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पेरिस पैरालंपिक में भारत का जलवा, क्लब थ्रो में डबल धमाका, धरमबीर ने स्वर्ण और प्रणव ने जीता रजत*
#paris_paralympics_men_club_throw_dharambir_win_gold_and_pranav_soorma_silver
पेरिस पैरालंपिक 2024 में भारतीय एथलीट बहुत ही शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं। क्लब थ्रो के एफ51 वर्ग में भारत के धर्मबीर ने गोल्ड मेडल जीता है। वहीं इसी इवेंट में प्रणव सूरमा ने सिल्वर मेडल जीता है। ब्रॉन्ज मेडल सर्बिया के जेल्को दिमित्रीजेविक ने जीता है। सर्बिया का खिलाड़ी वर्ल्ड चैपियन भी रह चुका है। लेकिन पेरिस पैरालंपिक 2024 में प्लेयर्स के सामने उनकी एक ना चली और उन्हें ब्रॉन्ज मेडल से संतोष करना पड़ा। भारत के लिए धरमबीर ने 34.92 मीटर के थ्रो के साथ स्वर्ण पदक जीता तो प्रणव सूरमा ने 34.59 के सर्वश्रेष्ठ थ्रो करके सिल्वर मेडल को अपने नाम किया। भारत ने पेरिस पैरालंपिक में अपने प्रदर्शन को बेहतर करते हुए 24वां मेडल हासिल किया। भारत अब 5 गोल्ड, 9 सिल्वर और 10 ब्रॉन्ज के साथ मेडल टैली में 13वें स्थान पर पहुंच गया है। फाइनल में धरमबीर की शुरुआत अच्छी नहीं हुई। उनके शुरुआती चार थ्रो फाउल रहे थे। लेकिन 5वें थ्रो में उन्होंने अपनी पूरी ताकत झोंक दी, जिसके कारण इस थ्रो ने 34.92 मीटर की दूरी तय की। अंत में धर्मबीर के इस थ्रो ने भारत की झोली में गोल्ड दे दिया। इसके साथ ही दूसरी तरफ प्रणव सूरमा ने अपना पहला थ्रो 34.59 मीटर का किया। उनका यही सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था। इसी थ्रो ने इन्हें सिल्वर मेडल जितवाया. वहीं इसी खेल में भारत के एक और खिलाड़ी अमित कुमार को निराशा हाथ लगी. फाइनल में 10 एथलीट चुने गए थें और वो 10वें नंबर पर रहे थे। पेरिस पैरालंपिक में अब भारत के 24 पदक हो गए हैं। इनमें पांच स्वर्ण, नौ रजत और 10 कांस्य शामिल हैं। इसी के साथ भारत पैरालंपिक की पदक तालिका में 13वें स्थान पर पहुंच गया है। पदकों की यह संख्या अब तक की सर्वश्रेष्ठ है। टोक्यो 2020 पैरालंपिक में भारत ने 19 पदक जीते थे। भारत इस साल 25 पार के लक्ष्य के साथ उतरा है। वहीं, भारत ने एक पैरालंपिक खेलों में सबसे ज्यादा मेडल जीतने का नया रिकॉर्ड कायम किया है।
हरविंदर सिंह ने रचा इतिहास, भारत को आर्चरी में दिलाया पहला गोल्ड*
#paralympics_2024_harvinder_singh_won_gold_medal_in_archery
पेरिस पैरालंपिक में 7वें दिन नया इतिहास बना। हरविंदर सिंह ने पैरालंपिक में गोल्ड मेडल जीता और इस तरह वह पैरालंपिक के इतिहास में तीरंदाजी में सोना जीतने वाले पहले भारतीय एथलीट बने। हरविंदर ने पुरुषों के व्यक्ति गत रिकर्व स्पर्धा में गोल्ड मेडल जीतकर बड़ी उपलब्धि दर्ज की है। ओलंपिक या पैरालंपिक में यह किसी भी भारतीय तीरंदाज का आर्चरी में पहला गोल्ड मेडल है। भारत ने इस तरह पेरिस में अपने गोल्ड की संख्या चार पर पहुंचा दिया है जबकि उसके कुल पदकों की संख्या 22 हो गई है। टोक्यो पैरालंपिक के कांस्य पदक विजेता नौवें वरीय हरविंदर ने दुनिया के 35वें नंबर के खिलाड़ी और छठे वरीय पोलैंड के लुकास सिजेक को एकतरफा खिताबी मुकाबले में 6-0 (28-24, 28-27, 29-25) से शिकस्त दी। इससे पहले फाइनल में पहुंचने के लिए हरविंदर सिंह ने सेमीफाइनल में ईरान के मोहम्मदरेजा अरब अमेरी को 6-4 के अंतर से हरा दिया था। वहीं, राउंड ऑफ 8 में हरविंदर सिंह ने इंडोनेशिया के सेतियावान को 6-2 से धूल चटाई थी।इस तरह उन्होंने पैरालंपिक में अपना लगातार दूसरा तीरंदाजी पदक सुनिश्चित किया था। हरविंदर ने 2018 एशियाई पैरा खेलों में व्यक्तिगत कैटेगरी में गोल्ड जीता था, तब वह सुर्खियों में आए थे। 2022 एशियाई पैरा खेलों में वह एक ब्रॉन्ज भी जीतने में कामयाब रहे थे। वहीं, पिछली बार उन्होंने टोक्यो पैरालंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर भी इतिहास रचा था। यह भारत के लिए तीरंदाजी में पहला पैरालंपिक मेडल था। इसके बाद 2021 में उन्हें भारत सरकार से अर्जुन पुरस्कार मिला था। यह पुरस्कार भारत सरकार की ओर से दिया जाने वाला दूसरा सबसे बड़ा खेल सम्मान है। वहीं, 2022 में वह भीम पुरस्कार से सम्मानित किए गए थे, जो हरियाणा राज्य की सरकार की ओर से दिया जाने वाला सर्वोच्च खेल सम्मान है।
