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अमृत विचार : मुश्किल समय में उम्मीद की तलाश
विकास कुमार अग्रहरि,सोनभद्र।जब जीवन हमारी उम्मीद के मुताबिक नहीं होता तो अक्सर निराशा होती है। ऐसा लगता है कि सब कुछ हमारे खिलाफ है और हमें चिंता है कि चीजें कभी नहीं सुधरेंगी। हर नए विचार के साथ हमारा दिमाग नकारात्मकता में डूब सकता है। ऐसे क्षणों में, उन गतिविधियों और दिनचर्या को छोड़ना लुभावना हो जाता है जो हमारी मदद कर सकती हैं और इसके बजाय, हम खालीपन से निपटने और उसे भरने के लिए अस्वस्थ आदतें अपनाते हैं। जीवन की विभिन्न चुनौतियों का सामना करते हुए, हम अक्सर कठिनाइयों के आगे झुक जाते हैं और अपना रास्ता खो देते हैं।

हम भविष्य के बारे में चिंता करते हैं, बिना कुछ हल किए समय और ऊर्जा बर्बाद करते हैं। मुख्य बात यह है कि बाहरी घटनाओं को खुद पर अत्यधिक प्रभाव न डालने दें। हमें जीवन की बाधाओं का सामना करते समय सकारात्मक ध्यान बनाए रखने के महत्व को याद रखना चाहिए। निराशा के समय में, हमें लाभकारी आदतों को बनाए रखने के लिए और भी अधिक मेहनत करनी चाहिए। अपनी भावनाओं के विपरीत, ये ऐसे समय होते हैं जब हमें अपनी आंतरिक शक्ति का उपयोग करने की आवश्यकता होती है। प्रत्येक अनुभव से आध्यात्मिक सबक निकालने का कौशल विकसित करना आवश्यक है। आराम और सामान्यता की भावना पाना महत्वपूर्ण है।

लेकिन हम निराशाजनक समय में सांत्वना कैसे पा सकते हैं? ध्यान के माध्यम से अपने विचारों को नियंत्रित करना, अपने मन को शांत करना और ईश्वर पर ध्यान केंद्रित करना सीखकर, हम एक परिवर्तनशील प्रकाश का अनुभव कर सकते हैं। यह प्रकाश हमें किसी भी बाहरी दर्द से परे आनंद और परमानंद से भर देता है। ध्यान में ईश्वर के प्रत्यक्ष अनुभव हमारे विश्वास को मजबूत करते हैं। हम अपने जीवन में ईश्वरीय उपस्थिति को पहचानते हैं और समझते हैं कि हमें हमेशा समर्थन दिया जाता है। ईश्वरीय प्रेम में निहित, हम बिना किसी डर या चिंता के जीवन का सामना कर सकते हैं। इस दुनिया में हमारी सबसे मूल्यवान संपत्ति हमारा समय है। हालांकि, हम लगातार विचलित करने वाले और प्रलोभनों से घिरे रहते हैं जो इस कीमती संसाधन को खत्म कर देते हैं।

अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए, हमें विचलित करने वाले तत्वों को रोकने और अपने आध्यात्मिक उद्देश्यों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए फ़िल्टर विकसित करने चाहिए। नियमित ध्यान के माध्यम से, हम आनंद, ज्ञान, प्रेम और शांति के दिव्य स्रोत के साथ अपने संबंध को गहरा कर सकते हैं। यह दिव्य स्रोत हमारे अतीत, वर्तमान और भविष्य को जानता है। जब हम ध्यान के माध्यम से इस शक्ति से जुड़ते हैं, तो हम अपने भीतर के प्रेम और खुशी तक पहुंचते हैं। यह संबंध कठिन समय के दौरान जीवन रेखा के रूप में कार्य करता है। निराशा से दूर जाने के लिए, हमें अपना ध्यान अपनी वर्तमान स्थिति से हटाकर ईश्वरीय प्रेम और आशा के अनंत भंडार पर केंद्रित करना होगा। ध्यान में दिव्य प्रेम का अनुभव करने से हमें यह भरोसा मिलता है कि हमसे प्रेम किया जा रहा है और हमारी रक्षा की जा रही है। हम इसे शांति से बैठकर और दिव्यता तक पहुंचने के लिए समय निकालकर प्राप्त करते हैं।

