/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/_noavatar_user.gif StreetBuzz साइकोलॉजी के अनुसार जानिए खुशहाल जीवन के 7 सरल उपाय Mamta kumari
साइकोलॉजी के अनुसार जानिए खुशहाल जीवन के 7 सरल उपाय


मानव मनोविज्ञान यह समझने में मदद करता है कि हम किस तरह से सोचते हैं, महसूस करते हैं और व्यवहार करते हैं। खुशी और संतोष जीवन के महत्वपूर्ण पहलू हैं, और साइकोलॉजी के अनुसार, कुछ सरल उपाय हमें खुश और संतुष्ट जीवन जीने में मदद कर सकते हैं। आइए जानते हैं ऐसे सात उपाय, जो हमें मानसिक रूप से सशक्त और खुशहाल बना सकते हैं:

1 आभार व्यक्त करें (Practice Gratitude)

आभार का अभ्यास करने से मानसिक संतुलन बना रहता है। जब हम उन चीज़ों पर ध्यान केंद्रित करते हैं जिनके लिए हम आभारी हैं, तो हमारी सोच सकारात्मक हो जाती है। रोज़ाना दिन के अंत में कुछ मिनट निकालकर उन चीज़ों के बारे में सोचें जिनके लिए आप आभारी हैं, चाहे वह कितनी भी छोटी क्यों न हों।

2 सकारात्मक संबंध बनाए रखें (Build Positive Relationships)

स्वस्थ और सकारात्मक रिश्ते जीवन में खुश रहने का मुख्य कारण हैं। दोस्तों और परिवार के साथ अच्छे रिश्ते मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देते हैं। समय-समय पर अपने प्रियजनों से संपर्क बनाए रखें, उनके साथ समय बिताएं और संवाद करें। इससे अकेलापन और तनाव कम होता है।

3 माइंडफुलनेस का अभ्यास करें (Practice Mindfulness)

माइंडफुलनेस का अर्थ है वर्तमान क्षण में पूरी तरह से उपस्थित रहना। ध्यान और सांस लेने की तकनीकें माइंडफुलनेस को बढ़ाती हैं और चिंता व तनाव को कम करती हैं। दिन में कुछ समय निकालकर ध्यान लगाएं और अपने विचारों को नियंत्रित करें। इससे मानसिक स्पष्टता और शांति मिलती है।

4 स्वास्थ्य का ध्यान रखें

मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य का आपस में गहरा संबंध है। नियमित व्यायाम, स्वस्थ भोजन और पर्याप्त नींद जीवन में खुशी को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने से मन भी खुश और संतुलित रहता है।

5 लक्ष्य निर्धारित करें और पूरा करें (Set and Achieve Goals)

छोटे और यथार्थवादी लक्ष्य निर्धारित करके उन्हें हासिल करना जीवन में संतोष और आत्म-सम्मान को बढ़ाता है। जब हम अपने लक्ष्यों को पूरा करते हैं, तो हमें एक संतोष और उपलब्धि की भावना होती है। ध्यान रखें कि आपके लक्ष्य व्यावहारिक और प्राप्य हों।

6 दूसरों की मदद करें (Help Others)

दूसरों की मदद करने से न केवल उन्हें लाभ होता है, बल्कि हमें भी अंदर से खुशी मिलती है। जब आप किसी की मदद करते हैं, तो आपके अंदर आत्मिक संतोष उत्पन्न होता है। छोटे-छोटे नेक काम, जैसे किसी की परेशानी सुनना या किसी ज़रूरतमंद की सहायता करना, खुशी के स्रोत बन सकते हैं।

7 नकारात्मक सोच से बचें (Avoid Negative Thinking)

नकारात्मक विचार मन को अशांत और बेचैन करते हैं। नकारात्मक सोच की जगह सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने से जीवन में खुशी आती है। अपने दिमाग में आने वाले नकारात्मक विचारों को चुनौती दें और सकारात्मकता पर ध्यान केंद्रित करें।

इन सात उपायों का पालन करने से आप न केवल मानसिक रूप से मजबूत बन सकते हैं, बल्कि अपने जीवन में अधिक खुशी और संतोष भी पा सकते हैं। साइकोलॉजी इस बात पर जोर देती है कि खुश रहने के लिए हमें अपने मन और शरीर दोनों का ध्यान रखना ज़रूरी है।

मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में जादू टोने के शक में महिला और बुजुर्ग की हत्या, पुलिस ने आरोपियों को किया गिरफ्तार


बैतूल: जिले के मोहदा थाना क्षेत्र में एक 35 वर्षीय महिला और मुलताई थाना क्षेत्र में 56 वर्षीय बुजुर्ग कीहत्या का मामला सामने आया है. पुलिस ने मामले में आरोपियों को गिरफ्तार किया है. जादू-टोने के शक में दो लोगों की हत्या के शक पर आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है.

