सावन के तीसरे सोमवार पर शिव मंदिरों में उमड़ी भक्तों की भीड़‚ जानिए सावन में क्या है तीसरे सोमवार का महत्व
पंकज कुमार श्रीवास्तव,श्रावण के महीने में भगवान शंकर के सभी मंदिरों में शिव भक्तों की भीड़ सुबह से ही नजर आने लगती है और आज सावन के तीसरे सोमवार पर शिव भक्तों ने गंगा स्नान करने के बाद शिव मंदिर पहुंचकर भगवान भोले शंकर की पूजा अर्चना की और उनसे अपने जीवन में सुख शांति के लिए मनोकामना की।
कुछ भक्त ऐसे भी थे‚ जिनकी मनोकामना पूर्ण होने पर वह भोले बाबा को कांवर में गंगाजल भरकर चढ़ाने जा रहे थे‚ जो अपनी मनोकामना पूर्ण होने पर काफी प्रसंन्न दिख रहे थे और हर हर महादेव की गूंज के साथ सभी शिवभक्त सावन के तीसरे सोमवार पर भक्ति रस में डूबे दिखे तो आइए जानते है विद्वान पंडित जी से इस सावन के तीसरे सोमवार का क्या है विशेष महत्व।
विद्वान पंडित आशुतोष त्रिपाठी ने बताया कि आज मंदिर पर बहुत ही भक्तों का आना जाना और मंदिर पर भीड़ है। भगवान शंकर से संसार के लोगों का ऐसा लगाव है क्यों कि भगवान शिव कल्याण करने वाले और समस्त संसार के कल्याण के भूपति है इसलिए समस्त भक्त आज आकर सोमवार के दिवस में भगवान से अपनी प्रार्थना कर रहे है और बड़ी भीड़ है भक्तों की।
सावन में तीसरे सोमवार का है बड़ा महत्व
विद्वान पंडित आशुतोष त्रिपाठी ने बताया कि श्रावण का महीना वैसे भी बड़ा पावन और पुण्य है और भगवान शिव को समर्पित है इसलिए भगवान शंकर सारे कण कण में विद्यमान है और विशेष प्रकाश स्वरूप है इसलिए मंदिर में बड़ा आना जाना लोगों की भीड़ है और सोमवार का तो वैसे भी बड़ा महत्व है क्यों कि चन्द्र मौली भगवान शंकर और साक्षात चन्द्रमा भगवान शंकर के मस्तक पर विराजित है। इसलिए भगवान शंकर के इस सोमवार पर जो तीसरा है‚ इस बार सावन में पांच सोमवार है और उसका भी बड़ा महत्व है आज का योग बड़ा सुन्दर है। तीसरा आज सोमवार है तो सभी भक्त आकर आज भगवान शंकर से अपनी मनोरथ पूर्ति के लिए प्रार्थना कर रहे है तो भगवान शिव शंकर सबका कल्याण करें। इस भाव के साथ आप सभी को भी श्रावण मास की हार्दिक शुभकामनाएं । शिव सदैव सबका कल्याण करें। शिव सदैव सबकी रक्षा करें और शिव सदैव सम्पत्ति‚ उन्नति और आपको मोक्ष पद पर आगे बढ़ने की प्रेरणा देते रहें‚ क्यों कि सतत समाधि में भगवान शंकर रहते है।
कोई ऐसा अन्य त्रिदेव है ही नही जो भगवान शंकर से विरक्त हो अलग हो
विद्वान पंडित आशुतोष त्रिपाठी ने आगे बताया कि ऐसा शास्त्रों का वर्णन है कि भगवान शंकर सदैव भगवान श्री हरि और रम्भा जो मूल आधार रूप है वह तीनों भगवान शिवलिंग में ही विराजित है। कोई ऐसा अन्य त्रिदेव है ही नही जो भगवान शंकर से विरक्त हो अलग हो। भगवान शंकर सबने है और सब भगवान शंकर में ही है। इसमें शिव संसार के कल्याण के प्रतीक है। यह शिवलिंग ज्योति स्वरूप है। शिव अर्थात शक्ति के सहित शिव अर्थात संसार में कर्म और भक्ति सहित आप कर्म से जुड़े रहिए और भक्ति पद पर चलकर अपनी शक्ति का सदुपयोग करते हुए संसार के कल्याण के लिए आप सबके कार्य आ सके और सभी के लिए आप कुछ न कुछ ऐसा परमार्थ कर सकें जिससे सृष्टि में सदैव आपके नाम और भगवान शिव के प्रेम की यह गूंज बनी रहे। आप सबको पुनः एक बार श्रावण मास की बहुत–बहुत शुभकामनाएं‚ जय शिव शम्भू ।
Aug 07 2024, 19:31