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भारत बंद में शामिल है कौन कौन से संगठन और क्या है इनकी प्रमुख मांग, डिटेल में जानिए...

सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के खिलाफ दलित और आदिवासी संगठनों ने 14 घंटे के भारत बंद का आह्वान किया है। यह बंद बुधवार, 21 अगस्त 2024 को किया गया है। नेशनल कन्फेडरेशन ऑफ दलित एंड आदिवासी ऑर्गेनाइजेशंस (NACDAOR) नामक संगठन ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को दलित और आदिवासी समुदायों के संवैधानिक अधिकारों के खिलाफ बताया है। उनका कहना है कि यह फैसला आरक्षण व्यवस्था के मौलिक सिद्धांतों के साथ खिलवाड़ है और इसे रद्द किया जाना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला 

हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति और जनजाति (SC/ST) आरक्षण में 'कोटा के भीतर कोटा' बनाने का फैसला दिया है। इसका मतलब है कि राज्य सरकारें SC/ST श्रेणियों के भीतर उप-श्रेणियां बना सकती हैं, ताकि सबसे जरूरतमंद को आरक्षण में प्राथमिकता मिल सके। इस फैसले के अनुसार, राज्यों को यह अधिकार दिया गया है कि वे आरक्षण के लिए अपनी विधानसभाओं में कानून बना सकें। सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने 6-1 के बहुमत से यह फैसला सुनाया, जो कि 2004 के एक पुराने फैसले को पलटता है।

इस फैसले के बाद देशभर में विरोध की लहर दौड़ गई है। विरोध करने वाले संगठनों का मानना है कि यह फैसला आरक्षण व्यवस्था के मौलिक सिद्धांतों के खिलाफ है। वे कहते हैं कि इससे सामाजिक न्याय की धारणा कमजोर होगी और आरक्षण की मौजूदा व्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। विरोधियों का तर्क है कि अनुसूचित जाति और जनजाति के साथ ऐतिहासिक अन्याय को ठीक करने के लिए आरक्षण दिया गया था, और इसे समाप्त करने की कोशिशें सामाजिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ हैं।

भारत बंद का आह्वान इसलिए किया गया है ताकि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को चुनौती दी जा सके और इसे वापस लेने के लिए सरकार पर दबाव डाला जा सके। NACDAOR ने सभी दलित, आदिवासी और OBC समुदाय के लोगों से अपील की है कि वे इस शांतिपूर्ण आंदोलन में हिस्सा लें और अपने संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करें।

भारत बंद के दौरान संगठनों की प्रमुख मांगें 

सरकारी नौकरियों में SC/ST/OBC कर्मचारियों का जातिगत डेटा जारी किया जाए।

न्यायिक अधिकारियों और जजों की नियुक्ति के लिए भारतीय न्यायिक सेवा की स्थापना की जाए, ताकि इन वर्गों का हायर ज्यूडिशियरी में 50% प्रतिनिधित्व सुनिश्चित हो सके।

केंद्र और राज्य सरकार के विभागों में बैकलॉग रिक्तियों को भरा जाए।

निजी क्षेत्र में भी सकारात्मक कार्रवाई की नीतियां लागू की जाएं।

संसद में एक नया अधिनियम पारित कर इसे संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल किया जाए ताकि आरक्षण प्रावधानों को न्यायिक हस्तक्षेप से सुरक्षा मिल सके।

भारत बंद को विभिन्न दलित और आदिवासी संगठनों के साथ ही कई क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टियों का समर्थन भी मिल रहा है। इनमें बहुजन समाज पार्टी (BSP), भीम आर्मी, आजाद समाज पार्टी (काशीराम), भारत आदिवासी पार्टी, बिहार में राष्ट्रीय जनता दल (RJD), और लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) जैसे संगठन शामिल हैं। कांग्रेस ने भी इस बंद का समर्थन किया है।

बंद के दौरान आवश्यक सेवाएं जैसे हॉस्पिटल, एंबुलेंस और इमरजेंसी सेवाएं सामान्य रूप से चालू रहेंगी। सरकारी दफ्तर, स्कूल-कॉलेज, पेट्रोल पंप और बैंक भी खुले रह सकते हैं। हालांकि, मांस और शराब की दुकानों पर बंद का असर पड़ सकता है।

