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डोनाल्ड ट्रंप पर जानलेवा हमला, कान को छेदते निकली गोली

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अमेरिका में इस साल के अंत में राष्ट्रपति चुनाव होने हैं। रिपब्लिकन और डेमोक्रेट खेमे के नेता प्रचार में पूरी ताकत झोंक रहे हैं। इस बीच अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर जानलेवा हमला किया गया।पेंसिलवेनिया में चुनावी रैली के दौरान उन पर गोली चली। गोलीबारी की इस घटना में ट्रंप घायल हो गए हैं। गोली चलने के बाद मची अफरा-तफरी के बीच पूर्व राष्ट्रपति और रिपब्लिकन नेता डोनाल्ड ट्रंप को एक काफिले में ले जाया गया। सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में ट्रंप के कान से खून बहता देखा जा सकता है।फिलहाल ट्रंप खतरे से बाहर हैं। उनकी हालत ठीक है। सीक्रेट सर्विस ने दोनों शूटरों को मार गिराया।

पेन्सिलवेनिया के बटलर में पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की रैली में गोलीबारी के मामले में सीबीएस न्यूज ने बताया कि गोली चलने के तुरंत बाद यूएस सीक्रेट सर्विस एजेंटों ने ट्रंप को मंच से नीचे उतार दिया। यूएस सीक्रेट सर्विस अधिकारियों के मुताबिक स्थानीय समयानुसार शाम करीब 6.15 बजे एक संदिग्ध शूटर ने पेंसिलवेनिया के बटलर में रैली स्थल के बाहर एक ऊंचे स्थान से मंच की तरफ निशाना साधकर कई गोलियां चलाईं। बताया जाता है कि एक शूटर भीड़ में था जबकि दूसरा शूटर वहां मौजूद किसी बिल्डिंग की छत पर मौजूद था। ट्रंप से 100 की दूरी पर स्थित बिल्डिंग की छट पर शूटर था। वहीं से उसने ट्रंप पर निशाना लगाया था. सीक्रेट सर्विस ने दोनों शूटरों को ढेर कर दिया।

हमले के बाद ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट पर लिखा, ‘मेरे दाहिने कान के ऊपरी हिस्से में गोली लगी. कान के ऊपरी हिस्से को छेदते हुए गोली निकल गई। बहुत ज्याद खून बह रहा था। भगवान अमेरिका को आशीर्वाद दें।

सुरक्षा एजेंसियों की तरफ से जारी बयान के मुताबिक ट्रंप सुरक्षित हैं।रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक सीक्रेट सर्विस विभाग के संचार प्रमुख एंथनी गुग्लिल्मी ने एक्स पर जारी बयान में कहा, 13 जुलाई की शाम को पेन्सिलवेनिया में ट्रंप की रैली में एक घटना घटी। उन्होंने कहा कि एक दर्शक की मौत हो गई और दो अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। सीक्रेट सर्विस ने देश की संघीय जांच एजेंसी (एफबीआई) को वारदात के संबंध में सूचित कर दिया है।

मोदी सरकार ने किसानों के लिए की बड़ी तैयारी, 23 जुलाई को बजट में हो सकता है ये बड़ा ऐलान!

23 जुलाई 2024 को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मोदी 3.0 कार्यकाल का पहला बजट पेश करने वाली हैं इस पर पूरे देश की निगाह टिकी हुई है सभी को उम्मीद है कि, इस बजट सरकार सभी कैटेगरी लिए कुछ खास ऐलान कर सकती है. इतना ही नहीं इस बजट से सबसे ज्यादा उम्मीद किसानों को हैं. दरअसल, पिछले बजट में भी कयास लगाए गए थे कि, सरकार पीएम किसान सम्मान निधि की राशि को बढ़ाएगी? लेकिन ऐसा हुआ नहीं, लेकिन बजट की चर्चा के बीच एक खबर आई है. बिजनेस टुडे टीवी के सरकारी सूत्रों ने बताया है कि केंद्र PM Kisan Samman Nidhi के लिए बजटीय आवंटन को 30 प्रतिशत बढ़ाकर लगभग 80,000 करोड़ रुपये कर सकता है. बता दें कि, यदि ऐसा होता है तो किसानों को तीन क़िस्त में मिलने वाली 6000 की राशि बढ़कर 8000 हो जाएगी. बताया जा रहा है कि, पीएम किसान सम्मान निधिके लिए आवंटन 60,000 करोड़ रुपये तय किया था, जिसमें हर किसान को सालाना 6,000 रुपये का भत्ता था. बताया जा रहा है कि, जून के अंतिम सप्ताह में आयोजित बजट पूर्व परामर्श बैठकों के दौरान कृषि प्रतिनिधियों ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मांग की थी, जिसके बाद यह राशि बढ़कर 8,000 रुपये प्रति किसान हो सकती है. बिजनेस टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, किसान यूनियन के बद्री नारायण चौधरी ने कहा कि हमने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से पीएम किसान के तहत आवंटन को 6,000 रुपये से बढ़ाकर 8,000 रुपये करने का अनुरोध किया है. अभी ये राशि तीन किस्‍त में जारी की जाती है.
नाइजीरिया में स्कूल की बिल्डिंग ढहने से बड़ा हादसा, मलबे के नीचे दबने से 22 बच्चों की मौत, 100 से ज्यादा घायल