बांग्लादेश बन सकता है आतंकियों का नया ठिकाना, कट्टरपंथ बढ़ने की भी आशंका*
#bangladesh_raises_concerns_of_rising_extremism
बांग्लादेश में फैली हिंसा के बाद शेख हसीना के देश से भागने और फिर वहां बनी अंतरिम सरकार के हाल ही में उठाए गए कुछ कदमों से लगता है कि ढाका पाकिस्तान के बाद आतंकियों का नया ठिकाना बनने वाला है। एक के बाद एक कट्टरपंथी संगठनों पर लगे बैन हट रहे हैं और सजायाफ्ता आतंकी जेल से रिहा हो रहे हैं। पहले बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने देश की सबसे बड़ी इस्लामिक पार्टी जमात-ए-इस्लामी से भी लगा बैन हटा दिया है। उसके बाद अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (एबीटी) के प्रमुख जशीमुद्दीन रहमानी को रिहा किया। पूर्व प्रधान मंत्री शेख हसीना की सरकार ने आतंकवाद विरोधी कानून के तहत जमात-ए-इस्लामी पार्टी पर प्रतिबंध लगा दिया था, जिसमें छात्रों के नेतृत्व वाले विरोध प्रदर्शनों के दौरान घातक हिंसा भड़काने का आरोप लगाया गया था, जो हसीना के खिलाफ विद्रोह में बदल गया, जिससे उन्हें इस्तीफा देने और भारत भागने के लिए मजबूर होना पड़ा। हालांकि, बांग्लादेश की कार्यवाहक सरकार ने देश की मुख्य इस्लामिक पार्टी और उसके समूहों पर से प्रतिबंध हटा दिया और कहा कि उसे 'आतंकवादी गतिविधियों' में उनकी संलिप्तता का कोई सबूत नहीं मिला है। अंतरिम सरकार ने जमात-ए-इस्लामी पर प्रतिबंध हटा दिया है, इसकी छात्र शाखा पर प्रतिबंध भी हटा लिया गया है। जमात कुछ समय से राजनीतिक दल के रूप में उभरने की कोशिश कर रही है। पिछले चुनाव में उन्होंने कुछ सीटें भी जीती थीं। शेख हसीना ने आतंकवादी संगठन बताकर उन पर प्रतिबंध लगाया था। जमात पर प्रतिबंध हटाने से कट्ट्रपंथ विचारधारा को एक बार फिर खुली छूट मिल गई है। यूनुस द्वारा जमात-ए-इस्लामी पर प्रतिबंध हटाने के फैसले ने अल्पसंख्यकों, विशेषकर हिंदुओं को दोहरे जोखिम में डाल दिया है। बीएनपी (जिसके नेताओं को भी रिहा कर दिया गया है) की राजनीति भारत विरोधी, हिंदू विरोधी एजेंडे के इर्द-गिर्द घूमती है। जब भी बीएनपी सत्ता में आई है, अल्पसंख्यकों विशेषकर हिंदुओं को अत्याचार का सामना करना पड़ा है। पार्टी ने धार्मिक बांग्लादेशी राष्ट्रवाद का समर्थन किया है। बीएनपी जमात-ए-इस्लामी को भी संरक्षण देती है। जमात का लक्ष्य बांग्लादेश को सख्त शरीयत कानून के साथ एक इस्लामिक राज्य के रूप में स्थापित करना है।यदि इस पर अंकुश नहीं लगाया गया तो बीएनपी जमात को पुनर्जीवित करने में मदद करेगी, जो धर्मनिरपेक्ष बांग्लादेश के लिए एक बड़ा खतरा है। वहीं, अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (एबीटी) जिसे अब अंसार अल इस्लाम कहा जाता है, जो अल-कायदा से प्रेरित आतंकी संगठन है। ने भारत में अपने नेटवर्क को फैलाने की कोशिश की थी, जिसके कारण दो साल पहले भारतीय एजेंसियों द्वारा महीनों तक आतंकवाद विरोधी अभियान चलाया गया था।बांग्लादेश ने मई 2015 में तीन धर्मनिरपेक्ष ब्लॉगर्स की हत्या में शामिल होने के लिए कट्टरपंथी इस्लामी संगठन एबीटी पर प्रतिबंध लगा दिया था। एबीटी चरमपंथी विचारधाराओं से काफी प्रभावित है, जैसे कि अनवर अल-अवलाकी से, जो 2011 में अमेरिकी ड्रोन हमले में मारा गया था. इसके बाद, यह समूह बांग्लादेश और विदेशों में ‘पवित्र युद्ध’ छेड़ने के लिए अल-कायदा और इस्लामिक स्टेट (आईएस) की सशस्त्र जिहादी विचारधारा के करीब आ गया। जाहिर है कि अब उसका समूह भारत में और तेजी से अपना जाल फैलाने की कोशिश करेगा।
ब्रुनेई की राजधानी से चेन्नई के लिए सीधी विमान सेवा, पीएम मोदी और सुल्तान हसनल बोलकिया के बीच हुए ये समझौते*
#pm_modi_brunei_visit_king_hassanal_bolkiah_bilateral_ties