बंद के दौरान राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, झारखंड और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में व्यापक असर देखने को मिल सकता है। कई जगहों पर स्कूलों में छुट्टी घोषित कर दी गई है और पुलिस-प्रशासन को अलर्ट पर रखा गया है। भारत बंद के जरिए दलित और आदिवासी संगठन अपने संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए आवाज उठा रहे हैं। उनका मानना है कि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला आरक्षण के मूल सिद्धांतों को कमजोर करता है और इसे तत्काल वापस लिया जाना चाहिए।

कोलकाता रेप-मर्डर केस में देश भर में उबाल, परत दर परत जानिए, ममता सरकार से कहां हुई गलती

आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुए रेप और हत्या के बाद से पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार और कोलकाता पुलिस निशाने पर हैं। इस मामले को लेकर जनता में गुस्सा बढ़ता जा रहा है और सरकार की कार्यशैली पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं।

मामले को दबाने की कोशिश

घटना वाले दिन पुलिस और सरकार ने इस मामले को आत्महत्या का मामला बताया, जबकि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से पता चला कि डॉक्टर की रेप के बाद हत्या की गई थी। डॉक्टर के माता-पिता को अपनी बेटी का शव देखने के लिए तीन घंटे से ज्यादा इंतजार करना पड़ा, और पुलिस ने जल्दबाजी में अंतिम संस्कार करने का दबाव भी बनाया।

जांच में लापरवाही और मुआवजे पर सवाल

शुरू से ही इस मामले की जांच में कई खामियां दिखीं। पीड़िता की डायरी का एक पन्ना गायब था, जिससे यह शक होता है कि इसमें कोई महत्वपूर्ण जानकारी हो सकती थी। ममता बनर्जी ने पीड़ित परिवार को 10 लाख रुपये का मुआवजा देने की घोषणा की, जिसे पीड़िता के पिता ने अपमानजनक बताया।

वारदात की जगह पर निर्माण कार्य

सेमिनार हॉल, जहां ट्रेनी डॉक्टर के साथ वारदात हुई थी, वहां घटना के तुरंत बाद चिनाई का काम शुरू करा दिया गया। बाथरूम की दीवार का एक हिस्सा भी तोड़ दिया गया, जिससे सबूत नष्ट करने की कोशिश की आशंका जताई जा रही है।

 प्रिंसिपल पर कार्रवाई की बजाय प्रमोशन

घटना के बाद आरजी कर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल संदीप घोष ने अपना पद छोड़ दिया, लेकिन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके बजाय उन्हें कोलकाता के नेशनल मेडिकल कॉलेज में सीनियर पोस्ट पर प्रमोट कर दिया गया। घोष ने ही सबसे पहले इस घटना को आत्महत्या का मामला बताया था।

 मेडिकल कॉलेज में तोड़फोड़

14 अगस्त की रात, जब डॉक्टर और अन्य लोग इस घटना के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे, तब आरजी कर मेडिकल कॉलेज में भीड़ ने तोड़फोड़ की। पुलिस ने इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की और चुपचाप तमाशा देखती रही।

आलोचकों पर कार्रवाई

ममता बनर्जी सरकार ने इस मामले में आलोचना करने वालों के खिलाफ भी कार्रवाई की। मीडिया और सोशल मीडिया पर उठ रहे सवालों को दबाने की कोशिश की गई। रिपोर्ट के अनुसार, पश्चिम बंगाल और अन्य राज्यों से कुल 280 लोगों को नोटिस जारी किए गए और कुछ को गिरफ्तार भी किया गया है। इस घटना ने ममता बनर्जी की सरकार और पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। लोगों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है और सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले में सरकार को फटकार लगाई है। आगे की जांच और कार्रवाई पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं।

बदलापुर में बवाल के बाद इंटरनेट बंद, 300 लोगों के खिलाफ एफआईआर, जानें आखिर क्या हुआ जिससे फूटा लोगों गा गुस्सा?