बच्चे हंसते-खेलते स्कूल पहुंचे ही थे कि अचानक स्कूल की बिल्डिंग ढह गई। मलबे के नीचे दबने से 22 छात्रों की मौत हो चुकी है। वहीं 100 से ज्यादा स्टूडेंट्स घायल हुए हैं, जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। 2 मंजिला पूरी इमारत ध्वस्त हो गई है। नाइजीरिया की राष्ट्रीय आपातकालीन प्रबंधन एजेंसी ने हादसे की पुष्टि की। हादसा उत्तर-मध्य नाइजीरिया में प्लैटो राज्य के बस बुजी कम्युनिटी में स्थित सेंट्स एकेडमी कॉलेज में हुआ। स्टूडेंट्स क्लास में एंटर हुए ही थे कि इमारत ढह गई। मारे गए और घायल हुए स्टूडेंट्स में की उम्र 15 वर्ष या इससे कम बताई जा रही है। मलबे के नीचे कुल 155 स्टूडेंट्स दबे थे, लेकिन बचाव अभियान में 22 बच्चों के शव मिले। बाकी को सकुशल रेस्क्यू कर लिया गया। प्लैटो पुलिस के प्रवक्ता अल्फ्रेड अलाबो ने बताया कि घायल बच्चों का इलाज अलग-अलग अस्पतालों में चल रहा है। हादसे की जानकारी मिलते ही हजारों लोग हादसास्थल पर जुटे और बचाव दल के मिलकर रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया। प्लैटो राज्य के सूचना आयुक्त मूसा अशोम्स ने बयान दिया कि घायल बच्चों को जल्द से जल्द इलाज की सुविधा सुनिश्चित कराने के लिए सरकार ने अस्पतालों को बिना किसी डॉक्यूमेंटेश और पेमेंट के इलाज करने के आदेश दिए हैं। राज्य सरकार ने हादसे के लिए स्कूल के ‘कमजोर स्ट्रक्चर और इसके नदी के किनारे होने को जिम्मेदार ठहराया। सरकार ने उन सभी स्कूलों की जांच करने के आदेश दिए हैं, जिनकी इमारतें बहुत पुरानी और जर्जर हो चुकी हैं। जांच रिपोर्ट मिलने के बाद स्कूलों को बंद करने की कार्रवाई की जा सकती है। बताया जा रहा है कि बिल्डिंग गिरते हुए चीख पुकार बच गई। बच्चे जान बचाने के मदद मांगते नजर आए। चिल्लाने की आवाजें सुनकर लोग दौड़े आए। बता दें कि नाइजीरिया अफ्रीका के सबसे अधिक आबादी वाले देशों में से एक है। यहां सेफ्टी रूल्स फॉलो न करने के चलत इस तरह के हादसे होते रहते हैं।
मोदी सरकार ने किसानों के लिए की बड़ी तैयारी, 23 जुलाई को बजट में हो सकता है ये बड़ा ऐलान!

23 जुलाई 2024 को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मोदी 3.0 कार्यकाल का पहला बजट पेश करने वाली हैं इस पर पूरे देश की निगाह टिकी हुई है सभी को उम्मीद है कि, इस बजट सरकार सभी कैटेगरी लिए कुछ खास ऐलान कर सकती है. इतना ही नहीं इस बजट से सबसे ज्यादा उम्मीद किसानों को हैं.  

