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Farewell.... I hope their sacrifices will be avenged, soon...
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ग्लेशियर पर पवित्र कुंड को बना दिया स्विमिंग पूल, स्वयंभू बाबा का देवी के नाम पर कारनामा
#temple_on_glacier_devi_kund_converted_into_swimming_pool
उत्तराखंड के बागेश्वर में सुंदरढूंगा ग्लेशियर पर 5,000 मीटर की ऊंचाई पर एक बाबा ने गजब कारनाम दिखाया है। देवी के नाम का इस्तेमाल कर सरकारी जमीन पर गैर-कानूनी तरीके से मंदिर बना लिया है। वहां बने पवित्र जल कुंड को स्वीमिंग पूल की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है।इस बाबा का नाम योगी चैतन्य आकाश है। उन्होंने दावा किया कि देवी भगवती उनके सपने में आई थीं और पहाड़ों पर 5,000 मीटर से ज्यादा की ऊंचाई पर पर्यावरण के प्रति संवेदनशील स्थान पर मंदिर बनाने का आदेश दिया था। अब इस मामले को लेकर माहौल गरमा गया है। स्थानीय लोग इस स्वयंभू बाबा और मंदिर के विरोध में उतर आए हैं।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक एक ग्रामीण ने बताया कि गांववालों ने बाबा का सहयोग किया। दरअसल, बाबा ने उनसे कहा था कि देवी भगवती उनके सपने में आई थीं और उन्हें देवी कुंड में मंदिर बनाने का निर्देश दिया है। योगी चैतन्य के इस दावे पर वहां पास के ही गांव में रहने वाले लोग भी सवाल उठाते हैं। इसी में एक महेंद्र सिंह धामी भी हैं, जिन्होंने बाबा पर देवी कुंड को अपवित्र करने का आरोप लगाया है। अंग्रेजी अखबरा टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, धामी ने कहा, ‘बाबा ने लोगों से कहा कि देवी भागवती उनके सपने में आईं और देवी कुंड में मंदिर बनाने को कहा। लोगों ने उनकी बातों में आकर इस काम में उनका साथ दिया।
स्थानीय निवासी प्रकाश कुमार ने कहा- हमारी मान्यता है कि हर 12 साल में नंदा राज यात्रा के दौरान देवी-देवता देवी कुंड में आते हैं। इस बाबा ने लोगों को गुमराह करके हमारी परंपराओं के खिलाफ यह मंदिर बना डाला है। इस पर स्थानीय लोग काफी नाराज हैं। स्थानीय लोगों का आरोप है कि बाबा ने पवित्र देवा कुंड को तीर्थयात्रियों और अन्य लोगों के लिए स्विमिंग पूल बना दिया है। अक्सर वे कुंड में नहाते दिखते हैं।
स्थानीय प्रशासन ने अब इस अनधिकृत निर्माण की जांच शुरू कर दी है। कपकोट के उप-विभागीय मजिस्ट्रेट अनुराग आर्य ने कहा कि वन विभाग, पुलिस और राजस्व कार्यालय की एक टीम जल्द ही देवी कुंड का दौरा करेगी और अतिक्रमण को हटाएगी।अनुराग आर्य ने कहा कि योगी चैतन्य के खिलाफ उचित कार्रवाई करेगी। उन्होंने कहा कि मुझे इस मुद्दे के बारे में हाल ही में पता चला। ग्लेशियर रेंज के रेंजर एनडी पांडेय ने कहा कि हमें इस (मंदिर के निर्माण) के बारे में सूचना मिली है। स्थान पर स्थिति का आकलन करने के लिए एक टीम भेजी जा रही है। ग्लेशियर टॉप पर मंदिर निर्माण ने खुफिया और प्रवर्तन विफलताओं को भी ध्यान में लाया है। खासकर जब राज्य संवेदनशील क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर अतिक्रमण विरोधी अभियान चला रहा है।