ब्रुनेई की द्विपक्षीय यात्रा के दूसरे दिन आज पीएम मोदी ने सुल्तान हसनल बोल्किया से लग्जरी पैलेस में मुलाकात की। येमुलाकात इस्ताना नुरुल ईमान पैलेस में हुई। अपनी यात्रा के दौरान पीएम ने देश के सुल्तान हसनल बोल्किया से मुलाकात की और कई अहम मुद्दों पर चर्चा की। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने ब्रुनेई की राजधानी बांदर सेरी बेगावान और भारत के चेन्नई के बीच सीधी विमान सेवा शुरू का एलान किया। सीधी विमान सेवा के अलावा दोनों देशों ने रक्षा, अंतरिक्ष और लोगों के लोगों के बीच संबंध के क्षेत्र में भी अपसी सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई है। ब्रुनेई में अपनी यात्रा के बाद पीएम मोदी ने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर पोस्ट कर कहा, मेरी ब्रुनेई की यात्रा काफी प्रोडक्टिव रही। साथ ही उन्होंने कहा कि उनके इस दौरे ने अब भारत और ब्रुनेई के रिश्तों को और भी मजबूत कर दिया है। पीएम मोदी ने कहा, दोनों देशों की कनेक्टिविटी को बढ़ाने के लिए जल्द ही डायरेक्ट फ्लाइट शुरू की जाएंगी। उन्होंने आगे कहा, हमने कृषि, उद्योग और स्वास्थ्य के साथ-साथ तकनीक और साइबर टेक्नोलोजी पर भी बल देने का निर्णय लिया है। साथ ही ऊर्जा के क्षेत्र में भी आगे बढ़ने के लिए चर्चा की है। डिफेंस सेक्टर में सहयोग को बढ़ाने के लिए भी विचार किया गया है। अंतरिक्ष के क्षेत्र में अपने सहयोग को मजबूत करने के लिए हम उपग्रह विकास, रिमोट सेंसिंग और ट्रेनिंग पर सहमत हुए हैं। साथ ही पीएम मोदी ने दोनों देशों के बीच के नागरिकों के रिश्तों को लेकर कहा, हमारा नागरिकों से नागरिकों का रिश्ता हमारे देश की साझेदारी की नींव है। मुझे खुशी है कि भारतीय समुदाय ब्रुनेई की अर्थव्यवस्था और समाज में सकारात्मक योगदान दे रहे हैं। विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर और ब्रुनेई के परिवहन और सूचना संचार मंत्री महामहिम पेंगिरन दातो शमहारी पेंगिरन दातो मुस्तफा ने उपग्रह और प्रक्षेपण वाहनों के लिए टेलीमेट्री, ट्रैकिंग और टेलीकमांड स्टेशन के संचालन में सहयोग पर समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया। इस दौरान पीएम मोदी और ब्रुनेई के सुल्तान भी मौजूद रहे। वार्ता के बाद एक संयुक्त वक्तव्य जारी किया गया। विदेश मंत्रालय ने एक प्रेस विज्ञप्ति में इसकी जानकारी दी। संयुक्त वक्तव्य के अनुसार प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के टेलीमेट्री ट्रैकिंग और टेलीकमांड (टीटीसी) स्टेशन की मेजबानी जारी रखने के लिए ब्रुनेई दारुस्सलाम की गहरी सराहना की। इस संस्थान ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत की ओर से चल रहे प्रयासों में योगदान दिया है। साझा बयान में कहा गया है कि दोनों नेताओं ने दोनों सरकारों के बीच समझौता ज्ञापन (एमओयू) के तहत लंबे समय से चली आ रही व्यवस्था और एमओयू के तहत आपसी हित के क्षेत्रों में आगे सहयोग का स्वागत करते हुए नए एमओयू की सराहना की। दोनों नेताओं ने रक्षा, व्यापार और निवेश, खाद्य सुरक्षा, शिक्षा, ऊर्जा, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य, क्षमता निर्माण और संस्कृति के साथ-साथ लोगों के बीच आदान-प्रदान सहित कई विषयों पर द्विपक्षीय वार्ता की।
चीन की ये कैसी चाल? बांधे बांग्लादेश के जमात-ए-इस्लामी के तारीफों के पुल, कहा-सुव्यवस्थित पार्टी

