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शिव ज्योतिर्लिंग-6: अपने चमत्कारिक रहस्यों के कारण केदारनाथ है जाग्रत शिवलिंग, ,जिसके दर्शन मात्र से होता है आप का उद्धार,

विनोद आनंद

भारत के 12 ज्योतिर्लिंग में से एक केदारनाथ मन्दिर भी है जो हिन्दू धर्म में सबसे पवित्र और जाग्रत शिवधाम माना जाता है।केदारनाथ यह मंदिर भारत के उत्तराखण्ड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में मंदाकिनी नदी के पास गढ़वाल हिमालय पर्वतमाला पर स्थित है।यह मंदिर हिन्दुओं के लिए प्रसिद्ध धार्मिक मंदिर है। केदारनाथ मन्दिर बारह ज्योतिर्लिंग में सम्मिलित होने के साथ चार धाम और पंच केदार में से भी एक है।इसलिए इसका धार्मिक महत्व और बढ़ जाता है।

इस मंदिर की कई विशेषताएं हैं जो इसकी आध्यात्मिकता को बढ़ा देती है ।साथ हीं इस मंदिर में छिपे कई रहस्य हैं जो इसे और भी विशेष बना देती हैं।

रहस्य की बात करें तो यह मंदिर पांच नदियों का संगम स्थल और तीन प्राचीन पहाड़ों से घिरा है।इस विशेषता के कारण, इस स्थल की पवित्रता और भी अधिक मानी जाती है। मंदाकिनी नदी, जो अभी भी मौजूद है, इस संगम का एक मुख्य भाग है और केदारेश्वर धाम के निकट बहती है।

दूसरा रहस्य है विशालकाय संरचना और इंटरलॉकिंग तकनीक से बना यह मंदिर। मंदिर की विशालकाय संरचना, जिसमें 6 फुट ऊंचा चबूतरा, 85 फुट ऊंची दीवारें, और 12 फुट मोटी दीवारें शामिल हैं,यह एक आश्चर्यजनक है। इतने भारी पत्थरों को इतनी ऊंचाई पर लाकर तराशना और इंटरलॉकिंग टेक्निक का उपयोग करके इस मंदिर का निर्माण करना एक अद्भुत कला को दर्शाता है।

इस मंदिर को लेकर तीसरा रहस्य है दीपावली महापर्व से अनवरत रूप से जलता हुआ दीपक। यह दीपक दीपावली के दूसरे दिन शीत ऋतु में मंदिर का द्वार बंद कर दिया जाता है और एक दीपक अनवरत रूप से 6 महीने तक जलता रहता है। यह परंपरा केदारनाथ मंदिर के अद्भुत रहस्यों में से एक है। जब 6 महीने बाद मंदिर के कपाट फिर से खोले जाते हैं, तो दीपक उस समय भी जल रहा होता है, जो भक्तों और यात्रियों के लिए आश्चर्य का विषय होता है। इस घटना को भगवान शिव की दिव्य शक्ति का प्रतीक माना जाता है।

ज्योतिर्लिंग को जागृत शिव क्यों कहा जाता है ?


केदारनाथ मंदिर में स्थित ज्योतिर्लिंग को 'जागृत शिव' कहा जाता है क्योंकि यह माना जाता है कि यहाँ भगवान शिव स्वयं अपनी दिव्य ज्योति के रूप में निवास करते हैं। इस लिंग में स्वयं शिव की ज्योति विद्यमान होने के कारण, भक्तों का विश्वास है कि यहाँ की पूजा और दर्शन से उन्हें सीधा शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है और उनके समस्त पाप धुल जाते हैं।

केदारनाथ जाने का साधन


केदारनाथ मंदिर ऋषिकेश से 223 किमी (139 मील) दूर, 3,583 मीटर (11,755 फीट) की ऊंचाई पर, गंगा की एक सहायक नदी मंदाकिनी नदी के तट पर, स्थित है। हिमालय पर्वतमाला के गढ़वाल में स्थित होने के कारण यहां की यात्रा थोड़ा दुर्गम है।यहां सीधे सड़क मार्ग से नही आया जा सकता है।

यहां तक पहुंचने के लिए आपको देहरादून के जॉली ग्रांट हवाई अड्डे पर पहुंचना होगा, और फिर गौरीकुंड के लिए हरिद्वार या ऋषिकेश से बस लेनी होगी। गौरीकुंड से, आपको केदारनाथ मंदिर तक 18 किलोमीटर की यात्रा करनी होगी, जिसके लिए आप चालक घोड़े, पालकी, या हेलिकॉप्टर सेवाओं का उपयोग कर सकते हैं।शरीर से स्वस्थ लोग पद यात्रा करके भी गौरी कुंड से मंदिर तक पहुंचते हैं।गौरी कुंड से मंदिर तक मनोरम दृश्य और पहाड़ी सौंदर्य के कारण यह यात्रा अत्यंत उत्साह वर्धक बन जाता है।इस यात्रा में आपको कम से कम 4-5 दिन का समय लग सकता है। 

 2013 में आये प्रलयंकारी बाढ़ से भी इस मंदिर को नही हुआ ज्यादा क्षति



16 जून 2013 को उत्तराखंढ के केदारनाथ वासियों को प्रलयकारी बाढ़ का सामना करना पड़ा था। बाढ़ की त्रासदी सदियों तक लोगों के जेहन में रहेगी। इस आपदा में हजारों लोगों की जानें चली गईं। कई घरों का नामोनिशान मिट गया। केदारनाथ और इसका तीर्थ स्थान दोनों इस प्राकृतिक आपदा की चपेट में आए थे, लेकिन जल प्रलय में भी मंदिर को कोई नुकसान नहीं हुआ ,इसे ईश्वर का चमत्कार कहें या जिस तकनीक से यह मंदिर बनी है उसकी वैज्ञानिकता यह रिसर्च का विषय है।

यहां बादल फटने से आई इस विनाशकारी बाढ़ और भूस्खलन, 2004 की सूनामी के बाद से देश की सबसे खराब प्राकृतिक आपदा मानी जाती है ।उस महीने हुई बारिश राज्य में आमतौर पर होने वाली बारिश से कहीं अधिक थी, जिसके कारण नदियों में मलबे भरने लगे और पानी तीव्र गति से रिहायशी इलाकों में फैल गया।

केदारनाथ त्रासदी में बड़ी संख्या में लोग हताहत हुए। 16 जुलाई 2013 तक, उत्तराखंड सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, 5,700 से अधिक लोगों को मृत घोषित कर दिया गया था। कुल मृतकों में 934 स्थानीय निवासी शामिल थे। मरने वालों की संख्या बाद में 6,054 बताई गई ।