केदारनाथ मंदिर पर महासंग्राम , शंकराचार्य भी गुस्से में, दिल्ली से देहरादून तक विरोध की आग, धरना-प्रदर्शन जारी
केदारनाथ धाम वैसे तो उत्तराखंड में है लेकिन दिल्ली के बुराड़ी में बिल्कुल उसी तरह का मंदिर बनाया जा रहा है। जिसे लेकर महासंग्राम छिड़ गया है। दिल्ली से देहरादून तक विरोध हो रहे हैं। केदारनाथ धाम के तीर्थ पुरोहित समाज का आक्रोश चरम पर है तो वहीं शंकराचार्य भी गुस्से में हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस बारे में सफाई भी दी है लेकिन संतों ने उसे ठुकरा दिया।
बीते बुधवार को बुराड़ी में मंदिर का शिलान्यास हुआ। जिसमें उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी शामिल हुए। उन्होंने ही मंदिर का भूमि पूजन और शिलान्यास किया। यह देखकर केदारनाथ धाम के तीर्थ पुरोहित नाराज हो गए। वे धरने पर बैठ गए। तीन दिन से वे मुख्यमंत्री के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। पुरोहितों-संतों का कहना है कि भगवान केदारनाथ सिर्फ एक हैं। उनके नाम पर कोई अन्य ट्रस्ट नहीं चलाया जा सकता। उनकी तरह का कोई अन्य मंदिर नहीं बनाया जा सकता। केदारनाथ तीर्थ पुरोहित समाज के पूर्व अध्यक्ष विनोद शुक्ला ने कहा कि दिल्ली में केदारनाथ मंदिर की तरह का प्रतीकात्मक मंदिर बनाना गलत फैसला है। हम सभी इसका विरोध करते हैं। मुख्यमंत्री को जल्द इस बारे में उचित निर्णय लेना होगा नहीं तो प्रदर्शन और उग्र होगा।
उधर बद्रीकेदार मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय का बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में किसी केदारनाथ ट्रस्ट द्वारा जो केदारनाथ मंदिर बनाया जा रहा है , उससे प्रदेश सरकार का कुछ लेना देना नहीं है। न ही सरकार किसी तरह से इनका सहयोग कर रही है। यह भी शिकायतें सामने आई हैं कि कुछ लोग बद्रीनाथ और केदारनाथ के नाम से ट्रस्ट व संस्थाएं बनाकर श्रद्धालुओं से दान और चंदा इकट्ठा कर रहे हैं। कुछ लोग ऐप के माध्यम से बद्रीनाथ और केदारनाथ धाम में ऑनलाइन पूजा कराने के नाम पर पैसे ले रहे हैं। इनकी जांच की जा रही है। जो भी दोषी पाया जाएगा , सरकार उनके खिलाफ कार्रवाई करेगी।
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद इस मामले में काफी गुस्से में नजर आए। उन्होंने कहा कि जिस धाम को जगदगुरु आदि शंकराचार्य ने बनाया, वैसा धाम आप कहीं और नहीं बना सकते हैं। केदारनाथ में घोटाला हुआ। उसकी जांच क्यों नहीं कराई जाती। कोई पूछताछ शुरू नहीं हुई। इसके लिए कौन जिम्मेदार है। अब वे कह रहे हैं कि दिल्ली में केदारनाथ बनाएंगे। ऐसा नहीं हो सकता। केदारनाथ के मुख्य पुजारी शिव शंकर लिंग ने कहा कि केदारनाथ धाम साक्षात हिमालय में बसा हुआ है। इसका अपना महत्व है। दिल्ली में इसकी प्रतिकृति बनाना धर्म का अपमान है।
