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बजट से पहले हुई हलवा सेरेमनी, वित्त मंत्री ने कराया सभी का मुंह मीठा, जानें क्या है ये परंपरा*
#halwa_ceremony_before_union_budget_2024
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज केंद्रीय बजट 2024 के लिए 'हलवा सेरेमनी' में हिस्सा लिया। यह रस्म बजट बनाने की प्रक्रिया के अंतिम चरण का प्रतीक है। वित्त मंत्री ने बजट बनाने की प्रक्रिया में शामिल पूरी टीम को हलवा खिलाकर मुंह मीठा कराया। हर साल बजट बनाने की प्रक्रिया 'लॉक-इन' में जाने से पहले यह रस्म निभाई जाती है। देश का बजट पेश होने में एक हफ्ते का समय रह गया है। इस बार व‍ित्‍त मंत्री न‍िर्मला सीतारमण लगातार सातवीं बार देश का बजट पेश करेंगी। यह मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट है। इससे पहले व‍ित्‍त मंत्री ने 1 फरवरी 2024 को दूसरे कार्यकाल का अंतर‍िम बजट पेश क‍िया था। साल 2024 के लिए बजट तैयार होने की प्रक्र‍िया के अंतिम चरण में मंगलवार को वित्त मंत्रालय यानी नॉर्थ ब्लॉक में हलवा सेरेमनी का आयोजन किया गया। हलवा समारोह को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की मौजूदगी में नॉर्थ ब्लॉक में आयोज‍ित क‍िया गया। हलवा सेरेमनी में वित्त मंत्रालय के कई अधिकारी भी शामिल हुए। वित्त मंत्री ने खुद अपने हाथों से मंत्रालय के अधिकारियों के साथ हलवा बांटा।हलवा सेरेमनी को बजट की अंतिम तैयारियों की शुरुआत माना जाता है। इसलिए बजट के कामकाज से जुड़े अधिकारी सख्त निगरानी में रहते हैं, ताकि कोई जानकारी लीक ना हो।वहीं वित्त मंत्री को भी सख्त नियमों का पालन करना होता है। *वित्त मंत्रालय के नॉर्थ ब्लॉक का दफ्तर बंकर में तब्दील* हलवा सेरेमनी के बाद वित्त मंत्रालय का नॉर्थ ब्लॉक का दफ्तर एक बंकर में तब्दील हो जाता है। यहां काम करने वाले अधिकारी और कर्मचारियों को ना तो फोन पर बात करने की परमिशन होती है, ना ही वह अपने घर पर कॉल कर सकते हैं और ना ही मोबाइल रख सकते हैं। इतना ही नहीं किसी को भी दफ्तर परिसर से बाहर आने-जाने की भी इजाजत नहीं होती। *बजट पेश होने के बाद ही कोई भी घर जाएगा* अब बजट की तैयारियों में लगे अधिकारी और कर्मचारी यहां तब तक रहेंगे, जब तक कि वित्त मंत्री का संसद में बजट भाषण पूरा नहीं हो जाता। बजट पेश होने के बाद ही वह अपने घर जा सकेंगे। यानी अब ये सभी लोग 23 जुलाई के बाद ही यहां से बाहर जा सकते हैं। सिर्फ किसी बहुत इमरजेंसी की हालत में ही उन्हें घर जाने की अनुमति मिल सकती है, लेकिन उसके लिए भी काफी सख्त निगरानी रखी जाती है। इस बीच अधिकारी या कर्मचारियों को अपने घर पर बात भी करनी होती है, तो वह हाई सिक्योरिटी लैंडलाइन से ही होती है। *कब से चल रही ये परंपरा?* हलवा सेरेमनी की परंपरा आजादी से पहले से चली आ रही है। हलवा सेरेमनी का आयोजन बजट पेश करने की सभी तैयारियां पूरी होने के बाद किया जाता है। इस दौरान व‍ित्‍त मंत्री के अलावा वित्त मंत्रालय के अध‍िकारी और कर्मचारी मौजूद रहते हैं। परंपरा के अनुसार हलवा सेरेमनी का आयोजन नॉर्थ ब्लॉक के नीचे बेसमेंट में बजट प्रेस में क‍िया जाता है। हलवा बनने के बाद बजट की छपाई शुरू होती है। ज‍िस दिन हलवा सेरेमनी के दौरान हलवा बांटा जाता है, उसके बाद बजट प्रकाश‍ित करने वाले कर्मचारी और अधिकारी वहीं पर रहते हैं।
‘परमाणु हथियार हासिल करने वाला पहला इस्लामिक देश हो सकता है ब्रिटेन’, यूएस के उपराष्ट्रपति कैंड‍िडेट जेडी वेंस ने ऐसा क्यों कहा?
#america_vice_president_jd_vance_talks_says_britain_is_the_first_islamist_country_for_weapon
डोनाल्ड ट्रंप के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जेडी वेंस ने ब्रिटेन की नई सरकार पर तंज कसा है। जेडी वेंस का कहना है कि लेबर पार्टी के चुनाव जीतने के बाद ब्रिटेन 'वास्तव में पहला इस्लामिक देश बन सकता है जो परमाणु हथियार हासिल करने में कामयाब हो सकता है।जेडी वेंसने अमेरिकी कंजर्वेटिव्स के एक सम्मेलन में ये टिप्पणी की।