पुलों और सड़कों के नष्ट होने से लगभग 3,00,000 तीर्थयात्री और पर्यटक घाटियों में फंस गए. भारतीय वायु सेना, भारतीय सेना और अर्धसैनिक बलों ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्र से 1,10,000 से अधिक लोगों को प्रभावित क्षेत्र से बाहर निकाला।

केदारनाथ उत्तर भारत में 2013 में आये बाढ़ के दौरान सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र था। मंदिर परिसर, आस-पास के इलाकों और केदारनाथ शहर में भारी तबाही हुआ, लेकिन मंदिर की संरचना को कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ, सिवाय चारों दीवारों के एक तरफ कुछ दरारों के, जो ऊंचे पहाड़ों से बहकर आए मलबे के कारण हुई थीं। 

मलबे के बीच एक बड़ी चट्टान ने एक अवरोधक के रूप में काम किया, जिसने मंदिर को बाढ़ से बचाया। आसपास के परिसर और बाजार क्षेत्र में अन्य इमारतों को भारी नुकसान पहुंचा।

केदारनाथ के मंदिर निर्माण को लेकर मान्यता


मान्यता है कि केदारनाथ धाम में स्वयंभू शिवलिंग स्थापित है। स्वयंभू शिवलिंग का अर्थ है जो स्वयं प्रकट हुआ है। माना जाता है कि केदारनाथ मंदिर का निर्माण पांडव राजा जनमेजय ने करवाया था।

केदारनाथ के बारे में एक लोक कथा हिंदू महाकाव्य महाभारत के नायकों पांडवों से संबंधित है।जो इस प्रकार, पांडवों ने अपने राज्य की बागडोर अपने परिजनों को सौंप दी और शिव की खोज में और उनका आशीर्वाद लेने के लिए निकल पड़े। लेकिन, शिव उन्हें टालना चाहते थे और उन्होंने एक बैल (नंदी) का रूप धारण कर लिया। पांच पांडव भाइयों में से दूसरे भीम ने तब गुप्तकाशी के पास बैल को चरते देखा। भीम ने तुरंत पहचान लिया कि यह बैल शिव है। भीम ने बैल की पूंछ और पिछले पैरों को पकड़ लिया। लेकिन बैल रूपी शिव जमीन में लुप्त हो गए और बाद में टुकड़ों में फिर से प्रकट हुए, केदारनाथ में कूबड़ उठा, तुंगनाथ में भुजाएं दिखाई दीं, रुद्रनाथ में चेहरा दिखाई दिया, मध्यमहेश्वर में नाभि और पेट सतह पर आए और कल्पेश्वर में बाल दिखाई दिए।

एक दंत कथा के एक संस्करण में भीम को न केवल बैल को पकड़ने बल्कि उसे गायब होने से रोकने का श्रेय दिया गया है।

 परिणामस्वरूप, बैल को पांच भागों में फाड़ दिया गया और हिमालय के गढ़वाल क्षेत्र के केदार खंड में पांच स्थानों पर प्रकट हुआ। पंच केदार मंदिरों के निर्माण के बाद, पांडवों ने मोक्ष के लिए केदारनाथ में ध्यान किया, यज्ञ किया और फिर महापंथ नामक स्वर्गीय मार्ग से स्वर्ग या मोक्ष प्राप्त किया।

 पंच केदार मंदिरों का निर्माण उत्तर-भारतीय हिमालयी मंदिर वास्तुकला में किया गया है, जिसमें केदारनाथ, तुंगनाथ और मध्यमहेश्वर मंदिर एक जैसे दिखते हैं। पंच केदार मंदिरों में शिव के दर्शन की तीर्थयात्रा पूरी करने के बाद, बद्रीनाथ मंदिर में विष्णु के दर्शन करना एक अलिखित धार्मिक अनुष्ठान है, जो भक्त द्वारा शिव का आशीर्वाद लेने के अंतिम पुष्टिकरण के रूप में होता है।

महाभारत, जो पांडवों और कुरुक्षेत्र युद्ध का विवरण देता है, में केदारनाथ नामक किसी स्थान का उल्लेख नहीं है। केदारनाथ का सबसे पहला उल्लेख स्कंद पुराण लगभग 7वीं-8वीं शताब्दी में मिलता है, जिसमें गंगा नदी की उत्पत्ति का वर्णन करने वाली एक कहानी है। 

पाठ में केदार (केदारनाथ) को उस स्थान के रूप में वर्णित किया गया है जहाँ शिव ने अपनी जटाओं से पवित्र जल छोड़ा था। माधव के संक्षेप-शंकर-विजय पर आधारित जीवनी के अनुसार, 8वीं शताब्दी के दार्शनिक आदि शंकराचार्य की मृत्यु केदारनाथ के पास पहाड़ों पर हुई थी; हालांकि आनंदगिरि के प्राचीन-शंकर-विजय पर आधारित अन्य जीवनी में कहा गया है कि उनकी मृत्यु कांचीपुरम में हुई थी। शंकराचार्य की कथित मृत्यु स्थली को चिह्नित करने वाले स्मारक के खंडहर केदारनाथ में स्थित हैं। केदारनाथ निश्चित रूप से 12वीं शताब्दी तक एक प्रमुख तीर्थस्थल था, जब इसका उल्लेख गढ़वाल मंत्री भट्ट लक्ष्मीधर द्वारा लिखित कृत्य-कल्पतरु में किया गया है।माना जाता है कि आदि शंकराचार्य ने बद्रीनाथ और उत्तराखंड के अन्य मंदिरों के साथ इस मंदिर को पुनर्जीवित किया था। माना जाता है कि उन्होंने केदारनाथ में महासमाधि प्राप्त की थी। 

 केदारनाथ तीर्थ पुरोहित इस क्षेत्र के प्राचीन ब्राह्मण हैं, उनके पूर्वज (ऋषि-मुनि) नर-नारायण और दक्ष प्रजापति के समय से ही लिंग की पूजा करते आ रहे हैं।

 पांडवों के पौत्र राजा जन्मेजय ने उन्हें इस मंदिर की पूजा करने का अधिकार दिया और पूरा केदार क्षेत्र दान कर दिया, और तब से वे तीर्थयात्रियों की पूजा करते आ रहे हैं।

