नए आपराधिक कानूनों के जरिए मोदी सरकार ने तय समय सीमा में सभी को न्याय मिल सके यह सुनिश्चित करने का काम किया है : बीजेपी
डेस्क : भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता अरविन्द कुमार सिंह ने कहा है कि मोदी सरकार ने सार्वजनिक सेवा और कल्याण पर केन्द्रित कानूनों से एक नए युग की शुरुआत की हैं। न्याय एक शब्द भर नहीं, बल्कि विशालता समेटे हुए सभ्य समाज की नींव डालता है। नए कानून में दंड नहीं, समय पर न्याय मिले यह अंतर्निहित है। नए आपराधिक कानून दंड केन्द्रित न होकर, समय पर न्याय केन्द्रित हैं।
उन्होंने कहा है कि तारीख पे तारीख नहीं, समय-सीमा में निर्णय भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता यह सुनिश्चित करता है कि देश में न्याय प्राप्त करने में गरीबों के लिए कोई आर्थिक बाधा न हो। पुलिस द्वारा कार्रवाई को लेकर सीआरपीसी में कोई समय निर्धारित नहीं है। अगर कोई शिकायत देता है तो उसका संज्ञान 10 साल बाद भी ले सकते हैं लेकिन अब तीन दिनों के भीतर ही एफआईआर दर्ज करनी होगी। अगर प्राथमिक जांच हो चुकी है तो 3 से 7 साल तक की सजा में 14 दिनों के अंदर प्रारंभिक जांच करके बताना होगा कि आरोप सही है या गलत।
इतना ही नहीं, जांच रिपोर्ट जो जिला मजिस्ट्रेट को भेजनी है, जिसके लिए कोई समय का प्रावधान नहीं था। लेकिन अब 24 घंटे में तलाशी रिपोर्ट के बाद उसको न्यायालय के सामने रख दिया जाएगा। साथ ही, पहले 60 से 90 दिन में चार्जशीट करने का एक कानूनी प्रावधान था, लेकिन उसके बाद भी री- इन्वेस्टीगेशन, जांच चालू है जैसी बात करके चार्जशीट लटकाई जाती थी। लेकिन अब नए कानून में 60 से 90 दिन का समय तो रहेगा, लेकिन 90 दिन के बाद आगे की जांच के लिए न्यायालय से आदेश लेना पड़ेगा और चार्जशीट को 180 दिनों के बाद लंबित नहीं रखा जा सकता है। ऐसा करके नए कानून में ट्रायल जल्दी हो, इसकी शुरुआत कर दी गई है।
श्री अरविन्द ने कहा की मोदी सरकार ने सभी को समय पर न्याय मिल सके वह इन तीन नए अपराधी कानून में प्रावधान करके सुनिश्चित करने का काम किया है। इस कानून के संपूर्ण अमल के बाद से 'तारीख पे तारीख' का जमाना बीते सदी की बात होगी। तीन साल में किसी भी पीड़ित को न्याय मिल जाए, ऐसी न्याय प्रणाली इस देश के अंदर प्रस्थापित हो गई है और कानून में न्याय के लिए प्रावधान किए गए है।
जजमेंट पहले सालों-साल नहीं आते थे लेकिन अब मुकदमे की समाप्ति के बाद जज साहब को 45 दिनों के अंदर ही जजमेंट देने पड़ेंगे। इससे अधिक देरी नहीं कर सकते। साथ ही सजा-निर्णय के सात दिनों के अंदर ही फैसले की कॉपी अपलोड करनी होगी।
बार-बार स्थगन से होने वाली देरी को कम करने के लिए भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के सेक्शन 346 में व्यवस्था की गई है कि न्यायालय, विरोधी पक्ष की आपत्तियों पर विचार करने के बाद, लिखित रूप में दर्ज किए जाने वाले कारणों के लिए दो से अधिक स्थगन नहीं दे सकते हैं।
मोदी सरकार ने नए कानूनों के जरिए यह सुनिश्चित करने का काम किया है कि हमारे समाज के गरीबों, हाशिए पर रहने वाले और कमजोर वर्गों को समय पर बेहतर सुरक्षा मिले। नए आपराधिक कानून समय पर न्याय की सुगमता का एक नया युग की शुरुआत हैं।
Jul 12 2024, 18:25