#chinese_envoy_calls_bangladeshs_jamaat_e_islami_well_organised 

बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद नई सरकार में भारत के खिलाफ साजिश रचने का खेल शुरू हो गया है। एक तरफ देश की अंतरिम सरकार ने जमात-ए-इस्लामी जैसे संगठनो पर बैन हटा दिया है, दूसरी ओर अल-कायदा से जुड़े आतंकवादी संगठन अंसारुल्लाह बंगला टीम (एबीटी) के प्रमुख जशीमुद्दीन रहमानी को रिहा कर दिया है। इस बीच बांग्लादेश में चीनी राजदूत याओ वेन ने जमात-ए-इस्लामी को सुव्यवस्थित राजनीतिक पार्टी बताया है।

चीनी राजदूत ने सोमवार को ढाका में पार्टी के केंद्रीय कार्यालय में जमात के अमीर डॉ. शफीकुर रहमान के साथ बैठक की। जमात के अमीर से मुलाकात के बाद चीनी राजदूत ने बांग्लादेश की तारीफ करते हुए कहा कि यह एक खूबसूरत देश है और जमात-ए-इस्लामी को एक सुव्यवस्थित संगठन बताया। उन्होंने कहा कि चीन बांग्लादेश के लोगों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध चाहता है और बांग्लादेश के विकास, प्रगति और समृद्धि के लिए काम करना जारी रखेगा।

बता दें कि जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश में भारत का विरोध करती है, इस पर शेख हसीना सरकार ने बैन लगा दिया था, लेकिन मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार ने इस प्रतिबंध को हटा दिया। अब चीन बांग्लादेश की अंतरिम सरकार और जमात-ए-इस्लामी जैसे संगठनों से दोस्ती कर रहा है। यह पूरा घटनाक्रम भारत के लिए चिंता की बात है, क्योंकि जमात-ए-इस्लामी पार्टी भी बांग्लादेश में भारत के प्रभाव से चिढ़ती रही है।

चीन के समर्थन से अगर यह पार्टी सत्ता में आती है तो बांग्लादेश में एक ऐसी सरकार बनेगी, जो भारत के साथ आतंकवाद, सीमा सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता के मुद्दे के खिलाफ रहे। नई सरकार में चीन बांग्लादेश में बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव प्रॉजेक्ट को गति दे सकता है, ताकि भारत का प्रभाव कम हो सके।