अंग्रेज पर्वतारोही एरिक शिप्टन द्वारा 1926 में दर्ज की गई एक परंपरा के अनुसार, "कई सौ साल पहले" एक पुजारी केदारनाथ और बद्रीनाथ दोनों मंदिरों में सेवाएं आयोजित करता था, जो रोजाना दोनों स्थानों के बीच यात्रा करता था।

इस मंदिर में बद्रीनाथ और उत्तराखंड के अन्य मंदिरों के साथ-साथ केदारनाथ में भी पूजा की जाती है; ऐसा माना जाता है कि उन्होंने केदारनाथ में महासमाधि प्राप्त की थी।

इस मंदिर के निर्माण और पुनरुद्धार को लेकर चर्चा 


यूं तो इस मंदिर को सर्वप्रथम पांडवों ने बनवाया था, लेकिन वक्त के थपेड़ों की मार के चलते यह मंदिर लुप्त हो गया। बाद में 8वीं शताब्दी में आदिशंकराचार्य ने एक नए मंदिर का निर्माण कराया, जो 400 वर्ष तक बर्फ में दबा रहा।

राहुल सांकृत्यायन के अनुसार ये मंदिर 12-13वीं शताब्दी का है। इतिहासकार डॉ. शिव प्रसाद डबराल मानते हैं कि शैव लोग आदि शंकराचार्य से पहले से ही केदारनाथ जाते रहे हैं, तब भी यह मंदिर मौजूद था।

 माना जाता है कि एक हजार वर्षों से केदारनाथ पर तीर्थयात्रा जारी है। कहते हैं कि केदारेश्वर ज्योतिर्लिंग के प्राचीन मंदिर का निर्माण पांडवों ने कराया था। बाद में अभिमन्यु के पौत्र जनमेजय ने इसका जीर्णोद्धार किया था।

पहले शंकराचार्य, फिर राजा भोज ने कराया पुनर्निर्माण


केदारघाटी में बाबा के धाम में लकड़ी और पत्थरों पर की गई सुंदर नक्काशी कत्यूरी शैली की बताई जाती है, ऐसा कहा जाता है कि पांडव वंश के राजा जन्मेजय ने मंदिर को पूरा कराया था। इसके बाद 8 वीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य ने इसका पुनर्निर्माण कराया था। ग्वालियर से मिले राजा भोज के एक ताम्र पत्र में ये दावा किया गया है कि मंदिर का पुर्ननिर्माण 10 वीं शताब्दी में राजा भोज ने भी कराया था। हालांकि राहुल सांकृत्यायन ने ये दावा किया है कि मंदिर 12 और 13 वीं शताब्दी का है।

केदारनाथ मंदिर में सोना लगाने का इतिहास


केदारनाथ मंदिर में सोना लगाने के इतिहास का जिक्र नहीं मिलता है। हालांकि ऐसा दावा किया जाता है कि केदारनाथ मंदिर के निर्माण के बाद से 12 वीं शताब्दी तक यहां सोना-चांदी लगाया जाता था, इसके बाद यह प्रथा खत्म हो गई। पिछले साल जब यहां सोने की परत चढ़ाने काम काम शुरू हुआ था उससे पहले यहां दीवारों पर चांदी की परत चढ़ी थी। जब सोने की परत का काम शुरू हुआ तो पुजारियों ने विरोध किया था। उस वक्त केदार सभा के पूर्व अध्यक्ष महेश बगवाड़ी ने कहा था कि मंदिर की दीवारों पर सोना चढ़ाना हिंदू मान्यताओं और परंपराओं के अनुरूप है। उस वक्त BKTC के चेयरमैन अजेंद्र अजय ने भी कहा था कि यह सामान्य प्रक्रिया है, पहले छत लकड़ी से बनती थी, फिर पत्थर से बनी, इसके बाद तांबें की प्लेंटे आईं. उन्होंने विरोध को साजिश बताया था।

आज का राशिफल, 7 जुलाई 2024: , जानिये राशिफल के अनुसार आज आप का दिन कैसा रहेगा...?

मेष राशि : आज का दिन मेष राशि वालों के लिए बेहद खास रहेगा। जीवनसाथी का प्यार और सपोर्ट मिलेगा। साथी से अपनी फीलिंग्स को खुलकर व्यक्त करें। पार्टनर से अपने रिलेशनशिप के फ्यूचर या ड्रीम्स के बारे में डिस्कस करें। रिलेशनशिप की परेशानियों का बातचीत के जरिए समस्या का समाधान निकालें। इससे साथी संग रिश्ता मजबूत और गहरा होगा। नौकरी-कारोबार में वातावरण अनुकूल रहेगा। उच्चाधिकारियों का सपोर्ट मिलेगा। सामाजिक कार्यों में रुचि बढ़ेगी। पारिवारिक जीवन में सुख-शांति बनी रहेगी।

वृषभ राशि : वृषभ राशि वालों के पारिवारिक जीवन में खुशियां आएंगी। परिजन आपकी प्रशंसा करेंगे। रोमांटिक लाइफ अच्छी रहेगी। सिंगल जातकों की किसी खास व्यक्ति में दिलचस्पी बढ़ेगी। लव लाइफ में नए रोमांचक मोड़ आएंगे। आपके सरल और विनम्र स्वभाव से लोग इंप्रेस होंगे।करियर में उन्नति के नए अवसर मिलेंगे। सामाजिक पद-प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। घर में मांगलिक कार्यों का आयोजन संभव है। पार्टनर के साथ क्वालिटी टाइम स्पेंड करें। लव, करियर, स्वास्थ्य और आर्थिक मामलों में भाग्यशाली रहेंगे। आय के नवीन स्त्रोतों से धन लाभ होगा। व्यापार में बढ़ोत्तरी के नए अवसर मिलेंगे। स्वास्थ्य अच्छा रहेगा।

मिथुन राशि : आज लाइफ में नई चीजों को एक्सप्लोर करने की इच्छा बढ़ेगी। आपके सरल और मिलनसार स्वभाव दूसरों को आपकी ओर आकर्षित करेगा। आज पार्टनर के साथ वेकेशन पर जाने का प्लान बना सकते हैं। प्रेमी के साथ क्वालिटी टाइम स्पेंड करें। ऑफिस में किसी सक्सेसफुल व्यक्ति से मुलाकात होगी, जिसकी मदद से करियर में सफलता की सीढ़ियां चढ़ेंगे। हालांकि, ऑफिस के कार्यों में लापरवाही न बरतें। महत्वपूर्ण कार्यों को डेडलाइन से पहले कंपलीट करें। सहकर्मियों के साथ मिलकर काम करें। इससे कार्यों के पॉजिटिव रिस्पान्स मिलेंगे। पारिवारिक जीवन में सुख-शांति बनी रहेगी।