जेडी वेंस का यह तंज ब्रिटेन के विदेश मंत्री डेविड लैमी के ल‍िए था। दरअसल, मई में लैमी ने वेंस को अपना मित्र बताया था। बेंस के साथ अपने गरीबी भरे बचपन की तुलना की थी और उनके साथ रिश्ते सुधारने की उम्‍मीद जताई थी। लेकिन ब्रिटेन में लेबर पार्टी के सत्‍ता में आने पर जो बदलाव होने वाले हैं, उन्‍हें लेकर उन्‍होंने लैमी पर तंज कसा।

द गार्डियन के मुताबिक, वेंस ने कहा, ‘मुझे ब्रिटेन को हराना है। इस महीने की शुरुआत में वेंस परमाणु प्रसार के बारे में एक दोस्त के साथ बात कर रहे थे। दोनों इस बारे में चर्चा कर रहे थे क‍ि परमाणु बमों का प्रसार दुनिया के सबसे बड़े खतरों में से एक है। लेकिन बाइडन प्रशासन को इसकी परवाह नहीं है।

वेंस ने कहा था, पहला सच्चा इस्लामी देश कौन सा है जिसे परमाणु हथियार मिलेगा? शायद यह ईरान है, शायद पाकिस्तान तो नहीं है वेंस ने आगे कहा, शायद यह वास्तव में  ब्रिटेन है क्योंकि ब्रिटेन में लेबर ने हाल ही में सत्ता संभाली है।

ट्रंप ने ओहायो के सीनेटर जेम्स डेविड वेंस (39) को रिपब्लिकन पार्टी की ओर से उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार चुना। वेंस 2022 में पहली बार ओहायो से सीनेटर चुने गए थे। बता दें कि 39 साल के जेडी साल 2016 में अपने संस्मरण हिलबिली एलेजी के पब्लिश होने के बाद  चर्चा में आए थे। उन्हें साल 2022 में सीनेट के तौर पर चुना गया था, वेंस 2016 में ट्रंप के कट्टर आलोचक थे। हालांकि, अब वह ट्रंप के सबसे बड़े समर्थकों में से एक हैं।
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नीट पेपर लीक मामले में अब तक की सबसे बड़ी गिरफ्तारी, पेपर चुराने और डिस्ट्रीब्यूट करने वालों पर कसा सीबीआई का शिकंजा

#cbi_made_two_big_arrests_in_neet_case_papers 

नीट पेपर लीक मामले में बड़ी कामयाबी मिली है। नीट एग्जाम का पेपर चोरी करने वाले शख्स को पटना से गिरफ्तार किया गया। इस मामले में उसका एक साथी भी पकड़ा गया है। मामले की जांच कर रही सीबीआई ने ये गिरफ्तारी की है। नीट पेपर चोरी करने वाले जिन दो लोगों को पकड़ा गया है, उनके नाम पंकज कुमार और राजू सिंह बताया जा रहा है। 