मोहदा थाना प्रभारी नेपाल सिंह ठाकुर ने बताया कि 'मोहदा थाना क्षेत्र के वनग्राम बेहड़ा के जंगल में एक महिला का खून से सना शव पड़ा हुआ है. जिसकी किसी ने धारदार हथियार से हत्या कर दी है. 

सूचना मिलते ही थाना मोहदा पुलिस मौके पर पहुंची. मृतका का शव सागौन वृक्षारोपण माचना बर्रा के जंगल बेहड़ा में पड़ा मिला. थाना प्रभारी मोहदा नेपाल सिंह ठाकुर ने घटनास्थल पर पहुंचे ग्रामीणों से पूछताछ करने पर दोनों मृतकों की पहचान की. मृतका के पति की रिपोर्ट पर थाना मोहदा में अपराध क्रमांक 147/2024, धारा 103(1) बीएनएस के तहत मामला पंजीबद्ध कर विवेचना शुरू की गई.

धारदार हथियार के पाए गए घाव

प्रभारी सीन ऑफ क्राइम, निरीक्षक आबिद अंसारी, और उनकी टीम ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया. मृतका के गाल, गर्दन और सीने पर धारदार हथियार के 4-5 गहरे घाव पाए गए. वैज्ञानिक साक्ष्य संकलन के लिए विधिवत फोटोग्राफी कराई गई. विवेचना के दौरान फरियादी और आस-पास के लोगों से पूछताछ की गई.

जादू-टोना करने का था संदेह

पुलिस के मुताबिक मृतका का पूर्व में गांव के ही प्रीतम बैठेकर से विवाद हुआ था. इस संदेह के आधार पर प्रीतम बैठेकर को पुलिस अभिरक्षा में लेकर पूछताछ की गई. संदेही प्रीतम बैठेकर उम्र 28 वर्ष ने जुर्म स्वीकार करते हुए बताया कि उसे शक था कि सावित्री उस पर जादू टोना करती थी. इसी शक के चलते उसने बकरी चराते समय कुल्हाड़ी से हमला कर उसकी हत्या कर दी. आरोपी से हत्या में प्रयुक्त कुल्हाड़ी और खून से सने कपड़े बरामद किए गए.

जादू-टोना के संदेह में मारपीट

जिले के मुलताई थाना क्षेत्र के ग्राम मोरण्ड निवासी 4 सितंबर को अपने गांव के हाट बाजार गए थे. अस्पताल के पास पड़ोस में रहने वाले करन कवड़े ने रिंगू पर जादू-टोना की शंका और पुरानी रंजिश को लेकर गाली-गलौच करते हुए सिर पर मुक्कों से हमला किया. हमले के कारण रिंगू धुर्वे मौके पर बेहोश हो गए.

आठनेर अस्पताल लेकर गया बेटा

घटना की जानकारी मिलने पर उनके पुत्र श्यामराव धुर्वे उन्हें घर लेकर गए और बाद में आठनेर अस्पताल व जिला चिकित्सालय बैतूल में इलाज के लिए ले जाया गया. हालत गंभीर होने पर रिंगू को हमीदिया अस्पताल भोपाल रेफर किया गया. 

फरियादी श्यामराव (उम्र 30 वर्ष) की रिपोर्ट पर थाना मुलताई में अपराध दर्ज किया गया. इलाज के दौरान रिंगू की सिर में गंभीर चोटों के कारण 11 सितंबर को मौत हो गई. भोपाल से प्राप्त मर्ग डायरी और पीएम रिपोर्ट के आधार पर प्रकरण में हत्या से संबंधित धारा जोड़ी गई. आरोपी करन कवडे (उम्र 24 वर्ष) को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया गया. जहां से उसे जेल भेजा गया।

पंजाब के अमृतसर में श्री हरमंदिर साहिब के बाहर एक अज्ञात श्रद्धालु ने हाई कोर्ट के जज के सुरक्षाकर्मी की पिस्तौल छीनकर खुद को मारी गोली


अमृतसर:- पंजाब के अमृतसर में हरमंदिर साहिब के पास एक अज्ञात श्रद्धालु ने सुरक्षा गार्ड की पिस्तौल छीनकर खुद को गोली मार ली. पुलिस के मुताबिक घायल श्रद्धालु को इलाज के लिए स्थानीय अस्पताल में भेजा गया है.यह घटना श्री दरबार साहिब में शनि मंदिर के बाहर हुई, जिससे आगंतुकों के बीच अफरा-तफरी और तनाव का माहौल बन गया.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के जज एनएस शेखावत श्री दरबार साहिब में माथा टेकने आए थे. जज के साथ अमृतसर पुलिस और सुरक्षाकर्मियों की एक पायलट गाड़ी तैनात थी. इस दौरान एक श्रद्धालु ने एएसआई अश्वनी कुमार की पिस्तौल छीन ली और उसने खुद को गोली मार ली।

मौके पर पहुंचे डीएसपी गगनदीप सिंह ने मीडिया को बताया कि फिलहाल घायल व्यक्ति को इलाज के लिए गुरु नानक देव अस्पताल भेज दिया गया है. पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि श्रद्धालु कौन था और कहां का रहने वाला है. उन्होंने कहा कि फिलहाल इस मामले में कुछ नहीं कहा जा सकता कि इस घटना के पीछे असली वजह क्या थी. हमारी टीमें जांच में लगी हुई हैं.

