरकार को सुझाव देती हैं। इनके कार्यों में बजटीय आवंटनों की समीक्षा करना, संसद में पेश विधेयकों की जांच करना और नीतिगत सिफारिशें देना शामिल है।

जम्मू कश्मीर के रियासी में तीर्थयात्रियों से भरी बस पर हमले से जुड़े मामले में 7 लोकेशन पर NIA की रेड

रियासी इलाके में तीर्थयात्रियों से भरी बस पर 9 जून को आतंकवादियों की ओऱ से हमला किया गया था. बस पर की गई गोलीबारी में जम्मू-कश्मीर के बाहर के सात तीर्थयात्रियों सहित नौ लोग मारे गए थे, जबकि 41 घायल हो गए थे. शुक्रवार सुबह राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी NIA ने शिव खोरी मंदिर से लौट रहे तीर्थयात्रियों की बस पर जून में हुए घातक आतंकवादी हमले की जांच के तहत शुक्रवार को राजौरी और रियासी जिलों में कई स्थानों पर तलाशी शुरू की. 9 जून को आतंकवादियों द्वारा बस पर की गई गोलीबारी में जम्मू -कश्मीर के बाहर के सात तीर्थयात्रियों सहित नौ लोगों की मौत हो गई थी और 41 घायल हो गए थे. वारदात के दौरान बस शिव खोरी मंदिर से कटरा जा रही बस, रियासी के पौनी क्षेत्र के तेरयाथ गांव के पास गोलीबारी की बौछार के बाद सड़क से उतर गई और एक गहरी खाई में गिर गई थी. गृह मंत्रालय ने NIA को सौंपा था केस 17 जून को गृह मंत्रालय ने आतंकी हमले का मामला एनआईए को सौंप दिया था. इस मामले में अब तक राजौरी निवासी हाकम खान नामक एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है, जिसने कथित तौर पर आतंकवादियों को भोजन, आश्रय और रसद उपलब्ध कराने के अलावा हमले से पहले इलाके की टोह लेने में भी मदद की थी। अधिकारियों ने बताया कि एनआईए की कई टीमें शिव खोरी आतंकवादी हमला मामले में आज सुबह से राजौरी और रियासी जिलों में तलाशी ले रही हैं। बताया कि तलाशी जारी है तथा आगे के विवरण की प्रतीक्षा है।
अगले 12 घंटे में तेवर बदलेगा चक्रवाती तूफान, देश के सात राज्यों में भारी बारिश की चेतावनी, जाते जाते उग्र रूप दिखा रहे मॉनसून के बादल

मानसून की विदाई होने वाली है, लेकिन मानसून के बादल जाते-जाते भी उग्र रूप दिखा रहे हैं। बंगाल की खाड़ी में लो प्रेशर वाला साइक्लोनिक सर्कुलेशन बनने की वजह से मौसम के तेवर तल्ख बने हुए हैं। सितंबर महीने में लगातार चौथी बार ऐसा स्ट्रॉन्ग साइक्लोनिक सिस्टम बन रहा है। इसलिए मानसून अब अक्टूबर के पहले हफ्ते में ही वापस जाएगा। और इस हफ्ते से अगले हफ्ते तक मौसम ऐसे ही खराब रहेगा। मौसम विभाग (IMD) ने आज भी अगले 12 घंटे में चक्रवाती तूफान के काफी एक्टिव होने की संभावना जताई है। आज रात तक 7 राज्यों में बहुत भारी बारिश होने की संभावना है। 9 राज्यों में भारी बारिश हो सकती है। पहाड़ी राज्यों में भी बारिश होने का अलर्ट रहेगा। आइए जानते हैं कि आज देशभर का मौसम कैसा रहने वाला है? मौसम विभाग के अनुसार, साइक्लोनिक सर्कुलेशन बंगाल की खाड़ी से उत्तरी बांग्लादेश तक बना हुआ है, जिससे महाराष्ट्र, गुजरात और कोंकण में भारी बारिश हो रही है। इस बारिश का असर पूरे देश पर पड़ रहा है। दिल्ली में आज सुबह तेज हवाएं चलीं और आसमान में घने काले बादल छाए रहे। हालांकि भारी बारिश होने का अलर्ट नहीं है, लेकिन आज गरज-चमक के साथ हल्की बारिश हो सकती है। ऐसे में अधिकतम तापमान 33 और न्यूनतम तापमान 24 डिग्री रह सकता है। कल भी राजधानी का मौसम ऐसा ही रहेगा। 