झूले राम सिया संग सरयू तीरे झूलनवा
अयोध्या।संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश और जिला प्रशासन अयोध्या के द्वारा राम की पैड़ी पर आयोजित सावन झूला उत्सव की पहली शाम में पारंपरिक कजरी, सावन गीत,वर्षा गीत की रसधार में बही जिसमे राघवेंद्र सरकार की मनोहारी झांकी ने सभी को आनंदित कर दिया।
बीती शाम सरयू किनारे अयोध्या की लोक गायिका शालिनी ने "झूले राम सिया संग, सरयू तीरे झुलनवा" गाया तो मानो अयोध्या के सभी मंदिरों में हो रहे झूलन ने वहीं पर साकार रूप ले लिया हो। इसके बाद अगली प्रस्तुति "झुलनवा झूले हो रघुराई" सुनकर उपस्थित श्रद्धालु आनंद के अतिरेक में डूब कर तालियों से मंच का साथ देने लगे। उपस्थित जनसमूह के आग्रह पर कलाकार ने पारंपरिक "कचौड़ी गली सून कइला हो बलमू" गाया तो सभी विभोर होकर वहीं मंच के सामने नृत्य करने लगे।
आस्था के इसी प्रवाह में मंच पर अवधी और मैथिली गीतों की प्रख्यात लोक गायिका वाराणसी से आई रंजना राय ने "नन्ही नन्ही बुंदिया रे,सावन का झूला" प्रस्तुत किया तो मानो सावन झूला के मूल में उपस्थित भक्ति की रसधार में डूब कर श्रद्धालुओं को अपने साथ भिगो दिया।इसके बाद पारंपरिक कजरी "कैसे खेले के जईबू सावन में कजरिया" गाकर रंजना राय ने श्रद्धालुओं को लोकगीतों की उस सुगंध का एहसास कराया जो उनके भीतर पहले से उपस्थित थी। अपनी अगली प्रस्तुति में ग्रामीण अंचल से आए लोगों को जोड़ते हुए "पिया मेंहदी मंगा दा,मोती झील से" गाकर सभी को झूमने पर मजबूर कर दिया। झूलनोत्सव के रंग में रंगे श्रद्धालु "भोले बाबा चले कैलाश, बुंदिया पड़ने लगी" और "बाबा बैजनाथ हम ले आए कांवरिया" सुनकर राम के आराध्य भोलेनाथ की भी आराधना सरयू किनारे सावन झूला उत्सव में करने लगे ।
गहराती रात के साथ श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ती जा रही थी और मंच पर आगमन हुआ गोरखपुर से आई प्रख्यात लोक नृत्यों का नाम सुगम सिंह शेखावत का, इस कलाकार ने मुसहर जनजाति के उन आदिवासियों को मंच पर लाकर सभी को अचंभित कर दिया जो मुख्य धारा में अभी आने में संकोच करते थे। राजस्थानी गीतों के साथ अवधी गीतों के बोलों पर इन आदिवासी कलाकारों ने जिस कुशलता और चपलता के साथ न केवल नृत्य किया बल्कि फैशन रैंप वॉक करके सभी को अचंभित कर दिया। कलाकारों की एक-एक प्रस्तुति पर पूरे पंडाल में तालियां गूंजती रही और अंत में जब इन कलाकारों ने मंच पर झूलनोत्सव की झांकी बनाकर समापन किया तो देर तक तालियां गूंजती रही।
सावन झूला उत्सव की अंतिम प्रस्तुति अयोध्या के कलाकार शीतला प्रसाद वर्मा और उनके साथियों की थी जिन्होंने फरुवाही लोकनृत्य को पहली बार सावन,कजरी,वर्षा गीत और भक्ति गीतों के साथ मिलाकर प्रस्तुत किया। कलाकारों के करतब देखकर जहां श्रद्धालु अचंभित और आश्चर्यचकित थे वहीं भारत के विभिन्न प्रांतो के श्रद्धालु मंच पर हो रही प्रस्तुतियों को अपने-अपने मोबाइल कैमरे में कैद करने की होड़ करते दिखे।
कार्यक्रम का संचालन आकाशवाणी के देश दीपक मिश्र ने सावन झूला के संदेशों को बताते हुए कुशलता से किया । इसके पूर्व सावन झूला उत्सव का शुभारंभ महापौर अयोध्या महंत गिरीश पति त्रिपाठी ने दीप प्रज्वलन करके किया। महापौर का स्वागत कार्यक्रम अधिकारी संस्कृति विभाग कमलेश कुमार पाठक ने पुष्प गुच्छ और राम पटका प्रदान करके किया। इस अवसर पर एसडीएम संदीप कुमार श्रीवास्तव,सहायक निदेशक संस्कृति विभाग तुहीन द्विवेदी,डिप्टी डायरेक्टर संस्कृति विभाग अमित अगिहोत्री, सहायक लेखा अधिकारी सुशील कुमार बच्चा समेत संत महंत और भारी संख्या में श्रद्धालु देर रात तक कार्यक्रम में उपस्थित रहे।
Aug 19 2024, 15:27