#badlapurgirlssexual_exploitation

कोलकाता में डॉक्टर संग रेप-मर्डर केस से देश में आक्रोश है। अब मुंबई के ठाणे में दो बच्चियों से छेड़छाड़ के बाद हालात तनावपूर्ण हैं। ठाणे के बदलापुर स्थित प्रतिष्ठित स्कूल में दो मासूम छात्राओं के साथ हैवानियत की गई। दो स्कूली छात्राओं के यौन शोषण का आरोप स्कूल के सफाईकर्मी पर हैं। पूरे मामले में पुलिस की बड़ी लापरवाही सामने आई। पुलिस पर मामले को दबाने में का आरोप है। जिसके बाद लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। दोपहर में प्रदर्शनकारी स्कूल पहुंचे और तोड़फोड़ की। लोगों ने जमकर पथराव किया।

स्कूल में बच्चियों से छेड़छाड़ की घटना से गुस्साए पैरेंट्स ने पूरे जिले में मंगलवार को जबरदस्त प्रदर्शन किया। बवाल इतना बढ़ा कि लोगों ने स्कूल में तोड़फोड़ कर दी और रेलवे ट्रैक को जाम कर दिया है और हटने के ल‍िए तैयार नहीं थे। लोगों ने अपने साथ फांसी का फंदा लेकर आए और कहा-दोष‍ियों को फांसी से कम कुछ भी मंजूर नहीं। पहले तो पुल‍िस ने प्रदर्शनकार‍ियों को समझाने की कोश‍िश की। लेकिन जब वे नहीं माने और पुल‍िस पर ही पत्‍थर फेंकने लगे तो पुल‍िस को लाठीचार्ज करना पड़ा।

10 घंटे तक रेलवे स्टेशन पर प्रदर्शन

यौन उत्पीड़न के विरोध में लोगों ने करीब 10 घंटे तक रेलवे स्टेशन की पटरियों पर प्रदर्शन किया।पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारियों को हटाने के 10 घंटे बाद रेल सेवाएं बहाल की गईं। मध्य रेलवे के डीसीपी जीआरपी मनोज पाटिल ने बताया कि अब स्थिति सामान्य है। ट्रेनों की आवाजाही भी हो रही है।

300 लोगों के खिलाफ एफआईआर

पुलिस ने अफवाहों पर लगाम लगाने के लिए कुछ दिन के लिए इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी हैं। वहीं विरोध प्रदर्शन और बवाल करने पर पुलिस ने 300 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। जबकि 40 लोगों को गिरफ्तार किया गया। इन्हें कोर्ट में पेश किया जाएगा।  

क्या है मामला?

बदलापुर पूर्व के एक नामी स्कूल में दो बच्चियों के साथ यौन उत्पीड़न की घटना ने पूरे इलाके में रोष व्याप्त कर दिया है। बच्चियों के साथ यौन उत्पीड़न का आरोप स्कूल टॉयलेट साफ करने वाले व्यक्ति अक्षय शिंदे पर लगा है। रिपोर्ट के अनुसार, पीड़ितों में से एक चार साल की है और दूसरी छह साल की है। यह घटना 12 और 13 अगस्त को घटी थी। आरोपी अक्षय शिंदे को 1 अगस्त, 2024 को टॉयलेट साफ करने के लिए अनुबंध के आधार पर स्कूल में भर्ती किया गया था। स्कूल ने लड़कियों के शौचालयों की सफाई के लिए कोई महिला कर्मचारी नियुक्त नहीं की थी। इसका फायदा उठाते हुए आरोपी ने 12 और 13 अगस्त की कक्षाओं के दौरान बच्चों के साथ बदसलूकी की।

"मेरा ध्यान भंग मत कीजिए", कोलकाता में रेप-हत्या मामले में सवालों को टालने पर भाजपा ने राहुल गांधी पर साधा निशाना

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कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में जूनियर डॉक्टर के साथ रेप-मर्डर केस में राजनीति चरम पर है। इसी बीच लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा डॉक्टरों से हड़ताल खत्म करने के अनुरोध पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। मंगलवार को उत्तर प्रदेश के रायबरेली पहुंचे विपक्ष के नेता राहुल गांधी से इस मामले को लेकर मीडिया ने सवाल किया तो उन्होंने इसे इग्नोर कर दिया और कहा, "मेरा ध्यान भंग मत कीजिए"।

बीजेपी ने राहुल गांधी की ओर से दी गई इस तरह की प्रतिक्रिया पर हमला बोला है। भाजपा ने चिकित्सक के साथ बलात्कार और उसकी हत्या बारे में सवालों को टालने के लिए मंगलवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी की आलोचना की और कहा कि इस मुद्दे पर टिप्पणी करने से इनकार करना ‘पीड़िता और सभी महिलाओं का अपमान’ है।

भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, ‘‘आर जी कर मेडिकल मामले और उच्चतम न्यायालय द्वारा बंगाल सरकार एवं पुलिस की आलोचना के बारे में पूछे जाने पर, राहुल गांधी बेशर्मी से कहते हैं कि ‘मैं विचलित नहीं होऊंगा।’’ उन्होंने राहुल गांधी के जवाब का एक वीडियो क्लिप भी साझा किया और पूछा, ‘‘क्या बेटी के लिए न्याय ध्यान भटकाने वाला है।’’ पूनावाला ने आरोप लगाया, ‘जो लोग संविधान और लड़की हूं के बारे में बोलते हैं और उप्र में पीड़ितों के घर जाते हैं, वह घोर अन्याय को ध्यान भटकाने वाला बताते हैं क्योंकि यह बंगाल में हुआ है।’

वहीं, पश्चिम बंगाल के भाजपा सह प्रभारी अमित मालवीय ने भी राहुल गांधी की इस पर प्रतिक्रिया के लिए आलोचना की और उन्हें ”बेशर्म और रीढ़विहीन प्राणी” करार दिया। उन्होंने आरोप लगाया, ”बेशर्म राहुल गांधी आर जी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में युवा महिला चिकित्सक के साथ बलात्कार एवं हत्या की घटना को ध्यान भटकाने वाला बताते हैं।’ उन्होंने कहा, ‘ऐसा रीढ़विहीन प्राणी भारत का प्रधानमंत्री बनने की आकांक्षा रखता है। कभी नहीं।’

यही नहीं, कांग्रेस के पूर्व नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने राहुल गांधी पर निशाना साधा. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में उन्हें टैग करते हुए लिखा, “रायबरेली जाना तो “ठीक” है राहुल गांधी जी, लेकिन “अयोध्या” और “कलकत्ता” कब जाओगे, या सवाल पूछने पर सिर्फ़ झल्लाओगे…?”

इससे पहले रायबरेली पहुंचे नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने कहा, "मैं दलितों की घटना के लिए यहां आया हूं। मैंने कोलकाता मामले पर पहले ही अपना बयान दे दिया है। मैं यहां विचलित नहीं होना चाहता। मैं यहां उनकी (दलितों की) चिंताओं को उठाने आया हूं।"

इस दौरान उन्होंने मीडिया पर हमला करते हुए कहा, “मैं जानता हूं कि आप इस मामले को उठवाना नहीं चाहते हो और ध्यान भटकाना चाहते हो, क्योंकि आप दलितों की बात नहीं रखना चाहते और मैं यहां पर दलितों की बात रखने और उनकी रक्षा करने के लिए आया हूं। इसलिए डिस्ट्रेक्शन एलाउ नहीं करूंगा।”

पोलैंड के लिए रवाना हुए पीएम मोदी, यूक्रेन दौरे पर भी जाएंगे, क्या युद्ध के खात्मे पर होगी बात?

#pm_narendra_modi_leaves_for_visit_to_poland_and_ukraine

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पोलैंड के लिए रवाना हो गए हैं। पोलैंड के बाद पीएम मोदी यूक्रेन का भी दौरा करने वाले हैं। पिछले 45 साल में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की यह पहली पोलैंड यात्रा है। पोलैंड के वारसॉ में पीएम मोदी का औपचारिक स्वागत किया जाएगा। यहां वो राष्ट्रपति आंद्रेज सेबेस्टियन डूडा से मुलाकात करेंगे और प्रधानमंत्री डोनाल्ड टस्क के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे। इसके अलावा, पीएम मोदी पोलैंड में रह रहे भारतीय समुदाय के लोगों से भी मुलाकात करेंगे। 

पीएम मोदी ने पोलैंड यात्रा से पहले कहा कि जब दोनों देश 70 साल के अपने डिप्लोमेटिक संबंध को पूरा कर रहे हैं तब ही मेरी यह यात्रा हो रही है। वहीं, उन्होंने पोलैंड को मिडिल यूरोप का प्रमुख इकोनॉमिक पार्टनर बताया। उन्होंने कहा कि अपनी इस यात्रा में ‘मैं अपने मित्र प्रधानमंत्री डोनाल्ड टस्क और राष्ट्रपति आंद्रेज डूडा से मिलने के लिए उत्सुक हूं।‘

