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दिग्विजय सिंह ने की आरएसएस-बीजेपी की तारीफ, बोले- कांग्रेस में सुधार की गुंजाइश

#digvijayasinghpraiserssorganisation_capicity

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के एक बयान ने देशभर की सियासत में हलचल पैदा कर दी है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने शनिवार को कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक से पहले सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक तस्वीर पोस्ट कर पार्टी संगठन को लेकर बहस छेड़ दी।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह शनिवार को कांग्रेस वर्किंग कमेटी (सीडब्ल्यूसी) की बैठक शुरू होने से ठीक पहले अचनाक चर्चा में आ गए। कारण था उनका सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर किया गया पोस्ट, जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी की एक पुरानी तस्वीर साझा की। इस तस्वीर में पीएम मोदी लालकृष्ण आडवाणी के पैरों के पास बैठे हुए दिखाई दे रहे हैं। तस्वीर साझा करते हुए कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने लिखा कि आरएसएस का एक जमीनी स्वयंसेवक और भाजपा का जमीनी कार्यकर्ता किस प्रकार नीचे बैठकर मुख्यमंत्री और फिर प्रधानमंत्री बना। उन्होंने इस तस्वीर को प्रभावशाली बताते हुए इसे संगठन की ताकत बताया।

अपने बयान पर दि सफाई

दिग्विजय सिंह के इस पोस्ट पर पत्रकारों ने जब ये पूछा कि इसका क्या मतलब है, कांग्रेस संगठन में क्या वो सुधार चाहते हैं तो दिग्विजय सिंह ने कहा कि वो आरएसएस और बीजेपी के घोर विरोधी हैं। उन्होंने केवल 'संगठन' की तारीफ़ की है।

संघ की संगठन क्षमता के कायल दिग्विजय

दिल्ली में कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक के बाद कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा, 'मैं शुरुआत से ही कहता आ रहा हूं कि मैं संघ की विचारधारा का विरोधी हूं। वे न पूरी तरह से संविधान को मानते हैं और न ही देश के कानून को, और यह एक अपंजीकृत संगठन है। लेकिन मैं संघ की संगठन क्षमता का प्रशंसक हूं। यह ऐसा संगठन है, जो पंजीकृत भी नहीं है और फिर भी इतना ताकतवर बन गया कि देश के प्रधानमंत्री लालकिले से कहते हैं कि यह दुनिया का सबसे बड़ा एनजीओ है। अगर ये एनजीओ है तो फिर कहां हैं इसके नियम और कायदे कहां गए? लेकिन मैं उनकी संगठन क्षमता का कायल हूं।'

कांग्रेस पार्टी में सुधार की गुंजाइश है- दिग्विजय सिंह

दिग्विजय सिंह से जब कांग्रेस की संगठन क्षमता को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, 'मैं इतना ही कह सकता हूं कि कांग्रेस पार्टी में सुधार की गुंजाइश है और हर संगठन में सुधार की गुंजाइश होती है। कांग्रेस पार्टी आधारभूत तौर पर आंदोलन की पार्टी है और कई बार कांग्रेस पार्टी ने आंदोलन किए और हमेशा कांग्रेस आंदोलन की पार्टी रहेगी, लेकिन आंदोलन को वोटों में बदलने में कांग्रेस पार्टी चूक जाती है।

She might be asking for Rs 8500 from Digvijaya Singh.
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कच्चाथीवु द्वीप को लेकर कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह का पलटवार, पूछा-क्या वहां कोई रहता भी है?

#kachchatheevuislandsayscongressleaderdigvijayasingh 

इस बार लोकसभा चुनाव में कच्चातिवु द्वीप बड़ा मुद्दा बनता नजर आ रहा है, खासकर तमिलनाडु में। लोकसभा चुनाव से पहले तमिलनाडू और श्रीलंका के बीच मौजूद कच्चातिवु द्वीप को लेकर देशभर में राजनीतिक बहस जारी है। विवाद तब शुरू हुआ जब आरटीआई से मिले जवाब में सामने आया कि 1974 में तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार ने इस द्वीप को श्रीलंका को सौंप दिया था। बीजेपी इसे जोर-शोर से उठा रही है। इस बीच कांग्रेस के दिग्गज नेता राजगढ़ से कांग्रेस के लोकसभा उम्मीदवार दिग्विजय सिंह ने इस मसले पर पलटवार किया है। उन्होंने पूछा है कि, "क्या उस द्वीप पर कोई रहता है? 