वहीं, सूत्रों से जानकारी मिली है कि व्यक्ति की मौके पर ही मौत हो गई थी.गौरतलब है कि हरमंदिर साहिब के बाहर ऐसे मामले पहले भी सामने आ चुके हैं.घटना ने एक बार फिर अफरा-तफरी का माहौल पैदा कर दिया है।

बेटे को आधा किमी तक घसीटा, फिर मेरे सामने काट दी गर्दन...', गृहमंत्री अमित शाह से मिलकर पीड़ित ने बताई नक्सलियों की क्रूरता की कहानी


बस्तर जिले के नक्सल पीड़ितों ने नई दिल्ली में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू व केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मिलकर कहा कि हमारा पुराना बस्तर लौटा दीजिए, जहां शांति और खुशहाली थी। 

नक्सल हिंसा पीड़ितों का 55 सदस्यीय एक दल देश की जनता को अपनी व्यथा बताने बस्तर से दिल्ली पहुंचा है। कोई नक्सलियों के प्लांट किए आइईडी की चपेट में आने से अपना पैर, हाथ तो कोई अपनी आंखों की रोशनी खो चुका है। कुछ ग्रामीण भी हैं, जिनके परिवार वाले नक्सल हिंसा में बुरी तरह प्रभावित हुए।

नई दिल्ली के कंस्टीट्यूशन क्लब के हाल में बड़ी सी स्क्रीन पर प्रदर्शित हो रही डाक्यूमेंट्री खामोशी से देखते हुए 52 वर्षीय दयालुराम के आंसू छलक आते हैं। वे बस्तर संभाग के कांकेर जिले के कलारपारा के रहने वाले हैं। दयालु बताते हैं कि 16 जून, 2018 की देर शाम करीब 8 बजे वर्दीधारी नक्सलियों का एक दल घर पहुंचा। मेरे बड़े बेटे का कमरा बाहर से बंद कर दिया। छोटे बेटे गेंदा के गले में रस्सी बांधकर उसे घसीटते हुए बाहर ले आए।

उन्होंने मुझे भी बंधक बनाया लिया। उसके बाद दोनों को घर से आधा किलोमीटर दूर ले गए। मेरे सामने ही बेटे के गर्दन को कुल्हाड़ी से काट दिए। उसकी गर्दन लटक रही थी, जिसे मैंने हाथों से पकड़ा तो मुझे भी डंडे और पैर से मारने लगे। मुझे पत्थर मारे। मैं बेहोश हो गया, तो मुझे मरा समझकर चले गए।

पुलिस के लिए काम करने के शक में दी सजा

मुझको बेहोशी की हालत में गांव और घरवालों ने अस्पताल में भर्ती कराया। चार महीने तक इलाज चला। मैं अपने बेटे के अंतिम संस्कार में भी शामिल नहीं हो सका। बिना किसी प्रमाण के पुलिस के लिए मुखबिरी के संदेह में बेटे को नक्सलियों ने क्रूरता से मार डाला था।

गृहमंत्री व राष्ट्रपति को सुनाई कहानी

बस्तर शांति समिति के नेतृत्व में आया यह दल 21 सितंबर को राष्ट्रपति द्रोपदी मूर्मू से मिला। इससे पहले 19 सितंबर की सुबह दिल्ली के जंतर-मंतर के धरना स्थल पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया। इसी दिन शाम को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से शासकीय निवास पर मुलाकात की। 

20 सितंबर की सुबह कंस्टीट्यूशन क्लब और शाम को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय पहुंचे। दल का उद्देश्य नक्सल हिंसा से मिले दर्द की व्यथा जिम्मेदारों को बताना और बस्तर को नक्सल हिंसा से मुक्त कराने की मांग करना था।

प्रकृति का अद्भुत रहस्य,पेड़ पर सोते हुए पंछी क्यों नहीं गिरते?

प्रकृति ने पक्षियों को बहुत अद्भुत और अनोखी विशेषताएँ प्रदान की हैं। पेड़ पर सोते समय पंछियों का गिरना न केवल आश्चर्यजनक है, बल्कि उनके शारीरिक ढांचे का एक अद्भुत उदाहरण भी है। यहां बताया गया है कि पंछी पेड़ पर सोते समय क्यों नहीं गिरते:

1. टेंडन लॉकिंग मैकेनिज्म 

पक्षियों के पैरों में एक विशेष प्रकार की तंत्रिका प्रणाली होती है जिसे टेंडन लॉकिंग मैकेनिज्म कहा जाता है। जब पंछी एक शाखा पर बैठता है, तो उसकी टांगों के भीतर की मांसपेशियां और टेंडन (ऊतक) स्वतः ही संकुचित हो जाते हैं। इससे उसकी पंजे शाखा को मजबूती से पकड़ लेते हैं। जब तक पंछी अपनी मांसपेशियों को आराम नहीं देता, तब तक उसका यह पकड़ मजबूत रहता है।