बता दें कि जिस समय रूस-यूक्रेन का युद्ध शुरू हुआ उस समय पोलैंड की सरकार और वहां के लोगों ने यूक्रेन से भारतीय छात्रों को निकालने में बड़ा योगदान दिया था। ‘ऑपरेशन गंगा’ के दौरान पोलैंड ने भारत की मदद की थी। साल 2022 में पोलैंड के रास्ते ही 4,000 से अधिक भारतीय छात्रों युद्धग्रस्त यूक्रेन से निकाला गया था।

पोलैंड की यात्रा के बाद पीएम मोदी यूक्रेन की यात्रा करेंगे।पीएम मोदी 23 अगस्त को यूक्रेन जाएंगे। वे पोलैंड से ट्रेन के जरिए यूक्रेन पहुंचेंगे।1992 में दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध स्थापित होने के बाद यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री का यूक्रेन का पहला दौरा होगा। पीएम मोदी ने बुधवार को दिल्ली से उड़ान भरने से पहले कहा कि वह यूक्रेन में जारी संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान के लिए राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की के साथ बातचीत के लिए इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने अपने बयान में उम्मीद जताई है कि युद्धग्रस्त क्षेत्रों में शांति और स्थिरता की जल्द ही बहाल हो जाएगी।

कोलकाता केस में आरोपी संजय रॉय पर बड़ा खुलासा, हैवानियत से पहले पी शराब, रेड लाइट एरिया भी गया

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कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल बलात्कार-हत्या मामले में सीबीआई की जांच जारी है। सीबीआई लगातार इस मामले के मुख्य आरोपी संजय रॉय से पूछताछ कर रही है। इसी बीच मुख्य आरोपी संजय रॉय को लेकर एक बड़ा खुलासा हुआ है।कोलकाता पुलिस के मुताबिक घटना की रात आरोपी संजय रॉय सोनागाछी के रेडलाइट एरिया स्थित दो वेश्यालयों में गया था।आरोपी संजय रॉय 8 अगस्त की रात शराब के नशे में धुत होकर सोनागाछी पहुंचा था।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक घटना वाली रात को आरोपी संजय रॉय शराब के नशे में सोनागाछी स्थित दो वेश्यालयों में गया था।ये भी जानकारी मिली है कि उसने नशे में धुत्त होकर सड़क पर चल रही महिला से छेड़छाड़ की थी और उससे न्यूड फोटो भी मांगा था। जानकारी के मुताबिक घटना को अंजाम देने से पहले उसने अस्पताल के ऑपरेशन थियेटर में भी ताक-झांक की थी। आरोपी संजय रॉय की गिरफ्तारी में सीसीटीवी फुटेज से मदद मिली, जिसमें उसे आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के सेमिनार हॉल में घुसते और अस्पताल से जाते हुए देखा गया था,जहां जूनियर डॉक्टर सो रही थी और इस जघन्य घटना का पता चला।

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल बलात्कार-हत्या मामले का स्वत: संज्ञान लिया था। इसके बाद 20 अगस्त को इस मामले पर सुनवाई हुई थी।कोलकाता पुलिस ने मंगलवार को मामले में सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सीसीटीवी फुटेज में आरोपी को घटना के दिन सुबह 4 बजे आरजी कर अस्पताल की इमरजेंसी बिल्डिंग में प्रवेश करते हुए दिखता है। इस दौरान उसने गले में ब्लूटूथ डिवाइस पहन रखी थी। लेकिन जब वह बिल्डिंग से बाहर निकला तो उसका ब्लूटूथ डिवाइस गायब था। पुलिस को पीड़िता के डेडबॉडी के पास से ब्लूटूथ डिवाइस पड़ी मिली। जांच में पुलिस ने ब्लूटूथ डिवाइस को आरोपी के मोबाइल से कनेक्ट पाया। इस तरह पुलिस ने कोलकाता रेप और मर्डर केस में आरोपी संजय रॉय को पकड़ा।

सीआईएसएफ को सौपी मेडिकल कॉलेज की सुरक्षा

वहीं, सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को बड़ा झटका दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने आरजी कर हॉस्पिटल एंड मेडिकल कॉलेज की सुरक्षा सीआईएसएफ को सौंपने का आदेश दिया है। पहले आरजी कर हॉस्पिटल एंड मेडिकल कॉलेज की सुरक्षा की जिम्मेदारी कोलकाता पुलिस के हाथों में थी। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने मामले की जांच कर रही सीबीआई को 22 अगस्त तक पूरी घटना की रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है।

