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*जिला अस्पताल, पांच माह अल्ट्रासाउंड बंद, मरीज परेशान*
रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव
भदोही। जिला अस्पताल में अल्ट्रासाउंड पांच महीने से बंद है। अल्ट्रासाउंड बंद होने से प्रसूताओं को निजी सेंटरों पर अल्ट्रासाउंड कराना होना है। जहां उन्हें 450 से 500 रुपये का भुगतान करना होता है। दो माह पहले अस्पताल प्रशासन ने नई अल्ट्रासाउंड की मांग की थी, लेकिन अब तक उसकी कोई व्यवस्था नहीं हुई है। अस्पताल में चिकित्सक हर दिन 15 से 20 अल्ट्रासाउंड के लिए लिखा जाता है।महाराजा चेतसिंह जिला चिकित्सालय करीब दो से ढाई लाख की आबादी को स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराता है। अस्पताल में कुछ ऐसी खामियां है जिनसे मरीजों को परेशानी हो रही है। यहां पांच महीनों से खराब अल्ट्रासाउंड सबसे बड़ी समस्या बन कर उभरी है। अस्पताल में हर दिन 700 से 800 मरीजों की ओपीडी होती है। इसमें रोजाना 100 के करीब महिलाओं की प्रसव संबंधी ओपीडी होती है। अस्पताल के लेबर कक्ष में महिलाओं की जांच-पड़ताल तो होती है, लेकिन समय-समय पर चिकित्सक उन्हें अल्ट्रासाउंड की भी सलाह देते हैं।चिकित्सक हर दिन 15 से 20 अल्ट्रासाउंड लिखते हैं। जिसमें प्रसूताओं के साथ अन्य मरीज भी होते हैं। अप्रैल महीने से ही खराब पड़े अल्ट्रासाउंड के कारण प्रसूताओं को निजी सेंटरों पर अल्ट्रासाउंड कराने जाना होता है। निजी सेंटरों पर अल्ट्रासाउंड का 450 से 500 रुपये खर्च आता है। दो माह पहले जिला अस्पताल की ओर से नई मशीन की मांग शासन से की गई थी, लेकिन इस पर अब तक पहल नहीं हो सकी है। सौ शय्या की अल्ट्रासाउंड मशीन भी नहीं चली जिला चिकित्सालय का अल्ट्रासाउंड सेंटर अप्रैल के पहले सप्ताह में खराब हो गई थी। अस्पताल प्रशासन ने संबंधित कंपनी से इंजीनियर को बुलवाया। इंजीनियर घंटों मशक्कत किया, कुछ पार्ट लेने का हवाला देकर वापस चला गया। अस्पताल प्रशासन ने दोबारा कंपनी के इंजीनियर को बुलाया। इंजीनियर मशीन नहीं ठीक कर पाया। इसके कुछ दिन बाद उच्चाधिकारियों के स्वीकृति पर सौ शय्या अस्पताल की अल्ट्रासाउंड मशीन लगाई गई। वहीं भी नहीं चल सकी। ज्ञानपुर। जिला चिकित्सालय में अल्ट्रासाउंड बंद होने के कारण निजी सेंटरों को लाभ हो रहा। जिला अस्पताल औसतन हर दिन 20 अल्ट्रासाउंड के लिए लिखा जाता है। मशीन न चलने के कारण वे निजी सेंटरों पर पहुंचते हैं। जहां अल्ट्रासाउंड का 500 रुपये शुल्क निर्धारित है। इस लिहाज से एक दिन में 10 हजार और पांच महीने में 15 लाख रुपये प्रसूताओं को खर्च करने पड़े, जबकि अस्पताल में मशीन होता है तो यह सुविधा निशुल्क मिलती।


पांच महीने पहले अल्ट्रासाउंड खराब होने के बाद लगातार नई मशीन के लिए प्रयास किया जा रहा है। दो माह पूर्व पत्राचार किया गया है। मशीन आने पर ही अस्पताल में प्रसूताओं का अल्ट्रासाउंड हो सकेगा। -- डॉ. राजेंद्र कुमार, सीएमएस जिला चिकित्सालय।
*भदोही में सोमवती अमावस्या पर व्रती महिलाओं ने वटवृक्ष की लगाई फेरी*

रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव

भदोही। हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है। भाद्रपद मास में सोमवार के दिन आयी आज 2 सितंबर को अमावस्या पड़ने के कारण सोमवती अमावस्या का संयोग बन रहा है। इस दिन को भादो अमावस्या या भादी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। सोमवती अमावस्या के दिन लोग ब्रह्म मुहूर्त में स्नान, दान व तर्पण करते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इतना ही नहीं इस दिन पितृ चालीसा का पाठ करने से पितृ दोषों से मुक्ति भी मिलती है। साथ ही इस दिन कथा का पाठ करने से अखंड सौभाग्य की भी प्राप्ति होती है। वैदिक पंचांग के मुताबिक, इस बार सोमवती अमावस्या को दो विशेष योग बन रहे हैं, जिनमें एक है शिव योग और दूसरा सिद्धि योग। ज्योतिष में इन योगों का विशेष महत्व है। सोमवती अमावस्या पर आज सुबह से ही ब्रती महिलाओं ने स्नान ध्यान करके वटवृक्ष की फेरी लगाई। ज्ञानपुर नगर स्थित सिद्ध पीठ बाबा हरिहरनाथ का दर्शन पूजन किया। महिलाओं के दर्शन पूजन का सिलसिला सुबह से चलता रहा जो दिन बढ़ते ही हरिहर नाथ मंदिर परिसर में महिलाओं की भीड़ भी बढ़ गई।बता दें कि आज जिले में सोमावती अमावस्या पर ब्रति महिलाओं ने बट वृक्ष पर फेरी लगाकर अपने पति की लंबी उम्र की कामना किया। आज महिलाएं सुबह से स्नान ध्यान कर वट वृक्ष की पूजन अर्चन किया और फेरी लगाई। जैसे-जैसे दिन बढ़ता गया फेरी लगाने व पूजन अर्चन के लिए महिलाओं की भीड़ बढ़ती गई । जिले के ज्ञानपुर नगर स्थित सिद्ध पीठ बाबा हरिहरनाथ मंदिर परिसर में भी महिलाओं की भीड़ बाबा भोलेनाथ का दर्शन पूजन कर पति की लंबी उम्र एवं परिवार के कुशलता की मन्नते मांगी। महिलाओं की भीड़ से मेला जैसा नजारा दिखने लगा। बता दे कि मान्यता है कि बट वृक्ष में जगत के पालनहार भगवान विष्णु का वास होने के साथ ही 33 कोटि देवताओं का वास होता है। इसलिए सोमवार को महिलाओं द्वारा वट वृक्ष का फेरी लगाया जाता है। जिसे जहां उनके पति की लंबी उम्र होती है तो वही परिवार भी सकुशल रहता है। आज सोमावती अमावस्या होने के कारण वट वृक्ष का फेरी लगाने के लिए महिलाओं की भीड़ लगी रही ।
*चार माह में तीन बार खराब हुई डिजिटल एक्स-रे मशीन*
रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव
भदोही। जिले के मुख्यालय के पास स्थित सौ शय्या अस्पताल का डिजिटल एक्स-रे मशीन ठीक होता नहीं है कि खराब हो जाता है। एक बार फिर डिजिटल एक्स-रे मशीन खराब हो गया है। बीते चार माह में डिजिटल एक्स-रे मशीन तीन बार खराब हो चुका है। इससे मरीजों को बार-बार परेशान होना पड़ रहा है। एक सप्ताह से मशीन में लगा ट्रांसफॉर्मर खराब होने से डिजिटल एक्स-रे की सेवाएं बाधित हैं।जिले के सौ शय्या अस्पताल में चार माह पहले डिजिटल एक्स-रे की सुविधा शुरू की गई थी। यह जिले के तीन बड़े अस्पतालों में इकलौता ऐसा अस्पताल है, जहां मरीजों को डिजिटल एक्स-रे की सुविधा मिलती है। महाराजा चेतसिंह जिला अस्पताल और महाराजा बलवंत सिंह राजकीय चिकित्सालय में डिजिटल एक्स-रे की सुविधा न होने से यहां हर दिन बड़ी संख्या में मरीज डिजिटल एक्स-रे को पहुंचते हैं।तीनों अस्पतालों को मिलाकर हर दिन 1700 से 1800 की ओपीडी होती है। वहीं 150 से 200 लोगों को डिजिटल एक्स-रे कराने की आवश्यकता होती है। एमबीएस के अलावा जिला अस्पताल और सौ शय्या के मरीज यहीं पहुंचते हैं। सबसे पहले 22 जुलाई को डिजिटल एक्स-रे मशीन खराब हुई थी जो लगभग दो सप्ताह बाद ठीक हो सका। इसके कुछ ही दिन बाद फिर से मशीन गड़बड़ हो गया था। हालांकि इस बार कुछ ही दिन में इसे सुधार लिया गया था, लेकिन बीते एक सप्ताह से एक बार फिर डिजिटल एक्स-रे मशीन का लाभ मरीजों को नहीं मिल पा रहा है।