केदारनाथ का दिल्ली में प्रतीकात्मक मंदिर बनाने और केदारनाथ धाम से शिला ले जाने का कांग्रेस ने कड़ा विरोध किया है। बागेश्वर में नाराज कार्यकर्ताओं ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के खिलाफ नारेबाजी के साथ प्रदर्शन किया। प्रदर्शन में कांग्रेस नेताओं ने कहा कि भाजपा सरकार ने देवभूमि की जनता की आस्था को ठेस पहुंचा रही है। भाजपा सरकार उत्तराखंड विरोधी मानसिकता की है। मुख्यमंत्री अपने प्रभाव का इस्तेमाल करें और इसे रोकें।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि धाम दूसरे स्थान पर नहीं हो सकता। लेकिन प्रतीकात्मक रूप से मंदिर बनते रहे हैं। राज्य सरकार सनातन संस्कृति के उत्थान के लिए लगातार काम कर रही है। चार धाम में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। बुराड़ी क्षेत्र में बन रहा केदारनाथ धाम पूरी मानवता को प्रेरणा देने का काम करेगा।
बांग्लादेश ने चीन के बदले भारत को दी तरजीह, एक अरब डॉलर के तिस्ता प्रोजेक्ट के लिए हसीना ने भारत को चुना
#pm_sheikh_hasina_gave_importance_india_over_china_on_teesta_river_project
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने चीन के बजाय भारत को 1 बिलियन डॉलर की नदी विकास परियोजना को क्रियान्वित करने के लिए प्राथमिकता दी है। बांग्लादेश ने तीस्ता नदी से जुड़े अहम प्रोजेक्ट के लिए चीन नहीं, भारत को चुना है। पीएम शेख हसीना ने घोषणा की है कि एक बिलियन डॉलर के इस प्रोजेक्ट को भारत पूरा करेगा।हसीना ने घोषणा की है कि पड़ोसी देश होने के नाते भारत को इस परियोजना पर अधिकार है और वह चाहेंगी कि वह ही इस परियोजना को क्रियान्वित करे।
हसीना ने रविवार को ढाका में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान ये घोषणा की।हसीना ने अपने बयान में कहा कि मैं प्राथमिकता दूंगी कि भारत ऐसा करेगा। भारत के पास तीस्ता नदी का पानी है, इसलिए उन्हें प्रोजेक्ट करना चाहिए और अगर वे इस प्रोजेक्ट को करते हैं तो वे यहां जो कुछ भी आवश्यक होगा हम देंगे।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, हसीना की हालिया बीजिंग यात्रा के दौरान चीन इस प्रोजेक्ट को लेकर गंभीर नहीं दिखा। बीजिंग द्वारा 5 अरब डॉलर के वित्तीय पैकेज से पीछे हटने तथा उन्हें पर्याप्त प्रोटोकॉल न देने के कारण हसीना ने अपनी चीन यात्रा बीच में ही रोक दी।
नदी के पानी के बंटवारे पर 2011 में एक समझौता हुआ था, लेकिन पूर्वी भारतीय राज्य पश्चिम बंगाल, जिसके माध्यम से नदी बांग्लादेश में प्रवेश करती है, द्वारा इस समझौते पर आपत्ति जताए जाने के बाद इसे अंतिम रूप नहीं दिया जा सका। भारत ने इस मुद्दे को सुलझाने में हिचकिचाहट दिखाई। भारत के देरी करने को चीन ने मौके की तरह देखा और अपना प्रस्ताव बांग्लादेश को भिजवा दिया।
नई दिल्ली ने इस साल की शुरुआत में अपनी सीमा के करीब काम कर रहे चीनी इंजीनियरों के बारे में सुरक्षा चिंताओं के बीच अपनी पेशकश के साथ जवाब दिया। हसीना ने कहा, "चीन ने हमें एक प्रस्ताव दिया है, उन्होंने एक व्यवहार्यता अध्ययन किया है। भारत ने भी एक प्रस्ताव दिया है, और एक व्यवहार्यता अध्ययन करेगा," लेकिन मैं भारत द्वारा ऐसा किए जाने को अधिक प्राथमिकता दूंगी क्योंकि भारत ने तीस्ता के पानी को रोक रखा है।
दूर होगी भारत की चिंता