सीबीआई ने इन लोगों से की पूछताछ

सीबीआई ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल समेत संदिग्धों से पूछताछ की। आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल डॉ. संदीप घोष, संजय रॉय और कोलकाता पुलिस के सहायक उप-निरीक्षक अनूप दत्ता, जिनकी रॉय के साथ तस्वीरें सोशल मीडिया पर मिली थीं, उनसे एजेंसी के साल्ट लेक सीजीओ कॉम्प्लेक्स कार्यालय में सीबीआई अधिकारियों ने पूछताछ की। हत्या के कुछ दिनों बाद इस्तीफा देने वाले संदीप घोष से यह भी पूछा गया कि घटना के बाद सेमिनार हॉल के पास के कमरों के नवीनीकरण का आदेश किसने दिया था। सीबीआई यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या अपराध के पीछे कोई साजिश थी।

गला घोंटकर हत्या

कोलकाता रेप और मर्डर केस की घटना 9 अगस्त की है। यहां आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल की पोस्ट ग्रेजुएट ट्रेनी महिला डॉक्टर के साथ रेप और मर्डर की घटना ने देश भर में जनाक्रोश पैदा कर दिया है। महिला डॉक्टर का शव अस्पताल के सेमीनार हॉल में अगली सुबह पाया गया था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला कि पीड़िता के शरीर पर 14 गंभीर चोट के निशान थे। पीड़िता की मौत को लेकर रिपोर्ट में सामने आया कि उसका गला घोंटा गया था।

दलित-आदिवासी संगठनों का भारत बंद, एसटी-एससी और ओबीसी के लिए आरक्षण पर नए कानून की मांग

#bharat_bandh

एससी-एसटी के आरक्षण में क्रीमीलेयर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ आज यानी 21 अगस्त को देशभर भारत बंद है। बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के कोटे में कोटा दिए जाने को मंजूरी दी थी। कोर्ट ने कहा था कि एससी-एसटी कैटेगरी के भीतर नई सब कैटेगरी बना सकते हैं और इसके तहत अति पिछड़े तबके को अलग से रिजर्वेशन दे सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर कई दलित संगठनों को आपत्ति है और वो इसका लगातार विरोध कर रहे हैं। इसी को देखते हुए आज भारत बंद का ऐलान किया गया है।

भारत बंद में कौन-कौन शामिल?

आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति ने आज भारत बंद बुलाया है। जिसको कम से कम तीन राजनीतिक दलों का समर्थन प्राप्त है। मायावती की बसपा, हेमंत सोरेन की जेएमएम और लालू प्रसाद याद की पार्टी राजद इस बंद के समर्थन में है। साथ ही भीम आर्मी ने भी इसका समर्थन किया है। भीम आर्मी जगह-जगह सुबह से जुलूस निकाल रही है।

भारत बंद का अखिलेश यादव ने किया समर्थन

भारत बंद के समर्थन में सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा, आरक्षण की रक्षा के लिए जन-आंदोलन एक सकारात्मक प्रयास है। ये शोषित-वंचित के बीच चेतना का नया संचार करेगा और आरक्षण से किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ के खिलाफ जन शक्ति का एक कवच साबित होगा। शांतिपूर्ण आंदोलन लोकतांत्रिक अधिकार होता है। बाबा साहब भीमराव अंबेडकर जी ने पहले ही आगाह किया था कि संविधान तभी कारगर साबित होगा जब उसको लागू करनेवालों की मंशा सही होगी। सत्तासीन सरकारें ही जब धोखाधड़ी, घपलों-घोटालों से संविधान और संविधान द्वारा दिए गए अधिकारों के साथ खिलवाड़ करेंगी तो जनता को सड़कों पर उतरना ही होगा. जन-आंदोलन बेलगाम सरकार पर लगाम लगाते हैं।

भारत बंद का कहां-कहां दिखेगा असर

भारत बंद देशव्यापी है। मगर सबसे अधिक राजस्थान, हरियाणा, केरल, उत्तर प्रदेश और बिहार प्रभावित हो सकते हैं। इन राज्यों में विपक्षी पार्टियों का पूरा समर्थन मिलेगा। भारत बंद को देखते हुए राजस्थान के कुछ जिलों मसलन जयपुर, दौसा, भरतपुर, डीग और गंगापुर में स्कूलों और शिक्षण संस्थानों की छुट्टी है।