कर्क राशि : कर्क राशि वालों के लिए आज का दिन मिलाजुला परिणाम देने वाला है। फैमिली और फ्रेंड्स का सपोर्ट मिलेगा। हालांकि, भावनाओं का उतार-चढ़ाव संभव है। रिश्तों में धैर्य बनाए रखें। क्रोध से बचें। ऑफिस में अपनी बेस्ट परफॉर्मेंस दें। ऑफिस मीटिंग में अपने आइडियाज सोच-समझकर करें। जल्दबाजी में कोई काम न करें। रिलेशनशिप की दिक्कतों को समझदारी से सुलझाएं। माता-पिता के स्वास्थ्य पर ध्यान दें।

सिंह राशि : आज आपकी प्रोफेशनल लाइफ अच्छी रहेगी। ऑफिस मैनेजमेंट में सकारात्मक छवि बनी रहेगी। हालांकि, ऑफिस पॉलिटिक्स से दूर रहें। कुछ जातकों को नई जॉब के लिए इंटरव्यू कॉल आ सकती है। आज आप पैरेंट्स से साथी की मुलाकात करा सकते हैं और मैरिज के लिए अप्रूवल ले सकते हैं। सिंगल जातकों की लाइफ में किसी दिलचस्प व्यक्ति की एंट्री होगी। आज आर्थिक मामलों में थोड़ा सतर्क रहें। धन का प्रबंधन होशियारी से करें। भाई-बहन से प्रॉपर्टी को लेकर चल रहे विवादों को सुलझाने का प्रयास करें। सेहत का ख्याल रखें।

कन्या राशि : आज कन्या राशि वालों को प्रोफेशनल लाइफ में तरक्की के अनगिनत अवसर मिलेंगे। करियर में नई उपलब्धि हासिल करेंगे। ऑफिस में सहकर्मियों के साथ रिश्ते अच्छे होंगे। सिंगल जातकों को अपने कंफर्ट जोन से बाहर निकलना चाहिए। नए लोगों से मिलने के लिए तैयार रहना चाहिए। इससे जीवनसाथी की तलाश पूरी होने की संभावना बढ़ेगी। आज चाहे आप सिंगल हों या रिलेशनशिप में हों। साथी से अपने इमोशन्स को शेयर करने के लिए परफेक्ट दिन है। हालांकि, आर्थिक मामलों में सोच-समझकर फैसले लें। अचानक से बड़े अमाउंट में लग्जरी आइटम की खरीदारी करने से बचें। सेहत पर ज्यादा ध्यान दें।

तुला राशि : आज का दिन सामान्य रहेगा। प्रोफेशनल लाइफ में कार्यों की प्रशंसा होगी। सरकारी कर्मचारियों का स्थानांतरण हो सकता है। ऑफिस में आइडियाज को सीनियर्स के सामने शेयर करते समय थोड़ा सतर्क रहें। अपने विचार स्पष्ट तरीके से व्यक्त करें, ताकि किसी भी प्रकार की गलतफहमी न बढ़े। बिजनेसमेन नया प्रोजेक्ट लॉन्च करने का प्लान बना सकते हैं। आर्थिक मामलों में थोड़ी डिस्टर्बेंस रहेगी। अनियंत्रित खर्चों पर कंट्रोल रखना होगा। आज निवेश से जुड़े फैसले टाल दें।

वृश्चिक राशि : आज वृश्चिक राशि वालों की जीवन की सभी परेशानियां समाप्त होंगी। प्रेम-संबंधों में मधुरता आएगी। लव लाइफ की प्रॉब्लम दूर होगी। ऑफिस में काफी बिजी शेड्यूल रहेगा। नए प्रोजेक्ट पर काम करने का अवसर मिलेगा। कुछ लोगों के रिलेशनशिप को पैरेंट्स का अप्रूवल मिल सकता है। आज आप सोच-समझकर रियल एस्टेट या नई प्रॉपर्टी में इनवेस्ट कर सकते हैं। कुछ जातकों को धन को लेकर चल रहे कानूनी विवादों से छुटकारा मिलेगा। स्वास्थ्य पहले से बेहतर रहेगा। भौतिक सुख-सुविधाओं में जीवन व्यतीत करेंगे।

धनु राशि : आज आप आर्थिक मामलों में भाग्यशाली रहेंगे। आय के नवीन स्त्रोतों से धन लाभ होगा।, लेकिन विपरीत परिस्थिति से बाहर निकलने के लिए धन बचत जरूर करें। धन के लेन-देन में थोड़ी सावधानी बरतें। प्रोफेशनल लाइफ में सबकुछ अच्छा रहेगा। नई जॉब के लिए इंटरव्यू कॉल आ सकती है। कुछ जातकों को विदेश में जॉब करने का अवसर मिल सकता है। जिन लोगों का अभी हाल ही में ब्रेक-अप हुआ है, उनकी लाइफ में किसी खास व्यक्ति की एंट्री हो सकती है। स्वास्थ्य पर ध्यान दें। हेल्दी लाइफस्टाइल मेंटेन करें। सेल्फकेयर एक्टिविटी में शामिल हों।

मकर राशि : आज का दिन सामान्य रहेगा। प्रोफेशनल लाइफ में खूब तरक्की करेंगे। करियर में कई महत्वपूर्ण बदलाव होंगे। नए कार्य की जिम्मेदारी मिलेगी। करियर में उन्नति के कई मौके मिलेंगे। हालांकि, जीवनसाथी से वैचारिक मतभेद संभव है। आज बातचीत के जरिए रिलेशनशिप की दिक्कतों को सुलझाने का प्रयास करें। रिश्तों में कड़वाहट ज्यादा बढ़ने न दें। आर्थिक मामलों में दिन अच्छा है। आय में वृद्धि होगी। इंकम के नए सोर्स बनेंगे। देर रात वाहन चलाने से बचें। ट्रैफिक के नियमों का कड़ाई से पालन करें।