यह सिस्टम इतना प्रभावी है कि पंछी आराम से सोते हुए भी शाखा से नहीं गिरते। यह पूरी प्रक्रिया उनके शरीर की स्वाभाविक प्रतिक्रिया होती है, जिसके लिए उन्हें कोई विशेष प्रयास नहीं करना पड़ता।

2. शरीर का गुरुत्वाकर्षण केंद्र

पंछियों का गुरुत्वाकर्षण केंद्र उनके शरीर के बीच में होता है, जिससे जब वे शाखा पर बैठते हैं, उनका वजन पंजों के माध्यम से समान रूप से संतुलित रहता है। यह संतुलन उन्हें स्थिर रखने में मदद करता है, जिससे वे सोते समय भी नहीं गिरते।

3. मजबूत पंजे और लचीलापन

पंछियों के पंजे बहुत मजबूत और लचीले होते हैं, जिससे वे आसानी से शाखाओं को पकड़ सकते हैं। पंजों का यह लचीलापन उन्हें विभिन्न आकार और प्रकार की शाखाओं पर आराम से बैठने की क्षमता प्रदान करता है।

4. संतुलित नींद का चक्र

पंछियों की नींद का चक्र भी उन्हें सुरक्षित रखने में मदद करता है। वे एक साथ गहरी नींद में नहीं सोते। उनका मस्तिष्क एक बार में केवल आधा भाग सोता है, जबकि दूसरा भाग सतर्क रहता है। यह सतर्कता उन्हें किसी भी संभावित खतरे से बचाती है और यह सुनिश्चित करती है कि वे सोते हुए भी संतुलन बनाए रखें।

5. प्रकृति की सुरक्षा प्रणाली

प्रकृति ने पंछियों को शिकारियों से बचाने के लिए यह क्षमता दी है। अगर वे पेड़ से गिरने लगते, तो वे आसानी से शिकार बन सकते थे। इसीलिए उनकी संरचना ऐसी है कि वे बिना गिरने के सुरक्षित रूप से सो सकें।

निष्कर्ष

पक्षियों का पेड़ पर सोते हुए नहीं गिरना उनकी अनोखी शारीरिक संरचना और तंत्रिका तंत्र की वजह से संभव हो पाता है। यह प्रकृति की अद्भुत रचना है जो पंछियों को सुरक्षित, संतुलित और आरामदायक नींद लेने की अनुमति देती है।

आज का इतिहास:आज ही के दिन सयुंक्त राष्ट्र की पहल पर भारत-पाकिस्तान की लड़ाई में हुआ था युद्ध विराम


नयी दिल्ली : 22 सितंबर का इतिहास महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि 1988 में 22 सितंबर को ही नेशनल ज्‍योग्राफिक मैगजीन का प्रकाशन आज ही के दिन शुरू हुआ था। 

1965 में आज ही के दिन भारत और पाकिस्तान के बीच की लड़ाई में संयुक्त राष्ट्र की पहल पर युद्ध विराम हुआ था। 

2007 में आज ही के दिन नासा के एअर क्राफ़्ट ने मंगल ग्रह पर गुफाओं जैसी 7 आकृतियों का पता लगाया था।

2008 में आज ही के दिन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह अमेरिका और फ्रांस की 10 दिवसीय यात्रा पर गए थे।

2007 में 22 सितंबर को ही नासा के एअर क्राफ्ट ने मंगल ग्रह पर गुफाओं जैसी 7 आकृतियों का पता लगाया था।

2007 में आज ही के दिन ईरान ने 1800 किमी की मारक क्षमता वाली मिसाइल धद्र का प्रदर्शन किया था।

2002 में 22 सितंबर को ही फ्रांस ने आइवरी कोस्ट में अपनी सेना भेजी थी।

1988 में आज ही के दिन नेशनल ज्‍योग्राफिक मैगजीन का प्रकाशन आज ही के दिन वर्ष शुरू हुआ था।

1988 में 22 सितंबर के दिन ही कनाडा की सरकार ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापान और कनाडा के नागरिकों की नजरबंदी के लिए माफी मांगी और मुआवजा देने का भी वादा किया था।

1980 में आज ही के दिन ईरान और इराक के बीच जारी सीमा संघर्ष युद्ध के रूप में परिवर्तित हुआ था।

1977 में 22 सितंबर के दिन ही अमेरिकी फुटबॉल टीम पेले के नेतृत्व में दो प्रदर्शनी मैच खेलने कलकत्ता (अब कोलकाता) पहुंची थी।

1966 में आज ही के दिन अमेरिकी यान ‘सर्वेयर 2’ चंद्रमा की सतह से टकराया था।

1965 में 22 सितंबर को ही भारत पाकिस्तान के बीच की लड़ाई में संयुक्त राष्ट्र की पहल पर युद्ध विराम हुआ था।