सीबीआई ने बिहार की राजधानी पटना से पंकज कुमार उर्फ आदित्य को गिरफ्तार किया, साथ ही इसके अलावा झारखंड के हजारीबाग से राजू सिंह नाम के शख्स को गिरफ्तार किया है। मिली जानकारी के मुताबिक, पंकज ने हजारीबाग में बक्से से पेपर चोरी करके आगे बांटा था। वहीं, राजू सिंह ने पेपर को आगे डिस्ट्रीब्यूट करने में मदद की थी।

आरोप हैं कि मुख्य आरोपी ने झारखंड के हजारीबाग में राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी के ट्रंक से कथित तौर पर पेपर चुराया था। अधिकारियों ने मंगलवार को बताया कि इन दो गिरफ्तारियों के साथ ही मेडिकल प्रवेश परीक्षा में लीक, नकल और अन्य अनियमितताओं से संबंधित मामलों में गिरफ्तार किए गए लोगों की कुल संख्या अब 14 हो गई है।

मिली जानकारी के मुताबिक, पंकज सिविल इंजीनियर है और झारखंड के बोकारो का रहने वाला है। इसी ने हजारीबाग से ट्रंक से पेपर चोरी किया था और आगे बांटा था, जबकि पेपर आगे बांटने में की मदद राजू सिंह नाम के शख्स ने की थी। पंकज पेपर चोरी करने में मास्टरमाइंड है।

इससे पहले हजारीबाग में स्थित ओएसिस स्कूल के प्रधानाचार्य, उप प्रधानाचार्य और कथित तौर पर नीट परीक्षार्थियों को ठहरने के लिए वह फ्लैट उपलब्ध कराने वाले दो व्यक्तियों को भी गिरफ्तार किया गया था, जहां से बिहार पुलिस ने जले हुए प्रश्नपत्र बरामद किए थे। बता दे कि सीबीआई ने इस मामले में छह प्राथमिकी दर्ज की है। बिहार में दर्ज प्राथमिकी प्रश्न पत्र लीक होने से संबंधित है, जबकि गुजरात और राजस्थान में दर्ज प्राथमिकी परीक्षार्थी के स्थान पर किसी दूसरे व्यक्ति के परीक्षा देने और धोखाधड़ी से संबंधित हैं।

Saving the shoes...funny video source from twitter
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Farewell.... I hope their sacrifices will be avenged, soon...
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ग्लेशियर पर पवित्र कुंड को बना दिया स्विमिंग पूल, स्वयंभू बाबा का देवी के नाम पर कारनामा
#temple_on_glacier_devi_kund_converted_into_swimming_pool

उत्तराखंड के बागेश्वर में सुंदरढूंगा ग्लेशियर पर 5,000 मीटर की ऊंचाई पर एक बाबा ने गजब कारनाम दिखाया है। देवी के नाम का इस्तेमाल कर सरकारी जमीन पर गैर-कानूनी तरीके से मंदिर बना लिया है। वहां बने पवित्र जल कुंड को स्वीमिंग पूल की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है।इस बाबा का नाम योगी चैतन्य आकाश है। उन्होंने दावा किया कि देवी भगवती उनके सपने में आई थीं और पहाड़ों पर 5,000 मीटर से ज्यादा की ऊंचाई पर पर्यावरण के प्रति संवेदनशील स्थान पर मंदिर बनाने का आदेश दिया था। अब इस मामले को लेकर माहौल गरमा गया है। स्थानीय लोग इस स्वयंभू बाबा और मंदिर के विरोध में उतर आए हैं।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक एक ग्रामीण ने बताया कि गांववालों ने बाबा का सहयोग किया। दरअसल, बाबा ने उनसे कहा था कि देवी भगवती उनके सपने में आई थीं और उन्हें देवी कुंड में मंदिर बनाने का निर्देश दिया है। योगी चैतन्य के इस दावे पर वहां पास के ही गांव में रहने वाले लोग भी सवाल उठाते हैं। इसी में एक महेंद्र सिंह धामी भी हैं, जिन्होंने बाबा पर देवी कुंड को अपवित्र करने का आरोप लगाया है। अंग्रेजी अखबरा टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, धामी ने कहा, ‘बाबा ने लोगों से कहा कि देवी भागवती उनके सपने में आईं और देवी कुंड में मंदिर बनाने को कहा। लोगों ने उनकी बातों में आकर इस काम में उनका साथ दिया।

