जानते है झारखंड के प्रमुख ऐतिहासिक धरोहर के बारे में...
झारखंड, भारत का एक पूर्वी राज्य, न केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यहां के ऐतिहासिक धरोहरों का भी एक महत्वपूर्ण स्थान है। झारखंड की ऐतिहासिक धरोहरें यहां की समृद्ध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत को दर्शाती हैं। आइए, झारखंड के कुछ प्रमुख ऐतिहासिक धरोहरों के बारे में जानते हैं:
1. पालामऊ किला
पालामऊ किला, जिसे "रोहतास किला" के नाम से भी जाना जाता है, पलामू जिले में स्थित है। यह किला एक ऊँची पहाड़ी पर स्थित है और इसे पाल वंश के राजाओं ने बनवाया था। इस किले का निर्माण 16वीं शताब्दी में हुआ था और यह उस समय के स्थापत्य कला का उत्कृष्ट उदाहरण है। किले के अवशेष आज भी यहां की गौरवशाली इतिहास की कहानी बयां करते हैं।
2. मालूटी मंदिर
मालूटी, दुमका जिले में स्थित एक छोटा सा गांव है, जो अपने 72 प्राचीन मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। इन मंदिरों का निर्माण 17वीं और 18वीं शताब्दी के बीच हुआ था। इन मंदिरों में टेराकोटा कला का अद्भुत प्रयोग किया गया है, जो बंगाल की वास्तुकला को दर्शाता है। यह मंदिर समूह भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण के संरक्षण में है और इसे देखने के लिए देश-विदेश से पर्यटक आते हैं।
3. बैद्यनाथ धाम (देवघर)
बैद्यनाथ धाम, जिसे बाबा बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग भी कहा जाता है, देवघर में स्थित है और यह 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह स्थल हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए अत्यधिक पवित्र माना जाता है। यहाँ की मान्यता है कि भगवान शिव ने अपने भक्त रावण को यहाँ दर्शन दिए थे। यहां का मंदिर वास्तुकला का अद्भुत नमूना है और इसकी पौराणिक कथा इसे और भी महत्वपूर्ण बनाती है।
4. नागफेनी मंदिर
नागफेनी मंदिर एक प्राचीन शिव मंदिर है, जो बोकारो जिले में स्थित है। यह मंदिर मुख्य रूप से नागवंशीय संस्कृति से जुड़ा हुआ है और इसे नाग देवता के लिए समर्पित माना जाता है। यहां पर प्रत्येक वर्ष नाग पंचमी के दिन एक विशाल मेला लगता है, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं।
5. राजमहल की पहाड़ियाँ
राजमहल की पहाड़ियाँ सैंथाल परगना क्षेत्र में स्थित हैं और यह क्षेत्र पुरापाषाण काल से संबंधित है। यहां के अवशेषों से पता चलता है कि यह क्षेत्र प्रागैतिहासिक काल में बसा हुआ था। यहां पर कई प्राचीन शिलालेख और चित्र भी पाए गए हैं, जो उस समय की सभ्यता और संस्कृति के बारे में जानकारी देते हैं।
निष्कर्ष:
झारखंड की ऐतिहासिक धरोहरें राज्य की समृद्ध और विविध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाती हैं। ये धरोहरें न केवल भारतीय इतिहास के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि ये झारखंड की पहचान और गर्व का भी हिस्सा हैं। इन्हें संरक्षित करने और अगली पीढ़ी तक पहुंचाने की जिम्मेदारी हम सबकी है।
अगर आप झारखंड की यात्रा करते हैं, तो इन ऐतिहासिक स्थलों को देखने का मौका न चूकें। ये धरोहरें न केवल आपको अतीत की झलक देंगी, बल्कि आपको भारत की विविधता और समृद्धि का एहसास भी कराएंगी।
Sep 14 2024, 11:05