1949 में आज ही के दिन सोवियत संघ ने पहला न्यूक्लियर टेस्ट सफलतापूर्वक किया था।

1914 में 22 सितंबर को ही मद्रास बंदरगाह पर जर्मन युद्धपोत इम्देन ने बमबारी की थी।

1903 में आज ही के दिन अमेरिकी नागरिक इटालो मार्चिओनी को आइसक्रीम कोन के लिए एक पेटेंट दिया गया था।

1792 में 22 सितंबर को ही फ्रांस गणराज्य की स्थापना की घोषणा हुई थी।

22 सितंबर को जन्में प्रसिद्ध व्यक्ति

1922 में आज ही के दिन चीनी भौतिकविद, नोबेल पुरस्कार विजेता चेन निंग यांग का जन्म हुआ था।

1869 में 22 सितंबर के दिन ही भारत के समाज सुधारक वीएस श्रीनिवास शास्त्री का जन्म हुआ था।

22 सितंबर को हुए निधन

1791 में 22 सितंबर को ही भौतिक विज्ञानी और रसासनशास्‍त्री माइकल फैराडे का निधन हुआ था।

1979 में आज ही के दिन जमियत ए इस्लाम के संस्थापक मौलाना अब्दुल अली मौदूदी का निधन हुआ था।

1991 में 22 सितंबर को ही हिंदी व मराठी फिल्मों की प्रसिद्ध अभिनेत्री दुर्गा खोटे का निधन हुआ था।

2011 में आज ही के दिन भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान और पटौदी के नवाब मंसूर अली खान पटौदी का निधन हुआ था।

22 सितंबर पर उत्सव

विश्व गुलाब दिवस।

भारत के इन 5 मंदिरों में मिलता मांसाहारी प्रसाद,कही मटन तो कही चिकन मछली मिलता हैं प्रसाद


नयी दिल्ली : एक तरफ जहां हिंदू धर्म में मांस और शराब को अपवित्र माना जाता है. दूसरी ओर, कुछ हिंदू मंदिरों में यही मांस और शराब प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है और भक्तों के बीच प्रसाद के रूप में वितरित भी किया जाता है।

भारत में ऐसे कई मंदिर हैं जहां प्रसाद के रूप में मटन, चिकन और मछली बांटी जाती है, जिसके बारे में आज हम बात करेंगे.

कालीघाट मंदिर पश्चिम बंगाल

कालीघाट मंदिर कोलकाता में स्थित है. इस मंदिर में भक्तों द्वारा देवी काली को प्रसाद के रूप में बकरे चढ़ाए जाते हैं. बकरे की बलि देने के बाद उसका मांस भक्तों के बीच प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है. मान्यता है कि बकरे का प्रसाद खाने से भक्तों पर मां काली की कृपा बनी रहती है.

 कोलकाता का दक्षिणेश्वर काली मंदिर

कोलकाता का दक्षिणेश्वर काली मंदिर पूरे देश में प्रसिद्ध है. हर साल यहां हजारों भक्त देवी मां के दर्शन के लिए आते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 1854 में रानी रासमणि ने करवाया था. कुछ लोग कहते हैं कि एक समय स्वामी रामकृष्ण दक्षिणेश्वर काली मंदिर के मुख्य पुजारी हुआ करते थे. इस मंदिर में भक्तों को प्रसाद के रूप में मछली दी जाती है.

कामाख्या देवी मंदिर असम

कामाख्या मंदिर असम की राजधानी दिसपुर के पास गुवाहाटी से 8 किमी दूर कामाख्या में है. इस मंदिर को 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है. मान्यता है कि यहां माता सती की योनि गिरी थी. यह मंदिर दुनिया भर में तंत्र विद्या के केंद्र के रूप में भी जाना जाता है. यहां भक्तों द्वारा देवी को मांस और मछली का भोग लगाया जाता है. 

भक्तों का मानना है कि मांस और मछली चढ़ाने से देवी प्रसन्न होती हैं और उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं. भोग लगाने के बाद इसे प्रसाद के रूप में कुछ भक्तों के बीच वितरित किया जाता है.

तमिलनाडु मुनियांदी स्वामी मंदिर

मुनियांदी स्वामी मंदिर तमिलनाडु के मदुरै में स्थित है. यह मंदिर भगवान मुनियांदी को समर्पित है. सबसे खास बात यह है कि इस वार्षिक मेले में हजारों श्रद्धालु भाग लेते हैं और यह प्रसाद सभी भक्तों को मंदिर ट्रस्ट की ओर से दिया जाता है।

पुजारियों का मानना है कि ऐसा करने से मुनियांदी देवता साल भर अपने भक्तों पर आशीर्वाद बनाए रखते हैं. यहां हर साल तीन दिवसीय वार्षिक कार्यक्रम आयोजित किया जाता है जिसमें भक्तों के बीच प्रसाद के रूप में बिरयानी और चिकन दिया जाता है.