(लेखक- आशुतोष कुमार,सोनभद्र स्थित एसीसी सीमेंट वर्क्स, सलाईबनवा के प्रोजेक्ट हेड हैं)
सोनभद्र: एफएमजीई क्वालीफाई कर दुद्धी की चार बेटियों ने चिकित्सा जगत में बजाया कामयाबी का डंका


विकास कुमार अग्रहरि, सोनभद्र। जिले के दुद्धी कस्बे में रहने वाली उन लड़कियों का जिन्होंने आल इंडिया स्तर पर होने वाली चिकित्सा जगत की प्रतिष्ठापरक विदेशी मेडिकल स्नातक परीक्षा (एफएमजीई) में कामयाबी का डंका बजाया है।

महज 20 फीसदी के इर्द-गिर्द परीक्षा परिणाम रखने वाले, फॉरेन मेडिकल ग्रैजुएट एग्जाम को एक दो नहीं, दुद्धी की चार बेटियों ने क्वालीफाई करने में कामयाबी पाई है। यह कामयाबी इस मायने से भी महत्वपूर्ण है कि चारों बेटिया जिस दुद्धी अंचल की रहने वाली हैं, उसे शिक्षा के मामले में यूपी के सबसे पिछड़े क्षेत्र का दर्जा हासिल है। कस्बा निवासी मुहम्मद शमीम अंसारी पत्रकार की बड़ी बेटी डॉ. ऐमन अंसारी ने येरेवन स्टेट मेडिकल यूनिवर्सिटी अर्मेनिआ, जिला पंचायत सदस्य जुबेर आलम की लाडली डॉ. शबनम परवीन ने यूनान यूनिवर्सिटी ऑफ ट्रेडिशनल चाईनीज मेडिसिन चाईना, पूर्व चेयरमैन कमल कुमार कानू की पुत्री डॉ. मुस्कान गुप्ता ने यूनिवर्सल कालेज ऑफ मेडिकल साइंस नेपाल व दुद्धी क्षेत्र के बीडर गांव निवासी हिमालय सिंह पटेल की बिटिया स्वरूपा रानी ने वीएन कराजिन खरकीव नेशनल यूनिवर्सिटी यूक्रेन से एमबीबीएस की डिग्री ले रखा है। जानकारी में बता दे कि विदेश में पढ़ाई करने वाले एमबीबीएस छात्र-छात्राओं को भारत में मेडिकल प्रैक्टिस के लिए फॉरेन मेडिकल ग्रैजुएट एग्जाम (विदेशी मेडिकल स्नातक परीक्षा) देना पड़ता है। इसे क्वालीफाई करने के बाद ही उन्हें यहां प्रैक्टिस करने की अनुमति मिलती है। बीते 6 जुलाई को आल इंडिया लेवल पर इस परीक्षा का आयोजन किया गया था। 10 दिन बाद मंगलवार को देर शाम घोषित परिणाम में सभी चारों दुद्धी की बेटियों ने क्वालीफाई कर क्षेत्र का नाम रौशन कर दिया। जनपद के पिछड़े अंचल का दर्जा रखने वाले दुद्धी तहसील मुख्यालय क्षेत्र की चार बेटियों को चिकित्सा जगत की प्रतिष्ठापरक परीक्षा क्वालीफाई करने को लेकर जहां इलाके के लोगों में प्रसन्नता का माहौल है। वहीं, लोग सोशल मीडिया के साथ ही, बेटियों के घर जाकर उन्हें और उनके परिवार वालों को बधाई देने में जुटे हुए हैं।

