क्या युद्ध की तैयारी कर रहा है चीन? जरूरत से कई गुना ज्यादा तेल जमा करना दे रहे इसके संकेत
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क्या चीन युद्ध की तैयारी कर रहा है? चीन जिस तरह से युद्ध के दौरान जरूरत पड़ने वाली चीजों का स्टॉक करने में जुटा है, उससे इस तरह के सवाल उठ रहे है। यही नहीं चीन के तेवर जिस तरह से दिख रहे हैं, उससे भी ये आशंका जताई जा रही है। नवंबर 2022 में चीन के राष्ट्रपति के तौर पर तीसरी बार चुने जाने के बाद शी जिनपिंग ने सैन्यकर्मियों को संबोधित करते हुए कहा था कि चीन की राष्ट्रीय सुरक्षा बढ़ती अस्थिरता और अनिश्चितता का सामना कर रही है। ऐसे में हमें युद्ध लड़ने और जीतने के लिए तैयार रहना चाहिए। पिछले दो दशक में भारत से लेकर दक्षिण चीन सागर तक विभिन्न क्षेत्रों में अप्रत्याशित तरीके से आक्रामक दावे करने शुरू किए हैं। चीन ने खरबों डॉलर खर्च करके अपनी सेना को हाइपरसोनिक मिसाइलों से लेकर पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट से लैस किया है। सबसे बड़ी आशंका ड्रैगन के कच्चे तेल के भंडारण को लेकर है
पूर्वी चीन के डोंगयिंग बंदरगाह पर, 2024 की शुरुआत में कई टैंकर एक साथ रूसी कच्चे तेल को उतारते हुए देखे गए हैं। जिसके बाद चीन ने पिछले साल के अंत तक 31.5 मिलियन बैरल का भंडारण कर लिया है। चीन शांति काल में प्रतिदिन लगभग 14 मिलियन बैरल तेल की खपत करता है। हालाँकि, जिस तरह के हालात है स्पष्ट प्रतीत होता है कि चीन जानबूझकर तेजी से भंडारण कर रहा है। जो आवश्यक कच्चे माल और संसाधन को इकट्ठा करने के एक बहुत व्यापक राष्ट्रीय प्रयास का हिस्सा है।
यह एक ऐसा कदम है जिसके बारे में कुछ लोगों को संदेह है कि इसका उद्देश्य बीजिंग को भविष्य के किसी भी युद्ध या अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंधों से बचाना है, जैसे कि ताइवान पर संभावित चीनी आक्रमण से उत्पन्न होने वाले प्रतिबंध। युद्ध के दौरान उसे कच्चे तेल की सप्लाई में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है या फिर उस पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लग सकते हैं, जिससे उसकी फैक्ट्रियों की कमर टूट जाएगी। इसीलिए वह अपनी जरूरत से कई गुना ज्यादा तेल स्टोर करने में लगा है, जिससे हालात विपरीत भी हों तो भी देश के उद्योग धंधे काम करते रहें।
जिनपिंग अपने देश को टकराव के लिए तैयार कर रहे!
17 अप्रैल को प्रकाशित अंतर्राष्ट्रीय मामलों और संघर्ष ब्लॉगिंग साइट "वॉर ऑन द रॉक्स" के लिए एक लेख में, अमेरिकी नौसेना खुफिया और खुफिया कार्यालय के पूर्व कमांडर और यूएस इंडो-पैसिफिक कमांड के निदेशक माइक स्टडमैन ने तर्क दिया कि यह एक बहुत व्यापक प्रक्रिया का हिस्सा था। उन्होंने लिखा, "शी जिनपिंग अपने देश को टकराव के लिए तैयार कर रहे हैं," उन्होंने चीनी नेता को "चीनी समाज का सैन्यीकरण करने और अपने देश को संभावित उच्च तीव्रता वाले युद्ध के लिए तैयार करने" के रूप में वर्णित किया। उन्होंने सुझाव दिया कि इसका एक हिस्सा आवश्यक वस्तुओं और संसाधनों के रणनीतिक भंडार का निर्माण करना, यूक्रेन पर आक्रमण के बाद रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों से चीन की रक्षा करना - या, वास्तव में, क्षेत्रीय या वैश्विक युद्ध के हिस्से के रूप में सैन्य रूप से लागू की गई नाकाबंदी शामिल है। उन्होंने कहा कि बढ़ी हुई तैयारियों के अन्य उदाहरणों में ताइवान के आसपास चीनी सैन्य अभियानों की बहुत अधिक गति शामिल है - जिसका उद्देश्य चीन की सेना का अभ्यास करना और ताइपे में सरकार को अपनी कुल सैन्य नाकाबंदी के परिणामों से धमकाना है।
अन्य प्रमुख संकेतक
केवल कच्चे तेल का भंडारण ही नहीं, अन्य महत्वपूर्ण संकेतक भी हैं जिन पर ध्यान देने की जरूरत है। पिछले पांच सालों में चीनी सेना का विस्तार और आधुनिकिकरण तेजी से हुआ है और हाइपरसोनिक सिलाइल प्रौद्योगिकी में इसकी प्रगति बीजिंग को लाभ की स्थिति में रखती है, क्योंकि अमेरिका ने अभी तक इसके समकक्ष कोई मिसाइल तैनात नहीं की है।
चीन का इरादा ताइवान का एकीकरण
चीन का इरादा साल 2025 तक ताइवान का मुख्य भूमि से एकीकरण करने का है। ताइवान में नए राष्ट्रपति के आने के बाद चीनी सेना ने बहुत बड़े पैमाने पर सैन्य ड्रिल शुरू की है। विश्लेषकों का कहना है कि यह ताइवानी राष्ट्रपति को डराने की कोशिश है जो खुलकर चीन का विरोध कर रहे हैं। चीन की पहले कोशिश थी कि शांतिपूर्ण तरीके से एकीकरण हो जाए लेकिन अब ऐसा होता नहीं दिख रहा है। ताइवान की रणनीति है कि अमेरिका की मदद से यथास्थिति को बहाल रखा जाए। वहीं चीन अमेरिका से लेकर ताइवान तक को आंखें दिखा रहा है और बड़े पैमाने पर हथियार बना रहा है।
अगले 50 साल में कई युद्धों के लिए तैयारी
खुद चीन की सरकारी न्यूज एजेंसी चाइना न्यूज सर्विस ने साल 2013 में अपने एक लेख में खुलासा किया था कि अगले 50 साल में चीन को 6 युद्ध लड़ने होंगे। चाइना न्यूज सर्विस का इशारा चीन के उन इलाकों को वापस हासिल करने की ओर था जिसे उसने साल 1840-42 के अफीम युद्ध के दौरान खो दिया था। इससे चीन की काफी बेइज्जती हुई थी। अब आर्थिक और सैन्य महाशक्ति बन चुका चीन इन इलाकों को वापस लेना चाहता है। इस लेख के मुताबिक चीन का इरादा इन देशों के साथ युद्ध लड़ने का है
Jul 08 2024, 16:09