पीएम मोदी का ब्रुनेई दौरा कितना अहम, अमेरिका-रूस जैसे मुल्कों से डील के बाद भारत के लिए ये छोटा से देश क्यों है खास?
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिवसीय यात्रा पर मंगलवार को ब्रुनेई पहुंचे। यहां उनका भव्य स्वागत किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्रुनेई सुल्तान हाजी हसनल बोलकिया के निमंत्रण पर 3 और 4 सितंबर को ब्रुनेई की यात्रा पर हैं। करीब साढ़े चार लाख की आबादी वाले ब्रुनेई का प्रधानमंत्री मोदी का दौरा ऐतिहासिक है। पीएम मोदी की ब्रुनेई की यह पहली यात्रा है। यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री की ब्रुनेई का पहला द्विपक्षीय दौरा होगा। यह यात्रा उस वक्त हो रही है जब दोनों देश अपने राजनीयिक संबंधों की स्थापना के 40वीं वर्षगांठ मना रहे हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने ब्रुनेई रवाना होने से पहले एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, “आज, मैं ब्रुनेई दारुस्सलाम की अपनी पहली द्विपक्षीय यात्रा पर जा रहा हूं। हम अपने राजनयिक संबंधों के 40 साल पूरे होने का जश्न मना रहे हैं। मैं महामहिम सुल्तान हाजी हसनल बोल्किया और शाही परिवार के अन्य सम्मानित सदस्यों के साथ अपनी बैठकों को लेकर उत्सुक हूं, ताकि हमारे ऐतिहासिक संबंधों को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकें।”
इस छोटे से मुल्क के साथ क्यों खास है संबंध?
पीएम मोदी करीब 24 घंटे तक ब्रनेई में रहेंगे। इस दौरान वह कई अहम बैठकों और मुलाकातों में शिरकत करेंगे। अब सवाल ये पैदा हो रहा है कि अमेरिका, रूस जैसे मुल्कों के साथ डील करने वाले पीएम मोदी इन छोटे से मुल्क में इतना समय क्यों बिता रहे हैं। दरअसल, भारत बीते कुछ समय से अपनी विदेश नीति को दक्षिण पूर्व एशियाई देशों पर केंद्रित कर रहा है। इसका मुख्य उद्देश्य आर्थिक रूप से बेहद समृद्ध इन मुल्कों के साथ साझेदारी को और ऊंचाई पर पहुंचाकर देश का आर्थिक विकास करना है। साथ ही इस क्षेत्र में चीन के प्रभाव को काउंटर करना है।
चीन के करीबी मुल्कों में अपनी पकड़ होगी मजबूत!
दरअसल, इसकी भौगिलिक स्थिति काफी अहम है। यह दक्षिण-पूर्वी एशिया, बोर्नियो द्वीप के उत्तरी तट के साथ, दक्षिण चीन सागर और मलेशिया की सीमा पर स्थित है। दक्षिण चीन सागर के जरिए हिंद और प्रशांत महासागरों को जोड़ने वाले महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों के करीब है। यह दक्षिण चीन सागर के करीब है। यहीं से हिंद प्रशांत क्षेत्र में समुद्री व्यापार का सबसे अहम मार्ग गुजरता है। ऐसे में पीएम मोदी ब्रुनेई के साथ आर्थिक से साथ-साथ रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करना चाहते हैं। इससे भारत को भौगोलिक रूप से चीन के करीबी मुल्कों में अपनी पकड़ बनाने में मदद मिलेगी।
Sep 04 2024, 09:56