लोकसभा चुनाव के लिए हो रहे प्रचार के दौरान भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक नए मुद्दे को उठाकर कांग्रेस को कठघरे में खड़ा कर रहे हैं। कच्चातिवु द्वीप को लेकर प्रधानमंत्री मोदी के बयान पर कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने भोपाल में पलटवार किया। उन्होंने पूछा, उस द्वीप पर कोई रहता है क्या? मैं पूछना चाहता हूं। दरअसल, पिछले कई दिनों से पीएम मोदी इस मसले को सार्वजनिक मंचों पर उठा रहे हैं। 

पीएम मोदी लगातार बोल रहे हमला

इससे पहले बुधवार को तमिलनाडु के वेल्लोर में पीएम मोदी ने एक रैली के दौरान कहा कि कांग्रेस और डीएमके पार्टी के एक पाखंड की चर्चा आज पूरा देश कर रहा है। कांग्रेस ने अपनी सरकार के दौरान कई दशक पहले कच्चातिवु द्वीप श्रीलंका को दे दिया। किस कैबिनेट में ये निर्णय हुआ? किसके फायदे के लिए ये फैसला हुआ? इस पर कांग्रेस की बोलती बंद है। उन्होंने आगे कहा, बीते वर्षों में उस द्वीप के पास जाने पर तमिलनाडु के हजारों मछुआरे गिरफ्तार हुए हैं। उनकी नौकाएं गिरफ्तार कर ली गई हैं।

पीएम मोदी ने कहा, गिरफ्तारी पर कांग्रेस और डीएमके झूठी हमदर्दी दिखाते हैं, लेकिन ये लोग तमिलनाडु के लोगों को ये सच नहीं बताते हैं कि कच्चातिवु द्वीप इन लोगों ने स्वयं श्रीलंका को दे दिया और तमिलनाडु की जनता को अंधेरे में रखा।एनडीए सरकार ऐसे मछुआरों को निरंतर रिहा कराकर वापस ला रही है। इतना ही नहीं 5 मछुआरों को श्रीलंका ने फांसी की सजा दे दी थी। वह उनको भी जिंदा वापस लेकर आए हैं। डीएमके और कांग्रेस सिर्फ मछुआरों के नहीं बल्कि देश के भी गुनहगार हैं।

क्या है श्रीलंका का पक्ष

इससे पहले कच्चातिवु द्वीप को लेकर श्रीलंका ने भी अपनी बात रखी है।राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे के मंत्रिमंडल में शामिल मंत्री जीवन थोंडामन ने साफ कहा कि कच्चातिवू द्वीप श्रीलंकाई नियंत्रण रेखा के भीतर आता है। उन्होंने कहा, श्रीलंका के साथ नरेंद्र मोदी की विदेश नीति सजीव और स्वस्थ है। अभी तक भारत की ओर से कच्चातिवु द्वीप को लौटाने के लिए कोई आधिकारिक सूचना नहीं दी गई है। अगर ऐसी कोई मांग होती है, तो विदेश मंत्रालय उसका जवाब देगा।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, एक अन्य श्रीलंकाई मंत्री ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर कहा कि नई सरकार की इच्छा के अनुसार राष्ट्रीय सीमाओं को नहीं बदला जा सकता है। उन्होंने कहा कि एक बार सीमा तय हो जाने के बाद, केवल सरकार बदलने के कारण कोई भी बदलाव की मांग नहीं कर सकता।

कहां स्थित है यह द्वीप?

कच्चातिवु द्वीप श्रीलंका में नेदुनथीवु और भारत में रामेश्वरम के बीच स्थित है। यह 285 एकड़ का एक निर्जन स्थान है। अपने सबसे चौड़े बिंदु पर इसकी लंबाई 1.6 किमी से ज्यादा नहीं है। यह भारतीय तट से लगभग 33 किमी दूर, रामेश्वरम के उत्तर-पूर्व में स्थित है। श्रीलंका के जाफना से यह लगभग 62 किमी दूर है। पारंपरिक रूप से दोनों पक्षों के मछुआरे इसका इस्तेमाल करते रहे हैं। कच्चातिवु द्वीप तमिलनाडु के मछुआरों के लिए सांस्कृतिक रूप से अहम है। इसे श्रीलंका को सौंपने के खिलाफ तमिलनाडु में कई आंदोलन हुए हैं।

द्वीप का इतिहास क्या है?