यह भी बता दें कि इस परीक्षा का आयोजन नीट की परीक्षा कराने वाली संस्था एनबीई (नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन) कराती है। एमबीबीएस की डिग्री, एफएमजीई रिजल्ट और इंटर्नशिप सर्टिफिकेट देने के बाद, विदेश से डॉक्टरी करने वाले छात्रों को भारत में पंजीकरण संख्या उपलब्ध कराया जाता है। यह परीक्षा प्रत्येक वर्ष दो बार आयोजित होती है। परीक्षा में भाग लेने वालों की कोई संख्या निर्धारित नहीं है। इस परीक्षा में महज 19 से 20 फीसद छात्र-छात्राएं ही इसे क्वालीफाई कर पाते हैं। इस बार इस परीक्षा में कुल 35819 अभ्यर्थी इसमें शामिल हुए थे। 7233 अभ्यर्थियों यानी 20.19 प्रतिशत को ही इसे क्वालीफाई करने में कामयाबी मिली है।

सोनभद्र: चकबंदी पूरी हुई नहीं, बांटने लगे चक परिवर्तन का फॉर्म, ग्रामीणों ने ज्ञापन देकर चकबंदी प्रक्रिया में धांधली का लगाया आरोप

विकास कुमार अग्रहरि, सोनभद्र। घोरावल ब्लॉक के भैंसवर गांव में चकबंदी प्रक्रिया के विरोध में ग्रामीणों ने बृहस्पतिवार को एसडीएम कार्यालय पर प्रदर्शन कर गांव में चौपाल लगाकर समस्याओं को निस्तारित करने की मांग की। एसडीएम राजेश कुमार सिंह को ग्रामीणों ने ज्ञापन देकर चकबंदी प्रक्रिया में धांधली का आरोप लगाया। तहसील परिसर में करीब 200 की संख्या में पहुंचे ग्रामीणों ने करीब एक घंटे तक जोरदार तरीके से प्रदर्शन केग। कहा कि गांव में फॉर्म 35 बांटा जा रहा है, जे चक परिवर्तन के लिए होता है। जब गांव में चकबंदी प्रक्रिया पूर्ण नहीं हुई तो फॉर्म 35 बाटने का क्या चित्य है। अभी तक पूरे गांव की नापी नहीं की गई केबल एक भाग को ही नापा गया है।

बावजूद अधिकारी चक परिवर्तन का फॉर्म बांटने लगे। प्रामीणों ने बताया कि अधिकारियों को 15 जुलाई तक पूरे गांव की नापी करके डीडीसी और एसओसी को रिपोर्ट सौंपनी थी, लेकिन नापी तो की नहीं गई और अधिकारी आगे की प्रक्रिया में कुछ लोगों को लाभ पहुंचाने की नियत से कार्य करने में लगे हुए हैं। ग्रामीणों ने मांग किया कि गांव की चकबंदी प्रक्रिया में आने वाली समस्याओं को सही ढंग से निस्तारित करने के लिए गांव में स्थित बचनार देव के पास खुले में एसडीएम की निगरानी में प्रक्रिया पूर्ण की जाय।

एसडीएम राजेश कुमार सिंह ने बताया कि चकबंदी प्रक्रिया में उनकी कोई भूमिका नहीं होती है।

ग्रामीण मौके पर एसडीएम के चलने पर अड़े रहे। गांव में चौपल लगाकर एसडीएम ने समस्याओं को सुनने का आश्वासन देकर ग्रामीणों को शांत कराया। इस अवसर पर शांति प्रकाश, बिरजू पूर्व ग्राम प्रधान संजय यादव, शिवपूजन पाल, ज्ञानेंद्र सिंह, गजेंद्र बहादुर आदि रहे।

सोनभद्र: चकबंदी पूरी हुई नहीं, बांटने लगे चक परिवर्तन का फॉर्म, ग्रामीणों ने ज्ञापन देकर चकबंदी प्रक्रिया में धांधली का लगाया आरोप