दरअसल, पिछले बजट में भी कयास लगाए गए थे कि, सरकार पीएम किसान सम्मान निधि की राशि को बढ़ाएगी? लेकिन ऐसा हुआ नहीं, लेकिन बजट की चर्चा के बीच एक खबर आई है. बिजनेस टुडे टीवी के सरकारी सूत्रों ने बताया है कि केंद्र PM Kisan Samman Nidhi के लिए बजटीय आवंटन को 30 प्रतिशत बढ़ाकर लगभग 80,000 करोड़ रुपये कर सकता है.

बता दें कि, यदि ऐसा होता है तो किसानों को तीन क़िस्त में मिलने वाली 6000 की राशि बढ़कर 8000 हो जाएगी. बताया जा रहा है कि, पीएम किसान सम्मान निधिके लिए आवंटन 60,000 करोड़ रुपये तय किया था, जिसमें हर किसान को सालाना 6,000 रुपये का भत्ता था. 

बताया जा रहा है कि, जून के अंतिम सप्ताह में आयोजित बजट पूर्व परामर्श बैठकों के दौरान कृषि प्रतिनिधियों ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मांग की थी, जिसके बाद यह राशि बढ़कर 8,000 रुपये प्रति किसान हो सकती है. बिजनेस टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, किसान यूनियन के बद्री नारायण चौधरी ने कहा कि हमने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से पीएम किसान के तहत आवंटन को 6,000 रुपये से बढ़ाकर 8,000 रुपये करने का अनुरोध किया है. अभी ये राशि तीन किस्‍त में जारी की जाती है.

मुकेश अंबानी के बेटे अनंत की शादी में क‍ितना खर्च हुआ? जीरो ग‍िनते-ग‍िनते थक जाएंगे आप, बन गई दुनिया की यादगार शादी

रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के चेयरमैन और एमडी मुकेश अंबानी के छोटे बेटे अनंत अंबानी और राधिका मर्चेंट शादी के बंधन में बंध गए है। शुक्रवार को शादी समारोह में शामिल होने के लिए देश-विदेश से बड़े दिग्गज जियो वर्ल्ड सेंटर पहुंचे थे। 12 जुलाई, वो यादगार दिन है जब अनंत अंबानी और राधिका मर्चेंट जन्मों जन्मांतर के बंधन में बंधे। जियो वर्ल्ड सेंटर में अनंत-राधिका की शाही शादी हुई। देश-विदेश के वीवीआईपी मेहमान शिरकत करने पहुंचे। अनंत अंबानी और राधिका मर्चेंट की शादी के चर्चे हर तरफ हैं। अनंत-राधिका की खुशी में बॉलीवुड से लेकर हॉलीवुड के कई सितारे शामिल हुए। दोनों के लिए शुक्रवार का दिन काफी खास था। पिछले 3 महीने से अनंत-राधिका की शादी के लिए तैयारियां की जा रही थीं। लेकिन क्या आपको पता है मुकेश अंबानी और उनकी पत्नी नीता अंबानी ने अपनी संपत्ति का एक बहुत बड़ा हिस्सा अपने बेटे अनंत अंबानी की शादी पर खर्च किया है। अनंत अंबानी और राधिका मर्चेंट की शादी की चर्चा पूरी दुनिया में हो रही है। जानकारी के मुताबिक, यह दुनिया की सबसे महंगी शादियों में से एक होगी। मुकेश अंबानी अपने बेटे अनंत और बहू राधिका के लिए पानी की तरह पैसा बहा रहे हैं। इस बीच इन दोनों की वेडिंग पर खर्च होने वाले पैसे को लेकर एक रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें यह बताया गया है कि मुकेश अंबानी के छोटे बेटे अनंत अंबानी की शादी पर कितना पैसा खर्च हो रहा है। अंबानी परिवार की तरफ से भेजे गए एक निमंत्रण कार्ड की कीमत ही तकरीबन सात लाख रुपये बताई जा रही है। वहीं, अनंत मर्चेंट और राधिका मर्चेंट के प्री-वेडिंग समारोह का कुल खर्च करीब एक हजार करोड़ रुपये आंका गया है। दूसरे प्री-वेडिंग समारोह में 500 करोड़ रुपये खर्च होने की जानकारी है। इतना ही नहीं शादी और उसके बाद तीन दिन तक चलने वाले समारोह की बात करें तो अंबानी परिवार अनंत की शादी पर तकरीबन तीन हजार करोड़ रुपये खर्च कर रहा है। मीडिया रिपोर्ट की मानें तो अंबानी परिवार ने अनंत अंबानी और राधिका मर्चेंट की पहली प्री-वेडिंग सेरेमनी पर तकरीबन एक हजार करोड़ रुपये खर्चे। यह सेरेमनी एक से तीन मार्च तक गुजरात के जामनगर में आयोजित की गई थी। इसमें बॉलीवुड से लेकर हॉलीवुड तक के सितारों ने शिरकत की और अपनी परफॉर्मेंस से पार्टी में चार चांद लगा दिए। जानकारी तो यह भी है कि समारोह के दौरान जामनगर में करीब 350 से अधिक विमानों का आना-जाना हुआ था। इतना ही नहीं मेहमानों के आने-जाने का खर्च भी अंबानी परिवार ने ही उठाया था। अनंत अंबानी की ओर से दूसरी प्री वेडिंग सेरेमनी इटली में आयोजित की गई थी। पार्टी क्रूस पर हुई। इसमें भी मनोरंजन और व्यापार जगत की नामचीन हस्तियों का तांता लगा रहा। अंबानी परिवार ने अपने मेहमानों के लिए 10 चार्टर फ्लाइट बुक की थी। साथ ही उनकी सहूलियत को ध्यान में रखते हुए 12 प्राइवेट एयरक्राफ्ट का इंतजाम किया था। 150 से अधिक लग्जरी गाड़ियों में मेहमानों का आना-जाना हुआ। मीडिया रिपोर्ट की मानें तो अंबानी परिवार ने इटली में आयोजित इस समारोह में तकरीबन 500 करोड़ रुपये खर्च किए। इस तरह अनंत अंबानी और राधिका मर्चेंट के प्री वेडिंग समारोह में तकरीबन डेढ़ हजार करोड़ रुपये खर्च किए गए। वहीं, रिपोर्ट्स की मानें तो अंबानी परिवार के छोटे बेटे की शादी में तकरीबन दो हजार करोड़ रुपये का खर्चा बैठ रहा है। तो, कुल मिलाकर अनंत अंबानी और राधिका मर्चेंट की शादी का बजट साढ़े तीन करोड़ रुपये होने वाला है। इस तरह यह भारत नहीं बल्कि पूरे विश्व की सबसे महंगी शादियों में से एक बन गई है।
अब अर्जेंटीना ने भी 'हमास' को घोषित कर दिया आतंकी संगठन, फिलिस्तीनी समूह की वित्तीय परिसंपत्तियों पर रोक लगाने का आदेश

