बाल झरने की समस्या से परेशान है तो नीम के पत्ते को नारियल तेल में पकाकर लगाएं सिर पर बालों को फिर से बढ़ाने में रामबाण साबित होते हैं नीम पत्ते
![]()
नीम के पत्ते और नारियल तेल का उपयोग बालों की देखभाल में लंबे समय से किया जा रहा है। बालों का झड़ना रोकने और बालों को फिर से बढ़ाने के लिए ये दोनों सामग्री बहुत ही प्रभावी मानी जाती हैं। आइए जानें कैसे:
नीम के पत्ते
नीम के पत्तों में एंटी-फंगल, एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो स्कैल्प की समस्याओं को दूर करने में सहायक होते हैं। नीम के पत्तों का नियमित उपयोग डैंड्रफ और खुजली को कम करता है, जिससे बालों की जड़ों को मजबूती मिलती है और बालों का झड़ना रुकता है।
नारियल तेल
नारियल तेल बालों के लिए प्राकृतिक कंडीशनर का काम करता है। इसमें लॉरिक एसिड होता है, जो बालों की जड़ों को गहराई से पोषण प्रदान करता है और उन्हें मजबूत बनाता है। नारियल तेल बालों की नमी को बनाए रखने में मदद करता है, जिससे बाल स्वस्थ और चमकदार दिखते हैं।
उपयोग का तरीका
नीम के पत्तों को तैयार करना:
कुछ नीम के पत्तों को अच्छी तरह धो लें और उन्हें सूखा लें।
इन पत्तों को पीसकर पेस्ट बना लें या सुखाकर पाउडर बना लें।
नीम और नारियल तेल का मिश्रण:
एक कप नारियल तेल लें और उसे हल्का गर्म करें।
इसमें नीम के पत्तों का पेस्ट या पाउडर मिलाएं।
इस मिश्रण को 10-15 मिनट तक धीमी आंच पर पकाएं, जब तक तेल का रंग हरा न हो जाए।
इसे ठंडा होने दें और फिर छानकर एक बोतल में रख लें।
उपयोग:
इस तेल को हल्का गर्म करें और अपनी उंगलियों की मदद से स्कैल्प पर मालिश करें।
तेल को पूरे बालों में अच्छी तरह लगाएं और कम से कम एक घंटे के लिए छोड़ दें। बेहतर परिणाम के लिए इसे रातभर भी छोड़ सकते हैं।
इसके बाद किसी माइल्ड शैम्पू से बाल धो लें।
लाभ
नियमित रूप से नीम और नारियल तेल का उपयोग करने से बालों का झड़ना कम होता है।
बालों की जड़ों को पोषण मिलता है और बाल घने और मजबूत होते हैं।
डैंड्रफ और खुजली से छुटकारा मिलता है।
बालों में प्राकृतिक चमक आती है और वे मुलायम बनते हैं।
इस प्राकृतिक उपचार का नियमित उपयोग आपके बालों को स्वस्थ और मजबूत बनाने में मदद करेगा।


मस्तिष्क हमारे पूरे शरीर को नियंत्रित करने वाला अंग है, यही कारण है कि इसके विशेष देखभाल की भी आवश्यकता होती है। लाइफस्टाइल और आहार में गड़बड़ी के साथ कई तरह की पर्यावरणीय स्थितियों के कारण इस अंग से संबंधित दिक्कतें बढ़ती देखी जा रही हैं। यहां तक कि कम उम्र के लोग भी मस्तिष्क रोगों के शिकार पाए जा रहे हैं। मस्तिष्क में ट्यूमर वैश्विक स्तर पर तेजी से बढ़ती ऐसी ही एक समस्या है।
ब्रेन ट्यूमर और इसके कारण
रांची रिम्स में न्यूरोसर्जन डॉ विकास कुमार बताते हैं, ब्रेन ट्यूमर के लक्षण ट्यूमर के आकार और स्थान पर निर्भर करते हैं। कई मामलों में लक्षण इस बात पर भी निर्भर करते हैं कि ब्रेन ट्यूमर कितनी तेजी से बढ़ रहा है? सिरदर्द होना इसका प्रारंभिक संकेत माना जाता है। अक्सर होने वाले सिरदर्द को अनदेखा न करें।