भारत बंद का दिल्ली में नहीं होगा असर

भारत बंद का दिल्ली में कोई असर नहीं होगा। दिल्ली में व्यापारियों और फैक्ट्री मालिकों के शीर्ष संगठन चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री ( सीटीआई ) चेयरमैन बृजेश गोयल और अध्यक्ष सुभाष खंडेलवाल ने बताया कि हमने कश्मीरी गेट, चांदनी चौक, खारी बावली, नया बाजार, चावड़ी बाजार, सदर बाजार, करोल बाग, कमला नगर, कनॉट प्लेस, लाजपत नगर, सरोजिनी नगर, आदि 100 से ज्यादा बाजारों के एसोसिएशन्स से इस विषय पर चर्चा की और सभी का ये कहना है कि भारत बंद को लेकर किसी ने भी व्यापारी संगठनों से ना ही संपर्क किया है और ना ही समर्थन मांगा है इसलिए दिल्ली के सभी 700 बाजार पूरी तरह से खुले रहेंगे, इसके अलावा सभी 56 इंडस्ट्रियल एरिया भी खुले रहेंगे।

राज्यसभा उप-चुनाव के लिए बीजेपी ने जारी की उम्मीदवार की सूची, लिस्ट में ये नाम शामिल
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हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव की सरगर्मियों के बीच भारतीय जनता पार्टी ने राज्यसभा उपचुनाव के लिए प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी है।संसद के उच्च सदन राज्यसभा की खाली सीटों के लिए उप-चुनाव का आयोजन जल्द ही होने वाला है। सभी दलों ने इस उपचुनाव के लिए अपनी तैयारियों को शुरू भी कर दिया है। इसी क्रम में मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। पार्टी ने विभिन्न राज्यों से कुल 9 उम्मीदवारों का ऐलान किया है।

पार्टी ने हरियाणा से किरण चौधरी को मैदान में उतारा है। वहीं, राजस्थान की एक सीट के लिए रवनीत सिंह बिट्टू को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। बिहार की एक सीट के लिए मनन मिश्रा, असम की दो सीट के लिए रामेश्वर तेली और मिशन रंजन दास को कैंडिडेट बनाया है।

बता दें कि लोकसभा चुनावों और दो सदस्यों के इस्तीफे के बाद राज्यसभा में 12 सीटें खाली हो गई हैं। जो सीटें खाली हुई हैं, उसमें असम, बिहार और महाराष्ट्र में दो-दो, हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान, त्रिपुरा, ओडिशा और तेलंगाना में एक-एक सीट शामिल हैं। तेलंगाना और ओडिशा में राज्यसभा की दो सीट के लिए उपचुनाव भी होगा। तेलंगाना में हाल में के. केशव राव ने भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) छोड़कर कांग्रेस में शामिल होने के बाद सदन की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। वहीं बीजू जनता दल (बीजद) की सांसद ममता मोहंता ने राज्यसभा सीट और पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। मोहंता बीजद से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हो गईं।
अजमेर कांड में 32 साल बाद फैसला, 6 दोषियों को आजीवन कारावास, सैकड़ों लड़कियों से ब्लैकमेलिंग-गैगरेप का मामला

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देश में बीते कई दिनों से कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर से रेप और मर्डर की खबर खुर्खियों में है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भी स्वतः संज्ञान लेते हुए नेशनल टास्क फोर्स का गठन कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि महिलाओं-लड़कियों के खिलाफ इस तरह के अपराधों को रोकना चाहिए, इसके लिए हम किसी नए मामले का इंतजार नहीं कर सकते। इसी बीच अजमेर रेप एंड ब्लैक मेलिंग केस में भी कोर्ट का फैसला आ गया है। 32 साल पहले हुए अजमेर गैंगरेप और ब्लैकमेल कांड के बाकी बचे 6 आरोपियों को स्पेशल पॉक्सो कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही 5-5 लाख रुपये का अर्थदंड भी लगाया है।

साल 1992 में कॉलेज छात्राओं के साथ गैंगरेप हुआ था, जिस पर आज कोर्ट ने सजा का ऐलान किया है। सभी आरोपियों को अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। स्कूली छात्राओं की आपत्तिजनक फोटो खींचकर ब्लैकमेल करने के मामले में अदालत ने फैसला सुनाया।