अर्जेंटीना ने फिलिस्तीनी आतंकी संगठन हमास को आधिकारिक तौर पर आतंकवादी संगठन घोषित कर दिया है। इसके साथ ही फिलिस्तीनी समूह की वित्तीय परिसंपत्तियों पर रोक लगाने का आदेश दिया है। रिपोर्ट के अनुसार, यह कदम राष्ट्रपति जेवियर मिली के इजरायल समर्थक रुख का प्रतीक है, क्योंकि वह अर्जेंटीना को इजरायल और अमेरिका के साथ मजबूती से जोड़ना चाहते हैं।

राष्ट्रपति के कार्यालय ने 7 अक्टूबर, 2023 को इजरायल पर हमास के सीमा पार हमले का हवाला दिया, जिसमें लगभग 1,200 लोग मारे गए और 250 लोगों को बंधक बना लिया गया, जो इजरायल के 76 साल के इतिहास में सबसे घातक हमलों में से एक था। एक आधिकारिक बयान में हमास के मुस्लिम देश ईरान के साथ घनिष्ठ संबंधों का भी उल्लेख किया गया है, जिसे अर्जेंटीना ने देश में यहूदी स्थलों पर दो घातक आतंकवादी हमलों के लिए जिम्मेदार ठहराया है। यह कदम 1994 में अर्जेंटीना में यहूदी समुदाय केंद्र पर हुए बम विस्फोट की 30वीं वर्षगांठ से कुछ दिन पहले उठाया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, अर्जेंटीना के आधुनिक इतिहास में इस तरह के सबसे भयानक हमले में 85 लोग मारे गए और सैकड़ों अन्य घायल हो गए थे।