लगातार या तेज सिरदर्द की समस्या के अलावा बिना स्पष्ट कारण के उल्टी और मतली की दिक्कत होते रहना भी ट्यूमर का संकेत हो सकता है। ट्यूमर की समस्या वाले कई लोगों में धुंधला दिखने, दृष्टि में परिवर्तन या दोहरी दृष्टि जैसी दिक्कत भी देखी जाती रही है।
मस्तिष्क हमारे पूरे शरीर का मास्टरमाइंड माना जाता है। शरीर में होने वाले सभी कार्यों का संचालन इसी अंग द्वारा किया जाता है, यही कारण है कि मस्तिष्क का स्वस्थ और फिट रहना बहुत जरूरी है। ये अंग लगातार काम करता रहता है, यहां तक कि जब आप रात को बिस्तर पर आराम से सो रहे होते हैं, तब भी आपका मस्तिष्क काम करता है और शरीर को आने वाले दिन के लिए तैयार कर रहा होता है। अब चूंकि ये अंग काफी मेहनत करता है ऐसे में इसी हिसाब को मस्तिष्क को पोषण की भी आवश्यकता होती है।
नीले रंग का अपराजिता का फूल भगवान शिव को प्रिय है। मान्यता है कि इस फूल को शिवलिंग पर चढ़ाने से आर्थिक दिक्कतें दूर होती है। अपराजिता के फूल से बनी चाय को ब्लू टी के नाम से लोग जानते हैं। जिसका इस्तेमाल अनिद्रा, माइग्रेन और शरीर में होने वाले दर्द के लिए किया जाता, अपराजिता एक लता अथवा बेल वाला पौधा है, जिसे आप अमूमन हर घरों में आसानी से देख सकते हैं। इसे वैज्ञानिक भाषा में Clitoria ternatea कहते हैं और अंग्रेजी में इसे Butterfly pea के नाम जाना जाता है। इसके अलावा विष्णुकांता, गोकर्णी, गिरिकर्णिका, विष्णुप्रिया, गोकर्ण, कृष्णकांता, योनिपुष्पा आदि अपराजिता के अन्य कई खुबसूरत नाम विविध क्षेत्रों में प्रचलित हैं।
चुकंदर पोषक तत्वों का भंडार होता है और इसका सेवन करना सेहत के लिए बेहद लाभकारी माना जाता है चुकंदर को अधिकतर लोग सलाद के तौर पर खाते हैं, लेकिन इसका जूस शरीर में नई जान फूंक सकता है। रोजाना 1 गिलास चुकंदर का जूस पीने से स्वास्थ्य को गजब के फायदे मिल सकते हैं। चुकंदर में कैलोरी की मात्रा कम होती है और यह भरपूर फाइबर प्रदान करता है, जिससे वजन घटाने में मदद मिलती है। चुकंदर में नेचुरल शुगर और नाइट्रेट्स होते हैं, जो शरीर को नई एनर्जी प्रदान करते हैं। यह जूस थकान से भी छुटकारा दिला सकता है।
चुकंदर आयरन और फोलिक एसिड से भरपूर होता है, जो एनीमिया या खून की कमी को दूर करने में मदद करता है। चुकंदर में नाइट्रेट्स होते हैं जो ब्लड प्रेशर को कम करने और हार्ट हेल्थ को बेहतर बनाने में सहायक होते हैं।चुकंदर के सेवन से यूरिनरी और किडनी की फंक्शनिंग को इंप्रूव करने में मदद मिल सकती है। चुकंदर का जूस यूरिन में मौजूद टॉक्सिक एलीमेंट्स को बाहर निकालने में मदद करता है। चुकंदर में विटामिन C, विटामिन B6, और मिनरल्स जैसे पोटेशियम, मैग्नीशियम व फास्फोरस जैसे तमाम मिनरल्स होते हैं, जो शरीर को लाभ पहुंचाते हैं।
चुकंदर के जूस में नाइट्रेट्स होते हैं, जो ब्लड वेसल्स को रिलैक्स करने में मदद करते हैं और ब्लड फ्लो को बेहतर करते हैं। हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों के लिए भी यह जूस बेहद लाभकारी हो सकता है, क्योंकि चुकंदर का जूस ब्लड प्रेशर को कम करने में असरदार हो सकता है