भारत के जाने-माने सामरिक विशेषज्ञ ब्रह्मा चेलानी ने एक्स पर पोस्ट में लिखा, बांग्लादेश की नेता शेख हसीना ने कहा कि तीस्ता नदी विकास परियोजना के लिए चीन तैयार है, लेकिन मैं चाहती हूं कि भारत तीस्ता नदी के निचले हिस्से को विकसित करने की परियोजना पर काम करे। लगभग 1 बिलियन डॉलर की यह परियोजना भारत के संवेदनशील चिकन-नेक के पास बनेगी। उस क्षेत्र के पास चीनी उपस्थिति को समाप्त करने से भारत की चिंताएं दूर हो जाएंगी।
क्या है तीस्ता परियोजना
दरअसल, तीस्ता परियोजना के तहत बाढ़ पर अंकुश लगाना, कटाव रोकना और जमीन दोबारा हासिल करने जैसे काम किए जाने हैं। इस परियोजना के जरिये बांग्लादेश वाले हिस्से में एक बैराज का निर्माण भी किया जाना है। इस परियोजना के जरिए तटीय इलाकों में रहने वाले लोगों की मुश्किलें भी कम हो जाएंगी। साल 2011 में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के ढाका दौरे के दौरान ही तीस्ता समझौते पर हस्ताक्षर किया जाना था, लेकिन पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के विरोध के कारण वह अधर में लटक गया। साल 2014 में केंद्र की सत्ता में आने के एक साल बाद 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ममता बनर्जी को साथ लेकर बांग्लादेश के दौरे पर गए थे। वहां उन्होंने तीस्ता के पानी के बंटवारे पर एक समझौते की सहमति का भरोसा दिया था।
16 बच्चों को छोड़ भागे समधी और समधन, कुछ ही दिनों में होने वाली थी बेटे-बेटी की शादी, यूपी से सामने आया अनोखा मामला
उत्तर प्रदेश के कासगंज से एक अनोखा मामला सामने आया है जहां एक व्यक्ति अपनी ही समधन को भगा कर अपने साथ ले गया है. समधी एवं समधन अपने परिवार में कुल मिलाकर 16 बच्चों को छोड़ गए हैं. जिसमें समधी के 10 बच्चे हैं तथा समधन के 6 बच्चे हैं. इसकी शिकायत समधन पक्ष से पुलिस में की गई है. पुलिस ने अपराधी के विरुद्ध आरोप नामजद कर लिया है. फिलहाल पूरे मामले की तहकीकात की जा रही है.
जानकारी के अनुसार, जिले के डुंडवारा थाना इलाके के एक गांव की है. गांव के रहने वाले पप्पू की बेटी की शादी शकील नाम के व्यक्ति के बेटे के साथ तय हुई. शकील पहले से ही पप्पू के घर आता जाता रहता था. दोनों बच्चों की शादी की तैयारियां निरंतर चल रही थीं. दोनों पक्षों की तरफ से कैटरिंग, टेंट एवं अन्य चीजों की बुकिंग भी चल रही थी. इसी बीच अचानक से शकील एवं लड़की की मां दोनों घर से गायब हो गए. पप्पू ने पुलिस को दी शिकायत में शकील पर गंभीर इल्जाम लगाए हैं. पप्पू ने बताया कि उसकी बेटी और शकील के बेटे की शीघ्र ही शादी होने वाली थी. पप्पू ने पुलिस को बताया कि शकील उसके घर आता-जाता रहता था. बच्चों की शादी से पहले ही शकील उनकी पत्नी को बहला-फुसला कर अपने साथ ले गया है. पुलिस ने शकील के विरुद्ध फिलहाल मुकदमा दर्ज किया है तथा अब आगे की कार्रवाई की जा रही है.
वही इस घटना के पश्चात् क्षेत्र के लोग का प्रकार की बातें कर रहे हैं. वहीं स्थानीय लोग कह रहे है कि दोनों के बीच पहले से ही प्रेम प्रसंग चल रहा था. इसके कारण ही यह रिश्ता हो रहा है. किन्तु किसी को भी इस बात की खबर नहीं थी कि दोनों इतना बड़ा कदम उठा लेंगे. दोनों का भरा पूरा परिवार है. शकील के 10 बच्चे बताए जा रहे हैं जबकि उसकी होने वाली समधन के 6 बच्चे हैं. वहीं पप्पू ने शकील पर अपनी पत्नी को अपहरण करने के इल्जाम लगाए हैं.