जम्मू कश्मीर के रामबन से राहुल ने पीएम मोदी पर जोरदार हमला, बोले-पहले छाती चौड़ी करके आते थे, अब कंधे झुक गए*
#jammu_kashmir_assembly_election_2024_congress_rahul_gandhi_rally *
जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस का बुधवार से स्टार प्रचार शुरू हो गया। पार्टी ने पहले चरण में नेता प्रतिपक्ष और पार्टी के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी को उतारा है।लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी आज यानी बुधवार को रामबन और अनंतनाग जिलों में दो जनसभाओं को संबोधित कर रहे हैं। राहुल गांधी बुधवार को सबसे पहले रामबन पहुंचे। यहां के गूल इलाके के संगलदान में राहुल ने एक रैली को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने नरेन्द्र मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला। राहुल गांधी ने कहा कि लोकसभा चुनाव से पहले नरेंद्र मोदी छाती चौड़ी कर के आते थे, अब उनके कंधे झुक गए हैं। नेता प्रतिपक्ष ने आगे कहा कि *जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा वापस करना होगा* राहुल गांधी ने जम्मू-कश्मीर के लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि एक राज्य को खत्म कर दिया गया और लोगों के अधिकार छीन लिए गए। सबसे पहले जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा वापस करना होगा क्योंकि सिर्फ आपका राज्य ही नहीं छीना गया है, आपके अधिकार, आपकी संपत्ति, सब कुछ आपसे छीना जा रहा है। उन्होंने आगे कहा कि 1947 में हमने राजाओं को हटाकर लोकतांत्रिक सरकार बनाई, हमने देश को संविधान दिया। आज जम्मू-कश्मीर में राजा हैं, उनका नाम एलजी है। हम राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए सरकार पर दबाव बनाएंगे। *राहुल गांधी ने जम्मू-कश्मीर की जनता से किए 5 बड़े वादे* राहुल गांधी ने जम्मू-कश्मीर के लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि एक राज्य को खत्म कर दिया गया और लोगों के अधिकार छीन लिए गए. सबसे पहले जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा वापस करना होगा क्योंकि सिर्फ आपका राज्य ही नहीं छीना गया है, आपके अधिकार, आपकी संपत्ति, सब कुछ आपसे छीना जा रहा है। 1. कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस की सरकार सत्ता में आने वाली है। हम सभी सरकारी रिक्तियों को भरेंगे, हम आयु सीमा को 40 तक बढ़ाएंगे। दिहाड़ी मजदूरों को नियमित किया जाएगा।" 2. कश्मीर में हमारी सरकार बनेगी और आपके लिए पूरे दिल से काम किया जाएगा। यह एक खूबसूरत जगह है, चुनाव के बाद मुझे फिर से यहां आना होगा। संगलदान एक बहुत अच्छी जगह है। मैं यहां कम से कम 2 से 3 दिन बिताना चाहता हूं। 3. राहुल गांधी ने बुधवार को जम्मू-कश्मीर के रामबन में चुनावी रैली में कहा- देश में भाजपा और RSS के लोग नफरत और हिंसा फैसला रहे हैं। वे देश को बांटने का काम कर रहे हैं हम इसे जोड़ेंगे। 4. राहुल ने कहा- जम्मू-कश्मीर से स्टेटहुड छीना गया, हम इसे वापस देंगे। 5. यहां राजा का शासन है। यहां के राजा उप-राज्यपाल (LG) हैं। पहले राज्य केंद्र शासित प्रदेश को राज्य बनाया जाता है। मोदी जी राज्यों को केंद्र शासित प्रदेश बना रहे हैं।
जम्मू कश्मीर के रामबन से राहुल ने पीएम मोदी पर जोरदार हमला, बोले-पहले छाती चौड़ी करके आते थे, अब कंधे झुक गए
#jammu_kashmir_assembly_election_2024_congress_rahul_gandhi_rally

जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस का बुधवार से स्टार प्रचार शुरू हो गया। पार्टी ने पहले चरण में नेता प्रतिपक्ष और पार्टी के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी को उतारा है।लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी आज यानी बुधवार को रामबन और अनंतनाग जिलों में दो जनसभाओं को संबोधित कर रहे हैं।

राहुल गांधी बुधवार को सबसे पहले रामबन पहुंचे। यहां के गूल इलाके के संगलदान में राहुल ने एक रैली को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने नरेन्द्र मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला। राहुल गांधी ने कहा कि लोकसभा चुनाव से पहले नरेंद्र मोदी छाती चौड़ी कर के आते थे, अब उनके कंधे झुक गए हैं। नेता प्रतिपक्ष ने आगे कहा कि

*जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा वापस करना होगा*
राहुल गांधी ने जम्मू-कश्मीर के लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि एक राज्य को खत्म कर दिया गया और लोगों के अधिकार छीन लिए गए। सबसे पहले जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा वापस करना होगा क्योंकि सिर्फ आपका राज्य ही नहीं छीना गया है, आपके अधिकार, आपकी संपत्ति, सब कुछ आपसे छीना जा रहा है।
उन्होंने आगे कहा कि 1947 में हमने राजाओं को हटाकर लोकतांत्रिक सरकार बनाई, हमने देश को संविधान दिया। आज जम्मू-कश्मीर में राजा हैं, उनका नाम एलजी है। हम राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए सरकार पर दबाव बनाएंगे।