वहीं, 1992 में ब्यूनस आयर्स में इजरायली दूतावास पर हुए दूसरे हमले में 20 से ज़्यादा लोग मारे गए थे। अर्जेंटीना की न्यायपालिका ने लेबनान के ईरान समर्थित हिज़्बुल्लाह आतंकवादी समूह के सदस्यों पर दोनों हमलों को अंजाम देने का आरोप लगाया है। फ़िलहाल, हिज्बुल्ला, हमास के साथ मिलकर इजराइल पर हमले कर रहा है। शुक्रवार को राष्ट्रपति ने “आतंकवादियों को उनकी वास्तविक पहचान के लिए अपनी अटूट प्रतिबद्धता” की घोषणा की, और कहा कि “यह पहली बार है कि ऐसा करने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति है।”

बता दें कि, अमेरिका, यूरोपीय संघ और कई अन्य देशों ने हमास को आतंकवादी घोषित कर दिया है, जो इजरायल के साथ वर्तमान युद्ध से पहले गाजा पट्टी पर बाकायदा लोगों के वोट लेकर शासन करता था, यानी फिलिस्तीनी लोग भी आतंकी संगठन के समर्थन में ही थे। हालाँकि, अर्जेंटीना में पूर्ववर्ती वामपंथी सरकारों ने फिलिस्तीनी के प्रति समर्थन भी जताया है। '   

आज भी इजराइल के लगभग 200 लोग हमास के पास बंधक हैं।

अब अर्जेंटीना ने भी 'हमास' को घोषित कर दिया आतंकी संगठन, फिलिस्तीनी समूह की वित्तीय परिसंपत्तियों पर रोक लगाने का आदेश

अर्जेंटीना ने फिलिस्तीनी आतंकी संगठन हमास को आधिकारिक तौर पर आतंकवादी संगठन घोषित कर दिया है। इसके साथ ही फिलिस्तीनी समूह की वित्तीय परिसंपत्तियों पर रोक लगाने का आदेश दिया है। रिपोर्ट के अनुसार, यह कदम राष्ट्रपति जेवियर मिली के इजरायल समर्थक रुख का प्रतीक है, क्योंकि वह अर्जेंटीना को इजरायल और अमेरिका के साथ मजबूती से जोड़ना चाहते हैं। राष्ट्रपति के कार्यालय ने 7 अक्टूबर, 2023 को इजरायल पर हमास के सीमा पार हमले का हवाला दिया, जिसमें लगभग 1,200 लोग मारे गए और 250 लोगों को बंधक बना लिया गया, जो इजरायल के 76 साल के इतिहास में सबसे घातक हमलों में से एक था। एक आधिकारिक बयान में हमास के मुस्लिम देश ईरान के साथ घनिष्ठ संबंधों का भी उल्लेख किया गया है, जिसे अर्जेंटीना ने देश में यहूदी स्थलों पर दो घातक आतंकवादी हमलों के लिए जिम्मेदार ठहराया है। यह कदम 1994 में अर्जेंटीना में यहूदी समुदाय केंद्र पर हुए बम विस्फोट की 30वीं वर्षगांठ से कुछ दिन पहले उठाया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, अर्जेंटीना के आधुनिक इतिहास में इस तरह के सबसे भयानक हमले में 85 लोग मारे गए और सैकड़ों अन्य घायल हो गए थे। वहीं, 1992 में ब्यूनस आयर्स में इजरायली दूतावास पर हुए दूसरे हमले में 20 से ज़्यादा लोग मारे गए थे। अर्जेंटीना की न्यायपालिका ने लेबनान के ईरान समर्थित हिज़्बुल्लाह आतंकवादी समूह के सदस्यों पर दोनों हमलों को अंजाम देने का आरोप लगाया है। फ़िलहाल, हिज्बुल्ला, हमास के साथ मिलकर इजराइल पर हमले कर रहा है। शुक्रवार को राष्ट्रपति ने “आतंकवादियों को उनकी वास्तविक पहचान के लिए अपनी अटूट प्रतिबद्धता” की घोषणा की, और कहा कि “यह पहली बार है कि ऐसा करने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति है।” बता दें कि, अमेरिका, यूरोपीय संघ और कई अन्य देशों ने हमास को आतंकवादी घोषित कर दिया है, जो इजरायल के साथ वर्तमान युद्ध से पहले गाजा पट्टी पर बाकायदा लोगों के वोट लेकर शासन करता था, यानी फिलिस्तीनी लोग भी आतंकी संगठन के समर्थन में ही थे। हालाँकि, अर्जेंटीना में पूर्ववर्ती वामपंथी सरकारों ने फिलिस्तीनी के प्रति समर्थन भी जताया है। ' आज भी इजराइल के लगभग 200 लोग हमास के पास बंधक हैं।
जालंधर उपचुनाव में दिखा AAP का जलवा, मोहिंदर भगत ने बड़े मार्जिन से दर्ज की जीत

पंजाब उपचुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP) के मोहिंदर भगत जालंधर पश्चिम विधानसभा सीट पर विजयी हुए हैं। उन्होंने भाजपा की शीतल अंगुराल को 37,000 से अधिक मतों से हराया। चुनाव अधिकारियों ने इसकी पुष्टि की है। भगत को 55,246 वोट मिले, जबकि अंगुराल को 17,921 वोट मिले। कांग्रेस पार्टी की सुरिंदर कौर 16,757 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहीं।

यह उपचुनाव AAP विधायक अंगुराल के इस्तीफे के कारण हुआ था, जो बाद में मार्च में भाजपा में शामिल हो गए थे। मतदान शांतिपूर्ण तरीके से हुआ और चंडीगढ़ के लायलपुर खालसा महिला कॉलेज में सुबह 8 बजे वोटों की गिनती शुरू हो गई। शिरोमणि अकाली दल (SAD) की उम्मीदवार सुरजीत कौर को 1,242 वोट मिले, जबकि बीएसपी के बिंदर कुमार को 734 वोट मिले। यह जीत पंजाब में एक महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाक्रम है, जो क्षेत्र में बदलते गठबंधनों और मतदाताओं की भावनाओं को दर्शाता है।

चुनाव आयोग के एक अधिकारी के अनुसार, पश्चिम बंगाल में चार विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव के दौरान शाम पांच बजे तक 62.71% मतदान दर्ज किया गया था। रायगंज में सबसे ज़्यादा 67.12% मतदान हुआ, उसके बाद रानाघाट दक्षिण में 65.37%, बगदाह में 65.15% और मानिकतला में 51.39% मतदान हुआ। इन निर्वाचन क्षेत्रों में सामूहिक रूप से लगभग 10 लाख मतदाता हैं। 2021 के विधानसभा चुनावों में, भाजपा ने रानाघाट दक्षिण और बगदाह में जीत हासिल की थी।

उत्तराखंड के मंगलौर विधानसभा उपचुनाव में, एक हिंसक घटना में चार लोगों के घायल होने के बावजूद, 67.28% मतदान हुआ। वहीं, बद्रीनाथ में मतदान शांतिपूर्ण रहा और 47.68% मतदान हुआ था। हिमाचल प्रदेश में तीन निर्वाचन क्षेत्रों में हुए उपचुनावों में 71% मतदान हुआ। नालागढ़ में सबसे ज़्यादा 78.1% मतदान हुआ, उसके बाद हमीरपुर में 67.1% और देहरा में 65.2% मतदान हुआ। पंजाब के जालंधर पश्चिम विधानसभा उपचुनाव में 51.30% मतदान हुआ, जो 2022 के राज्य चुनाव में हुए 67% मतदान से कम है।

शहीद दिवस पर मुझे नजरबंद कर दिया..', महबूबा मुफ्ती ने दिखाई दरवाजे पर ताले की तस्वीर, केंद्र पर साधा निशाना

 केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्रियों उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती ने दावा किया कि उन्हें कश्मीर शहीद दिवस पर मजार-ए-शुहादा जाने से रोकने के लिए नजरबंद किया गया। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) सुप्रीमो महबूबा मुफ्ती ने अपने आवास के गेट पर ताला लगे होने की तस्वीरें एक्स पर साझा कीं है।

उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा है कि, "मुझे मजार-ए-शुहादा जाने से रोकने के लिए मेरे घर के दरवाजे एक बार फिर बंद कर दिए गए हैं। ये सत्तावाद, उत्पीड़न और अन्याय के खिलाफ कश्मीर के प्रतिरोध और लचीलेपन का एक स्थायी प्रतीक है। हमारे शहीदों का बलिदान इस बात का प्रमाण है कि कश्मीरियों की भावना को कुचला नहीं जा सकता। आज इस दिन शहीद हुए प्रदर्शनकारियों की याद में इसे मनाना भी अपराध बन गया है।" बता दें कि, प्रत्येक वर्ष 13 जुलाई को अधिकतर मुस्लिम नेता श्रीनगर स्थित मजार-ए-शुहादा पर उन 22 प्रदर्शनकारियों को श्रद्धांजलि देने आते हैं, जो शेख अब्दुल्ला जैसे मुस्लिम नेताओं के नेतृत्व में तत्कालीन महाराजा के खिलाफ आंदोलन कर रहे थे और इसके बाद 1931 में तत्कालीन महाराजा की सेना ने गोली मार दी थी।

