संभल में किसी ने नहीं दिया ध्यान, ऐतिहासिक चक्की का पाट हुआ जमींदोज
संभल। शहर के मुख्य बाजार की पहचान ऐतिहासिक धरोहर चक्की का पाट बुधवार की देर रात करीब 11 बजे मूसलाधार बारिश के दौरान जमींदोज हो गया। इसकी जानकारी आसपास के लोगों को हुई तो मौके पर पहुंच गए। इसकी सूचना पुलिस को दी गई। पुलिस ने चक्की का पाट कब्जे में ले लिया है। साथ ही दीवार का मलबा हटवाना शुरू कराया। यह चक्की का पाट पुरातत्व विभाग की निगरानी में था। दो महीने पहले मेरठ से आई टीम ने सर्वे किया था लेकिन सर्वे से आगे कार्रवाई नहीं बढ़ी।
कई वर्ष से जर्जर दीवार पर लगे इस चक्की के पाट के गिरने का मुख्य कारण विभाग की अनदेखी रही है।नगर के सामाजिक व राजनीतिक संगठन इसके संरक्षण को लेकर मांग करते रहे हैं, लेकिन पुरातत्व विभाग की निगरानी होने के चलते जिला प्रशासन की ओर से मरम्मत नहीं कराई गई। पुरातत्व विभाग ने ध्यान नहीं दिया। स्थानीय लोगों ने बताया कि कई वर्ष पहले से दीवार जर्जर हो चुकी थी। पेड़ निकल आया था उसकी शाखाएं जितनी फैल रहीं थी उतनी ही दीवार जर्जर हो गई थी। कई बार दीवार से निकलकर ईंट भी गिर जाती थीं। मालूम हो चक्की के पाट का जिक्र संभल महात्म्य पुस्तक में किया गया है। इसमें करीब 1000 वर्ष पुराना होने का दावा किया गया है।
राजा पृथ्वीराज चौहान और कन्नौज नरेश जयचंद के किस्से से जुड़ा इसका किस्सा है। कहा जाता है कि जयचंद की सेना के योद्धा आल्हा, ऊदल और मलखान सिंह अपना वेष बदलकर नट की वेषभूषा में संयोगिता का पता लगाने संभल आए थे। इस दौरान किला हुआ करता था। जिसमें एक खिड़की थी, नट की वेषभूषा वाले आल्हा ने खिड़की से झांकने के लिए कला का प्रदर्शन करते हुए पहले वहां एक छलांग लगाकर कील ठोंकी और फिर वहां चक्की का पाट टांगा। उस समय इसकी ऊंचाई 60 फीट होने का जिक्र किया गया है।क्षतिग्रस्त हुए चक्की के पाठ को जिलाधिकारी ने सौंदर्य करण के आदेश दिए थे लेकिन जिलाधिकारी के आदेश के बाद भी इसका सौंदर्य करण नहीं हुआ और देर रात तेज बारिश में यह ऐतिहासिक चक्की का पाट क्षतिग्रस्त हो गया।










Sep 19 2024, 15:23
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