14वीं शताब्दी के ज्वालामुखी विस्फोट के बाद यह द्वीप बना। मध्ययुगीन काल में, इस पर श्रीलंका के जाफना साम्राज्य का नियंत्रण था। 17वीं शताब्दी में, नियंत्रण रामनाद जमींदारी के हाथ में चला गया, जो रामनाथपुरम से लगभग 55 किमी उत्तर-पश्चिम में स्थित है। ब्रिटिश राज के दौरान यह मद्रास प्रेसीडेंसी का हिस्सा बन गया। लेकिन 1921 में भारत और श्रीलंका दोनों ने मछली पकड़ने की सीमा निर्धारित करने के लिए द्वीप पर दावा किया। यह विवाद 1974 तक नहीं सुलझा था।

अब क्या है समझौता?

1974 में, इंदिरा गांधी ने भारत-श्रीलंका के बीच समुद्री सीमा को हमेशा के लिए सुलझाने का प्रयास किया। इस समझौते के एक हिस्से के रूप में इंदिरा गांधी ने कच्चातिवु को श्रीलंका को सौंप दिया। उस समय, उन्होंने सोचा कि इस द्वीप का कोई रणनीतिक महत्व नहीं है और इस भारत का दावा खत्म करने से श्रीलंका के साथ संबंध और गहरे हो जाएंगे। समझौते के मुताबिक, भारतीय मछुआरों को अभी भी इस द्वीप तक जाने की इजाजत थी। 1976 में भारत में इमरजेंसी की अवधि के दौरान एक और समझौता हुआ। इसमें किसी भी देश को दूसरे के विशेष आर्थिक क्षेत्र में मछली पकड़ने से रोक दिया गया।

गोलवलकर पोस्टर विवाद में बुरे फंसे दिग्विजय सिंह, इंदौर में एफआईआर दर्ज

#fir_against_digvijaya_singh_in_indore

इंदौर में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के द्वितीय सरसंघचालक स्व. माधव गोलवलकर को लेकर ट्वीट किया था।इसी मामले में एक शिकायती आवेदन पर दिग्विजय सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई। दरअसल मध्य प्रदेश पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व प्रमुख एमएस गोलवलकर को लेकर सोशल मीडिया पर विवादास्पद पोस्टर शेयर करते हुए आरएसएस को निशाने पर लिया था।

इंदौर के तुकोगंज पुलिस थाने में एक शिकायती आवेदन फरियादी अधिवक्ता राजेश जोशी द्वारा दिया गया है। जिस आधार पर पुलिस द्वारा मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के खिलाफ धारा 153 ए, 469 ,500,505 आइपीसी के तहत् अपराध क्रमांक 311 /23 दिनांक 8/7/23 को दर्ज किया गया। इस आवेदन में लिखा गया कि सोशल मीडिया इंटरनेट फेसबुक एवं टि्वटर पर विभिन्न जातियों वर्गों में शत्रुता घृणा वैमनस्ययता पैदा करने के उद्देश्य से आरएसएस की छवि धूमिल करने तथा फरियादी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के उद्देश्य से सोशल मीडिया पर एक पोस्ट की गई।

राजेश जोशी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की छवि खराब करने और धार्मिक भावनाओं को भड़काने का आरोप लगाते हुए पुलिस से इस मामले की शिकायत की। शिकायत के बारे में पुलिस अधिकारियों ने बताया कि दिग्विजय सिंह ने अपने ट्विटर अकाउंट पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वितीय सरसंघचालक माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर की तस्वीरों के साथ एक अनर्गल पोस्ट प्रसारित की थी, जिसे लेकर शिकायत मिली थी, जिसपर एफआईआर दर्ज की गई है।

दिग्विजय सिंह ने पीएम मोदी पर कसा तंज, कहा- नीरो की तरह है सरकार, मणिपुर जल रहा है, प्रधानमंत्री ग्लोबल दर्शन पर हैं

