झारखंड में एनडीए गठबंधन में शीट शेयरिंग को लेकर मचेगा घमासान,झारखंड मे इस घटक के कई दल ने पसरा झारखंड में पांव....?
रिपोर्टर जयंत कुमार
रांची : झारखंड विधानसभा के चुनाव को लेकर प्रमुख दलों ने जहां तैयारी तेज कर दी है, वहीं पार्टियों के बीच आपसी गठबंधन को लेकर कवायद भी चरम पर है। नए राजनीतिक घटनाक्रम में भाजपा छोड़कर अपनी अलग पार्टी भारतीय जन मोर्चा- (भाजमो) बना चुके सरयू राय ने जनता दल (यूनाइटेड) के साथ मिल गए है।
उनके जदयू में शामिल होने के बाद, ऐसे में सरयू की भाजपा से दूरी तथा जदयू से नजदीकी की स्थिति भी देखने वाली होगी। विधानसभा चुनाव को लेकर जदयू रणनीति बनाने में जुट गई है। जिसे लेकर आज रांची में जदयू की महत्वपूर्ण बैठक भी होनी है। बैठक में राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा शिरकत करेंगे।
जहां सीटों को लेकर चर्चाएं होगी। जेडीयू के राज्यसभा सांसद खिरू महतो ने तो यहां तक कहा था कि पार्टी पूरे झारखंड में चुनाव लड़ने के हिसाब से तैयारी कर रही है। अगर पिछले चुनाव की बात करे तो 2019 में जेडीयू ने झारखंड में अकेले दम पर 40 और 2014 में 45 सीटों पर चुनाव लड़ा था लेकिन तब वह एक भी सीट नहीं जीत सकी थी।
सरयू राय के जदयू में शामिल होने से राजनीतिक समीकरणों में बदलाव आने की संभावना है।
दूसरी ओर बीजेपी इंडिया गठबंधन की सरकार को सत्ता से हटाने के लिए पूरी ताकत लगा रही है और उसने दो बड़े नेताओं- कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान और असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा को राज्य में प्रभारी व सह प्रभारी की जिम्मेदारी सौंपी है। भाजपा की सहयोगी जेडीयू ने जहां 11 सीटों पर दावेदारी ठोक दी है, वहीं जीतन राम मांझी की पार्टी हम भी कह रही है कि वह भी झारखंड में चुनाव लड़ेगी।
हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम पार्टी) झारखंड में 7 सीटो पर दावेदारी ठोक रही है। एनडीए का एक अन्य सहयोगी पार्टी लोजपा भी झारखंड में चुनाव लड़ने को तैयार है।
चिराग पासवान ने यहां तक का डाली थी कि गठबंधन से अगर बात नहीं बनी तो हम स्वतंत्र ही चुनाव लड़ेंगे।
हालांकि सीटों के संबंध में अंतिम फैसला बीजेपी के बड़े नेताओं से बातचीत के बाद ही लिया जाएगा। झारखंड विधानसभा चुनाव में सीट बंटवारे को लेकर एनडीए में फंसे पेंच को सुलझाने का काम असम के सीएम और बीजेपी के चुनाव सह प्रभारी हिमंता बिस्वा सरमा करेंगे। आज हेमंता भी रांची आ रहे है।
संभवत आजसू और जदयू के साथ सीट शेयरिंग के मुद्दे पर गंभीर चर्चा होगी। भाजपा विधायक सीपी सिंह ने कहा कि सीटों को लेकर कोई बड़ा विवाद नहीं है झारखंड में जिस पार्टी का जनाधार होगा उससे सीट शेयरिंग किया जाएगा।
अब भाजपा के दूसरे सहयोगी पार्टी आजसु की बात करें तो झारखंड में सुदेश महतो को लेकर भी बीजेपी की समस्या है, क्योंकि बीजेपी का तालमेल सुदेश महतो के साथ होता रहा है। ऐसे 2019 में भाजपा अकेले दम पर चुनाव लड़ी थी और नुकसान उठाना पड़ा था।
लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने सुदेश महतो की पार्टी के साथ तालमेल किया था। सुदेश महतो अपनी दावेदारी मजबूत करने में लगे हैं। नीतीश कुमार और सुदेश महतो जिस वोट बैंक के सहारे भाजपा के साथ तालमेल करना चाहते हैं, दोनों का सेम वोट बैंक कुर्मी ही है।
चंपई सोरेन के बीजेपी में शामिल होने के साथ ही बीजेपी के सामने एक बड़ी मुश्किल यह भी है कि मुख्यमंत्री का चेहरा आखिर कौन होगा क्या वह चंपई सोरेन को आगे करेंगे या बाबूलाल मरांडी को। भाजपा की उलझन यह है कि उसके पास राज्य में किसी ऐसे नेता का ना होना, जिसकी लोकप्रियता मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को टक्कर देती हो। हेमंत सोरेन झारखंड में प्रभावशाली आदिवासी समुदाय से आते हैं और इस समुदाय में उनकी पकड़ है। उनके पिता पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन को दिशोम गुरु के नाम से जाने जाते है।
दिशोम गुरु का मतलब होता है देश का गुरु। 5 महीने तक जेल में रहने के बाद हेमंत सोरेन ने बीजेपी के खिलाफ जबरदस्त किलेबंदी शुरू कर दी है।
Sep 09 2024, 21:31