स्थानीय निवासी प्रकाश कुमार ने कहा- हमारी मान्यता है कि हर 12 साल में नंदा राज यात्रा के दौरान देवी-देवता देवी कुंड में आते हैं। इस बाबा ने लोगों को गुमराह करके हमारी परंपराओं के खिलाफ यह मंदिर बना डाला है। इस पर स्थानीय लोग काफी नाराज हैं। स्थानीय लोगों का आरोप है कि बाबा ने पवित्र देवा कुंड को तीर्थयात्रियों और अन्य लोगों के लिए स्विमिंग पूल बना दिया है। अक्सर वे कुंड में नहाते दिखते हैं।

स्थानीय प्रशासन ने अब इस अनधिकृत निर्माण की जांच शुरू कर दी है। कपकोट के उप-विभागीय मजिस्ट्रेट अनुराग आर्य ने कहा कि वन विभाग, पुलिस और राजस्व कार्यालय की एक टीम जल्द ही देवी कुंड का दौरा करेगी और अतिक्रमण को हटाएगी।अनुराग आर्य ने कहा कि योगी चैतन्य के खिलाफ उचित कार्रवाई करेगी। उन्होंने कहा कि मुझे इस मुद्दे के बारे में हाल ही में पता चला। ग्लेशियर रेंज के रेंजर एनडी पांडेय ने कहा कि हमें इस (मंदिर के निर्माण) के बारे में सूचना मिली है। स्थान पर स्थिति का आकलन करने के लिए एक टीम भेजी जा रही है। ग्लेशियर टॉप पर मंदिर निर्माण ने खुफिया और प्रवर्तन विफलताओं को भी ध्यान में लाया है। खासकर जब राज्य संवेदनशील क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर अतिक्रमण विरोधी अभियान चला रहा है।
Terr0r!sts were planning to attack the ongoing Amarnath Yatra

Indian army foiled an infiltration bid and killed 3 terr0r!sts when they tried to cross the LOC in Keran Sector of Kupwara

A huge stock of arms & ammunition recoveredImage

केदारनाथ मंद‍िर पर महासंग्राम , शंकराचार्य भी गुस्‍से में, दिल्‍ली से देहरादून तक विरोध की आग, धरना-प्रदर्शन जारी





केदारनाथ धाम वैसे तो उत्तराखंड में है लेकिन द‍िल्‍ली के बुराड़ी में बिल्‍कुल उसी तरह का मंदिर बनाया जा रहा है। जिसे लेकर महासंग्राम छिड़ गया है। दिल्‍ली से देहरादून तक विरोध हो रहे हैं। केदारनाथ धाम के तीर्थ पुरोहित समाज का आक्रोश चरम पर है तो वहीं शंकराचार्य भी गुस्‍से में हैं। मुख्‍यमंत्री पुष्‍कर सिंह धामी ने इस बारे में सफाई भी दी है लेकिन संतों ने उसे ठुकरा दिया।

बीते बुधवार को बुराड़ी में मंद‍ि‍र का श‍िलान्‍यास हुआ। जिसमें उत्तराखंड के मुख्‍यमंत्री पुष्‍कर सिंह धामी शामिल हुए। उन्‍होंने ही मंदिर का भूमि पूजन और श‍िलान्‍यास क‍िया। यह देखकर केदारनाथ धाम के तीर्थ पुरोह‍ित नाराज हो गए। वे धरने पर बैठ गए। तीन दिन से वे मुख्‍यमंत्री के ख‍िलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। पुरोह‍ितों-संतों का कहना है क‍ि भगवान केदारनाथ सिर्फ एक हैं। उनके नाम पर कोई अन्‍य ट्रस्‍ट नहीं चलाया जा सकता। उनकी तरह का कोई अन्‍य मंद‍िर नहीं बनाया जा सकता। केदारनाथ तीर्थ पुरोहित समाज के पूर्व अध्‍यक्ष विनोद शुक्ला ने कहा कि द‍िल्‍ली में केदारनाथ मंद‍िर की तरह का प्रतीकात्‍मक मंद‍िर बनाना गलत फैसला है। हम सभी इसका विरोध करते हैं। मुख्‍यमंत्री को जल्‍द इस बारे में उच‍ित निर्णय लेना होगा नहीं तो प्रदर्शन और उग्र होगा।


