आशा कार्यकर्ता अपने सामने ही फाइलेरियारोधी दवा खिलाएं: डॉ. मनोज
सीके सिंह(रूपम),सीतापुर। राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत आगामी 10 अगस्त से सर्वजन दवा सेवन अभियान (आईडीए राउंड) अभियान चलाया जाएगा। इसको लेकर सीएचसी तंबौर में संगिनी और आशा कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण दिया गया। कार्यशाला में उपस्थित आशा कार्यकर्ता को फाइलेरिया रोग के बारे में जानकारी देते हुए सीएचसी अधीक्षक डॉ. मनोज कुमार ने कहा कि यह एक राष्ट्रीय कार्यक्रम है। प्रत्येक आशा को अपने प्लान के अनुसार प्रतिदिन 25 घरों का भ्रमण कर पात्र लोगों को फाइलेरिया की दवा अपने सामने ही खिलानी है। दवा का वितरण कतई नहीं किया जाएगा। यदि किसी घर पर कोई व्यक्ति नहीं मिलता है, तो दूसरे दिन, तीसरे दिन जाकर दवा खिलाएं। इस अभियान में किसी भी प्रकार की शिथिलता बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
उन्होंने बताया कि दो साल से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और गंभीर रोग से पीड़ित व्यक्तियों के अलावा यह दवा सभी को खिलाना जरूरी है। यह दवा खाली पेट नहीं खिलाना है। दवा खाने से होने वाले प्रतिकूल प्रभाव के बारे में बताते हुए कहा कि यह दवा खाने से शरीर के अंदर मौजूद माइक्रो फाइलेरिया के मरने से कभी-कभी किसी व्यक्ति को सिरदर्द, बुखार, उल्टी हो सकती हैं, लेकिन इससे घबराने की जरुरत नहीं है। कुछ देर में व्यक्ति स्वतः ही ठीक हो जाता है। इस अभियान के दौरान यदि किसी आशा को किसी घर में फाइलेरिया से पीड़ित मरीज मिलता है, तो वह उसकी सूची भी तैयार करेंगी।
बीसीपीएम मोहिनी जायसवाल ने जानकारी देते हुए बताया कि फाइलेरिया की दवा साल में एक बार प्रत्येक व्यक्ति को खानी चाहिए। अभियान के दौरान दो से पांच वर्ष के बच्चों को डीईसी और अल्बेंडाजोल की एक गोली, छह से 14 वर्ष तक के बच्चों को डीईसी की दो और अल्बेंडाजोल की एक गोली और 15 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को डीईसी की तीन और अल्बेंडाजोल की एक गोली खिलाई जाएगी। आइवरमेक्टिन की गोली पांच वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को उनकी लंबाई के अनुसार खिलाई जाएगी। अल्बेंडाजोल की गोली लोगों को चबाकर खाना है। दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों और गर्भवती महिलाओं को कोई दवा नहीं खिलायी जाएगी।
प्रोजेक्ट कंसर्न ऑफ इंडिया के एसएमसी राजीव गुप्ता ने बताया कि कि फाइलेरिया क्यूलेक्स मच्छर के काटने से फैलता है। क्यूलेक्स मच्छर घरों के दूषित स्थलों, छतों और आसपास लगे हुए पानी में पाया जाता है। इससे बचाव के लिए लोग घरों के आसपास गंदगी और पानी नहीं जमने दें। घर के आसपास साफ-सफाई रखें। बुखार आना, शरीर में लाल धब्बे या दाग होना, शरीर के किसी भी अंग में सूजन होना इसके लक्षण हैं। ज्यादातर इस बीमारी से ग्रसित लोगों के पांव या हाइड्रोसिल में सूजन हो जाती है। लोग इस बीमारी से सुरक्षित रह सकें इसके लिए सरकार हर साल में एक बार एमडीए अभियान चलाती है। इससे लोगों को जरूरी दवा उपलब्ध होती है, जो इस बीमारी को रोकने में सहायक होती है।
Aug 06 2024, 17:42