लेटरल एंट्री से होने वाली भर्ती का विज्ञापन होगा रद्द, विपक्ष के विरोध के बाद सरकार ने पीछे किए कदम
#cancellation_lateral_entry_advertisement
केंद्र सरकार ने लेटरल एंट्री के विज्ञापन पर रोक लगा दी है। विपक्ष के साथ ही सरकार के कई सहयोगियों की ओर से यूपीएससी में लेटरल एंट्री और उसमें आरक्षण नहीं दिए जाने के विरोध के बीच सरकार ने फैसला वापस ले लिया है। इस संबंध में कार्मिक मंत्री ने यूपीएससी चेयरमैन को पत्र लिखा है।
![]()
केंद्रीय कार्मिक मंत्री जितेंद्र सिंह ने यूपीएससी के अध्यक्ष प्रीति सुदान को चिट्ठी लिखी है। मंत्री ने यूपीएससी की तरफ से सीधी भर्ती (लेटरल एंट्री) से जुड़े विज्ञापन को रद्द करने के लिए कहा है।पत्र में कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सार्वजनिक सेवा में आरक्षण के हिमायती हैं। हमारी सरकार सोशल जस्टिस को मजबूत करने को लेकर प्रतिबद्ध है, इसलिए हम आपसे अनुरोध करते हैं कि उन वैकेंसी का रिव्यू कर रद्द करें जो 17 अगस्त को यूपीएससी की ओर से जारी किया गया था।
यूपीएससी अध्यक्ष को लिखे पत्र में क्या
1. ''2005 में वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता में बने दूसरे प्रशासनिक सुधार आयोग ने लेटरल एंट्री का सैद्धांतिक अनुमोदन किया था। 2013 में छठे वेतन आयोग की सिफारिशें भी इसी दिशा में थीं। हालांकि, इससे पहले और इसके बाद लेटरल एंट्री के कई हाई प्रोफाइल मामले रहे हैं।''
2. ''पूर्ववर्ती सरकारों में विभिन्न मंत्रालयों के सचिवों, UIDAI के नेतृत्व जैसे अहम पदों पर आरक्षण की नियुक्ति के बिना लेटरली एंट्री वालों को मौके दिए जाते रहे हैं।''
3. ''यह भी सर्वविदित है कि 'बदनाम' हुए राष्ट्रीय सलाहकार परिषद के सदस्य सुपर ब्यूरोक्रेसी चलाया करते थे, जो प्रधानमंत्री कार्यालय को नियंत्रित किया करती थी।''
4. ''2014 से पहले संविदा तरीके से लेटरल एंट्री वाली ज्यादातर भर्तियां होती थीं, जबकि हमारी सरकार में यह प्रयास रहा है कि यह प्रक्रिया संस्थागत, खुली और पारदर्शी रहे।''
5. ''प्रधानमंत्री का यह पुरजोर तरीके से मानना है कि विशेषकर आरक्षण के प्रावधानों के परिप्रेक्ष्य में संविधान में उल्लेखित समानता और सामाजिक न्याय के सिद्धांतों के अनुरूप लेटरली एंट्री की प्रक्रिया को सुसंगत बनाया जाए।''
45 स्पेशलिस्ट नियुक्त के लिए निकला था विज्ञापन
बता दें कि यूपीएससी ने 17 अगस्त को विभिन्न मंत्रालयों में ज्वाइंट सेक्रेटरी, डायरेक्टर और डिप्टी सेक्रेटरी के पदों पर 45 स्पेशलिस्ट नियुक्त करने के लिए भर्ती निकाली। इन भर्तियों को लेटरल एंट्री के जरिए किया जाना था। हालांकि, इसे लेकर विपक्ष ने हंगाम खड़ा कर दिया और सरकार के इस कदम को आरक्षण छीनने की व्यवस्था बताया।
राहुल गांधी ने किया विरोध
राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर कहा, “लेटरल एंट्री दलितों, ओबीसी और आदिवासियों पर हमला है। बीजेपी का रामराज्य का विकृत संस्करण संविधान को नष्ट करना चाहता है और बहुजनों से आरक्षण छीनना चाहता है।” इससे पहले उन्होंने रविवार को आरोप लगाया था कि पीएम मोदी यूपीएससी की जगह आरएसएस के जरिए लोक सेवकों की भर्ती करके संविधान पर हमला कर रहे हैं।






संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने 17 अगस्त, 2024 को एक विज्ञापन जारी किया, जिसमें केंद्र सरकार के 24 मंत्रालयों में संयुक्त सचिव, निदेशक और उप सचिव के 45 पदों पर लेटरल एंट्री के जरिए भर्ती कि लिए योग्य उम्मीदवारों से आवेदन मांगे गए है। जिसके बाद विपक्ष ने विरोध शुरू कर दिया है। यूपीएससी में लेटरल एंट्री को लेकर बहस ने बड़ा रूप ले लिया है। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी का कहना है कि सरकार का यह फैसला आरक्षण विरोधी है। वहीं, भाजपा का कहना है कि यूपीए सरकार के समय में ही लेटरल एंट्री का प्रस्ताव लाया जा चुका था।
सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता के आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में एक जूनियर डॉक्टर से कथित बलात्कार और हत्या के मामले में सुनवाई की।सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हाईकोर्ट कोलकाता रेप केस पर सुनवाई कर रहा है, लेकिन ये गंभीर मामला देशभर के स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा से भी जुड़ा है। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा कि ये सिर्फ एक मर्डर का मामला नहीं है। हमें डॉक्टरों की सुरक्षा की चिंता है। इस दौरान सर्वोच्च न्यायालय ने पीड़िता की पहचान उजागर करने को लेकर भी नाराजगी जाहिर की। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में सीबीआई से स्टेटस रिपोर्ट तलब की हैष साथ ही साथ कहा है कि हम पूरे केस की निगरानी करेंगे। सीबीआई की ओर से सुप्रीम कोर्ट में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए। वहीं, बंगाल डॉक्टर्स संघ समेत अन्य याचिकाकर्ता के वकील भी पेश हुए। सुनवाई के दौरान सीजेआई ने कहा कि हमने यह स्वत: संज्ञान इसलिए लिया है कि ये सिर्फ कोलकाता का एक भयावाह मामला नहीं है, बल्कि देश डॉक्टरों की सुरक्षा का मसला है। खासतौर पर महिला डॉक्टरों की सुरक्षा और उनके वर्किंग ऑवर का मसला है। इस पर एक राष्ट्रीय सहमति बननी चाहिए कि महिलाओं की सुरक्षा हो, उन्हें संविधान में समानता मिली है। यह सिर्फ इसलिए नहीं कि रेप का मसला है। यह बहुत ही चिंताजनक है और पीड़िता का नाम पूरी मीडिया में आ गया। तस्वीरें दिखा दी गई, यह चिंताजनक है। हमारा फैसला है कि रेप पीड़िता का नाम तक नहीं सार्वजनिक किया जाना है और यहां तस्वीरें तक दिखा दी गईं। सुप्रीम कोर्ट ने एलान किया कि इस घटना की जांच के लिए हम नेशनल टास्क फोर्स बनाने जा रहे हैं। यह टास्क फोर्स कोर्ट की निगरानी में काम करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में सीबीआई से स्टेटस रिपोर्ट भी तलब की। सीजेआई ने पश्चिम बंगाल की ओर से पेश हुए कपिल सिब्बल से कुछ सवाल किए हैं। चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि इस मामले में एफआईआर भी देर से की गई है। सिब्बल ने इसे भी गलत बताया। इस पर चीफ जस्टिस ने पूछा कि क्या एफआईआर में मर्डर कहा गया। इसके जवाब में वकील ने कहा कि अननेचुरल डेथ का जिक्र किया गया। फिर चीफ जस्टिस ने पूछा कि जब मामले को आत्महत्या बताया जा रहा था तो सबसे बड़ा सवाल ये है कि प्रिंसिपल उस वक्त क्या कर रहे थे। एफआईआर शाम में दर्ज करवाई जाती है।

जम्मू-कश्मीर के उधमपुर में आतंकियों ने सोमवार को सीआरपीएफ के दल पर हमला किया है। इस हमले में एक इंस्पेक्टर के बलिदान की खबर है। सुरक्षा बलों ने पूरे इलाके की घेराबंदी कर दी है। फिलहाल दोनों ओर से फायरिंग जारी है।
Aug 20 2024, 14:42
- Whatsapp
- Facebook
- Linkedin
- Google Plus
0- Whatsapp
- Facebook
- Linkedin
- Google Plus
27.4k