#digvijaya_singh_slams_pm_modi_talks_on_manipur_violence 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन के न्योते पर अमेरिका की राजकीय यात्रा पर हैं। कांग्रेस पीएम मोदी की इस राजकीय यात्रा को लेकर लगातार निशाना साध रही है।इस बीच कांग्रेस के सीनियर नेता दिग्विजय सिंह ने पीएम मोदी की अमेरिका यात्रा को लेकर उन पर तंज कसा है। दिग्विजय सिंह ने कहा कि मणिपुर जल रहा है, जबकि मोदी ‘वैश्विक दर्शन’ पर हैं। 

दिग्विजय सिंह ने ट्वीट करते हुए लिखा, जब मणिपुर जल रहा था, हमारे पीएम संयुक्त राष्ट्र में योग कर रहे थे। जब चीन साजिद मीर को ग्लोबल आतंकी घोषित किए जाने पर अड़ंगा लगा रहा था, पीएम मोदी यूएन में योग कर रहे थे। क्या ये आपको रोम के जलने पर नीरो के बांसुरी बजाने की याद नहीं दिलाता। क्या मोदी शासन भी नीरो के शासन की तरह नहीं है?

एक अन्य ट्वीट में दिग्विजय सिंह ने पूछा कि आप ऐसे प्रधानमंत्री के बारे में क्या कहेंगे जो उस समय ‘वैश्विक दर्शन’ पर हैं जब मणिपुर जल रहा है? उन्होंने ये भी कहा कि पिछले 9 वर्षों में पीएम का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है और कहा कि वे खुद की मार्केटिंग करते रहते हैं।

बता दें कि बुधवार को पीएम मोदी ने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस समारोह का नेतृत्व किया। संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में हुआ योग कार्यक्रम गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल हो गया है। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 180 देशों के करीब 8 हजार लोगों ने योग किया। गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के प्रवक्ता और आधिकारिक निर्णायक माइकल एम्प्रिक ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र में पीएम मोदी के नेतृत्व में हुए योग कार्यक्रम ने सर्वाधिक देशों से लोगों की भागीदारी के मामले में गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया है।

दिग्विजय सिंह ने पीएम मोदी पर कसा तंज, कहा- नीरो की तरह है सरकार, मणिपुर जल रहा है, प्रधानमंत्री ग्लोबल दर्शन पर हैं

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन के न्योते पर अमेरिका की राजकीय यात्रा पर हैं। कांग्रेस पीएम मोदी की इस राजकीय यात्रा को लेकर लगातार निशाना साध रही है।इस बीच कांग्रेस के सीनियर नेता दिग्विजय सिंह ने पीएम मोदी की अमेरिका यात्रा को लेकर उन पर तंज कसा है। दिग्विजय सिंह ने कहा कि मणिपुर जल रहा है, जबकि मोदी ‘वैश्विक दर्शन’ पर हैं। 

दिग्विजय सिंह ने ट्वीट करते हुए लिखा, जब मणिपुर जल रहा था, हमारे पीएम संयुक्त राष्ट्र में योग कर रहे थे। जब चीन साजिद मीर को ग्लोबल आतंकी घोषित किए जाने पर अड़ंगा लगा रहा था, पीएम मोदी यूएन में योग कर रहे थे। क्या ये आपको रोम के जलने पर नीरो के बांसुरी बजाने की याद नहीं दिलाता। क्या मोदी शासन भी नीरो के शासन की तरह नहीं है?

एक अन्य ट्वीट में दिग्विजय सिंह ने पूछा कि आप ऐसे प्रधानमंत्री के बारे में क्या कहेंगे जो उस समय ‘वैश्विक दर्शन’ पर हैं जब मणिपुर जल रहा है? उन्होंने ये भी कहा कि पिछले 9 वर्षों में पीएम का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है और कहा कि वे खुद की मार्केटिंग करते रहते हैं।

बता दें कि बुधवार को पीएम मोदी ने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस समारोह का नेतृत्व किया। संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में हुआ योग कार्यक्रम गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल हो गया है। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 180 देशों के करीब 8 हजार लोगों ने योग किया। गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के प्रवक्ता और आधिकारिक निर्णायक माइकल एम्प्रिक ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र में पीएम मोदी के नेतृत्व में हुए योग कार्यक्रम ने सर्वाधिक देशों से लोगों की भागीदारी के मामले में गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया है।