विकास कुमार अग्रहरि, सोनभद्र। घोरावल ब्लॉक के भैंसवर गांव में चकबंदी प्रक्रिया के विरोध में ग्रामीणों ने बृहस्पतिवार को एसडीएम कार्यालय पर प्रदर्शन कर गांव में चौपाल लगाकर समस्याओं को निस्तारित करने की मांग की। एसडीएम राजेश कुमार सिंह को ग्रामीणों ने ज्ञापन देकर चकबंदी प्रक्रिया में धांधली का आरोप लगाया। तहसील परिसर में करीब 200 की संख्या में पहुंचे ग्रामीणों ने करीब एक घंटे तक जोरदार तरीके से प्रदर्शन केग। कहा कि गांव में फॉर्म 35 बांटा जा रहा है, जे चक परिवर्तन के लिए होता है। जब गांव में चकबंदी प्रक्रिया पूर्ण नहीं हुई तो फॉर्म 35 बाटने का क्या चित्य है। अभी तक पूरे गांव की नापी नहीं की गई केबल एक भाग को ही नापा गया है।

बावजूद अधिकारी चक परिवर्तन का फॉर्म बांटने लगे। प्रामीणों ने बताया कि अधिकारियों को 15 जुलाई तक पूरे गांव की नापी करके डीडीसी और एसओसी को रिपोर्ट सौंपनी थी, लेकिन नापी तो की नहीं गई और अधिकारी आगे की प्रक्रिया में कुछ लोगों को लाभ पहुंचाने की नियत से कार्य करने में लगे हुए हैं। ग्रामीणों ने मांग किया कि गांव की चकबंदी प्रक्रिया में आने वाली समस्याओं को सही ढंग से निस्तारित करने के लिए गांव में स्थित बचनार देव के पास खुले में एसडीएम की निगरानी में प्रक्रिया पूर्ण की जाय।

एसडीएम राजेश कुमार सिंह ने बताया कि चकबंदी प्रक्रिया में उनकी कोई भूमिका नहीं होती है।

ग्रामीण मौके पर एसडीएम के चलने पर अड़े रहे। गांव में चौपल लगाकर एसडीएम ने समस्याओं को सुनने का आश्वासन देकर ग्रामीणों को शांत कराया। इस अवसर पर शांति प्रकाश, बिरजू पूर्व ग्राम प्रधान संजय यादव, शिवपूजन पाल, ज्ञानेंद्र सिंह, गजेंद्र बहादुर आदि रहे।

सोनभद्र: ओबरा इंटर कॉलेज में छात्रों से की जा रही मनमानी वसूली, बढ़ रहा आक्रोश, वायरल हुआ वीडियो

सोनभद्र। जिले के ओबरा कस्बा स्थित ओबरा इंटर कॉलेज में धन वसूली को लेकर छात्रों में आक्रोश गहराने लगा है। जहां प्रवेश से लेकर नाम काटने तक में खेला होने का मामला सामने आया है। जिसका वीडियो वायरल होने के बाद हड़कंप मच गया है। छात्रों ने ओबरा इंटर कॉलेज को वसूली का गढ़  बताते हुए कई आरोप भी लगाए हैं।

छात्र नेता तथा सामाजिक कार्यकर्ता अभिषेक अग्रहरि ने बताया कि यहां पर छात्रों से नाम कटवाने के नाम पर भी धन उगाही किया जा रहा है साथ ही साथ कालेज में प्रवेश के नाम पर जो फीस ली गई थी नाम कटवाने के बाद वह फीस भी वापस नहीं की जा रही है। ऐसे कई छात्र और उनके अभिभावकों को पिछले दो महीना से कालेज का चक्कर काटने पर विवश होना पड़ा है, लेकिन कॉलेज प्रशासन मौन साधा हुआ है।


बताते चलें कि बड़े स्तर पर ग्रामीण और जनजाति बच्चों के साथ शोषण किया जा रहा है।  जिसकी और ना तो किसी का ध्यान जा रहा है और ना ही कोई इन छात्रों की फरियाद को सुनने वाला है। कॉलेज प्रशासन की मनमानी पर कॉलेज के उच्च अधिकारी भी ध्यान देने की जहमत नहीं उठा रहे हैं।
सोनभद्र : बाबा भूतेश्वर दरबार में भोजपुरी फिल्म के सावन गीतों की हुई शूटिंग, देखने के लिए उमड़े लोग


विकास कुमार अग्रहरि ,सोनभद्र। जिले की हरी भरी वादियां, जंगल और पहाड़ महज़ सैलानियों को ही नहीं लुभाते हैं, बल्कि यह हिन्दी और भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े हुए लोगों के लिए भी मुफीद बने हुए हैं।

पिछले कुछ दिनों से जिले के ओबरा नगर स्थित ओबरा थर्मल पॉवर प्लांट कालोनी स्थित पहाड़ पर बाबा भूतेश्वर दरबार में भोजपुरी फिल्म की शुटिंग देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ रही हैं। भोजपुरी सावन गीत की शूटिंग कॉम्प्लिट दीपक कुमार सुर संग्रामा फेम महुआ टीवी गायक और उनकी पूरी टीम जिसमें मनीष गुप्ता, साक्षी शर्मा, दिलीप गुप्ता और उनकी झांकी की टीम, कैमरामैन ओपी शर्मा इत्यादि शामिल हैं ने भूतेश्वर दरबार पहाड़ी पर अलग-अलग शाट लेते हुए फिल्मांकन किया।

बताया गया कि दोनों सावन के भजन गीत जेड सीरीज कंपनी से सुनने को मिलेंगे। बाबा भूतेश्वर दरबार पहाड़ी फिल्म यूनिट के लिए बेहतर प्लेस रहा, सो सावन गीतों की रिकार्डिंग करने के साथ अलग-अलग रील तैयार किए गए। जिसे देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी थी।
सोनभद्र : रात के अंधेरे में फल फूल रहा बालू का अवैध खनन
विकास कुमार अग्रहरी, सोनभद्र। जिले के दुद्धी कोतवाली क्षेत्र के अमवार क्षेत्र में बालू का अवैध खनन इन दिनों ट्रैक्टर के माध्यम से धड़ले के साथ किया जा रहा है वह भी रात के अंधेरे में, ताकि किसी को इसकी भनक न होने पाएं। मजे की बात है कि संबंधित अधिकारी हाथ पर हाथ रख कर बैठे हुए है। सूत्रों की माने तो कनहर नदी से रात के अंधेरे में बड़े धड़ल्ले के साथ अवैध खनन को अंजाम देकर इससे जुड़े लोग मालामाल हो रहे हैं।

बालू माफिया रात को नदी से बालू निकाल कर ऊंचे दामों पर बेखौफ बेच रहे हैं। इससे संबंधित अधिकारी भी मालामाल हो रहे हैं। बताया जाता है कि रात के अंधेरे में बालू माफिया के द्वारा नदी में ट्रैक्टर लगाकर बालू निकालकर ऊंचे दामों पर बेचे जा रहे हैं। बताया जाता है कि बालू माफिया ट्रैक्टर के माध्यम से अमवार और कोरची क्षेत्र से रात में अवैध खनन कर बेच रहे हैं और डंप कर रहे हैं। लोगों ने जिलाधिकारी से मांग किया है कि ऐसे खनन माफियाओं के खिलाफ सख्त कार्यवाही करते हुए नदी से हो रहे अवैध खनन को रोका जाएं।

सोनभद्र : 13 वर्षो से बनने की आस में है तेलगुड़वा से लेकर कोन तक की सड़क, चलाया जा रहा है आंदोलन

विकास कुमार अग्रहरि ,सोनभद्र। इसे विडंबना नहीं तो और क्या कहेंगे कि एक तरफ जहां लोग चांद पर बसने की तैयारी कर रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर आदिवासी जिले के तेलगुड़वा से लेकर कोन तक की रोड 13 वर्षों से बनी ही नहीं है। जहां  लाखों लोगों का आवागमन है। हद तो यह है कि ग्रामीण सांसद विधायक से लगाय जिला प्रशासन को भी अवगत कराते हुए आएं हैं लेकिन अभी तक किसी ने भी इस झांकना मुनासिब नहीं समझा है। तकरीबन एक दशक से ज्यादा समय से सड़क का ना बनना जहां सरकार की छवि खराब करने का काम कर रहा है तो वहीं जनप्रतिनिधियों की उपेक्षात्मक रवैए को भी दर्शा रहा है।

ग्रामीणों की मानें तो इन क्षेत्रों में लगातार बालू  खनन का कार्य होता रहा है 10 किलोमीटर दूरी पर ग्राम पंचायत बिल्ली-मारकुंडी और डाला में पत्थर खनन होता है‌ इन सभी का जिला खनिज निधि में अरबो रुपए बेकार में पड़ा हुआ है अगर इस खनिज निधि से ही उक्त रोड बना दिया जाए तो लोगों को सड़क की सुलभता हो जाए। यह रोड लगभग 35 किलोमीटर की है जिसमें से 5 से 7 किलोमीटर की रोड  बन चुकी है। लगभग 25 से 27 किलोमीटर दूरी के रोड का बनना बाकी है। सोनभद्र के जिला खनिज नीधि में अरबों रुपए रखे हुए हैं। यह रोड झारखंड प्रदेश से भी मिलती है। इतने सब के बाद भी यह रोड नहीं बन पा रही है। ग्रामीणों ने बताया कि पूर्व में उपजिलाधिकारी को पत्र दिया गया था। 7 जुलाई 2024 को राष्ट्रीय नवनिर्माण सेना द्वारा तेलगुड़वा से लेकर कोन तक की रोड बनाओ संघर्ष समिति का गठन किया गया।

चेतावनी दी गई है कि यह रोड जब तक नहीं  बनेगी तब तक संघर्ष जारी रहेगा और 7 जुलाई 2024 को प्रथम चरण में तेलगुड़वा में हस्ताक्षर अभियान का शुभारम्भ भी कर दिया गया है। 14 जुलाई 2024 को कोन में हस्ताक्षर अभियान चलाया गया जिसमें सैकड़ो लोगों ने अपना समर्थन देते हुए हस्ताक्षर किया है। साथ ही चेतावनी दी गई है कि यह रोड अगर नहीं बनाई गई तो आने वाले दिनों में एक बड़ा आंदोलन चलाया जाएगा।

जिसमें भूख  हड़ताल, धरना प्रदर्शन होगा। जिसकी पूरी जिम्मेदारी जिला प्रशासन की होगी। इस दौरान सेना के नेताओ ने बताया कि आम आदमी को उसका अधिकार दिलाना ही राष्ट्रीय नवनिर्माण सेना का उद्देश्य है। इसके लिए वह संघर्ष जारी रखेंगे।
सोनभद्र: 24 घंटे के भीतर ओबरा थर्मल पावर की दो इकाइयां बंद, यूपी के कई इलाकों में आपात बिजली कटौती
सोनभद्र। ओबरा तापीय परियोजना की पहली इकाई बंद होने के बाद चौबीस घंटे के अंदर दूसरी परियोजना भी तकनीकी खराबी के कारण बंद हो गई। इससे कई इलाकों में बिजली संकट उत्पन्न हो गया। पिछले चौबीस घंटे के भीतर ओबरा तापीय परियोजना की दो इकाइयां बंद हो गईं। इकाइयों के बंद होने से सूबे के अलग-अलग हिस्सों में हुई आपात बिजली कटौती से लोगों को उमस भरी गर्मी में काफी मुश्किलें झेलनी पड़ी है।

सोमवार दोपहर एक बजे ब्वायलर ट्यूब लीकेज के कारण ओबरा तापीय परियोजना की तेरहवीं इकाई बंद करनी पड़ी। इकाई के बंद होने के बाद अभियंताओं ने लीकेज को दूर कर इकाई को पुनः लाइटअप करने का प्रयास युद्धस्तर पर शुरू कर दिया, लेकिन अगले 20 घंटों में ही बुधवार सुबह लगभग आठ बजे परियोजना की बारहवीं इकाई भी तकनीकी खराबी के कारण बंद हो गयी। इससे कई स्थानों पर हुई बिजली कटौती से सूबेवासियों को काफी समस्या उठानी पड़ी।चौबीस घंटों के भीतर दो इकाइयों के बंद होने पर प्रबंधन ने इकाइयों को जल्द से जल्द चालू करने का प्रयास शुरू कर दिया। जिनसे जल्द ही उत्पादन शुरू होने की उम्मीद जताई जा रही है। दोपहर तक परियोजना के ''ब'' ताप विद्युत गृह की उत्पानरत नौवीं इकाई से 139 मेगावाट, दसवीं इकाई से 151 मेगावाट और ग्यारहवीं इकाई से 81 मेगावाट उत्पादन होने के साथ ही ओबरा ''सी'' परियोजना की पहली इकाई से 405 मेगावाट उत्पादन हो रहा था।
सोनभद्र : ओबरा में प्रदेश का सबसे बड़ा थर्मल पावर प्लांट, बावजूद इसके नगर की जनता बिजली को तरसे

विकाश कुमार अग्रहरी

सोनभद्र। सुनने में विचित्र किन्तु सत्य है, कि जुलाई माह प्रारंभ होते ही नगरवासियों को अनियंत्रित उटपटांग विधुत कटौती का कष्टदायक सामना करना पड़ रहा है। सुबह ठीक 5 बजे तथा दोपहर 1 बजे उमस भरे मौसम में लाइन काट दी जाती है। कब आएगी भगवान जाने। फाल्ट के कारण दिनरात मिलाकर कई बार बिजली आती जाती है यों कहें कि कभी खुशी कभी गम प्रदान करती है।

उमस और गर्मी से बेहाल गरीब से लोग नींद पूरी न होने से बीमार पड़ रहे हैं। सुबह की कटौती कोढ़ में खाज पैदा कर रही है।पहाड़ होने के कारण जहरीले जन्तु निकलते रहते हैं, लोगों को अंधेरे में जान जोखिम में डालकर शौचालय जाना पड़ता हैं। योगी जी की संवेदनशील जनहित के लिए समर्पित सरकार में षड्यंत्र के तहत विपरीत मौसम में आराम के समय विधुत कटौती का ऊटपटांग रोस्टर तैयार किया गया है। पहले भी तहसील मुख्यालय ओबरा में सुबह 8 से 9 व 4 से 7 बजे कटौती होती थी।

समझ से परे ओबरा विधुत राजधानी है, किसी सरकार में नगर में सुबह के समय एवं भरी दोपहर में कटौती नहीं होती थी।जनता-जनार्दन के कष्टदायक पीड़ा को देखते हुए पावर प्लांट के 5 किलोमीटर के दायरे को कटौती मुक्त किया जाए। अनाप-शनाप जनहित के विपरीत नियम बनाने वाले अधिकारियों को दंडित किया जाए। जनहित के विपरीत कार्य जनता-जनार्दन को परेशान एवं दुखी करते,सरकार के अस्तित्व को नुकसान पहुंचाते हैं। इस संवेदनशील समस्या पर सभी नेता मौन क्यों हैं ,एक यक्ष प्रश्न बना हुआ है।