मुंबई के ठाणे में एक स्कूल में नर्सरी की छात्राओं का यौन शोषण से मचा बवाल, सड़कों पर उतरे लोग
मुंबई से सटे ठाणे जिले के एक नामी स्कूल में दो नाबालिग लड़कियों के साथ यौन शोषण का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। इस घटना के खिलाफ स्थानीय नागरिकों ने मंगलवार को बंद का आह्वान किया। सैकड़ों लोग स्कूल के बाहर जमा हुए और स्कूल तथा पुलिस प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की।
आरोप है कि पीड़ित बच्चियों के माता-पिता ने थाने में शिकायत दर्ज कराने के लिए जब पहुंचा, तो उन्हें करीब 12 घंटे तक इंतजार करवाया गया। इस देरी से लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। छुट्टी खत्म होने के बाद मंगलवार को हजारों लोगों ने स्कूल के सामने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया।
मामले के अनुसार, स्कूल में एक सफाई कर्मचारी ने दो साढ़े तीन साल की बच्चियों का यौन शोषण किया। 24 वर्षीय आरोपी को शनिवार को गिरफ्तार कर लिया गया। आरोपी 1 अगस्त से स्कूल में सफाईकर्मी के तौर पर काम कर रहा था और बच्चियों को शौचालय में ले जाकर गंदे काम करता था।
इस मामले की गंभीरता को देखते हुए स्कूल प्रशासन ने चार दिन बाद अपना पक्ष रखा। उन्होंने सभी अभिभावकों से सार्वजनिक माफी मांगी और स्कूल के प्रिंसिपल को सस्पेंड कर दिया। इसके अलावा, क्लास टीचर और आया को भी नौकरी से निकाल दिया गया। स्कूल ने ठेकेदार के साथ अनुबंध रद्द कर दिया है, जिसने आरोपी को स्कूल में भेजा था।
गुरुवार को एक बच्ची ने अपने दादा को आरोपी द्वारा यौन शोषण की जानकारी दी। नर्सरी में पढ़ने वाली इस बच्ची ने बताया कि आरोपी उसे और उसकी सहेली को शौचालय में ले जाकर गंदा काम करता था। इसके बाद दोनों परिवार ने बच्चियों को एक निजी डॉक्टर के पास मेडिकल जांच के लिए ले जाया। डॉक्टर ने यौन दुर्व्यवहार की पुष्टि की।
पीड़ित बच्चियों के माता-पिता ने पुलिस पर आरोप लगाया कि उन्होंने 12 घंटे से अधिक समय तक शिकायत दर्ज नहीं की। इसके बाद जिला महिला एवं बाल कल्याण विभाग ने हस्तक्षेप किया और एफआईआर दर्ज करवाई। लोगों के गुस्से को देखते हुए पुलिस प्रशासन ने तत्काल कदम उठाते हुए सीनियर पुलिस इंस्पेक्टर शुभदा शितोले का तबादला कर दिया। इसके साथ ही, दो नए पुलिस इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारियों की नियुक्ति की गई है। इस घटना ने स्थानीय समुदाय में गहरा आक्रोश पैदा कर दिया है और लोगों ने स्कूल और पुलिस प्रशासन की कार्रवाई की तीव्र आलोचना की है। स्कूल प्रशासन और पुलिस द्वारा की गई कार्रवाइयों से यह प्रतीत होता है कि इस मामले को गंभीरता से लिया जा रहा है और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जा रहे हैं।






संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने 17 अगस्त, 2024 को एक विज्ञापन जारी किया, जिसमें केंद्र सरकार के 24 मंत्रालयों में संयुक्त सचिव, निदेशक और उप सचिव के 45 पदों पर लेटरल एंट्री के जरिए भर्ती कि लिए योग्य उम्मीदवारों से आवेदन मांगे गए है। जिसके बाद विपक्ष ने विरोध शुरू कर दिया है। यूपीएससी में लेटरल एंट्री को लेकर बहस ने बड़ा रूप ले लिया है। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी का कहना है कि सरकार का यह फैसला आरक्षण विरोधी है। वहीं, भाजपा का कहना है कि यूपीए सरकार के समय में ही लेटरल एंट्री का प्रस्ताव लाया जा चुका था।
सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता के आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में एक जूनियर डॉक्टर से कथित बलात्कार और हत्या के मामले में सुनवाई की।सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हाईकोर्ट कोलकाता रेप केस पर सुनवाई कर रहा है, लेकिन ये गंभीर मामला देशभर के स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा से भी जुड़ा है। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा कि ये सिर्फ एक मर्डर का मामला नहीं है। हमें डॉक्टरों की सुरक्षा की चिंता है। इस दौरान सर्वोच्च न्यायालय ने पीड़िता की पहचान उजागर करने को लेकर भी नाराजगी जाहिर की। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में सीबीआई से स्टेटस रिपोर्ट तलब की हैष साथ ही साथ कहा है कि हम पूरे केस की निगरानी करेंगे। सीबीआई की ओर से सुप्रीम कोर्ट में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए। वहीं, बंगाल डॉक्टर्स संघ समेत अन्य याचिकाकर्ता के वकील भी पेश हुए। सुनवाई के दौरान सीजेआई ने कहा कि हमने यह स्वत: संज्ञान इसलिए लिया है कि ये सिर्फ कोलकाता का एक भयावाह मामला नहीं है, बल्कि देश डॉक्टरों की सुरक्षा का मसला है। खासतौर पर महिला डॉक्टरों की सुरक्षा और उनके वर्किंग ऑवर का मसला है। इस पर एक राष्ट्रीय सहमति बननी चाहिए कि महिलाओं की सुरक्षा हो, उन्हें संविधान में समानता मिली है। यह सिर्फ इसलिए नहीं कि रेप का मसला है। यह बहुत ही चिंताजनक है और पीड़िता का नाम पूरी मीडिया में आ गया। तस्वीरें दिखा दी गई, यह चिंताजनक है। हमारा फैसला है कि रेप पीड़िता का नाम तक नहीं सार्वजनिक किया जाना है और यहां तस्वीरें तक दिखा दी गईं। सुप्रीम कोर्ट ने एलान किया कि इस घटना की जांच के लिए हम नेशनल टास्क फोर्स बनाने जा रहे हैं। यह टास्क फोर्स कोर्ट की निगरानी में काम करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में सीबीआई से स्टेटस रिपोर्ट भी तलब की। सीजेआई ने पश्चिम बंगाल की ओर से पेश हुए कपिल सिब्बल से कुछ सवाल किए हैं। चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि इस मामले में एफआईआर भी देर से की गई है। सिब्बल ने इसे भी गलत बताया। इस पर चीफ जस्टिस ने पूछा कि क्या एफआईआर में मर्डर कहा गया। इसके जवाब में वकील ने कहा कि अननेचुरल डेथ का जिक्र किया गया। फिर चीफ जस्टिस ने पूछा कि जब मामले को आत्महत्या बताया जा रहा था तो सबसे बड़ा सवाल ये है कि प्रिंसिपल उस वक्त क्या कर रहे थे। एफआईआर शाम में दर्ज करवाई जाती है।

Aug 20 2024, 14:45
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