स्वयं सहायता समूह के लोग घर बैठे ले रहे हैं वेतन नहीं खुल रहे हैं सामुदायिक शौचालय बूढनपुर तहसील क्षेत्र के प्रतापपुर खोल रहा व्यवस्था कीपोल
बता दें कि विकास खण्ड अतरौलिया के प्रतापपुर छतौरा गांव में साल 21 में पांच लाख की लागत से बना सामुदायिक शौचालय दुर्दशा के आशू बहा रहा है। शौचालय तो बना दिया गया लेकिन निर्माण के छै महीने बाद ही जर्जर हो गया जो पूरी तरह से भ्रष्टाचार को उजागिर करता है। जब कि सामुदायिक सौचालय के रख रखाव व साफ सफाइ के लिए, स्वयं सहायता समूह का गठन किया गया है। बावजूद साफ सफाई कभी नहीं की जाती है। नतीजन ग्राम प्रधान द्वारा ताला लगा दिया गया है। इतना ही नही साल २1 में ग्राम पंचायत प्रतापपुर छतौरा में 18 लाख की लागत से सचिवालय की स्थापना की गयी है। जो मात्र १ साल में ही जर्जर हो गया है। जो कभी भी गिर सकता है। ग्रामीण सचिवालय पर कोई सचिव उपस्थित नहीं होता है। जब कि ग्रामीण सचिवालय में कंप्यूटर आपरेटर की न्युक्ति की गयी है। लेकिन आपरेटर नदारत रहता है। सबसे खास बात यह है कि समय से वेतन का भुगतान कर दिया जाता है। जिससे पता चलता है कि भ्रष्टाचार की जडे कितनी गहरी हैं। यही हाल ग्राम पंचायत भवन का है। प्रतापपुर छतौरा ग्राम पंचायत भवन की स्थित यह है कि दीवारें पूरी तरह से जर्जर हो चुकी हैं। जो कभी भी गिर सकता है। प्रतापपुर छतौरा का पंचायत भवन एक बड़ी घटना को दस्तक दे रहा है। आप समझ सकते हैं कि पंचायत भवन के निर्माण में प्रधान से लेकर अधिकारी तक को कितना कमीशन दिया गया होगा। अगर आंगन बाड़ी केन्द्र की बात करें तो इसको बनाने में कुल ६ लाख की लागत है। जो राजस्व गांव भिउपुर और गंगापुर गोइजी में स्थापित है। जो आज दुर्दशा की राह देख रहा है। ग्राम पंचायत प्रतापपुर छतौरा में कुल चार सफाईकर्मी नियुक्त हैं। लेकिन एक भी गांव में साफ सफाई नहीं कराई गई वही प्रधान और सचिव मिलकर बिना काम कराये धन का बंदर बांट कर लिया जाता है।
Sep 11 2024, 21:41