बीट जूस में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो त्वचा को सेहतमंद बनाने में मदद करते हैं। यह त्वचा के दाग-धब्बों को कम कर सकता है। चुकंदर का जूस लिवर को डिटॉक्स करने में मदद करता है। यह शरीर से टॉक्सिक पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है।
अध्ययनों में पाया गया है कि लहसुन में कई ऐसे औषधीय गुण होते हैं जो हृदय को स्वस्थ रखने और गंभीर हृदय रोगों के जोखिम को कम करने में आपके लिए सहायक है। इंसानों पर किए गए अध्ययन में पाया गया है कि लहसुन, रक्तचाप को कम करने में महत्वपूर्ण औषधि हो सकती है। शोधकर्ताओं ने पाया कि लहसुन का अर्क 24 सप्ताह की अवधि में रक्तचाप को कम करने में, ब्लड प्रेशर की दवा के समान ही प्रभावी है।
अध्ययनकर्ताओं ने पाया कि लहसुन के सेवन की आदत, विशेषरूप से सुबह खाली पेट इसका सेवन करना बैड कोलेस्ट्रॉल की समस्या को कम करने में सहायक है। हाई कोलेस्ट्रॉल को हृदय रोगों के प्रमुख कारक के तौर पर जाना जाता है। लहसुन का सेवन बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करके रक्त वाहिकाओं को स्वस्थ रखने में सहायक है। लहसुन का गुड कोलेस्ट्रॉल पर किसी प्रकार का असर होता है फिलहाल अध्ययनों में यह स्पष्ट नहीं है।
विशेषज्ञों ने पाया है कि लहुसन का सेवन करने से इम्युनिटी को बढ़ाने में मदद मिल सकती है। सर्दी और फ्लू जैसे वायरस के कारण होने वाली बीमारियों से सुरक्षा देने और खांसी, बुखार, सर्दी के लक्षणों को कम करने में लहसुन के सेवन के लाभ देखे गए हैं। रोजाना लहसुन की दो कलियां खाना सेहत को लाभ दे सकता है। विशेषकर बच्चों में बंद नाक और गले के संक्रमण को कम करने में इस औषधि को लंबे समय से घरेलू उपाय के तौर पर प्रयोग में लाया जाता रहा है।
बारिश के मौसम में खान-पान को लेकर बहुत सावधानी बरतने की जरूरत होती है। मानसून में खाद्य पदार्थों में बैक्टीरिया और विषाणुओं का विकास तेजी से होता है। बाहर का खाना खाने से पेट की बीमारियां, जैसे फूड पॉइजनिंग, गैस्ट्रोएंटेराइटिस आदि का खतरा बढ़ सकता है। इसी तरह से इस मौसम में पानी के दूषित होने का भी खतरा अधिक होता है जिससे टाइफाइड, हेपेटाइटिस, और दस्त की समस्या हो सकती है। इन समस्याओं से बचे रहने के लिए बाहर का खाना खाने से बचें और केवल उबला या फिल्टर किया हुआ पानी पीना चाहिए।
कई प्रकार के संक्रामक रोग हमारे हाथों के माध्यम से फैलते हैं। हाथों की स्वच्छता का ध्यान रखकर फ्लू, कंजंक्टिवाइटिस जैसी बीमारियों से बचाव किया जा सकता है। खाने से पहले और बाद में, शौच के बाद हाथों को अच्छी तरह से साफ करें। हाथों की साफ-सफाई का ध्यान रखकर भी आप संक्रामक बीमारियों के जोखिमों को कम कर सकते हैं। बारिश में भीगे कपड़े पहने रहने से बचना चाहिए।
बारिश में भीगे कपड़े पहने रहने से बचना चाहिए। गीले कपड़े त्वचा की समस्याएं जैसे रैशेज, फंगल इंफेक्शन आदि पैदा कर सकते हैं। गीले कपड़ों के कारण दाद और खुजली जैसी समस्याओं का भी खतरा रहता है। इसके अलावा बारिश के मौसम में ज्यादा भीगने से सर्दी-खांसी और साइनस जैसी समस्याएं हो सकती हैं। सुनिश्चित करें कि आप सूखे और साफ कपड़े ही पहनें।
Aug 01 2024, 12:08
- Whatsapp
- Facebook
- Linkedin
- Google Plus
1- Whatsapp
- Facebook
- Linkedin
- Google Plus
13.6k