आज रूस रवाना हो रहे पीएम मोदी, पश्चिम के लिए इस दौरे के क्या हैं?
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रूस-यूक्रेन जंग के बीच पीएम मोदी आज रूस के लिए रवाना हो रहे हैं। करीब पांच साल बाद पीएम मोदी अपने खास दोस्त पुतिन से मिलने मॉस्को जा रहे।रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पीएम मोदी को न्योता दिया है। पीएम मोदी आठ और नौ जुलाई को मॉस्को में रहेंगे। पीएम मोदी रूस में 22वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। यहां दोनों देशों के बीच बहुआयामी संबंधों की संपूर्ण समीक्षा की जाएगी।पुतिन मोदी के लिए एक प्राइवेट डिनर का आयोजन भी करेंगे। पीएम मोदी की इस रूस यात्रा पर पूरी दुनिया की नजर है।
रूस की उनकी पिछली यात्रा 2019 में हुई थी जब उन्होंने व्लादिवोस्तोक में एक आर्थिक सम्मेलन में शिरकत की थी। भारत के प्रधानमंत्री और रूस के राष्ट्रपति के बीच वार्षिक शिखर सम्मेलन दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को लेकर सर्वोच्च संस्थागत संवाद तंत्र है। अब तक भारत और रूस में बारी-बारी से 21 वार्षिक शिखर सम्मेलन आयोजित हो चुके हैं।आगामी शिखर सम्मेलन के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की रूस यात्रा से पहले विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच वार्ता के एजेंडे में क्षेत्रीय और वैश्विक हित के मुद्दे शामिल होंगे। भारत-रूस शिखर सम्मेलन रक्षा, निवेश, शिक्षा और संस्कृति तथा लोगों के बीच संबंधों सहित द्विपक्षीय संबंधों के सम्पूर्ण दायरे पर चर्चा करने का अवसर प्रदान करेगा।
ऐसे समय जब यूरोपीय देश गंभीरता से यूक्रेन को सैन्य और दूसरी सहायता देने में लगे हुए हैं, किसी भी यूरोपीय नेता के रूस दौरे को विश्ववासघात के तौर पर देखा जा सकता है। शुक्रवार को हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओरबान ने रूस की राजधानी मॉस्को में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन से मुलाक़ात की। उनकी इस मुलाक़ात पर यूरोपीय नेताओं की तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है। सब के बीच एक सवाल यह भी है कि पश्चिमी देशों की भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रूस यात्रा पर कैसी और क्या प्रतिक्रिया है? हालांकि अभी तक पश्चिमी देशों के नेताओं ने मोदी की इस यात्रा के बारे में खुलकर कोई भी टिप्पणी नहीं की है।
मोदी की रूस यात्रा ऐसे समय में हो रही है, जब अमेरिका और उसके यूरोपीय सहयोगी रूस को वैश्विक स्तर पर अलग-थलग करने की कोशिश कर रहे हैं और देश पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए हैं। उन्होंने उच्च स्तरीय बैठकों में भी भारी कटौती की है। पश्चिमी देशों में फैली रूस विरोधी भावनाओं को देखते हुए कहा जा सकता है कि यह यात्रा भारत के रणनीतिक साझेदार अमेरिका को नाराज़ करने वाली हो सकती है
बता दें कि रूस और यूक्रेन के बीच फरवरी 2022 में जंग की शुरुआत हुई थी। पश्चिम के दबाव के बाद भी भारत ने पुतिन का साथ दिया और उससे तेल खरीदना जारी रखा। इसकी वजह से रूस को युद्ध के हालात में भी पैसों की कमी नहीं हुई। हालांकि, भारत रूस को स्पष्ट कर चुका है कि वह शांति के पक्ष में है। पीएम मोदी कई बार दोहरा चुके हैं कि रूस-यूक्रेन जंग का एकमात्र उपाय शांति-वार्ता ही है।
Jul 08 2024, 11:52