कुंभ राशि : आज आपकी आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी रहेगी। आय के नए स्त्रोतों से धन लाभ होगा। नए घर या वाहन की खरीदारी संभव है। प्रोफेशनल लाइफ में नए अवसरों का भरपूर लाभ उठाएं। काम के सिलसिले में यात्रा के योग बनेंगे। बिजनेसमेन को नए लोकेशन पर व्यापार में बढ़ोत्तरी के लिए कई जगहों से फंड मिल सकता है। लव लाइफ में इमोशनल डिस्टर्बेंस बनी रहेगी। आज भावुक होकर कोई फैसला न लें। पार्टनर के साथ रोमांटिक डिनर का प्लान बना सकते हैं या उन्हें सरप्राइज गिफ्ट दे सकते हैं। इससे रिश्तों में प्यार और रोमांस बढ़ेगा। स्वास्थ्य अच्छा रहेगा। तनाव मुक्त रहेंगे।

मीन राशि : मीन राशि वालों के लिए आज का दिन मिलाजुला परिणाम देने वाला है। आज आपके लंबे समय से रुके हुए कार्य सफल होंगे। ऑफिस में आपके कार्यों का क्लाइंट पॉजिटिव फीडबैक देंगे। सामाजिक कार्यों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेंगे। करियर में नई उपलब्धियां हासिल करेंगे। मैरिड लाइफ में किसी तीसरे का दखल ज्यादा बढ़ने न दें। रिलेशनशिप की दिक्कतों को बातचीत के जरिए समाधान निकालें। रिश्तों में धैर्य बनाए रखें। पार्टनर के साथ क्वालिटी टाइम स्पेंड करें और उनसे अपने इमोशन्स शेयर करें। इससे साथी संग रिश्ता मजबूत और गहरा होगा। स्वास्थ्य भी अच्छा रहेगा। टू-व्हीलर वाहन चलाते समय थोड़ी सावधानी बरतें।

आज का राशिफल, 7 जुलाई 2024:जानिये पंचांग के अनुसार आज का शुभ मुहूर्त और ग्रहयोग


राष्ट्रीय मिति आषाढ़ 16, शक सम्वत् 1946, आषाढ़, शुक्ला, द्वितीया, रविवार, विक्रम सम्वत् 2081। सौर आषाढ़ मास प्रविष्टे 24, जिल्हिजा 30, हिजरी 1445 (मुस्लिम) तदनुसार अंगे्रजी तारीख 07 जुलाई सन् 2024 ई। सूर्य दक्षिणायन, उत्तर गोल, वर्षा ऋतु। राहुकाल सायं 04 बजकर 30 मिनट से 06 बजे तक। द्वितीया तिथि अगले दिन सुबह 05 बजे तक उपरांत तृतीया तिथि का आरंभ।

पुष्य नक्षत्र प्रातः सूर्योदय से लेकर अगले दिन प्रातः 06 बजकर 03 मिनट तक उपरांत आश्लेषा नक्षत्र का आरंभ। हर्षण योग अर्धरात्रोत्तर 02 बजकर 13 मिनट तक उपरांत वज्र योग का आरंभ। बालव करण सायं 04 बजकर 44 मिनट तक उपरांत तैतिल करण का आरंभ। चन्द्रमा दिन रात कर्क राशि पर संचार करेगा।

आज के व्रत त्योहार और यात्रा उत्सव (श्री जगन्नाथ पुरी), चन्द्र दर्शन, मुहूर्त 30, रवि पुष्य योग।

सूर्योदय का समय 7 जुलाई 2024 : सुबह 5 बजकर 29 मिनट पर।

सूर्यास्त का समय 7 जुलाई 2024 : शाम में 7 बजकर 22 मिनट पर।

आज का शुभ मुहूर्त 7 जुलाई 2024 :

ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4 बजकर 8 मिनट से 4 बजकर 49 मिनट तक। विजय मुहूर्त दोपहर 2 बजकर 45 मिनट से 3 बजकर 40 मिनट तक रहेगा। निशिथ काल मध्‍यरात्रि रात में 12 बजकर 6 मिनट से 12 बजकर 46 मिनट तक। गोधूलि बेला शाम 7 बजकर 21 मिनट से 7 बजकर 42 मिनट तक। अमृत काल सुबह 10 बजकर 41 मिनट से 12 बजकर 26 मिनट तक।

आज का अशुभ मुहूर्त 7 जुलाई 2024 :

राहुकाल सुबह 4 बजकर 30 मिनट से 6 बजे तक। इसके बाद दोपहर में 3 बजकर 30 मिनट से 4 बजकर 30 मिनट तक गुलिक काल। दोपहर में 12 बजे से 1 बजकर 30 मिनट तक यमगंड। दुर्मुहूर्त काल सुबह 8 बजकर 16 मिनट से 9 बजकर 11 मिनट तक।

उपाय : लाल गाय को गुड़ रखकर चार रोटी खिलाएं।

शिव ज्योतिर्लिंग -5: झारखंड के देवघर स्थित बैधनाथ धाम शिव और शक्ति का है सिद्ध पीठ, जिनके दर्शन से होगा आप का कल्याण

जानिए इस ज्योतिर्लिंग का पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व


विनोद आनंद 

देवघर स्तिथ बैजनाथ धाम भगवान् भोलेनाथ का एक मात्र ऐसा मंदिर है जहाँ शिव और शक्ति एक साथ बिराजमान हैं.इसलिए इसे शक्तिपीठ के नाम से भी जाना जाता है.

ये भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से यह एक है.

झारखंड के देवघर स्थित बाबा बैद्यनाथ धाम, द्वादश ज्योतिर्लिंगों में इसे 9 वें ज्योतिर्लिंग है.  

मान्यताओं के मुताबिक बाबा बैद्यनाथ धाम में ही माता सती का हृदय कटकर गिरा था इसलिए इसे ही हृदयपीठ के रूप में भी जाना जाता है.

देवघर स्थित विश्व प्रसिद्ध बैद्यनाथ मंदिर एकमात्र ऐसा मंदिर है जिसका जुड़ाव लंकापति दशानन रावण से है, रावण से जुड़ाव के कारण बैधनाथ धाम स्थित भगवान भोलेनाथ के शिवलिंग को रावणेश्वर बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाता है.इस लिए बाबा बैधनाथ के दर्शन पूजन से लोगों का कल्याण होता है. बाबा बैधानाथ की कृपा बनी रहती है.आज यह आस्था का प्रमुख केंद्र है. जहाँ करोड़ों लोग जुटाते हैं.