उधर बद्रीकेदार मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय का बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने कहा क‍ि दिल्ली में किसी केदारनाथ ट्रस्ट द्वारा जो केदारनाथ मंदिर बनाया जा रहा है , उससे प्रदेश सरकार का कुछ लेना देना नहीं है। न ही सरकार क‍िसी तरह से इनका सहयोग कर रही है। यह भी शिकायतें सामने आई हैं क‍ि कुछ लोग बद्रीनाथ और केदारनाथ के नाम से ट्रस्ट व संस्थाएं बनाकर श्रद्धालुओं से दान और चंदा इकट्ठा कर रहे हैं। कुछ लोग ऐप के माध्यम से बद्रीनाथ और केदारनाथ धाम में ऑनलाइन पूजा कराने के नाम पर पैसे ले रहे हैं। इनकी जांच की जा रही है। जो भी दोषी पाया जाएगा , सरकार उनके खिलाफ कार्रवाई करेगी।


शंकराचार्य अव‍िमुक्‍तेश्वरानंद इस मामले में काफी गुस्‍से में नजर आए। उन्‍होंने कहा कि जिस धाम को जगदगुरु आद‍ि शंकराचार्य ने बनाया, वैसा धाम आप कहीं और नहीं बना सकते हैं। केदारनाथ में घोटाला हुआ। उसकी जांच क्‍यों नहीं कराई जाती। कोई पूछताछ शुरू नहीं हुई। इसके लिए कौन जिम्मेदार है। अब वे कह रहे हैं कि दिल्ली में केदारनाथ बनाएंगे। ऐसा नहीं हो सकता। केदारनाथ के मुख्य पुजारी शिव शंकर लिंग ने कहा कि केदारनाथ धाम साक्षात हिमालय में बसा हुआ है। इसका अपना महत्व है। द‍िल्‍ली में इसकी प्रत‍िकृत‍ि बनाना धर्म का अपमान है।


केदारनाथ का दिल्ली में प्रतीकात्मक मंदिर बनाने और केदारनाथ धाम से शिला ले जाने का कांग्रेस ने कड़ा विरोध किया है। बागेश्वर में नाराज कार्यकर्ताओं ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के खिलाफ नारेबाजी के साथ प्रदर्शन किया। प्रदर्शन में कांग्रेस नेताओं ने कहा कि भाजपा सरकार ने देवभूमि की जनता की आस्था को ठेस पहुंचा रही है। भाजपा सरकार उत्तराखंड विरोधी मानसिकता की है। मुख्‍यमंत्री अपने प्रभाव का इस्‍तेमाल करें और इसे रोकें।
मुख्‍यमंत्री पुष्‍कर सिंह धामी ने कहा कि धाम दूसरे स्थान पर नहीं हो सकता। लेक‍िन प्रतीकात्मक रूप से मंदिर बनते रहे हैं। राज्य सरकार सनातन संस्कृति के उत्थान के लिए लगातार काम कर रही है। चार धाम में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। बुराड़ी क्षेत्र में बन रहा केदारनाथ धाम पूरी मानवता को प्रेरणा देने का काम करेगा।
बांग्लादेश ने चीन के बदले भारत को दी तरजीह, एक अरब डॉलर के तिस्ता प्रोजेक्ट के लिए हसीना ने भारत को चुना
#pm_sheikh_hasina_gave_importance_india_over_china_on_teesta_river_project


बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने चीन के बजाय भारत को 1 बिलियन डॉलर की नदी विकास परियोजना को क्रियान्वित करने के लिए प्राथमिकता दी है। बांग्लादेश ने तीस्ता नदी से जुड़े अहम प्रोजेक्ट के लिए चीन नहीं, भारत को चुना है। पीएम शेख हसीना ने घोषणा की है कि एक बिलियन डॉलर के इस प्रोजेक्ट को भारत पूरा करेगा।हसीना ने घोषणा की है कि पड़ोसी देश होने के नाते भारत को इस परियोजना पर अधिकार है और वह चाहेंगी कि वह ही इस परियोजना को क्रियान्वित करे।