दिग्विजय सिंह ने की आरएसएस-बीजेपी की तारीफ, बोले- कांग्रेस में सुधार की गुंजाइश

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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के एक बयान ने देशभर की सियासत में हलचल पैदा कर दी है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने शनिवार को कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक से पहले सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक तस्वीर पोस्ट कर पार्टी संगठन को लेकर बहस छेड़ दी।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह शनिवार को कांग्रेस वर्किंग कमेटी (सीडब्ल्यूसी) की बैठक शुरू होने से ठीक पहले अचनाक चर्चा में आ गए। कारण था उनका सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर किया गया पोस्ट, जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी की एक पुरानी तस्वीर साझा की। इस तस्वीर में पीएम मोदी लालकृष्ण आडवाणी के पैरों के पास बैठे हुए दिखाई दे रहे हैं। तस्वीर साझा करते हुए कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने लिखा कि आरएसएस का एक जमीनी स्वयंसेवक और भाजपा का जमीनी कार्यकर्ता किस प्रकार नीचे बैठकर मुख्यमंत्री और फिर प्रधानमंत्री बना। उन्होंने इस तस्वीर को प्रभावशाली बताते हुए इसे संगठन की ताकत बताया।

अपने बयान पर दि सफाई

दिग्विजय सिंह के इस पोस्ट पर पत्रकारों ने जब ये पूछा कि इसका क्या मतलब है, कांग्रेस संगठन में क्या वो सुधार चाहते हैं तो दिग्विजय सिंह ने कहा कि वो आरएसएस और बीजेपी के घोर विरोधी हैं। उन्होंने केवल 'संगठन' की तारीफ़ की है।

संघ की संगठन क्षमता के कायल दिग्विजय

दिल्ली में कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक के बाद कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा, 'मैं शुरुआत से ही कहता आ रहा हूं कि मैं संघ की विचारधारा का विरोधी हूं। वे न पूरी तरह से संविधान को मानते हैं और न ही देश के कानून को, और यह एक अपंजीकृत संगठन है। लेकिन मैं संघ की संगठन क्षमता का प्रशंसक हूं। यह ऐसा संगठन है, जो पंजीकृत भी नहीं है और फिर भी इतना ताकतवर बन गया कि देश के प्रधानमंत्री लालकिले से कहते हैं कि यह दुनिया का सबसे बड़ा एनजीओ है। अगर ये एनजीओ है तो फिर कहां हैं इसके नियम और कायदे कहां गए? लेकिन मैं उनकी संगठन क्षमता का कायल हूं।'

कांग्रेस पार्टी में सुधार की गुंजाइश है- दिग्विजय सिंह

दिग्विजय सिंह से जब कांग्रेस की संगठन क्षमता को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, 'मैं इतना ही कह सकता हूं कि कांग्रेस पार्टी में सुधार की गुंजाइश है और हर संगठन में सुधार की गुंजाइश होती है। कांग्रेस पार्टी आधारभूत तौर पर आंदोलन की पार्टी है और कई बार कांग्रेस पार्टी ने आंदोलन किए और हमेशा कांग्रेस आंदोलन की पार्टी रहेगी, लेकिन आंदोलन को वोटों में बदलने में कांग्रेस पार्टी चूक जाती है।

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कच्चाथीवु द्वीप को लेकर कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह का पलटवार, पूछा-क्या वहां कोई रहता भी है?

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इस बार लोकसभा चुनाव में कच्चातिवु द्वीप बड़ा मुद्दा बनता नजर आ रहा है, खासकर तमिलनाडु में। लोकसभा चुनाव से पहले तमिलनाडू और श्रीलंका के बीच मौजूद कच्चातिवु द्वीप को लेकर देशभर में राजनीतिक बहस जारी है। विवाद तब शुरू हुआ जब आरटीआई से मिले जवाब में सामने आया कि 1974 में तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार ने इस द्वीप को श्रीलंका को सौंप दिया था। बीजेपी इसे जोर-शोर से उठा रही है। इस बीच कांग्रेस के दिग्गज नेता राजगढ़ से कांग्रेस के लोकसभा उम्मीदवार दिग्विजय सिंह ने इस मसले पर पलटवार किया है। उन्होंने पूछा है कि, "क्या उस द्वीप पर कोई रहता है? 

