हाथरस जैसा दोबारा हादसा न हो इसके लिए डीजीपी प्रशांत कुमार ने बनाया एसओपी, सभी जिलों को जारी, इसका पुलिस को अब करना होगा पालन
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक ( डीजीपी ) प्रशांत कुमार ने भीड़ प्रबंधन और भगदड़ से बचाव के लिए एसओपी (मानक संचालन प्रक्रिया) जारी की है। एसओपी के तहत अब यूपी में जिला, रेंज और जोन स्तर पर अलग-अलग इंटिग्रेटेड सिस्टम (एकीकृत प्रणाली) बनेगी। डीएम, सीएमओ, सिविल डिफेंस, फायर बिग्रेड और स्थानीय पुलिस के स्तर पर नियमित रूप से इंटिग्रेटेड सिस्टम को अपडेट किया जाएगा। हाथरस में सत्संग भगदड़ जैसी घटना दोबारा न हो, इसका प्रयास किया जाएगा।
भीड़ प्रबंधन व पुलिस व्यवस्थापन के लिए दिशा निर्देश जारी
डीजीपी यूपी प्रशांत कुमार द्वारा भीड़ जनित आपदा व भगदड़ से बचाव के दृष्टिगत वृहद आयोजनों में भीड़ प्रबंधन व पुलिस व्यवस्थापन के लिए लिए दिशा निर्देश जारी किया है। डीजीपी ने बताया कि उत्तर प्रदेश राज्य अपनी ऐतिहासिक, सांस्कृतिक तथा धार्मिक विरासत के लिये पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। विभिन्न धर्मों के विश्व प्रसिद्ध धार्मिक, आध्यात्मिक तथा ऐतिहासिक । सांस्कृतिक स्थल यहां अवस्थित हैं, जहां नियमित रूप से वृहद स्तर पर कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। उक्त आयोजनों में न केवल देश के वरन विश्व के कई स्थानों से भारी संख्या में लोग सम्मिलित होते हैं। इसके अतिरिक्त अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट मैच, विभिन्न मॉल, रेलवे स्टेशन, राजनैतिक पार्टियों के कार्यक्रम तथा आध्यात्मिक संतों के कार्यक्रम में भी भारी संख्या में जनसमुदाय की भागीदारी रहती है।
भीड़ जनित आपदा व भगदड़ की पूरी सम्भावना
उक्त स्थानों पर किसी भी समय भीड़ जनित आपदा व भगदड़ की पूरी सम्भावना रहती है। विगत में जनपद लखनऊ, प्रतापगढ़, वाराणसी, प्रयागराज (इलाहाबाद रेलवे स्टेशन) तथा हाथरस में इस प्रकार की घटनायें घटित हो चुकी हैं। इसके दृष्टिगत राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिकरण द्वारा भी भीड़ प्रबंधन के दृष्टिगत अनेक सुझाव दिये गये हैं। इसी परिप्रेक्ष्य में भीड़ जनित आपदा व भगदड़ से बचाव के दृष्टिगत वृहद आयोजनों में भीड़ प्रबंधन व पुलिस व्यवस्थापन के लिए पुलिस मुख्यालय स्तर से मानक संचालन प्रक्रिया तैयार की गयी है।
पुलिस पहले से चेक करें कि कार्यक्रम स्थल पर कोई खतरा नहीं
डीजीपी ने कहा कि कार्यक्रमों की परमिशन देने वाले अधिकारी और स्थानीय पुलिस पहले से चेक करें कि कार्यक्रम स्थल पर कोई खतरा नहीं है। वहां लोगों का आवागमन सुरक्षित है। संभावित खतरों (आग, बिजली, सड़क दुर्घटना और श्वास अवरोधक) के आकलन के आधार पर आपातकालीन योजना तैयार की जाए। सभी विभागों से समन्वय बनाया जाए। कार्यक्रम की पूरी जानकारी और वहां आने वालों की अनुमानित संख्या की जानकारी जुटाई जाए।
कार्यक्रम स्थलों पर सीसीटीवी के जरिए मॉनिटरिंग की जाए
प्रशांत कुमार ने कहा कि सुरक्षा और ट्रैफिक के लिए जरूरी पुलिस, पीएसी, केंद्रीय बल, अधिकारियों और संसाधनों का मांग पत्र तैयार किया जाए। मजबूत बैरिकेडिंग की जाए।कार्यक्रम स्थलों पर सीसीटीवी के जरिए मॉनिटरिंग की जाए और ऑपरेशनल कंट्रोल रूम बनाए जाएं। कार्यक्रम के प्रबंधन के लिए राजपत्रित अधिकारी (स्थानीय मैजिस्ट्रेट) को प्रभारी नियुक्ति किया जाए। ड्यूटी पर लगाए जाने वाले फोर्स की समुचित ब्रीफिंग की जाए।
अफवाह फैलाने वाले असामाजिक तत्वों पर नजर रखी जाए
डीजीपी ने कहा कि पब्लिक एड्रेस सिस्टम के साथ अग्निशमन की पर्याप्त व्यवस्था की जाए। अफवाह फैलाने वाले असामाजिक तत्वों पर नजर रखी जाए। कार्यक्रम स्थल पर लाइट, पीने का पानी और ऐंबुलेंस का इंतजाम किया जाए। क्राउड कंट्रोल प्लान के तहत आवागमन और पार्किंग का इंतजाम किया जाए। अतिथियों की श्रेणी तय कर उसी हिसाब से उनके आवागमन के मार्ग अलग-अलग रखे जाएं। जनता के लिए आवागमन के मार्ग अलग हों। जरूरत का आकलन करते हुए स्थानीय फील्ड यूनिट, फायर बिग्रेड, बीडीएस टीम, फ्लड यूनिट और एसडीआरएफ की भी मदद ली जाए।
Jul 26 2024, 09:39