बांग्लादेश में बवाल, सड़क पर उतरे छात्र, भारत ने अपने नागरिकों के जारी की एडवाइजरी, जानें पूरा मामला
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बांग्लादेश में वाल मचा हुआ है। हजारों की संख्या में छात्र सड़कों पर उतर आए हैं। आरक्षण की मांग को लेकर हजारों छात्र सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। अब इस प्रर्दशन ने अपना हिंसक रूप ले लिया है। बुधवार 18 जुलाई को आरक्षण को लेकर बवाल खड़ा हो गया है। प्रदर्शन के दौरान छात्रों के बीच झड़प हो गई, जिसमें 6 लोगों की गोली लगने से मौत हो गई और 400 घायल हो गए।
ये झड़पें सोमवार को शुरू हुईं, जब सत्तारूढ़ अवामी लीग के छात्र मोर्चे के कार्यकर्ता प्रदर्शनकारियों के सामने आ गए।प्रदर्शनकारियों ने सत्तारूढ़ पार्टी की छात्र शाखा, बांग्लादेश छात्र लीग पर पुलिस के समर्थन से उनके शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन पर हमला करने का आरोप लगाया। प्रदर्शनकारी इस बात पर जोर दे रहे थे कि मौजूदा आरक्षण व्यवस्था सरकारी सेवाओं में मेधावी छात्रों के नामांकन को काफी हद तक रोक रही है।
हिंसा के कारण सरकार ने मंगलवार देर रात बांग्लादेश में सभी सरकारी और निजी विश्वविद्यालयों के साथ-साथ स्कूलों और कॉलेजों को अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया तथा छात्रों से छात्रावास खाली करने को कहा गया।
बांग्लादेश में जिस रिजर्वेशन को लेकर छात्र लामबंद हो रहे हैं, वह दरअसल कुछ साल पहले भी विरोध की जद में था। 1971 के बांग्लादेश की आजादी के युद्ध में शामिल परिवार के सदस्यों के लिए सरकारी नौकरी में एक खास फीसद आरक्षण दिया जाता है, छात्र इसे खत्म करने की मांग कर रहे हैं और केवल मेरिट के आधार पर नौकरी देने के बात कर रहे हैं। बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना ने साफ किया है कि वे इसे समाप्त नहीं करने जा रही हैं और साथ ही, इस हिंसा के चलते हुई मौतों के जिम्मेदार लोगों को जरूर सजा देंगी।
आरक्षण में सबसे ज्यादा विवाद का केंद्र रहा है- स्वतंत्रता सेनानियों का कोटा। क्योंकि, कई लोगों का मानना था कि यह हसीना की अवामी लीग पार्टी के प्रति वफादार लोगों के पक्ष में जाता है। इसी पार्टी ने बांग्लादेशी मुक्ति संग्राम का नेतृत्व किया था। मगर कोटा सीटों में बहुत सारी वैकेंसीज़ रह गईं जबकि मेरिट सूची के कई लोग बेरोजगार रह गए।
भारत ने बांग्लादेश में हो रहे विरोध-प्रदर्शन के मद्देजनर यहां रहने वाले अपने नागरिकों के लिए बृहस्पतिवार को परामर्श जारी करते हुए कहा कि वे यात्रा करने से बचें और कम से कम बाहर निकलें। भारतीय उच्चायोग ने यहां एक बयान में कहा कि बांग्लादेश में मौजूदा हालात को देखते हुए बांग्लादेश में रहने वाले भारतीय समुदाय के सदस्यों और भारतीय छात्रों को यात्रा से बचने और अपने निवास स्थान से बाहर कम से कम आवाजाही की सलाह दी जाती है।मिशन ने किसी भी सहायता के लिए 24 घंटे चालू रहने वाले कई आपातकालीन नंबर भी जारी किए हैं। उच्चायोग की वेबसाइट के अनुसार बांग्लादेश में लगभग सात हजार भारतीय हैं।
Jul 18 2024, 18:22