पौराणिक कथा


पौराणिक कथाओं के अनुसार लंकापति रावण भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए एक के बाद एक अपनी सर की बलि देकर शिवलिंग पर चढ़ा रहे थे, एक के बाद एक कर दशानन रावण ने भगवान के शिवलिंग पर 9 सिर काट कर चढ़ा दिए, जैसे ही दशानन दसवें सिर की बलि देने वाला था वैसे ही भगवान भोलेनाथ प्रकट हो गए. भगवान ने प्रसन्न होकर दशानन से वरदान मांगने को कहा, इसके बाद वरदान के रूप में रावण भगवान शिव को लंका चलने को कहते हैं. उनके शिवलिंग को लंका में ले जाकर स्थापित करने का वरदान मांगते हैं, भगवान रावण को वरदान देते हुए कहते हैं कि जिस भी स्थान पर शिवलिंग को तुम रख दोगे मैं वहीं पर स्थापित हो जाऊंगा.

रावण को रोकने के लिए भगवान विष्णु ने लिया चरवाहे का रूप


भगवान भोलेनाथ शिवलिंग को लंका ले कर जा रहे थे.रावण को रोकने के लिए सभी देवों के आग्रह पर मां गंगा रावण के शरीर में प्रवेश कर जाती है. जिस कारण उन्हें रास्ते में जोर की लघुशंका लगती है, इसी बीच भगवान विष्णु वहां एक चरवाहे के रूप में प्रकट हो जाते हैं, जोर की लघु शंका लगने के कारण रावण धरती पर उतर जाता है और चरवाहे के रूप में खड़े भगवान विष्णु के हाथों में शिवलिंग देकर यह कहता है कि इसे उठाए रखना जब तक में लघु शंका कर वापस नहीं लौट आता.

इधर मां गंगा के शरीर में प्रवेश होने के कारण लंबे समय तक रावण लघुशंका करता रहता है. इसी बीच चरवाहे के रूप में मौजूद बच्चा भगवान भोलेनाथ की शिवलिंग का भार नहीं सहन कर पाता और वह उसे जमीन पर रख देता है. 

लघुशंका करने के उपरांत जब रावण अपने हाथ धोने के लिए पानी खोजने लगता है जब उसे कहीं जल नहीं मिलता है तो वह अपने अंगूठे से धरती के एक भाग को दबाकर पानी निकाल देता है. जिसे शिवगंगा के रूप में जाना जाता है. शिव गंगा में हाथ धोने के बाद जब रावण धरती पर रखे गए शिवलिंग को उखाड़ कर अपने साथ लंका ले जाने की कोशिश करता है तो वो ऐसा करने असमर्थ हो जाता है. इसके बाद आवेश में आकर वह शिवलिंग को धरती में दबा देता है जिस कारण बैधनाथ धाम स्थित भगवान शिव की स्थापित शिवलिंग का छोटा सा भाग ही धरती के ऊपर दिखता है, इसे रावणेश्वर बैधनाथ ज्योतिर्लिंग के नाम से भी जाना जाता है.

दंतकथाएं


रावण की कथा के अलावा, बाबा बैद्यनाथ मंदिर से जुड़ी कई अन्य रोचक किंवदंतियाँ भी हैं.ऐसी ही एक कथा “बैद्यनाथ” नाम की उत्पत्ति के इर्द-गिर्द घूमती है, जिसका अर्थ है ‘चिकित्सकों का भगवान’ या ‘उपचारों का राजा’. इस कथा के अनुसार, भगवान शिव ने रावण को ठीक करने के लिए एक चिकित्सक की भूमिका निभाई थी, जो अपनी भक्ति के दौरान घायल हो गया था.शिव की उपचार शक्तियों से प्रभावित होकर, रावण ने उनसे देवघर में लिंग के रूप में निवास करने का अनुरोध किया.

एक और लोकप्रिय किंवदंती चंद्रकांत मणि के बारे में है, जो भगवान शिव के माथे का रत्न है, जिसके बारे में कहा जाता है कि वह देवघर में गिरा था.भक्तों का मानना ​​है कि यह रत्न अभी भी गर्भगृह में मौजूद है, जो दिव्य ऊर्जा बिखेरता है.

इतिहास


बाबा बैद्यनाथ मंदिर का इतिहास एक हज़ार साल से भी ज़्यादा पुराना है.ऐतिहासिक अभिलेखों के अनुसार, मंदिर का निर्माण मूल रूप से नागवंशी राजवंश के पूर्वज पूरन मल ने 8 वीं शताब्दी में करवाया था. हालाँकि, सदियों से मंदिर में कई जीर्णोद्धार और विस्तार हुए हैं, माना जाता है कि वर्तमान संरचना का निर्माण 16वीं शताब्दी में राजा मान सिंह ने करवाया था.

मंदिर परिसर एक विशाल क्षेत्र में फैला हुआ है और इसकी विशेषता इसकी ऊंची चोटी, जटिल नक्काशी और एक पवित्र तालाब है जिसे श्रावणी मेला कुंड के नाम से जाना जाता है. मंदिर की वास्तुकला नागर और द्रविड़ सहित विभिन्न शैलियों के मिश्रण को दर्शाती है, जो इसके डिजाइन को आकार देने वाले विविध सांस्कृतिक प्रभावों को प्रदर्शित करती है.

इस मंदिर को लेकर और हैं ऐतिहासिक तथ्य 


 पुरातत्ववेत्ताओं के लिए आज भी चुनौती है. सातवीं शताब्दी में सात शैवमतावलम्बी राजाओं के देवघर आगमन का जिक्र इतिहास में दर्ज है. कहा जाता है कि बाबाधाम का ऐतिहासिक शिव मंदिर का निर्माण उसी काल में हुआ है. यदि उस समय मंदिर का निर्माण हुआ, तो मंदिर 1300 वर्ष पुराना है. 1000 वर्ष पहले का इतिहास दशनामी साधुओं और गोरखनाथ पंथी संन्यासियों के अधिकार क्षेत्र में बाबा मंदिर को बताया गया है. इसलिए इतिहासविद् भी नि:संकोच बताते हैं कि बाबा मंदिर हजार वर्ष से अधिक पुराना है. बावजूद अभी भी पुरातत्ववेत्ताओं के लिए यह शिव मंदिर खोज का विषय बना हुआ है. अब तक बाबा वैद्यनाथ मंदिर का निर्माणकाल अस्पष्ट है। भारत के शैवमतावलंबी अनेक राजा देवघर आए और कामनालिंग की पूजा-अर्चना की.