गोरखपुर तरकुलहा देवी मंदिर

गोरखपुर स्थित तरकुलहा देवी मंदिर का इतिहास स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ा है. ऐसा कहा जाता है कि यह एरिया पहले घना जंगल हुआ करता था. उस समय राजा बाबू बंधू सिंह ताड़ के पेड़ के नीचे देवी की पिंडी रखकर उनकी पूजा करते थे. जब भी वह किसी अंग्रेज को मंदिर के आसपास देखता तो अपना सिर काटकर देवी के चरणों में चढ़ा देता था. लेकिन देश की आजादी के बाद देवी को बकरे की बलि दी जाने लगी. तभी से इस मंदिर में भक्तों को प्रसाद के रूप में मटन दिया जाता हैं।

अगर आपके बच्चे को भी है स्मार्ट फोन की लत तो आईए जानते हैं स्मार्ट फोन की लत से छुटकारा पाने के सरल और प्रभावी उपाय


आजकल के डिजिटल युग में स्मार्टफोन बच्चों की जीवनशैली का हिस्सा बन चुके हैं। जहां स्मार्टफोन से शिक्षा, मनोरंजन और जानकारी प्राप्त की जा सकती है।

वहीं इसका अत्यधिक उपयोग बच्चों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। अगर आपके बच्चे भी स्मार्टफोन की लत का शिकार हो गए हैं, तो चिंता की बात नहीं है। कुछ आसान उपायों से आप उन्हें इस आदत से छुटकारा दिला सकते हैं।

1. नियमित समय निर्धारित करें

बच्चों के लिए स्मार्टफोन इस्तेमाल करने का समय तय करना बेहद जरूरी है। उनके लिए दिन का एक विशेष समय तय करें जिसमें वे स्मार्टफोन का उपयोग कर सकते हैं। उदाहरण के तौर पर, पढ़ाई के बाद या सप्ताहांत में कुछ घंटों के लिए। इससे बच्चों में अनुशासन की भावना आएगी और वे बिना किसी बाधा के अन्य गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित कर पाएंगे।

2. बदलाव के लिए वैकल्पिक गतिविधियां प्रस्तुत करें

स्मार्टफोन की जगह बच्चों को आकर्षक और शारीरिक रूप से सक्रिय बनाने वाली गतिविधियों में शामिल करें। जैसे कि आउटडोर गेम्स, किताबें पढ़ना, पेंटिंग, संगीत सीखना, या अन्य शौक। ये गतिविधियां बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास के लिए बेहतर होती हैं और उनके स्क्रीन टाइम को कम करने में मदद करती हैं।

3. स्मार्टफोन के उपयोग पर माता-पिता के नियंत्रण वाले ऐप्स का उपयोग करें

आजकल कई ऐसे ऐप्स उपलब्ध हैं जो माता-पिता को बच्चों के स्मार्टफोन उपयोग को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। ये ऐप्स न केवल स्क्रीन टाइम को सीमित करते हैं, बल्कि यह भी सुनिश्चित करते हैं कि बच्चे किस प्रकार की सामग्री देख रहे हैं। इससे बच्चों पर नजर रखना आसान हो जाता है और उनके स्मार्टफोन उपयोग को सीमित किया जा सकता है।

4. खुद उदाहरण बनें

बच्चे अक्सर अपने माता-पिता की आदतों से सीखते हैं। अगर आप खुद दिनभर स्मार्टफोन का उपयोग करते रहते हैं, तो बच्चों से उम्मीद नहीं कर सकते कि वे इसका उपयोग कम करेंगे। इसलिए, खुद को भी स्मार्टफोन से दूर रखें और बच्चों को दिखाएं कि आप भी इस लत से बचने की कोशिश कर रहे हैं।

5. बातचीत और संचार का महत्व समझाएं

बच्चों को यह समझाना जरूरी है कि व्यक्तिगत संचार और सामाजिक संपर्क कितने महत्वपूर्ण हैं। उन्हें स्मार्टफोन के बजाय दोस्तों और परिवार के साथ समय बिताने के महत्व को समझाएं। इससे वे सामाजिक रूप से सक्रिय होंगे और स्मार्टफोन की लत से दूरी बनाएंगे।

6. समय-समय पर ब्रेक लेने की आदत डालें

स्मार्टफोन का उपयोग करते समय बीच-बीच में ब्रेक लेने की आदत डालें। उन्हें हर 30 मिनट के बाद उठकर टहलने या कुछ शारीरिक गतिविधि करने के लिए कहें। इससे उनकी आंखों और दिमाग को आराम मिलेगा और वे स्मार्टफोन से बहुत अधिक जुड़े नहीं रहेंगे।