केंद्र पर निशाना साधते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि यह "हमारी सामूहिक स्मृतियों को मिटाने" की कोशिश है। वहीं, नेशनल कांफ्रेंस (NC) के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने भी सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने लिखा कि, "एक और 13 जुलाई, शहीद दिवस, फिर से दरवाजे बंद... देश में हर जगह इन लोगों की शहादत का जश्न मनाया जाता है, लेकिन जम्मू-कश्मीर में प्रशासन इन बलिदानों को नजरअंदाज करना चाहता है। यह आखिरी साल है, जब वे ऐसा कर पाएंगे। इंशाअल्लाह, अगले साल हम 13 जुलाई को उस गंभीरता और सम्मान के साथ मनाएंगे, जिसका यह दिन हकदार है।

जम्मू-कश्मीर को लेकर केंद्र का बड़ा फैसला, उपराज्यपाल को मिली दिल्ली के एलजी जैसी पावर

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केन्द्र की मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर को लेकर का बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा की ताकत बढ़ा दी है। केन्द्र सरकार ने राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर ये फैसला लिया है। जम्मू-कश्मीर में कुछ समय बाद विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इससे पहले मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 की धारा 55 में संशोधन किया है। इस संशोधन के बाद अब जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल दिल्ली के एलजी की तरह अधिकारियों के ट्रांसफर पोस्टिंग जैसे फैसले कर पाएंगे।

गृहमंत्रालय ने जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 की धारा 55 के तहत संशोधित नियमों को अधिसूचित किया। इसमें उपराज्यपाल की भूमिका को परिभाषित करने वाले नए खंड जोड़े गए हैं। अधिसूचना में कहा गया है कि कानून के तहत उपराज्यपाल के विवेक का इस्तेमाल करने के लिए पुलिस, कानून व्यवस्था, एआईएस और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी ) से संबंधित किसी भी प्रस्ताव को वित्त विभाग की पूर्व सहमति की आवश्यकता नहीं होगी, बशर्ते कि प्रस्ताव को मुख्य सचिव के माध्यम से उपराज्यपाल के समक्ष रखा गया हो।

एलजी के पास होंगी ये शक्तियां

गृहमंत्रालय के फैसले के बाद अब जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल की प्रशासनिक भूमिका का दायरे बढ़ जाएगा। इस संशोधन के बाद उपराज्यपाल को अब पुलिस, कानून व्यवस्था, एआईएस से जुड़े मामलों में ज्यादा अधिकार होंगे। पहले, एआईएस से जुड़े मामलों (जिनमें वित्त विभाग की सहमति जरूरी होती थी) और उनके तबादलों और नियुक्तियों के लिए वित्त विभाग की मंजूरी जरूरी थी। लेकिन अब उपराज्यपाल को इन मामलों में भी ज्यादा अधिकार मिल गए हैं। इसके अलावा अब महाधिवक्ता, कानून अधिकारियों की नियुक्ति और मुकदमा चलाने की अनुमति देने या इनकार करने या अपील दायर करने से संबंधित प्रस्ताव पहले उपराज्यपाल के सामने रखे जाएंगे। जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम में संशोधन के बाद पुलिस, पब्लिक ऑर्डर, ऑल इंडिया सर्विस और एंटी करप्शन ब्यूरो से रिलेटेड प्रस्तावों पर वित्त विभाग की सहमति के बिना फैसला लेने का अधिकार उपराज्यपाल के पास रहेगा।

उमर अब्दुल्ला ने फैसले पर उठाए सवाल

मोदी सरकार के इस फैसले पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने सवाल उठाया है। जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल को अधिक शक्तियां देने पर उन्होंने कहा है कि अब छोटी से छोटी नियुक्ति के लिए भीख मांगनी पड़ेगी। जम्मू-कश्मीर को रबर स्टांप मुख्यमंत्री नहीं चाहिए। जम्मू-कश्मीर के लोग बेहतर सीएम के हकदार हैं।