 इतिहास बताता है कि 148-70 के बीच नवनाग और 290 से 315 के बीच भवनाग के पयंत भारशिवों के सात राजा हुए. उन्होंने गंगा, यमुना के संकेतों को अपना राज चिह्न बनाया. सभी सात राजा देवघर आए. सातवीं शताब्दी में शैव मतावलम्बी अनेक राजा हुए जिनमें माधव गुप्त के पुत्र आदित्य सेन भी थे. उनके राज्य में आधुनिक उत्तर प्रदेश, बिहार और के कुछ हिस्से भी शामिल थे. वैद्यनाथ मंदिर के पूरब दरवाजा पर चार शिलालेख जड़ित हैं. भाषा ब्राह्मीलिपि में है. इन शिलालेखों में मंदार पर्वत का भी जिक्र आया है.

 राजा आदित्य सेन का उल्लेख भी मिलता है इतिहास में 


पुरातत्ववेत्ता प्रो. राखाल दास बनर्जी ने भी मंदार पर्वत के शिलालेख का उल्लेख किया है

 जे. एफ. फ्लीट की प्रसिद्ध पुस्तक ‘कांरपस इन्सकिप्पनम इंण्डिकेरम के तीसरे भाग में भी इसका जिक्र मिलता है. आदित्य सेन का काल सातवीं शताब्दी है। प्रो. राखाल दास बनर्जी के अनुसार आदित्य सेन 672 ई. तक जीवित थे.

 वैद्यनाथ मंदिर के मध्य खंड में गर्भद्वार स्थित ऊपरी भाग में एक शिलालेख है जिसमें लिखा है कि “अचल राशि शाय कोल्लसित भूमि शाकाब्द केवलति रघुनाथ बहवलपूज के श्रद्धया विमल गुण चेतसा, नृपति पुरणेनासिरम त्रिपुर हर मंदिर वयरिच सर्वकामप्रदम”

जिसकी अगर व्याख्या करें तो इसका अर्थ होता है अचल-7, राशि-01, शायक-05, भूमि-01 अर्थात शाके 1517 में पूरण राजा ने सर्वकाम प्रदम शिवमंदिर का निर्माण कराकर विमल गुण वाले नौष्ठिक ब्राह्मण रघुनाथ को दान दिया.

इस प्रकार शिलालेख के अनुसार 400 वर्ष पूर्व मंदिर का निर्माण बताया जाता है पर राजा आदित्य सेन के सातवीं शताब्दी के जिक्र से लगता है कि मंदिर हजार वर्ष से भी अधिक पुराना है. हजार साल पहले बाबा मंदिर के चारों ओर दशनामी साधुओं का अखाड़ा होने का भी जिक्र मिलता है.इसके अलावे बहुत दिनों तक गोरखनाथ पंथी साधुओं ने मंदिर पर अधिकार कर लिया था.नाथों के भय से दशनामी साधु देवघर छोड़कर चले गए. बाबा मंदिर के पश्चिमी क्षेत्र में स्थित नाथ बाड़ी आज भी इसका प्रमाण है. इसलिए बाबा वैद्यनाथ मंदिर के निर्माण काल को हजार साल से अधिक माना जा सकता है सांस्कृतिक महत्व

बाबा बैद्यनाथ मंदिर न केवल एक धार्मिक केंद्र है, बल्कि एक सांस्कृतिक केंद्र भी है.

 यह मंदिर पवित्र श्रावण महीने के दौरान, विशेष रूप से शिवरात्रि के शुभ दिन पर लाखों भक्तों को आकर्षित करता है. वार्षिक श्रावणी मेला एक महत्वपूर्ण तीर्थयात्रा है, जहाँ भक्त भगवान शिव को अर्पित करने के लिए गंगा से पवित्र जल लेकर कांवड़ यात्रा करते हैं.

मंदिर का सांस्कृतिक महत्व पूरे वर्ष आयोजित होने वाले विभिन्न अनुष्ठानों, त्योहारों और समारोहों में भी स्पष्ट है. इन समारोहों के दौरान जीवंत माहौल बाबा बैद्यनाथ के साथ लोगों के गहरे आध्यात्मिक जुड़ाव को दर्शाता है.

सावन के महीने में देवघर में लगता है श्रावणी मेला


मान्यताओं के अनुसार जो भी भक्त कांधे पर कांवर लेकर सुल्तानगंज से जल उठा कर पैदल भगवान भोलेनाथ के शिवलिंग पर जलाभिषेक करता है उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती है, इसीलिए ऐसी मनोकामना लिंग के रूप में भी जाना जाता है. सावन के महीने में हर दिन लाखों श्रद्धालु की भीड़ सुल्तानगंज से जल उठा कर कांवर में जल भरकर पैदल 105 किलोमीटर की दूरी तय कर देवघर स्थित बैद्यनाथ धाम पहुंचकर जलाभिषेक करते हैं , सावन के महीने में देवघर में लगने वाली विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेला देश की सबसे लंबे दिनों तक चलने वाली धार्मिक आयोजनों में से एक है जहाँ लोग आस्था के साथ कांबड़ लेकर जाते हैं निष्कर्ष 

देवघर का बैधनाथ धाम जहाँ एक पौराणिक महत्व, का आस्था का केंद्र है वहीं अभी भी इसकी एतिहासिकता को लेकर इस पर शोध की जरूरत है. लेकिन यह विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग का दर्शन बहुत ही पहलदायी है. कोरोडो लोग देश विदेश से यहां सावन में पहुंचते है इस लिए यह तीर्थ काफी महत्वपूर्ण धार्मिक धरोहर है.

आज का रशिफल ,6 जुलाई 2024:जानिए रशिफल के अनुसार आज आप का दिन कैसा रहेगा ..?

​मेष राशि वालों को लाभ के कई अवसर प्राप्त होंगे

​मेष राशि वालों को लाभ के कई अवसर प्राप्त होंगे

आज मंगल और चंद्रमा के राशि परिवर्तन से मेष राशि के जातकों का दिन लाभदायक और अनुकूल रहेगा। आपको आज अपने कारोबार में एक के बाद एक लाभ का मौका मिलेगा। आप आज राजनीतिक क्षेत्र में भी सम्मान और लाभ पा सकते हैं. आपको आज आज भाग्य का सपोर्ट मिल रहा है ऐसे में आप आज दीर्घकालीन निवेश के द्वारा भी आज कमाई कर सकते हैं। आपका कोई खोया सामान भी आपको आज मिल सकता है। आज आपको अपने रिश्तेदारों से शुभ समाचार सुनने को मिल सकता है और वैवाहिक जीवन में प्रेम का आनंद आएगा। नौकरीपेशा लोगों को आज कार्यक्षेत्र में काम का दबाव महसूस होगा लेकिन मेहनत का लाभ मिलने से आपको खुशी मिलेगी। जो लोग साझेदारी में काम करना चाह रहे हैं उन जातकों के लिए भी आज का दिन उनके पक्ष में रहेगा।