*राहुल गांधी ने जम्मू-कश्मीर की जनता से किए 5 बड़े वादे*
राहुल गांधी ने जम्मू-कश्मीर के लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि एक राज्य को खत्म कर दिया गया और लोगों के अधिकार छीन लिए गए. सबसे पहले जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा वापस करना होगा क्योंकि सिर्फ आपका राज्य ही नहीं छीना गया है, आपके अधिकार, आपकी संपत्ति, सब कुछ आपसे छीना जा रहा है।
1. कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस की सरकार सत्ता में आने वाली है। हम सभी सरकारी रिक्तियों को भरेंगे, हम आयु सीमा को 40 तक बढ़ाएंगे। दिहाड़ी मजदूरों को नियमित किया जाएगा।"
2. कश्मीर में हमारी सरकार बनेगी और आपके लिए पूरे दिल से काम किया जाएगा। यह एक खूबसूरत जगह है, चुनाव के बाद मुझे फिर से यहां आना होगा। संगलदान एक बहुत अच्छी जगह है। मैं यहां कम से कम 2 से 3 दिन बिताना चाहता हूं।
3. राहुल गांधी ने बुधवार को जम्मू-कश्मीर के रामबन में चुनावी रैली में कहा- देश में भाजपा और RSS के लोग नफरत और हिंसा फैसला रहे हैं। वे देश को बांटने का काम कर रहे हैं हम इसे जोड़ेंगे।
4. राहुल ने कहा- जम्मू-कश्मीर से स्टेटहुड छीना गया, हम इसे वापस देंगे।
5. यहां राजा का शासन है। यहां के राजा उप-राज्यपाल (LG) हैं। पहले राज्य केंद्र शासित प्रदेश को राज्य बनाया जाता है। मोदी जी राज्यों को केंद्र शासित प्रदेश बना रहे हैं।
पहलवान विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया ने राहुल गांधी से की मुलाकात, क्या कांग्रेस ने दिया टिकट का ऑफर?
#vinesh_phogat_bajrang_punia_meet_rahul_gandh

राजनीति में मुलाकातों के बड़े मायने होते हैं। ये मुलाकात तब और खास हो जाते हैं, जब चुनावी खेल होने हो। हरियाणा में विधानसभा चुनाव होने हैं। इससे पहले पहलवान विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया ने दिल्ली में राहुल गांधी से मुलाकात की। राहुल से मिलने के बाद वे कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल से भी मिले। इस मुलाकात के बाद दोनों पहलवानों के चुनाव लड़ने के संकेत मिल रहे हैं। यही नहीं, खबरें ये भी मिल रही हैं कि कांग्रेस, बजरंग पूनिया को बादली और विनेश फोगाट को जुलाना से चुनावी मैदान में उतारने जा रही है।

*विनेश को दो सीटों का ऑपशन*
सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस ने विनेश फोगाट से संपर्क किया है और उनकी इच्छा पूछी गई है कि वह किस सीट से लड़ना चाहती हैं। फिलहाल कांग्रेस ने उन्हें दो सीटों में से किसी एक का ऑप्शन दिया है। पहली है बधरा और दूसरी दादरी। दोनों सीटें चरखी दादरी में ही आती हैं। इसमें से दादरी सीट पर बबीता फोगाट भाजपा के टिकट पर 2019 में चुनाव लड़ चुकी हैं। हालांकि, वह तीसरे नंबर पर रहीं थी। निर्दलीय रहे सोमबीर सांगवान यहां से चुनाव जीते थे। कांग्रेस चौथे स्थान पर रही थी। अब सोमबीर कांग्रेस में हैं। अगर विनेश यहां से चुनाव लड़ती हैं तो फिर इस सीट पर दो बहनों के बीच मुकाबला होगा। हालांकि, कांग्रेस ने विनेश को साफ तौर पर कहा है कि वो जिस सीट पर भी कहेंगी, उन्हें टिकट मिल जाएगा।