यह मामला 1992 का है । जब राजस्थान के अजमेर में 100 से ज्यादा स्कूली और कॉलेज की लड़कियों के साथ सामूहिक बलात्कार और ब्लैकमेलिंग की गई थी। अजमेर के एक गैंग ने 1992 में स्कूल-कॉलेज में पढ़ने वाली करीब 250 लड़कियों की नग्न तस्वीरें हासिल की। फिर उन्हें लीक करने की धमकी देकर 100 से अधिक छात्राओं के साथ गैंगरेप किया। गैंग के लोग स्कूल में पढ़ने वाली छात्राओं को फार्महाउस पर बुलाते थे। उनके साथ गैंगरेप करते थे। कई स्कूल तो अजमेर के जाने-माने प्राइवेट स्कूल थे। इन बच्चियों की उम्र उस समय 11 से 20 साल की हुआ करती थी। 

एक अखबार ने इसका खुलासा किया तो मामला सामने आया। साल 1992 के मई महीने में अजमेर के एक स्थानीय अखबार दैनिक नवज्योति अखबार में इस मामले का खुलासा किया था। इसके लिए जिम्मेदार गिरोह धार्मिक, राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक क्षेत्रों में प्रभाव रखता था। इस पूरे स्कैंडल का मास्टर माइंड तत्कालीन अजमेर यूथ कांग्रेस का अध्यक्ष फारूक चिश्ती, नफीस चिश्ती और अनवर चिश्ती था। उसके साथ कई अन्य आरोपी भी थे। अजमेर जिला पुलिस ने पाया कि अजमेर के सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह के खादिम परिवारों के कई युवा रईस इसमें शामिल थे।

फारूख अब्दुल्ला या उमर कौन लड़ेगा चुनाव? नेशनल कांफ्रेंस में पिता-पुत्र को लेकर असमंजस बरकरार
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जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव का एलान हो चुका है। पहले चरण का चुनाव 18 सितंबर को होगा, दूसरे चरण का चुनाव 25 सितंबर तो तीसरे चरण का चुनाव 1 अक्टूबर को होगा। चुनाव की घोषणा के बाद से जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई हैं। इस बीच नेशनल कांफ्रेंस में असमंजस की स्थिति बरकरार है। सवाल उठ रहे हैं कि नेशनल कांफ्रेंस से पिता पारूख अब्दुल्ला और बेटे उमर के बीच कौन चुनावी मैदान में नजर आएगा?

चुनाव की तारीखों के एलान के बाद नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि मैं ये चुनाव लड़ूंगा, उमर अब्दुल्ला चुनाव नहीं लड़ेंगे। जब राज्य का दर्जा मिल जाएगा तो मैं पद छोड़ दूंगा और उस सीट पर उमर अब्दुल्ला चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि हम राज्य का दर्जा चाहते हैं, न केवल एनसी बल्कि जम्मू-कश्मीर की सभी पार्टियां ऐसा चाहती हैं। यह भारत सरकार का वादा है कि पूर्ण राज्य का दर्जा होगा।

दरअसल, विधानसभा चुनाव लड़ने को लेकर उमर को लेकर असमंजस इसलिए है क्योंकि उन्होंने 2020 में यह दावा कर दिया था कि जबतक जम्मू-कश्मीर को फिर से राज्य का दर्जा नहीं मिल जाता, वह विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ेंगे। 2019 में जम्मू और कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म होने के बाद इसे राज्य से बदलकर केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया था। उमर ने इसी के विरोध में यह सियासी प्रतिज्ञा कर ली थी। लेकिन, परिस्थितियां दावे के विपरीत दिखने लगीं तो उन्होंने हाल ही एक बयान दिया, जिसमें इस बात के संकेत दिए थे कि वह अपने वादे को दूर रखकर चुनाव लड़ने का मन बना रहे हैं।

नेशनल कॉन्फ्रेंस लोकसभा चुनाव के दौरान इंडिया गठबंधन का हिस्सा थी, लेकिन पार्टी को उमर अब्दुल्ला जैसे नेता के रूप में बड़े नुकसान का सामना करना पड़ा, जहां बारामुला में वह यूएपीए केस में जेल में बंद इंजीनियर राशिद से हार गए। अब उनके विधानसभा चुनाव लड़ने को लेकर भी संशय है।