लोकसभा चुनाव के लिए हो रहे प्रचार के दौरान भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक नए मुद्दे को उठाकर कांग्रेस को कठघरे में खड़ा कर रहे हैं। कच्चातिवु द्वीप को लेकर प्रधानमंत्री मोदी के बयान पर कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने भोपाल में पलटवार किया। उन्होंने पूछा, उस द्वीप पर कोई रहता है क्या? मैं पूछना चाहता हूं। दरअसल, पिछले कई दिनों से पीएम मोदी इस मसले को सार्वजनिक मंचों पर उठा रहे हैं। 

पीएम मोदी लगातार बोल रहे हमला

इससे पहले बुधवार को तमिलनाडु के वेल्लोर में पीएम मोदी ने एक रैली के दौरान कहा कि कांग्रेस और डीएमके पार्टी के एक पाखंड की चर्चा आज पूरा देश कर रहा है। कांग्रेस ने अपनी सरकार के दौरान कई दशक पहले कच्चातिवु द्वीप श्रीलंका को दे दिया। किस कैबिनेट में ये निर्णय हुआ? किसके फायदे के लिए ये फैसला हुआ? इस पर कांग्रेस की बोलती बंद है। उन्होंने आगे कहा, बीते वर्षों में उस द्वीप के पास जाने पर तमिलनाडु के हजारों मछुआरे गिरफ्तार हुए हैं। उनकी नौकाएं गिरफ्तार कर ली गई हैं।

पीएम मोदी ने कहा, गिरफ्तारी पर कांग्रेस और डीएमके झूठी हमदर्दी दिखाते हैं, लेकिन ये लोग तमिलनाडु के लोगों को ये सच नहीं बताते हैं कि कच्चातिवु द्वीप इन लोगों ने स्वयं श्रीलंका को दे दिया और तमिलनाडु की जनता को अंधेरे में रखा।एनडीए सरकार ऐसे मछुआरों को निरंतर रिहा कराकर वापस ला रही है। इतना ही नहीं 5 मछुआरों को श्रीलंका ने फांसी की सजा दे दी थी। वह उनको भी जिंदा वापस लेकर आए हैं। डीएमके और कांग्रेस सिर्फ मछुआरों के नहीं बल्कि देश के भी गुनहगार हैं।

क्या है श्रीलंका का पक्ष

इससे पहले कच्चातिवु द्वीप को लेकर श्रीलंका ने भी अपनी बात रखी है।राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे के मंत्रिमंडल में शामिल मंत्री जीवन थोंडामन ने साफ कहा कि कच्चातिवू द्वीप श्रीलंकाई नियंत्रण रेखा के भीतर आता है। उन्होंने कहा, श्रीलंका के साथ नरेंद्र मोदी की विदेश नीति सजीव और स्वस्थ है। अभी तक भारत की ओर से कच्चातिवु द्वीप को लौटाने के लिए कोई आधिकारिक सूचना नहीं दी गई है। अगर ऐसी कोई मांग होती है, तो विदेश मंत्रालय उसका जवाब देगा।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, एक अन्य श्रीलंकाई मंत्री ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर कहा कि नई सरकार की इच्छा के अनुसार राष्ट्रीय सीमाओं को नहीं बदला जा सकता है। उन्होंने कहा कि एक बार सीमा तय हो जाने के बाद, केवल सरकार बदलने के कारण कोई भी बदलाव की मांग नहीं कर सकता।

कहां स्थित है यह द्वीप?

कच्चातिवु द्वीप श्रीलंका में नेदुनथीवु और भारत में रामेश्वरम के बीच स्थित है। यह 285 एकड़ का एक निर्जन स्थान है। अपने सबसे चौड़े बिंदु पर इसकी लंबाई 1.6 किमी से ज्यादा नहीं है। यह भारतीय तट से लगभग 33 किमी दूर, रामेश्वरम के उत्तर-पूर्व में स्थित है। श्रीलंका के जाफना से यह लगभग 62 किमी दूर है। पारंपरिक रूप से दोनों पक्षों के मछुआरे इसका इस्तेमाल करते रहे हैं। कच्चातिवु द्वीप तमिलनाडु के मछुआरों के लिए सांस्कृतिक रूप से अहम है। इसे श्रीलंका को सौंपने के खिलाफ तमिलनाडु में कई आंदोलन हुए हैं।

द्वीप का इतिहास क्या है?