*पुनिया किस सीट से लड़ेंगे चुनाव?*
वहीं, दूसरी तरफ बजरंग पूनिया ने कांग्रेस से बादली विधानसभा सीट मांगी है। इस सीट पर सीटिंग विधायक कुलदीप वत्स को टिकट फाइनल कर दिया है। कुलदीप ब्राम्हण नेता हैं। ऐसे में कांग्रेस कुलदीप का टिकट काटकर ब्राह्मणों को नाराज नहीं करना चाहती। इसलिए बजरंग को बहादुरगढ़ और भिवानी का ऑप्शन दिया है। साथ ही हरियाणा की किसी भी जाट बाहुल्य सीट का ऑप्शन भी दिया गया है। अब गेंद बजरंग पूनिया के पाले में है कि वो किस सीट पर चुनाव लड़ना चाहते हैं।

*राजनीति में आने को लेकर क्या कहा चुकीं हैं विनेश?*
पेरिस ओलंपिक में वजन के कारण विनेश फोगाट पदक से चूक गई थीं। जब वे भारत लाैटीं थीं तो उन्हें हरियाणा कांग्रेस के नेता दीपेंद्र हुड्डा भी मिलने पहुंचे थे। तभी से उनके राजनीति में आने की चर्चाएं तेज हो गई थी। वहीं, 27 अगस्त 2024 को हरियाणा के जींद में एक कार्यक्रम में विनेश फोगाट ने राजनीति में आने को लेकर कहा था कि वह इसे लेकर दबाव में हैं। हालांकि उन्होंने यह भी कहा था कि वह अपने बुजुर्गों से इस बारे में सलाह-मशविरा करेंगी। विनेश ने कहा था कि जब उनका मन स्थिर और साफ होगा तब वह सोचेंगी कि आगे क्या करना है। विनेश ने पेरिस ओलंपिक में अयोग्य करार दिए जाने के बाद पहलवानी से सन्यांस ले लिया था।