अखाड़ा परिषद से निष्कासित हुए 13 महामंडलेश्वर, महाकुंभ से भी किए गए प्रतिबंधित, 112 अन्य संतों को नोटिस देकर मांगा जवाब
उत्तर प्रदेश के हाथरस कांड के बाद, हिंदू सनातन धर्म के साधु संतों का सर्वोच्च संगठन अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद सक्रिय हो गया है। परिषद ने 13 महामंडलेश्वरों एवं संतों को अनुशासन के उल्लंघन की वजह से संत समाज से बाहर निकालने का फैसला लिया है। साथ ही, 112 अन्य साधु संतों को नोटिस जारी कर 30 सितंबर तक लिखित जवाब देने के लिए कहा गया है। अगर संत संतोषजनक जवाब नहीं देते हैं, तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी ने बताया कि हाथरस की घटना में पता चला कि कुछ संत स्वयं को स्वयंभू घोषित कर रहे थे। इस सिलसिले में कई संतों की गोपनीय जांच की गई, जिसमें पाया गया कि उनकी कार्यप्रणाली सनातन धर्म और अखाड़े की रीति-नीति के खिलाफ है। अखाड़ा परिषद ने 13 संतों को निष्कासित किया है तथा अन्य 112 को नोटिस दिया गया है।
महंत रविंद्र पुरी के मुताबिक, अखाड़ा परिषद नियमित रूप से संतों की कार्यप्रणाली की जांच करता है। संदिग्ध कार्यप्रणाली वाले संतों को नोटिस जारी कर उत्तर मांगा जाता है। संत का उद्देश्य धार्मिक तत्वों को बढ़ावा देना है, न कि खुद को ईश्वर के समान दिखाना। जांच के बाद जूना अखाड़े से 54, निरंजनी से 24 और निर्मोही अखाड़े से 34 संतों को नोटिस जारी किया गया है। निष्कासित संतों में कुछ प्रमुख नाम सम्मिलित हैं, जैसे जैनेंद्र दास और हरेंद्रानंद। अन्य संतों को भी नोटिस भेजकर जवाब मांगा गया है।
'मंदिर आए तो वाहन जब्त कर लेंगे..', कांग्रेस सरकार ने 3 दिवसीय लोधी मल्लैया उत्सव पर लगाया प्रतिबंध तो विरोध में उतरे हिन्दू संगठन
विश्व हिंदू परिषद (VHP), तेलंगाना ने हिंदू समुदाय के धार्मिक अधिकारों और भावनाओं पर निर्णय के प्रभाव पर गहरी चिंताओं का हवाला देते हुए लोधी मल्लैया उत्सव पर प्रतिबंध को तत्काल हटाने का आह्वान किया है। यह उत्सव, जो सालाना हजारों भक्तों को आकर्षित करता है, जो पारंपरिक रूप से पहली एकादशी के दिन से शुरू होकर तीन दिनों तक आयोजित किया जाता है। इस साल, यह उत्सव 17 जुलाई, 2024 को शुरू होने वाला है। प्रसिद्ध लोधी मल्लैया मंदिर महबूबनगर जिले के मन्नानूर चेकपोस्ट श्रीशैलम रोड के पास नल्लमल्ला वन में स्थित है।
हालाँकि, राज्य की कांग्रेस सरकार के अंतर्गत आने वाले तेलंगाना वन विभाग और अचंपेट वन रेंज अधिकारी ने एक बयान जारी कर उत्सव को स्थगित करने की घोषणा की है, जिसमें चेतावनी दी गई है कि मंदिर में आने वाले भक्तों को वन कानूनों के तहत दंड का सामना करना पड़ सकता है और उनके वाहन जब्त किए जा सकते हैं। इस घोषणा ने भक्तों, विहिप और हिंदू संगठनों की ओर से कड़ी निंदा की है। राज्य की कांग्रेस सरकार पर सवाल उठाते हुए, विहिप ने कहा कि हिंदू समुदाय ने पिछले साल हुए विधानसभा चुनावों में भी कांग्रेस को वोट दिया था, जिससे उन्हें सत्ता हासिल करने में मदद मिली। अब सरकार बनने के बाद विहिप ने सवाल उठाया है कि कांग्रेस हिंदू मान्यताओं का ख्याल क्यों नहीं रख रही है और क्या वे इस तरह से किसी अन्य समुदाय के त्योहारों पर प्रतिबंध लगाएंगे।