14वीं शताब्दी के ज्वालामुखी विस्फोट के बाद यह द्वीप बना। मध्ययुगीन काल में, इस पर श्रीलंका के जाफना साम्राज्य का नियंत्रण था। 17वीं शताब्दी में, नियंत्रण रामनाद जमींदारी के हाथ में चला गया, जो रामनाथपुरम से लगभग 55 किमी उत्तर-पश्चिम में स्थित है। ब्रिटिश राज के दौरान यह मद्रास प्रेसीडेंसी का हिस्सा बन गया। लेकिन 1921 में भारत और श्रीलंका दोनों ने मछली पकड़ने की सीमा निर्धारित करने के लिए द्वीप पर दावा किया। यह विवाद 1974 तक नहीं सुलझा था।

अब क्या है समझौता?

1974 में, इंदिरा गांधी ने भारत-श्रीलंका के बीच समुद्री सीमा को हमेशा के लिए सुलझाने का प्रयास किया। इस समझौते के एक हिस्से के रूप में इंदिरा गांधी ने कच्चातिवु को श्रीलंका को सौंप दिया। उस समय, उन्होंने सोचा कि इस द्वीप का कोई रणनीतिक महत्व नहीं है और इस भारत का दावा खत्म करने से श्रीलंका के साथ संबंध और गहरे हो जाएंगे। समझौते के मुताबिक, भारतीय मछुआरों को अभी भी इस द्वीप तक जाने की इजाजत थी। 1976 में भारत में इमरजेंसी की अवधि के दौरान एक और समझौता हुआ। इसमें किसी भी देश को दूसरे के विशेष आर्थिक क्षेत्र में मछली पकड़ने से रोक दिया गया।

गोलवलकर पोस्टर विवाद में बुरे फंसे दिग्विजय सिंह, इंदौर में एफआईआर दर्ज

#fir_against_digvijaya_singh_in_indore

इंदौर में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के द्वितीय सरसंघचालक स्व. माधव गोलवलकर को लेकर ट्वीट किया था।इसी मामले में एक शिकायती आवेदन पर दिग्विजय सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई। दरअसल मध्य प्रदेश पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व प्रमुख एमएस गोलवलकर को लेकर सोशल मीडिया पर विवादास्पद पोस्टर शेयर करते हुए आरएसएस को निशाने पर लिया था।

इंदौर के तुकोगंज पुलिस थाने में एक शिकायती आवेदन फरियादी अधिवक्ता राजेश जोशी द्वारा दिया गया है। जिस आधार पर पुलिस द्वारा मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के खिलाफ धारा 153 ए, 469 ,500,505 आइपीसी के तहत् अपराध क्रमांक 311 /23 दिनांक 8/7/23 को दर्ज किया गया। इस आवेदन में लिखा गया कि सोशल मीडिया इंटरनेट फेसबुक एवं टि्वटर पर विभिन्न जातियों वर्गों में शत्रुता घृणा वैमनस्ययता पैदा करने के उद्देश्य से आरएसएस की छवि धूमिल करने तथा फरियादी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के उद्देश्य से सोशल मीडिया पर एक पोस्ट की गई।

राजेश जोशी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की छवि खराब करने और धार्मिक भावनाओं को भड़काने का आरोप लगाते हुए पुलिस से इस मामले की शिकायत की। शिकायत के बारे में पुलिस अधिकारियों ने बताया कि दिग्विजय सिंह ने अपने ट्विटर अकाउंट पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वितीय सरसंघचालक माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर की तस्वीरों के साथ एक अनर्गल पोस्ट प्रसारित की थी, जिसे लेकर शिकायत मिली थी, जिसपर एफआईआर दर्ज की गई है।

दिग्विजय सिंह ने पीएम मोदी पर कसा तंज, कहा- नीरो की तरह है सरकार, मणिपुर जल रहा है, प्रधानमंत्री ग्लोबल दर्शन पर हैं