कांग्रेस इस बार हरियाणा के विधानसभा चुनाव में बीते कुछ वर्षों में पार्टी को जितना नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई करने की तैयारी में है। वो चाह रही है कि इस चुनाव में उन सीटों को भी जीता जाए जहां बीते लंबे समय से पार्टी का खाता नहीं खुला है। इसके लिए ग्राउंड लेवल से लेकर टॉप लेवल तक, तैयारियों को आखिरी रूप भी दिया जा रहा है।
हरियाणा विस चुनावः क्यों आप का साथ चाहती है कांग्रेस, गठबंधन के पीछे मजबूरी या रणनीति?*
#haryana_chunav_2024_aap_congress_alliance_reason हरियाणा विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस एक साथ चुनावी मैदान में उतर सकते हैं। इसके लिए दोनों पार्टियों के वरिष्ठ नेता शीघ्र ही मुलाकात कर गठबंधन की संभावनाएं तलाश सकते हैं। कांग्रेस पार्टी ने इसके लिए एक कमेटी भी बनाई है, जो की आम आदमी पार्टी से गठबंधन की संभावनाओं को लेकर चर्चा करेगी। अहम बात यह कि हरियाणा के पूर्व सीएम और कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कुमारी सैलजा ने प्रदेश में अकेले विधानसभा चुनाव लड़ने की बात कही थी, लेकिन अब गठबंधन को लेकर आम आदमी पार्टी से मीटिंग का दौर चल रहा है। ऐसे में सवाल है कि कांग्रेस के सामने राजनीतिक मजबूरी है या खास रणनीति के तहत गठबंधन चाहती है? हरियाणा में अब तक एकला चलो की नीति पर काम कर रही कांग्रेस ने अचानक आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन का फैसला किया है। केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में राहुल गांधी ने आप से गठबंधन करने पर पार्टी नेताओं से राय मांगी है. इसके बाद से पार्टी नेता गठबंधन का फॉर्मूला तलाशने में जुट गए हैं, जिसमें लिए स्क्रीनिंग कमेटी के अध्यक्ष अजय माकन, प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया और पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा शामिल हैं। *वोटों का बंटवारा रोकने की कवायद* अब सवाल उठता है कि क्या कांग्रेस के लिए आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन मजबूरी है? दरअसल, कांग्रेस इस बात से फिक्रमंद है कि इंडियन नेशनल लोकदल (आईएनएलडी) -बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) गठबंधन और जननायक जनता पार्टी (जेजेपी)-आज़ाद समाज पार्टी के बीच गठबंधन से कांग्रेस को मिलने वाले दलित वोटों में सेंध लग सकती है. आखिरकार इसका खामियाजा चुनाव में उठाना पड़ सकता है। लिहाजा कांग्रेस कोई रिस्क नहीं लेना चाहती। इसलिए कांग्रेस वोटों का बंटवारा रोकने के लिए आप से भी डील करने पर विचार कर रही है। *भाजपा के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी वोट बंट जाने का डर* आम आदमी पार्टी की अभी दिल्ली और पंजाब में सरकार है और अब पार्टी की नजर हरियाणा पर है। बताया जा रहा है कि कुरुक्षेत्र सहित पंजाब से सटे जिलों में आम आदमी पार्टी का प्रभाव हो सकता है। अभी आप सभी 90 सीटों पर चुनाव लड़ने का दावा कर रही है। अगर पार्टी ऐसा करती है तो भाजपा सरकार के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी वोट बंट जाएंगे, जो कांग्रेस के साथ आप के लिए नुकसानदेह है। इसके साथ ही इंडिया गठबंधन पर भी असर पड़ेगा। *विपक्षी एकता का संदेश देने की कोशिश* एक वजह ये भी बताई जा रही है कि राहुल गांधी विपक्षी एकता को जिंदा रखना चाहते हैं। वो ये मैसेज देना चाहते हैं कि विपक्ष पूरी तरह से एकजुट है। *कांग्रेस और आप, दोनों को फायदा?* हरियाणा में यदि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी में गंठबंधन होगा तो कुछ हद तक दोनों ही पार्टियो को फायदा होगा। कांग्रेस पांच सीटें आम आदमी पार्टी को देना चाहती है, ताकि नॉन जाट वोट भी कांग्रेस को मिल सके। वहीं, आम आदमी पार्टी 10 सीटें मांग रही है, लेकिन यदि उसका एक भी प्रत्याशी जीत हासिल करता है तो आम आदमी पार्टी के लिए फायदे का सौदा होगा और हरियाणा में भी उसकी एंट्री हो जाएगी। इसके अलावा, यदि पार्टी कोई भी सीट जीतती भी नहीं है तो गठबंधन में चुनाव लड़ने से उसका वोट शेयर बढ़ जाएगा, जिसका उसे सियासी तौर पर लाभ मिलेगा।
केन्द्र ने बढ़ाई दिल्ली एलजी की शक्तियां, अब मिला बोर्ड-आयोग में नियुक्ति का अधिकार*
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राष्ट्रपति ने दिल्ली के उप राज्यपाल वीके सक्सेना के अधिकार बढ़ा दिए हैं। उन्होंने अब दिल्ली के किसी भी प्राधिकरण, बोर्ड, आयोग और वैधानिक निकाय में सदस्यों को बनाने और नियुक्त करने की शक्ति मिल गई है। इससे पहले यह अधिकार दिल्ली सरकार के पास थे। सरकार ने इसका गजट भी जारी कर दिया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी एक अधिसूचना में कहा गया कि दिल्ली के उपराज्यपाल ऐसे प्राधिकरण, बोर्ड, आयोग या वैधानिक निकायों में सदस्यों की नियुक्ति भी कर सकते हैं। मंत्रालय ने यह अधिसूचना संविधान के अनुच्छेद 239 के खंड (1) के साथ पठित राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली शासन अधिनियम, 1991 (1992 का 1) की धारा 45डी के तहत जारी की है। गृह मंत्रालय की ओर से जो गजट जारी किया गया है, उसके मुताबिक अब दिल्ली एलजी के पास किसी भी प्राधिकरण, बोर्ड, आयोग या किसी भी वैधानिक निकाय के गठन के लिए अधिकार होगा। इसके लावा वह ऐसे किसी भी प्राधिकरण बोर्ड, आयोग और निकाय में किसी भ्सी सरकारी अधिकारी या पदेन सदस्य की नियुक्ति कर सकेंगे। इसके लिए वह राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार अधिनियम की धारा 45 घर के तहत राष्ट्रपति की शक्तियां प्राप्त होंगीं। इस संबंध में गजट अधिसूचना प्रकाशित होने के तुरंत बाद उपराज्यपाल वी. के. सक्सेना ने दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) वार्ड समिति चुनावों के लिए पीठासीन अधिकारियों की नियुक्ति कर दी, क्योंकि महापौर शैली ओबेरॉय ने इससे पहले यह कहते हुए ऐसा करने से इनकार कर दिया था कि उनकी अंतरात्मा उन्हें अलोकतांत्रिक चुनाव प्रक्रिया में भाग लेने की अनुमति नहीं देती। दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल वीके के बीच अधिकारों को लेकर लंबे समय से खींचतान चल रही है। केंद्र के इस आदेश के बाद केंद्र शासित प्रदेश में उपराज्यपाल और सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी सरकार के बीच नए सिरे से टकराव की संभावना है।