7. स्मार्टफोन का उपयोग

सकारात्मक उद्देश्यों के लिए करें

बच्चों को स्मार्टफोन का सही उपयोग सिखाएं। उन्हें यह बताएं कि स्मार्टफोन सिर्फ गेम खेलने या सोशल मीडिया पर समय बिताने के लिए नहीं है, बल्कि इसे जानकारी प्राप्त करने, कुछ नया सीखने और शिक्षा के लिए भी उपयोग किया जा सकता है। आप उनके लिए शैक्षिक ऐप्स और वेबसाइट्स की एक सूची बना सकते हैं, जिससे वे कुछ उपयोगी सीख सकें।

8. परिवार के साथ समय बिताने पर जोर दें

बच्चों के साथ परिवार के समय को प्राथमिकता दें। शाम के समय सभी को एकत्रित कर खेल खेलना, चर्चा करना, या साथ में कोई गतिविधि करना उनके स्मार्टफोन के उपयोग को कम कर सकता है। जब बच्चे परिवार के साथ अधिक समय बिताते हैं, तो वे डिजिटल उपकरणों से दूर रहेंगे।

निष्कर्ष

स्मार्टफोन की लत बच्चों के लिए एक गंभीर समस्या हो सकती है, लेकिन माता-पिता के सही दिशा-निर्देशन और प्रयास से इसे नियंत्रित किया जा सकता है। इन सुझावों को अपनाकर आप अपने बच्चों को एक स्वस्थ और संतुलित जीवनशैली की ओर मार्गदर्शन कर सकते हैं, जहां वे तकनीक का सही और सीमित उपयोग कर सकें।

आज का इतिहास:1994 में आज ही के दिन हुई थी ‘विश्व अल्जाइमर दिवस’ मनाने की शुरुआत


नयी दिल्ली : 21 सितंबर का इतिहास महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि वर्ल्ड अल्ज़ाइमर्स डे का आयोजन पहली बार 21 सितंबर 1994 को किया गया था। अल्‍जाइमर का इलाज पहली बार साल 1901 में एक जर्मन महिला का किया गया था।

2004 में आज ही के दिन अमेरिका ने लीबिया से आर्थिक प्रतिबंध हटाया था। 2007 में आज ही के दिन तंजानियाई वैज्ञानिकों ने दुर्लभ प्रजाति की मछली की खोज करने का दावा किया था।

2008 में 21 सितंबर को ही रिलायंस के कृष्णा गोदावरी बेसिन में तेल उत्पाद शुरू हुआ था।

2009 में आज ही के दिन भाजपा ने महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा के लिए उम्मीदवारों की दूसरी सूची जारी की थी।

2008 में 21 सितंबर को ही रिलायंस के कृष्णा गोदावरी बेसिन में तेल उत्पाद शुरू हुआ था।

2007 में आज ही के दिन तंजानियाई वैज्ञानिकों ने दुर्लभ प्रजाति की मछली की खोज करने का दावा किया था।

2004 में 21 सितंबर को ही अमेरिका ने लीबिया से आर्थिक प्रतिबंध हटाया था।

2003 में आज ही के दिन संवैधानिक संशोधनों के नए ड्राॅफ्ट को भी पाकिस्तान के विपक्ष ने नामंजूर किया था।

2000 में 21 सितंबर के दिन ही भारत और ब्रिटेन के बीच बेहतर संबंध के लिए ‘लिबरल डेमोक्रेटिक फ़्रेंड्स आफ़ इंडिया सोसायटी’ की स्थापना हुई थी।

1991 में आज ही के दिन अर्मेनिया को सोवियत संघ से स्वतंत्रता मिली थी।

1984 में 21 सितंबर को ही ब्रुनेई संयुक्त राष्ट्र में शामिल हुआ था।

1966 में आज ही के दिन प्रसिद्ध भारतीय तैराक मिहिर सेन ने बास्फोरस की खाड़ी को पार करके एक और कीर्तिमान अपने नाम किया था।

1964 में 21 सितंबर को ही माल्टा ने ब्रिटेन से स्वतंत्रता हासिल की थी।

1949 में आज ही के दिन चीन में कम्युनिस्ट नेताओं ने ‘पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना’ पार्टी की घोषणा की थी।

1942 में 21 सितंबर को ही बोइंग बी-29 सुपरफोट्रेस ने अपनी पहली उड़ान भरी थी।

1928 में आज ही के दिन ‘माय विकली रीडर’ मैगज़ीन की शुरुआत हुई थी।

1905 में 21 सितंबर को ही ‘अटलांटा लाइफ इंश्योरेंस’ कंपनी गठित हुई थी।

1857 में आज ही के दिन बहादुर शाह द्वितीय ने अंग्रेजों के सामने आत्मसमर्पण किया था।

1815 में 21 सितंबर को ही किंग विलियम प्रथम ने ब्रुसेल्स में शपथ ली थी।

साइकिल से यूरोप तक का सफर: आइए जानते है 1975 की प्रद्युम्न और शार्लोट की दिल छू लेने वाली प्रेम कहानी।