हसीना ने रविवार को ढाका में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान ये घोषणा की।हसीना ने अपने बयान में कहा कि मैं प्राथमिकता दूंगी कि भारत ऐसा करेगा। भारत के पास तीस्ता नदी का पानी है, इसलिए उन्हें प्रोजेक्ट करना चाहिए और अगर वे इस प्रोजेक्ट को करते हैं तो वे यहां जो कुछ भी आवश्यक होगा हम देंगे।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, हसीना की हालिया बीजिंग यात्रा के दौरान चीन इस प्रोजेक्ट को लेकर गंभीर नहीं दिखा। बीजिंग द्वारा 5 अरब डॉलर के वित्तीय पैकेज से पीछे हटने तथा उन्हें पर्याप्त प्रोटोकॉल न देने के कारण हसीना ने अपनी चीन यात्रा बीच में ही रोक दी।

नदी के पानी के बंटवारे पर 2011 में एक समझौता हुआ था, लेकिन पूर्वी भारतीय राज्य पश्चिम बंगाल, जिसके माध्यम से नदी बांग्लादेश में प्रवेश करती है, द्वारा इस समझौते पर आपत्ति जताए जाने के बाद इसे अंतिम रूप नहीं दिया जा सका। भारत ने इस मुद्दे को सुलझाने में हिचकिचाहट दिखाई। भारत के देरी करने को चीन ने मौके की तरह देखा और अपना प्रस्ताव बांग्लादेश को भिजवा दिया।

नई दिल्ली ने इस साल की शुरुआत में अपनी सीमा के करीब काम कर रहे चीनी इंजीनियरों के बारे में सुरक्षा चिंताओं के बीच अपनी पेशकश के साथ जवाब दिया। हसीना ने कहा, "चीन ने हमें एक प्रस्ताव दिया है, उन्होंने एक व्यवहार्यता अध्ययन किया है। भारत ने भी एक प्रस्ताव दिया है, और एक व्यवहार्यता अध्ययन करेगा," लेकिन मैं भारत द्वारा ऐसा किए जाने को अधिक प्राथमिकता दूंगी क्योंकि भारत ने तीस्ता के पानी को रोक रखा है।

दूर होगी भारत की चिंता
भारत के जाने-माने सामरिक विशेषज्ञ ब्रह्मा चेलानी ने एक्स पर पोस्ट में लिखा, बांग्लादेश की नेता शेख हसीना ने कहा कि तीस्ता नदी विकास परियोजना के लिए चीन तैयार है, लेकिन मैं चाहती हूं कि भारत तीस्ता नदी के निचले हिस्से को विकसित करने की परियोजना पर काम करे। लगभग 1 बिलियन डॉलर की यह परियोजना भारत के संवेदनशील चिकन-नेक के पास बनेगी। उस क्षेत्र के पास चीनी उपस्थिति को समाप्त करने से भारत की चिंताएं दूर हो जाएंगी।

क्या है तीस्ता परियोजना
दरअसल, तीस्ता परियोजना के तहत बाढ़ पर अंकुश लगाना, कटाव रोकना और जमीन दोबारा हासिल करने जैसे काम किए जाने हैं। इस परियोजना के जरिये बांग्लादेश वाले हिस्से में एक बैराज का निर्माण भी किया जाना है। इस परियोजना के जरिए तटीय इलाकों में रहने वाले लोगों की मुश्किलें भी कम हो जाएंगी। साल 2011 में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के ढाका दौरे के दौरान ही तीस्ता समझौते पर हस्ताक्षर किया जाना था, लेकिन पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के विरोध के कारण वह अधर में लटक गया। साल 2014 में केंद्र की सत्ता में आने के एक साल बाद 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ममता बनर्जी को साथ लेकर बांग्लादेश के दौरे पर गए थे। वहां उन्होंने तीस्ता के पानी के बंटवारे पर एक समझौते की सहमति का भरोसा दिया था।