29 सितंबर से 2 अक्टूबर तक आसमान में बादल छाए रहेंगे, लेकिन बारिश होने के आसार नहीं हैं। मौसम विभाग के अलर्ट के अनुसार, महाराष्ट्र को आज भी बारिश से राहत नहीं मिलने वाली। आज ठाणे में यलो अलर्ट, रायगढ़ जिले में यलो अलर्ट और मुंबई में रेड अलर्ट रहेगा। पालघर और नासिक में भी गरज-चमक के साथ तेज हवाएं चलेंगी और बादल बरसेंगे। बुधवार और गुरुवार को हुई बारिश से मुंबई में जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया था। स्कूल-कॉलेज बंद करने पड़े। ट्रेनों और फ्लाइटों के रूट बदलने पड़े। मौसम विभाग के अनुसार, आज गुजरात, उपहिमालयन पश्चिम बंगाल, सिक्किम, बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश, कोंकण, गोवा, मध्य महाराष्ट्र और उत्तराखंड में बहुत भारी बारिश होगी। असम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, पश्चिमी मध्य प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर, मिजोराम, त्रिपुरा और झारखंड में भारी बारिश होने के आसार हैं। इसके अलावा ओडिशा, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, तटीय कर्नाटक, पंजाब के कुछ हिस्सों, उत्तरी हरियाणा, पूर्वी राजस्थान, तमिलनाडु में हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है। जम्मू कश्मीर, लद्दाख, दिल्ली, केरल और लक्षद्वीप में हल्की बारिश हो सकती है।
इंदौर में अर्धनग्न घूमने वाली युवती के खिलाफ हुआ बड़ा एक्शन, 56 दुकान पर ब्रा पहनकर बनाया था वीडियो

मध्यप्रदेश के इंदौर के 56 दुकान और मेघदूत चौपाटी पर अर्धनग्न घूमने वाली युवती को मशहूर होने की चाहत भारी पड़ गई। वीडियो वायरल होने के बाद हिन्दू संगठनों ने कड़ी आपत्ति जताई थी। बीजेपी के नेता कैलाश विजयवर्गीय का भी गुस्सा देखने को मिला था। अब युवती के खिलाफ पुलिस ने केस दर्ज कर लिया है। युवती ने शहर में अर्धनग्न घूमने के वीडियो बनवाकर सोशल मीडिया पर वायरल भी किए थे। शहर की तुकोगंज थाना पुलिस ने बीएनएस की धारा 296 के तहत युवती के खिलाफ केस दर्ज किया है। उसकी इस हरकत का शहर के लोगों ने विरोध किया था। कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने भी युवती की इस हरकत पर कड़ी प्रतिक्रिया दी थी। उन्होंने कहा था कि यह मां अहिल्या की नगरी है, यहां ऐसी हरतक नहीं चलेगी। युवती के अर्धनग्न होकर इंदौर शहर के प्रमुख स्थानों पर घूमने और वीडियो बनाकर इसे वायरल करने के मामले में लगातार विरोध हो रहा है। इसके बाद पुलिस एक्शन में आई और युवती के खिलाफ केस दर्ज किया। इंदौर का 56 दुकान तुकोगंज थाना इलाके में आता है। फेम पाने के लिए इस तरह के कारनामे कर युवती बड़ी मुसीबत में फंस गई। हालात इस तरह बिगड़े की उसे माफ़ी मांगने पर मजबूर होना पड़ा। अब युवती अपने ऐसे कांड पर पर्दा डालने के लिए मरने की बात कह रही है, ताकि लोग उसे ट्रोल न करे। दरअसल, इंस्टाग्राम पर फेमस होने की सनक लोगों के दिमागी संतुलन को खराब करती जा रही है। ऐसी एक युवती ने श्रेया_08 नाम की आईडी से इंदौर के मेघदूत गार्डन और 56 दुकान पर अर्धनग्न अवस्था में घूमते हुए अपना वीडियो बना कर सोशल मीडिया पर डाल दिया। वीडियो देखते ही देखते वायरल हो गया। मामला तूल पकड़ता देख युवती ने एक और वीडियो जारी किया। इसमें उसने लोगों को अपने घर का पता बताया। उसने लोगों को सामने आकर बात करने की चुनौती दे डाली। हालांकि बाद में युवती ने माफ़ी मांगते हुए एक और वीडियो जारी किया। उसने कहा कि मुझे एहसास हुआ कि जो वीडियो वायरल हो रहा उसमें मैने बहुत कम कपड़े पहन रखे हैं। मुझे पब्लिक प्लेस में एसे कपड़े नहीं पहनने चाहिए। जिस किसी को भी ठेस पहुंची है। चाहे वह संगठन हो, बजरंगदल, महिला-पुरूष या फिर सोसाइटी के लोग मैं माफी मांगना चाहूंगी। माफ़ी मांगने के बाद भी युवती ने खुद को समाज के लिए शर्मिंदगी बताते हुए कहा कि मुझे अकेला छोड़ दीजिए, मैं सुसाइड करना चाहती हूं। ऐसी गलती दोबारा नहीं करूंगी और न ही पब्लिक प्लेस में ऐसे कपड़े पहनकर आऊंगी। मुझे सोसाइटी में जीने का कोई हक नहीं है, मैं इसके लिए शर्मिंदा हूं।