#digvijaya_singh_slams_pm_modi_talks_on_manipur_violence 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन के न्योते पर अमेरिका की राजकीय यात्रा पर हैं। कांग्रेस पीएम मोदी की इस राजकीय यात्रा को लेकर लगातार निशाना साध रही है।इस बीच कांग्रेस के सीनियर नेता दिग्विजय सिंह ने पीएम मोदी की अमेरिका यात्रा को लेकर उन पर तंज कसा है। दिग्विजय सिंह ने कहा कि मणिपुर जल रहा है, जबकि मोदी ‘वैश्विक दर्शन’ पर हैं। 

दिग्विजय सिंह ने ट्वीट करते हुए लिखा, जब मणिपुर जल रहा था, हमारे पीएम संयुक्त राष्ट्र में योग कर रहे थे। जब चीन साजिद मीर को ग्लोबल आतंकी घोषित किए जाने पर अड़ंगा लगा रहा था, पीएम मोदी यूएन में योग कर रहे थे। क्या ये आपको रोम के जलने पर नीरो के बांसुरी बजाने की याद नहीं दिलाता। क्या मोदी शासन भी नीरो के शासन की तरह नहीं है?

एक अन्य ट्वीट में दिग्विजय सिंह ने पूछा कि आप ऐसे प्रधानमंत्री के बारे में क्या कहेंगे जो उस समय ‘वैश्विक दर्शन’ पर हैं जब मणिपुर जल रहा है? उन्होंने ये भी कहा कि पिछले 9 वर्षों में पीएम का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है और कहा कि वे खुद की मार्केटिंग करते रहते हैं।

बता दें कि बुधवार को पीएम मोदी ने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस समारोह का नेतृत्व किया। संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में हुआ योग कार्यक्रम गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल हो गया है। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 180 देशों के करीब 8 हजार लोगों ने योग किया। गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के प्रवक्ता और आधिकारिक निर्णायक माइकल एम्प्रिक ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र में पीएम मोदी के नेतृत्व में हुए योग कार्यक्रम ने सर्वाधिक देशों से लोगों की भागीदारी के मामले में गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया है।

दिग्विजय सिंह ने पीएम मोदी पर कसा तंज, कहा- नीरो की तरह है सरकार, मणिपुर जल रहा है, प्रधानमंत्री ग्लोबल दर्शन पर हैं

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन के न्योते पर अमेरिका की राजकीय यात्रा पर हैं। कांग्रेस पीएम मोदी की इस राजकीय यात्रा को लेकर लगातार निशाना साध रही है।इस बीच कांग्रेस के सीनियर नेता दिग्विजय सिंह ने पीएम मोदी की अमेरिका यात्रा को लेकर उन पर तंज कसा है। दिग्विजय सिंह ने कहा कि मणिपुर जल रहा है, जबकि मोदी ‘वैश्विक दर्शन’ पर हैं। 

दिग्विजय सिंह ने ट्वीट करते हुए लिखा, जब मणिपुर जल रहा था, हमारे पीएम संयुक्त राष्ट्र में योग कर रहे थे। जब चीन साजिद मीर को ग्लोबल आतंकी घोषित किए जाने पर अड़ंगा लगा रहा था, पीएम मोदी यूएन में योग कर रहे थे। क्या ये आपको रोम के जलने पर नीरो के बांसुरी बजाने की याद नहीं दिलाता। क्या मोदी शासन भी नीरो के शासन की तरह नहीं है?

एक अन्य ट्वीट में दिग्विजय सिंह ने पूछा कि आप ऐसे प्रधानमंत्री के बारे में क्या कहेंगे जो उस समय ‘वैश्विक दर्शन’ पर हैं जब मणिपुर जल रहा है? उन्होंने ये भी कहा कि पिछले 9 वर्षों में पीएम का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है और कहा कि वे खुद की मार्केटिंग करते रहते हैं।

बता दें कि बुधवार को पीएम मोदी ने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस समारोह का नेतृत्व किया। संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में हुआ योग कार्यक्रम गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल हो गया है। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 180 देशों के करीब 8 हजार लोगों ने योग किया। गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के प्रवक्ता और आधिकारिक निर्णायक माइकल एम्प्रिक ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र में पीएम मोदी के नेतृत्व में हुए योग कार्यक्रम ने सर्वाधिक देशों से लोगों की भागीदारी के मामले में गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया है।