विहिप तेलंगाना के संयुक्त सचिव डॉ. शशिधर ने कहा, "कांग्रेस सरकार द्वारा त्योहार पर प्रतिबंध लगाने का फैसला न केवल हिंदू मान्यताओं को कमजोर करता है, बल्कि समुदाय के मूल अधिकारों का भी उल्लंघन करता है।" उनका तर्क है कि अगर पर्यटकों को पर्यटन पैकेज के तहत पूरे साल इस क्षेत्र में आने की अनुमति दी जाती है, तो तीन दिनों के लिए आने वाले भक्तों के लिए कोई समस्या नहीं होनी चाहिए। विहिप तेलंगाना ने यह भी उजागर किया कि वार्षिक उत्सव ने बाघों के प्रजनन को कभी प्रभावित नहीं किया है, जैसा कि बाघों की बढ़ती आबादी से संकेत मिलता है।
डॉ. शशिधर ने तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी और वरिष्ठ वन अधिकारियों से त्योहार को हमेशा की तरह जारी रखने के लिए तुरंत हस्तक्षेप करने का आह्वान किया है। विहिप तेलंगाना ने अपनी प्रेस विज्ञप्ति में मांग की है कि अचंपेट वन रेंज अधिकारी को हिंदू विरोधी एजेंडे के लिए जवाबदेह ठहराया जाए। संगठन ने अधिकारियों से अचंपेट वन क्षेत्र के भीतर प्रमुख तीर्थ स्थलों पर जाने वाले भक्तों को अधिकारी द्वारा कथित रूप से जानबूझकर बाधा डालने की जांच करने और उसका समाधान करने का भी आग्रह किया। उन्होंने यह भी चेतावनी दी है कि अगर तेलंगाना सरकार प्रतिबंध लागू करती है, तो वे भक्तों के साथ मिलकर सीधे विरोध प्रदर्शन करेंगे। डॉ. शशिधर ने कहा, "हम अधिकारियों को लोगों की आस्था के साथ खिलवाड़ करने के खिलाफ चेतावनी देते हैं।" उन्होंने समुदाय की धार्मिक स्वतंत्रता और परंपराओं को बनाए रखने के लिए इस मुद्दे को हल करने की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया।
'पढ़ाई से कुछ नहीं होगा, पंचर की दुकान से चलेगा घर', भरी सभा में BJP विधायक ने दी युवाओं को सलाह
मध्य प्रदेश के गुना से भाजपा MLA पन्नालाल शाक्य, जो अपनी विवादास्पद बयानों के लिए जाने जाते हैं, एक बार फिर ख़बरों में आ गए हैं। एक कार्यक्रम के चलते उन्होंने युवाओं को सलाह देते हुए कहा कि पढ़ाई-लिखाई कर डिग्री हासिल करने से कुछ नहीं मिलेगा, बल्कि मोटरसाइकिल पंचर की दुकान खोलने से ही जीवन यापन होगा। इस बयान पर लोगों ने उन्हें सोशल मीडिया पर ट्रोल करना आरम्भ कर दिया है।
दरअसल, पन्नालाल शाक्य पर्यावरण संरक्षण को लेकर भाषण दे रहे थे। इसी के चलते उनकी जुबान फिसल गई। कार्यक्रम के चलते पहले तो भारतीय जनता पार्टी MLA ने चिंता जताते हुए कहा कि सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण हो गया है, पेड़-पौधे काटे जा रहे हैं तथा समाप्त किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज हम पीएम कॉलेज का शुभारंभ कर रहे हैं, किन्तु पेड़-पौधों की सुरक्षा की ओर ध्यान नहीं दे रहे।
आगे बोलते हुए उनकी जुबान फिसल गई तथा उन्होंने युवाओं को अजीबो-गरीब सलाह दे डाली। उन्होंने कहा कि पढ़ाई-लिखाई करके डिग्री हासिल करने से कुछ भी नहीं होगा। मोटरसाइकिल पंचर की दुकान खोल लो, कम से कम इससे जीवन यापन तो चलता रहेगा। पन्नालाल शाक्य बहुत ही सामान्य जीवन जीते हैं। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के चलते गुना में प्रचार करते वक़्त भी उनका यह अंदाज देखने को मिला था। गुना में चुनाव प्रचार के चलते उन्होंने कहा था कि चुनाव के पश्चात् या चुनाव के दौरान मंदिर जाना उनके लिए कोई बड़ी बात नहीं है। जनता के बीच रहने वाला व्यक्ति हमेशा जनता के बीच ही रहता है।
Jul 16 2024, 18:35
Saving the shoes...funny video source from twitter