हिंदुओं को जगाने के लिए बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री ने कर दिया बड़ा ऐलान, करेंगे गांव गांव तक पदयात्रा

बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी पहुंचे. धीरेंद्र शास्त्री अपने शिष्य प्रशांत शुक्ला के घर पहुंचे थे. जहां उन्होंने हो रही बारिश के बीच घर की छत पर खड़े होकर लोगों को संबोधित किया. इस दौरान धीरेंद्र शास्त्री ने हिंदुओं की एकजुटता पर जोर दिया और गांव-गांव पदयात्रा शुरू करने की घोषणा की. धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि हिंदुओं को एकजुट करना बेहद जरूरी है. उन्हें एकजुट करने के लिए और सनातन धर्म के प्रचार प्रसार के लिए 21 से 30 नवंबर तक मैं पदयात्रा शुरू करने जा रहा हूं. यह पदयात्रा प्रतिदिन 20 किलोमीटर चलेगी. 21 नवंबर को पदयात्रा की शुरुआत बागेश्वर धाम से होगी. 30 नवंबर को पदयात्रा ओरछा पहुंचकर समाप्त होगी. धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि 160 किलोमीटर की मेरी यह पदयात्रा गांव-गांव पहुंचेगी. अब तक लोग मेरे पास आते थे, बड़े लोग तो मुझे मिल लेते हैं, लेकिन छोटे लोग मुझे नहीं मिल पाते हैं. अब ऐसा नहीं होगा… मैं खुद लोगों के बीच जाऊंगा और घर-घर जाकर लोगों से मुलाकात करुंगा. साथ ही हिंदू एकता और सनातन धर्म को बढ़ावा देने का काम करूंगा. बागेश्वर पीठाधीश्वर ने बताया कि नवंबर में निकलने वाली यात्रा का पड़ाव सिर्फ गांवों में ही होगा. मेरी पदयात्रा का मकसद जात, पात, ऊंच नीच सबको भूलाकर भारत को और मजबूत करने की दिशा में सनातन और हिंदू धर्म के सभी लोगों को एकजुट करना होगा. बता दें कि शुक्रवार को पंडित धीरेंद्र शास्त्री श्री काशी विश्वनाथ मंदिर पहुंचकर बाबा विश्वनाथ का दर्शन पूजन किया. इसके बाद वह बड़ागांव स्थित अपने शिष्य प्रशांत शुक्ला के घर पहुंचे थे. यहां पर उनके आने की सूचना मिलने के साथ ही गांव और आसपास के लोगों की भीड़ बड़ी संख्या में घर के बाहरी इकट्ठा होने लगी थी.
अरुणाचल की पहाड़ी को पर्वतारोहियों ने दिया दलाई लामा का नाम तो तिलमिलाया चीन, जानें क्या कर रहा दावा*
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अरुणाचल प्रदेश को लेकर भारत और चीन के बीच एक बार फिर से तनाव बढ़ता दिख रहा है। इस बार मामला अरुणाचल प्रदेश की एक चोटी को नाम देने से शुरू हुआ है।अरुणाचल प्रदेश के तवांग में एक पर्वत चोटी का नाम दलाई लामा के नाम पर रखे जाने पर चीन को मिर्ची लग गई है। भारतीय पर्वतारोहण दल ने हाल ही में अरुणाचल प्रदेश के तवांग क्षेत्र में एक अनाम चोटी का नाम छठे दलाई लामा के नाम पर रखा। इस बात से चीन बिदक गया है। जिसके बाद चीन ने क्षेत्र पर एक बार फिर अपना दावा करते हुए इसे 'चीनी क्षेत्र' में एक अवैध ऑपरेशन करार दिया। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग एंड एडवेंचर स्पोर्ट्स (एनआईएमएएस) की एक टीम ने अरुणाचल प्रदेश में 20,942 फीट ऊंची एक चोटी की चढ़ाई की जिसकी चढ़ाई आज तक नहीं की गई थी। इस चोटी पर जहां एक तरफ एक बार भी चढ़ाई नहीं की गई थी, वहीं दूसरी तरफ इस चोटी का आज तक कोई नाम भी नहीं रखा गया था। इसी के चलते चढ़ाई के बाद एनआईएमएएस ने चोटी का नाम छठे दलाई लामा त्सांगयांग ग्यात्सो के नाम पर रखने का फैसला किया, जिनका जन्म 1682 में तवांग में हुआ था। छठे दलाई लामा के नाम पर चोटी का नाम उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए रखा गया। *क्या कह रहा चीन* अरुणाचल प्रदेश में चोटी का नाम छठे दलाई लामा के नाम पर रखे जाने के बाद, पड़ोसी देश चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने कहा, “आप किस बारे में बात कर रहे मुझे इसकी जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा, मुझे कहना चाहिए कि ज़ंगनान (भारत का अरुणाचल प्रदेश, जिसे चीन ज़ंगनान बुलाता है) का क्षेत्र चीनी क्षेत्र है और भारत के लिए चीनी क्षेत्र में “अरुणाचल प्रदेश” स्थापित करना अवैध और अमान्य है। *भारत ने चीन के दावों को किया खारिज* भारत ने चीन के अरुणाचल प्रदेश पर दावों को अस्वीकार करते हुए कहा है कि अरुणाचल भारत का अभिन्न हिस्सा है। किसी के अवैध दावे से यह बदलने वाला नहीं है।चीन और भारत के बीच अरुणाचल प्रदेश को लेकर सालों से विवाद चल रहा है। चीन अरुणाचल प्रदेश को जांगनान कहता है। भारत हमेशा से ही चीन के इन दावों को खारिज करता रहा है, और अरुणाचल प्रदेश को देश का अटूट हिस्सा बताया है।
मुंबई से गिरफ्तार हुई पोर्न एक्ट्रेस रिया बर्डे निकली बांग्लादेशी, फर्जी दस्तावेज बनवाकर भारत में रही थीं*
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इंडियन पोर्न इंडस्ट्री में आरोही बर्डे और बन्ना शेख नाम से मशहूर पोर्न एक्ट्रेस रिया बर्डे की गुरुवार को गिरफ्तारी हुई है। महाराष्ट्र की उल्हासनगर पुलिस ने रिया बर्डे को गिरफ्तार किया था। आरोप है कि रिया और उसका परिवार फर्जी डॉक्यूमेंट्स का इस्तेमाल कर यहां अवैध रूप से भारत में रह रहा था। महाराष्ट्र पुलिस ने खुलासा किया है कि रिया मूल रूप से बांग्लादेश की रहने वाली है। रिया और उसका परिवार फर्जी काजगों का इस्तेमाल कर खुद को हिंदू बता यहां लंबे समय से रह रहे हैं। महाराष्ट्र के उल्हासनगर स्थित हिललाइन पुलिस ने फर्जी दस्तावेजों के जरिए भारत में रहने के आरोप में पोर्न स्टार रिया को गिरफ्तार किया है। इस मामले में पुलिस ने रिया के खिलाफ आईपीसी 420, 465, 468, 479, 34 और 14 ए के तहत मामला दर्ज किया है। पुलिस की मानें तो रिया पर आरोप है कि वह मूल रूप से बांग्लादेशी है और वह, उसकी मां, भाई और बहन फर्जी दस्तावेज बनाकर भारत में अवैध रूप से रह रहे हैं। खास बात यह है बांग्लादेशी होने के बावजूद भारतीय कागजात बनाने के लिए रिया की मां ने अमरावती के एक शख्स से शादी की थी। रिया की मां खुद को पश्चिम बंगाल की बताती थी। उसने अमरावती निवासी अरविंद बर्डे से शादी की। बाद में खुद और बच्चों के लिए फर्जी जन्म प्रमाण पत्र और अन्य फर्जी दस्तावेज बनवाकर भारतीय नागरिक का पासपोर्ट बनवा लिया, ताकि वह अपनी भारतीय पहचान साबित कर सके। पुलिस ने पाया कि रिया की मां और पिता दोनों फिलहाल कतर में रह रहे हैं। फिलहाल इस मामले में पुलिस ने रिया के अलावा उसकी मां अंजलि बर्डे उर्फ रूबी शेख, पिता अरविंद बर्डे, भाई रविंद्र उर्फ रियाज शेख और बहन रितु उर्फ मोनी शेख को भी आरोपी बनाया है। ये मामला तब सामने आया, जब रिया बर्डे के एक करीबी दोस्त प्रशांत मिश्रा को इस बात की जानकारी मिली कि वो भारतीय नहीं बल्कि बांग्लादेशी हैं। मामले को गंभीरता से लेते हुए प्रशांत ने ये जानकारी पुलिस को दी थी। पुलिस ने जब रिया के सभी दस्तावेजों की जांच की तो उनके बांग्लादेशी होने के सबूत मिले।