डेस्क:- प्यार एक ऐसी भावना है, जो सीमाओं, भाषाओं और भौगोलिक दूरियों से परे होती है। यह दिलों के बीच का वो बंधन है, जिसे न कोई सरहद रोक सकती है और न ही कोई कठिनाई। सच्चा प्यार हर चुनौती को पार कर, अपने गंतव्य तक पहुंच ही जाता है। बदलते वक्त में प्यार की परिभाषा भी बदलती जा रही है, अब शायद पहले वाली बात भी नहीं होगी। क्या कोई प्रेमी आज के समय में साइकिल से यूरोप जा सकता है दूसरे देश की बात छोड़िये दिल्ली से मुंबई का सफर भी तय कर सकता है शायद नहीं। लेकिन आपको यह जानकार हैरानी होगी कि एक प्रेमी ने अपनी प्रेमिका से मिलने के लिए भारत से स्वीडन तक की यात्रा साइकिल से की थी।

लगभग 6 हजार किलोमीटर तक साइकिल चलाने वाले इस शख्स का नाम प्रद्युम्न कुमार महानंदिया हैं। ओडिशा के देनकनाल के रहने वाले महानंदिया पोट्रेट आर्टिस्ट हैं। इनकी कला और सरल व्यवहार पर ही रॉयल स्वीडिश फैमिली की लड़की अपना दिल हार बैठी थी। साल 1975 से शुरू हुआ सफर आज भी जारी है। इनकी प्रेम कहानी प्यार का असली मतलब भी बताती है।

बात है साल 1975 की जब स्वीडन की शार्लोट वॉन शेडविन दिल्ली में भारतीय कलाकार पीके महानंदिया से मिलीं। महानंदिया की कला के बारे में स्वीडन ने काफी सुन रखा था, इसलिए अपना चित्र बनवाने के लिए वह भारत पहुंच गईं। वो दिल्ली की एक सर्द शाम थी जब शार्लोट वॉन शेडविन ने पीके महानंदिया से अपनी तस्वीर बनाने के लिए कहा था।

जहां शार्लोट का स्केच बनाते-बनाते प्रद्युम्न को उनसे मोहब्बत हो गई। स्वीडन भी प्रद्युम्न को अपना दिल दे बैंठी। महानंदिया को शार्लोट की सुंदरता से प्यार हो गया और शार्लोट को उनकी सादगी भा गई।

शादी...फिर किस्मत ने लिया मोड़

एक-दूसरे की मोहब्बत में गिरफ्तार पीके महानंदिया और शार्लोट का प्यार वक्त के साथ बढ़ गया। इस बीच शार्लोट महानंदिया के साथ ओडिशा जाने को तैयार भी हुईं। कुछ दिन महानंदिया के गांव में बिताने के बाद वो दिल्ली लौट आए। लेकिन फिर महानंदिया से स्वीडन में उनके शहर बोरास आने का वादा लेकर शार्लोट वापस लौट गईं। एक साल से ज्यादा का वक्त बीत गया, इस दौरान दोनों के बीच प्रेमपत्रों के जरिए संपर्क हुआ। लेकिन महानंदिया के पास हवाई जहाज की टिकट के लिए पैसे नहीं थे।

साइकिल से भारत से यूरोप का सफर

1977 में प्रद्युम्न कुमार महानंदिया ने शार्लोट वॉन शेडविन से मिलने की योजना बनाई। फ्लाइट टिकट के लिए पैसे ना होने पर प्रद्युम्न ने फैसला किया कि वह कैसे भी अपने प्यार के पास जा कर रहेंगे। प्रद्युम्न के पास जो कुछ भी था उन्होंने वह सबकुछ बेचकर एक साइकिल खरीदी और स्वीडन जाने का फैसला लिया। प्रद्युम्न अगले 4 महीने और 3 हफ्ते तक लगातार साइकिल चलाते रहें, इस दौरान हर रोज 70 किलोमिटर साइकिल चलाते थे।

मुश्किलें आईं..हार नहीं मानी

स्वीडन का सफर तय करने के लिए प्रद्युम्न ने पाकिस्तान, अफगानिस्तान, ईरान और तुर्की को पार किया। इस्तांबुल और वियना होते हुए यूरोप पहुंचे और फिर ट्रेन से गोथेनबर्ग की यात्रा की। इस बीच बहुत सारी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। इतना ही नहीं कई बार उनके पास खाने के लिए पैसे भी नहीं होते थे, हालांकि यहां उनकी कला काम आईं। उन्होंने लोगों का स्केच बनाकर अपना गुजारा किया।

स्वीडन में की शादी

प्रद्युम्न जब यूरोप पहुंचे तब उन्हें वहां के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। हालांकि शॉर्लोट ने उनका हर कदम पर साथ दिया। जहां दोनों ने शादी की और प्रद्युम्न हमेशा के लिए स्वीडन में ही अपनी पत्नी के साथ रहने लगे। सालों से एक साल रह रहे इस कपल के दो बच्चे हैं। प्रद्युम्न आज भी एक कलाकार की तरह काम कर रहे हैं।