एक सप्ताह से डिजिटल एक्स-रे का संचालन नहीं हो पा रहा है। आसपास आकाशीय बिजली गिरने से मशीन का ट्रांसफार्मर जल गया है। उसे बनाने के लिए टेक्नीशियन को बोला गया है। आगामी सप्ताह से एक्स-रे की सेवा शुरू हो जाएगी। डॉ सुनील पासवान, सीएमएस सौ शैय्या
*बारिश कम होने से खरीफ फसलों में रोग लगने का खतरा*
रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव
भदोही। अच्छी मानसूनी बारिश न होने से धान की फसलों में पानी की कमी लगातार बनी हुई है। इससे फसलों में कई बीमारियां फैलने की आशंका बढ़ गई है। धान के साथ मक्का, अरहर, उर्द, मूंग आदि फसलों में लगने वाले कीट और रोग से बचाव के लिए कृषि विभाग ने एडवाइजरी जारी की है। जिला कृषि रक्षा अधिकारी रत्नेश कुमार सिंह ने बताया कि धान में संकरी और चौड़ी पत्ती खरपतवार के नियंत्रण के लिए प्रेटिलाक्लोर 50 प्रतिशत, 1.5 लीटर और एनीलोफास 30 प्रतिशत, 1.25 से 1.5 लीटर को 500-600 लीटर पानी घोलकर फ्लैटफन नॉजिल से दो इंच भरे पानी में छिड़काव करना चाहिए। दीमक और जड़ की सूड़ी के नियंत्रण के लिए क्लोरपाइरीफास 20 प्रतिशत को ढाई लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से सिंचाई के पानी के साथ प्रयोग करें। खैरा रोग के नियंत्रण के लिए पांच किलो जिंक सल्फेट को 20-25 किलो यूरिया को एक हजार लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें। तना बेधक से बचाव के लिए फेरोमोन ट्रैप को छह से आठ लीटर पानी प्रति हेक्टेयर में छिड़काव करें। जीवाणु झुलसा और जीवाणुधारी रोग नियंत्रण के लिए स्यूडोमोनास फ्लोरिसेंस दो प्रतिशत दो लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से 500 लीटर पानी में डालकर छिड़काव करें।मक्का में तना भेदक कीट से बचाव के लिए डाईमेथोएट 30 प्रतिशत एक लीटर या क्लोरंट्रनिलिप्रोल 200 मिली या इंडोक्साकाब 500 मिली प्रति हेक्टेयर की दर से 500-600 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। फाल आर्मी वर्म कीट से बचने के लिए 20-25 पक्षी आश्रय (बर्ड पर्चर) और 3-4 की संख्या में प्रकाश प्रपंच लगाकर आसानी से प्रबंधन किया जा सकता है।
*जून, जुलाई में मानसून ने दिया दगा, अगस्त में औसत से अधिक बारिश*


रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव
भदोही। जिले में जून, जुलाई में मानसून के दगा देने के बाद अब अगस्त में किसानों को राहत मिली है। अगस्त माह में औसत से 24 मिमी अधिक बारिश हुई है। जून में 108 और जुलाई में 283 मिमी औसत बारिश होनी चाहिए, लेकिन इस साल जून में केवल 45 मिमी और जुलाई में 165 मिमी बारिश हुई थी। वहीं अगस्त महीने में औसत 286 मिमी से करीब 24 मिमी अधिक 309.8 मिमी बारिश हुई है। इस साल तीन महीनों में औसतन 677.1 मिमी के सापेक्ष केवल 519 मिमी बारिश हो सकी है। अगस्त में न सिर्फ जून, जुलाई, बल्कि 2023 के अगस्त से भी अच्छी बारिश दर्ज की गई। जिले में इस साल मानसून ने एक सप्ताह देरी से दस्तक दी थी। इस बार मानसून सीजन की पहली बारिश 28 जून को हुई थी। मौसम विभाग के अनुसार बिहार से मानसून की दस्तक होने के कारण मानसून में एक सप्ताह की देरी हुई थी। इस साल मानसून रूठा रहा। जून और जुलाई में औसत से काफी कम बारिश हुई। इससे किसानों के चेहरे की रौनक गायब दिखी। बारिश न होने से किसानों की खेती प्रभावित थी। वहीं दूसरी तरफ उसम और प्रचंड गर्मी ने लोगों की कठिन परीक्षा ली। मानसून सीजन के शुरुआती दो माह जून और जुलाई में बारिश न होने के कारण किसानों के सामने सिंचाई का संकट खड़ा रहा। कई किसान निजी संसाधन और नहरों के पानी पर निर्भर रहे। जून में 283 मिमी और जुलाई में 108 मिमी औसत बारिश होती है। इसके बाद जून में केवल 45 मिमी और जुलाई में 165 मिमी बारिश हुई। दोनों महीनों में औसत से कम बारिश होने पर मायूस किसानों को अगस्त महीने में राहत मिली। अगस्त में न सिर्फ जून, जुलाई, बल्कि 2023 के अगस्त से भी अच्छी बारिश दर्ज की गई। अगस्त 2023 में केवल 237 मिमी बारिश दर्ज की गई थी। वहीं इस साल अगस्त में 309.8 मिमी बारिश दर्ज की गई है, जो कि औसत बारिश से करीब 23 मिमी अधिक है। कृषि विज्ञान केंद्र बेजवां के मौसम विशेषज्ञ डॉ. आरपी चौधरी ने बताया कि अगस्त में रुक-रुक कर हुई बारिश खेती किसानी के दृष्टिकोण से बेहद फायदेमंद रहा। यह बारिश धान की फसल के लिए संजीवनी साबित हुई। अन्य फसलों के लिए भी यह बारिश कारगर है।

किस माह में कितना बारिश माह -

औसतन - बारिश जून - 105 - 45 जुलाई - 283 - 165 अगस्त - 286 - 309.8
*महिला आंगनबाड़ी कर्मचारी कलेक्ट्रेट पहुंचकर दिया धरना, राज्यपाल को संबोधित ज्ञापन डीएम को सौपा*

रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव

भदोही। महिला आंगनबाड़ी कर्मचारी संघ उत्तर प्रदेश के बैनर तले आंगनबाड़ी कर्मचारी कलेक्ट्रेट पर पहुंचकर धरना दिया। राज्यपाल को संबोधित विज्ञापन जिला अधिकारी को सौपा। आंगनबाड़ी कर्मचारी ने सरकार द्वारा बाल विकास परियोजना के अंतर्गत आंगनबाड़ी केंद्रो के लिए आउटसोर्सिंग के जरिए एजुकेटर की भारती की जा रहे हैं जो तत्काल रोका जाए। प्रदर्शन कर रही आंगनबाड़ी कर्मचारियो ने कहा कि सरकार के द्वारा बाल विकास परियोजना के तहत आंगनबाड़ी केंद्रो पर आउटसोर्सिंग के जरिए एजुकेटर की भर्ती करने जा रही है । जबकि राज्य सरकार व केंद्र सरकार द्वारा आंगनबाड़ी कर्मचारी से केंद्र संचालक से साथ अन्य कार्य कराया जाता है। आंगनवाड़ी कार्यकत्री पोलियो, जनगणना, आधार सर्वे, टीकाकरण ,चुनाव ड्यूटी, राशन कार्डों का सत्यापन जैसे कार्य करती चली आ रही है। इसका समय पर मानदेय का भुगतान नहीं किया जाता और ना ही हमारा मानदेय बढ़ाया जाता है । वर्षों से सेवा करने के पश्चात विभाग द्वारा हमें 62 वर्ष की उम्र में खाली हाथ रिटायर होना पड़ता है। रिटायरमेंट के बाद हमें कुछ भी पेंशन सेवा कार्य के रूप में नहीं दिया जाता है। जिससे हमें परिवार का भरण पोषण करने में मुश्किल हो जाता है। आंगनबाड़ी कर्मचारियों ने प्रदेश में किया जा रहे एजुकेटर के भर्ती को तत्काल रोकने की मांग किया। इस अवसर पर अनीता मौर्या, अंजू देवी, आसमा बेगम, संजू देवी, निशा देवी ,बबिता सहित अन्य आंगनबाड़ी कार्यकर्ती मौजूद रही।
*सड़क पर बह रहा दूषित पानी बढ़ी राहगीरों की परेशानी*


रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव
भदोही। नगर के वार्ड नंबर 10 स्थित ज्ञानपुर देहाती मार्ग पर काफी समय से नाले का गंदा पानी बह रहा है। नाली होने के बावजूद सड़क पर ही गंदा पानी बहाने के कारण हर दिन यहां कीचड़युक्त पानी लगा रहता है। जिससे संक्रामक बीमारी फैलने का डर बना रहता है। क‌ई बार तो लोग अपनी बाइक लेकर फिसल जाते हैं। ज्ञानपुर नगर पंचायत की आबादी 25 हजार के करीब है। नगर में 11 वार्ड है। जिसमें कुछ वार्ड ऐसे हैं। जहां हर दिन सड़क पर कीचड़युक्त पानी कारण संक्रमण बीमारी फैलने का डर तो बना ही रहता है। वहीं दुघर्टना की भी आशंका बनी रहती है। नगर के वार्ड संख्या दस के ज्ञानपुर देहाती मार्ग से बालीपुर मार्ग पर कुछ ऐसा ही हाल है। जहां स्थित स्कूल के पास महीनों से सड़क पर दूषित पानी बह रहा है। इस मोहल्ले में एक अस्पताल भी है। इसके कारण कुवरगंज मार्ग से सैकड़ों की संख्या में राहगीरों का हर दिन आवागमन होता है। ईओ राजेन्द्र दूबे ने बताया कि समस्या का समाधान जल्द ही किया जाएगा। स्थानीय रहवासी हैंडपंप का पानी एकत्रित होने से दिक्कतें होती है। पानी के ठहराव के लिए स्थायी समाधान ढूंढ़ा जाएगा।
भदोही में जिला अस्पताल में लायंस क्लब द्वारा आयोजित हुआ रक्तदान शिविर, डीएम ने किया शुभारंभ*
रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव

भदोही। महाराजा चेतसिंह जिला चिकित्सालय  में रिलायंस क्लब के द्वारा रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया। जिसका शुभारंभ मुख्य अतिथि जिला अधिकारी विशाल सिंह ने फिता काटकर किया। इस दौरान दर्जन भर युवाओं ने रक्तदान किया। युवाओं ने कहा कि रक्तदान करें और किसी के जीवन का उपहार दें।जिला अस्पताल ज्ञानपुर में नेहरू युवा केंद्र एवं रिलायंस क्लब द्वारा सुरक्षित रक्तदान सिविल का आयोजन किया गया जिसमें जिला अधिकारी विशाल सिंह एवं मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ संतोष चक ने रक्तदाताओं का उत्साहित किया। इस अवसर पर जिलाधिकारी विशाल सिंह ने कहा कि समय-समय पर रक्तदान शिविर का आयोजन किया जाता रहा है जिसके क्रम में आज रिलायंस क्लब द्वारा रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया जो काफी सराहनी है। उन्होंने रिलायंस क्लब के कार्यों की प्रशंसा की। दिया ने कहा कि जिले की वाहनों में जागरूकता आया है। जिसका परिणाम है कि रक्तदान शिविर में युवा बढचढ़कर हिस्सेदारी निभा रहे हैं । उन्होंने कहा कि ब्लड डोनेशन का जो गलत विचार था लोगों में अब धीरे-धीरे बाहर निकल चुका है। युवा लगातार ब्लड डोनेशन के लिए लोगों को जागरुक कर रहे हैं । अब मुझे पूरा विश्वास है कि आने वाले समय में ब्लड डोनेशन का जिले में क्रांति आयेगी और ब्लड बैंक में किसी प्रकार का ब्लड की कमी नहीं होगी।  इस अवसर पर लायंस क्लब के पदाधिकारी अरविंद भट्टाचार्य, सीएमएस राजेंद्र प्रसाद सहित अन्य पदाधिकारी व रक्तदाता युवा मौजूद रहे।
*चिकित्साधिकारी समेत 26 स्वास्थ्यकर्मी व चिकित्सक गायब, रोका वेतन*
रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव
भदोही। सीएमओ के तमाम चेतावनी के बाद भी चिकित्साकर्मियों की लापरवाही नहीं रूक रही है। सीएमओ ने कई स्वास्थ्य केन्द्रों का निरीक्षण किया। जिसमें एक साथ चिकत्सिाधिकारी समेत 26 स्वास्थ्य कर्मी व चिकित्सक गायब मिले। सीएमओ ने सभी का वेतन रोक दिया है और 24 घंटे के भीतर स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया है।सीएमओ डाॅ. संतोष कुमार चक ने शहर के चौरी रोड स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भदोही का निरीक्षण साढ़े आठ बजे किया। इस दौरान चिकत्सिाधिकारी डाॅ. नीलेश जायसवाल समेत 24 लोग गायब मिले। जिसमें डाॅ. पूनम मोदनवाल, प्रिया मौर्य, डाॅ. गरिमा गुजराती, डाॅ. भूमिका जायसवाल, डाॅ. धर्मेन्द्र चौरसिया के साथ एकता पटेल, ममता, रश्मि राजपूत, छाया पाल, प्रियंका मौर्या, खुशबू भारती, वंदना देवी, उत्कर्ष सिंह, मनीष कुमार, संदीप कुमार तिवारी, अश्विनी तिवारी, संगीता देवी, बन्दिू देवी, संदीप कुमार, विनोद पाल, राजेश कुमार यादव, पूजा कुमारी गुप्ता व रागिनी गायब मिलीं। सीएमओ ने सभी का एक दिन का वेतन रोक दिया। वहीं उपकेंद्र बदरहां और अजयपुर भी पहुंचे। उन्होंने स्वास्थ्यकर्मियों ने चेताया कि किसी भी हाल में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। सीएमओ डॉ. एसके चक ने बताया कि निरीक्षण में अनुपस्थित स्वास्थ्यकर्मियों को वेतन रोक कर स्पष्टीकरण मांगा गया है।
*दो गांवों में नहीं बना आर‌आरसी सेंटर,हाईवे किनारे डंप हो रहा कूड़ा*

रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव
भदोही। हाईवे किनारे स्थित बाजारों का कूड़ा एप्रोच मार्ग पर डंप किया जा रहा है। इससे राहगीरों को दिक्कत होती है। गांवों में आरआरसी सेंटर न होने के कारण कूड़ा एप्रोच मार्ग पर डंप किया जा रहा है। बारिश के सीजन में लोगों को संक्रामक बीमारियों के फैलने की चिंता सता रही है।वाराणसी-प्रयागराज हाईवे के 43 किमी के दायरे में महाराजगंज, बाबूसराय, औराई, माधोसिंह, जंगीगंज जैसे प्रमुख बाजार पड़ते हैं। बाजारों के पास हाईवे प्राधिकरण की ओर से फ्लाईओवर बनवाए गए हैं। फ्लाईओवर के नीचे सुबह-शाम दुकानें सजती हैं। इन दुकानों और बाजारों से निकलने वाले कचरे को हाईवे किनारे एप्रोच मार्ग पर डंप कर दिया जाता है। महराजगंज और माधोसिंह गांव में अब तक आरआरसी सेंटर नहीं बन पाया है। इसलिए इन गांवों का कूड़ा सड़क किनारे ही डंप किया जा रहा है। माधोसिंह गांव में तो कूड़ा ट्राॅली भी रखी गई है। इसके बावजूद कचरा सड़क पर फैला रहता है। यही हाल महराजगंज गांव में भी है। महराजगंज से सटे हुसैनीपुर के पास सड़क पर कचरा फैला रहता है। हर दिन हाईवे के एप्रोच मार्ग से 400 से 500 लोग आवागमन करते हैं। कचरे के दुर्गंध से राहगीरों को परेशानी होती है। स्थानीय लोगों ने कई बार इसकी शिकायत जिम्मेदारों से की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। हुसैनीपुर के ग्राम प्रधान नीलू गुप्ता ने बताया कि गांव में जगह न मिलने के कारण आरआरसी सेंटर नहीं बन पाया है। इसकी रिपोर्ट लेखपाल ने शासन को भेजी है। गांव से बाहर आरआरसी सेंटर के लिए जमीन की तलाश की जा रही है। इस संबंध में एसडीएम बरखा सिंह का कहना है कि किसी भी हाल में सड़क पर कूड़ा डंप नहीं किया जाना है। संबंधित ग्राम पंचायतों से जवाब मांगा जाएगा। गांवों में कचरा निस्तारण की व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी।