मध्यप्रदेश के हर थाने में सुंदर कांड और बकरीद दोनों मनाएंगे, गुरु नानक जी का भी पढ़ाएंगे पाठ, दिग्विजय सिंह ने किया ऐलान
मध्य प्रदेश में अब सुंदर कांड के रूप में नई जंग छिड़ गई है. राज्य के पूर्व सीएम एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने घोषणा की है कि पार्टी के कार्यकर्ता मध्य प्रदेश के सभी थानों में सुंदरकांड का पाठ करेंगे. इसके साथ ही दिग्विजय सिंह ने यह भी कहा कि थानों में बकरीद मनाने से लेकर गुरु नानक जी का पाठ भी पढ़ाया जाएगा. उनका यह बयान तब सामने आया है जब राज्य के पुलिस की तरफ से एक थाना परिसर के अंदर सुंदरकांड का पाठ करवाया जा रहा था.
दरअसल, राज्य की राजनीति में कथित नर्सिंग घोटाले को लेकर माहौल गरमाया हुआ है. कांग्रेस इस मुद्दे पर आक्रामक मोड में है तथा पार्टी ने राज्य सरकार में मंत्री विश्वास सारंग के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. कांग्रेस की तरफ से नारंग के खिलाफ FIR दर्ज कराए जाने को लेकर निरंतर मांग भी की जा रही है. दिग्विजय सिंह भी इस प्रदर्शन में सम्मिलित हुए. उन्होंने कांग्रेस के कई अन्य नेताओं के साथ मंत्री विश्वास सारंग के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने की मांग को लेकर अशोका गार्डन थाने तक पैदल मार्च किया. किन्तु जब वह अशोका गार्डन थाने में पहुंचे तो उन्होंने देखा कि वहां पर सुंदर कांड का पाठ करवाया जा रहा है. उन्होंने इसे नियम के खिलाफ बताया.
थाने में सुंदर कांड का पाठ के आयोजन को लेकर दिग्विजय सिंह भड़क गए तथा उन्होंने कहा, “हम थाने में FIR दर्ज करवाने आए थे, मगर वहां सुदंर पाठ कराया जा रहा था. मैं भी 10 वर्षों तक सीएम के पद पर रहा और यह नियम नहीं है.” उन्होंने कहा, “पुलिस अफसर का कहना था कि उन्होंने सुंदर पाठ का आयोजन करवाया. एक आम शख्स का जन्मदिन था इस उस उपलक्ष्य में वहां पर सुंदर पाठ कराया जा रहा था. हमारे भी कार्यकर्ताओं का जन्मदिन आता है, अब उनका जन्मदिन भी हम थानों में मनाएंगे. साथ ही बकरीद का आयोजन भी हम थानों में ही करेंगे.” उन्होंने नियमों का हवाला देते हुए कहा कि थाने के अंदर सुंदर पाठ कराया जाना नियमों का घोर उल्लंघन है. थाने के अंदर सुंदर पाठ कराने की अनुमति किसने दी उसका भी नाम साफ होना चाहिए. कांग्रेस पार्टी अब हर थाने में सुंदर पाठ करवाने का आवेदन पुलिस अफसरों को देगी.
हालांकि दिग्विजय सिंह के इस बयान पर भाजपा नेता ने जोरदार पलटवार किया. नरेंद्र सलूजा ने कहा, “वो तो वैसे ही सनातन विरोधी रहे हैं. यदि वो कह रहे हैं कि 10 वर्षों तक राज्य के सीएम रहे हैं तथा उन्हें नियम पता है. ऐसे में जब कभी सड़क पर नमाज अदा होती थी तो उसका विरोध क्यों नहीं किया. मदरसों में जो गलत हो रहा उसका विरोध क्यों नहीं किया. थाने में केवल सुंदर कांड हो गया तो इन्हें आपत्ति हो गई.”








नौकरी में आरक्षण खत्म करने की मांग कर रहे बांग्लादेश के छात्रों का आंदोलन हिंसक हो गया है। सरकारी नौकरियों के लिए आरक्षण प्रणाली में सुधार की मांग को लेकर छात्रों के विरोध प्रदर्शन के दौरान राजधानी ढाका समेत अन्य जगहों पर हिंसा भड़क गई है। जिसमें अब तक 39 लोगों की मौत हो गई। वहीं, 2,500 से अधिक लोग घायल हो गए। ढाका और अन्य शहरों में विश्वविद्यालय के छात्र 1971 में पाकिस्तान से देश की आजादी के लिए लड़ने वाले युद्ध नायकों के रिश्तेदारों के लिए कुछ नौकरियों को आरक्षित करने की प्रणाली के खिलाफ कई दिनों से रैलियां कर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों ने ढाका के रामपुरा इलाके में सरकारी बांग्लादेश टेलीविजन भवन की घेराबंदी कर दी और इसके अगले हिस्से को क्षतिग्रस्त कर दिया। साथ ही वहां खड़े अनेक वाहनों को आग लगा दी। इससे वहां पत्रकारों सहित कई कर्मचारी फंस गए। दरअसल एक दिन पहले यानी बुधवार को ही बांग्लादेश के सरकारी टीवी बीटीवी ने प्रधानमंत्री शेख हसीना का इंटरव्यू लिया था। *स्कूल-कॉलेज अनिश्चितकाल के लिए बंद* बढ़ती हिंसा के कारण अधिकारियों को गुरुवार दोपहर से ढाका आने-जाने वाली रेलवे सेवाओं के साथ-साथ राजधानी के अंदर मेट्रो रेल को भी बंद करना पड़ा। आधिकारिक समाचार एजेंसी ने बताया कि सरकार ने प्रदर्शनकारियों को विफल करने के लिए इंटरनेट बंद करने का आदेश दिया है। शेख हसीना सरकार ने हिंसा को देखते हुए देश के सभी स्कूलों और विश्वविद्यालयों को अनिश्चितकाल के लिए बंद करने का आदेश दिया है। साथ ही हालात को काबू करने के लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम करने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही राजधानी सहित देश भर में अर्धसैनिक बल बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश के जवानों को तैनात किया गया है। *बांग्लादेश मे बवाल की वजह* बांग्लादेश को साल 1971 में आजादी मिली थी। आजादी के बाद से ही बांग्लादेश में आरक्षण व्यवस्था लागू है। इसके तहत स्वतंत्रता सेनानियों के बच्चों को 30 प्रतिशत, देश के पिछड़े जिलों के युवाओं को 10 प्रतिशत, महिलाओं को 10 प्रतिशत, अल्पसंख्यकों के लिए 5 प्रतिशत और दिव्यांगों के लिए एक प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान था। इस तरह बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में 56 प्रतिशत आरक्षण था। साल 2018 में बांग्लादेश के युवाओं ने इस आरक्षण के खिलाफ प्रदर्शन किया। कई महीने तक चले प्रदर्शन के बाद बांग्लादेश सरकार ने आरक्षण खत्म करने का एलान किया। बीते महीने 5 जून को बांग्लादेश की सुप्रीम कोर्ट ने देश में फिर से आरक्षण की पुरानी व्यवस्था लागू करने का आदेश दिया। शेख हसीना सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील भी की, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने आदेश को बरकरार रखा। इससे छात्र नाराज हो गए और उन्होंने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। बांग्लादेश के विश्वविद्यालयों से शुरू हुआ ये विरोध प्रदर्शन अब बढ़ते-बढ़ते हिंसा में तब्दील हो गया है।
Jul 19 2024, 14:48
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