आज भाग्य 72% आपके पक्ष में रहेगा। बजरंगबली को बूंदी का प्रसाद अर्पित करें।

​वृषभ राशि के जातक आर्थिक फैसला गंभीरता से लें

आज वृषभ राशि के सितारे बताते हैं कि इनका दिन आज बहुत ही अच्छा रहेगा। राशि स्वामी शुक्र का आज मंगल और बुध के साथ युति संबंध बनेगा जो आपको कार्यक्षेत्र में लाभ दिलाएगा। लेकिन आपको अपने विरोधियों से सावधान और सतर्क रहना होगा, क्योंकि वह आपको नुकसाना पहुंचाने की कोशिश कर सकते हैं। लव लाइफ के मामले में आज का दिन आपके लिए कुछ तनावपूर्ण रह सकता है, किसी बात को लेकर आपके में आपका मतभेद हो सकात है। वैवाहिक जीवन के मामले में दिन आपका सामान्य बीतेगा। आपके लिए आज बेहतर होगा कि दिमाग को शांत रखकर ही कोई बड़ा आर्थिक फैसला लें नहीं तो आपका पैसा फंस सकता है। छात्रों के लिए आज का दिन बढ़िया रहेग, शिक्षा और रचनात्मक कार्यों में आपका मन लगेगा।

आज भाग्य 83% आपके पक्ष में रहेगा। माता पिता से आशीर्वाद लें।

​मिथुन राशि के जातकों को खर्च पर नियंत्रण रखने की जरूरत है

आज का दिन मिथुन राशि के लिए तनाव भरा रह सकता है। आपको आज कार्यक्षेत्र में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है जिससे आप थकान महसूस करेंगे। आपके ऊपर कुछ नया काम भी आ सकता है जिससे आप मानसिक रूप से परेशान रह सकते हैं। सितारे कहते हैं कि आपकी राशि के स्वामी बुध आज मंगल औऱ बुध के बीच फंसे हुए हैं ऐसे में आज आज आपको अपनी सेहत का ख्याल रखना चाहिए। साथ ही आज आपको आज आपको किसी भी प्रकार के निवेश से दूर रहना चाहिए। पैसों के मामले में आज का दिन आपके लिए बहुत अच्छा नहीं रहेगा। आपको अपने खर्चों पर नियंत्रण रखने की आवश्यकता होगी। धर्म कर्म के काम में आज आपका मन लगेगा।

आज भाग्य 79% आपके पक्ष में रहेगा। गौ माता को हरा चारा खिलाएं और हनुमान चालीसा का पाठ करें।

​कर्क राशि वालों को आज गजकेसरी योग का लाभ मिलेगा

कर्क राशि के जातकों के लिए आज का दिन सुखद रहने वाला है। आज आपकी राशि के स्वामी चंद्रमा तुला रासि में जातक गजकेसरी योग बना रहे हैं जिसका लाभ आपको जीवन के विभिन्न क्षेत्र में मिलने वाला है। आपको आज पारिवारिक जीवन में प्रेम और जीवनसाथी से सहयोग मिलेगा। धर्म कर्म में भी आज आपकी रुचि बनी रहेगी। आपका कोई काम जो काफी समय से पेंडिंग चल रहा है आज पूरा हो सकता है। कार्यक्षेत्र में आज आपको अधिकारी वर्ग से पूरा सहयोग और सपोर्ट मिल सकता है। बिजनस करने वाले जातकों की आज कमाई में वृद्धि होगी। लेकिन आपको आज कानूनी मामलों में लापरवाही से बचना होगा।

आज भाग्य 82% आपके पक्ष में रहेगा। माता लक्ष्मी की पूजा करें और लक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करें।

​सिंह राशि वालों को संपर्क से लाभ मिलेगा

सिंह राशि आपके लिए आज का दिन बहुत अच्छा है। आपकी राशि पर आज गुरु की शुभ दृष्टि बनी हुई जिससे आज आपके रिश्ते बेहतर होंगे। वैवाहिक जीवन में आज आपको जीवनसाथी से सुख और सहयोग मिलेगा। आपका आज सामाजिका दायरा भी बढेगा। कुछ नए संपर्क बनेंगे जो आपको भविष्य में लाभ दिला सकते हैं। लव लाइफ में आज आपके प्रेम बना रहेगा। जिन लोगों को प्रेमी से मतभेद और तनाव चल रहा है आज उनके रिश्ते में भी सुधार का योग बनता दिख रहा है। रिश्तेदारों के बीच आपकी साख बढ़ेगी और परिवार का आपको पूरा सहयोग मिलेगा। सितारे बताते हैं कि आज सिंह राशि के जातक घर की साज सज्जा के लिए कुछ खरीदारी कर सकते हैं। आर्थिक योजनाओं और निवेश से आपको आज लाभ मिलेगा। नौकरी की तलाश कर रहे जातकों को आज सफलता मिल सकती है।

आज भाग्य 92% आपके पक्ष में रहेगा। श्री हनुमान चालीसा का पाठ आपके लिए लिए कल्याणकारी होगा।

​कन्या राशि वालों को उम्मीद से बढकर लाभ मिलेगा

आज का दिन कन्या राशि के जातकों के लिए बहुत ही शुभ रहेगा। आज आपको कुछ ऐसे अवसर प्राप्त होंगे जिनसे आपको उम्मीद से बढकर लाभ मिलेगा। कार्यक्षेत्र में आपको आज सहकर्मियों से अपेक्षित सहयोग मिलेगा। बिजनस में किसी डील के फाइनल हो जाने से आपकी आज अच्छी कमाई होने वाली है। सितारे कहते हैं कि आज आपकी राशि के स्वामी बुध का मंगल और शुक्र के साथ निर्मित हो रहा योग आपको अपने काम में बड़ी सफलता दिला सकता है और आप अपने काम में नई ऊंचाइयों को छू सकते हैं। कन्या राशि के जातकों के लिए आज सितारे कहते हैं कि आपको अपने मन पर नियंत्रण रखना होगा क्योंकि मानसिक भटकाव की वजह से आपको शिक्षा के क्षेत्र में परेशानी होगी।

आज भाग्य 89% आपके पक्ष में रहेगा। मछलियों को आटे की गोलिया खिलाएं और बड़े भाई से आशीर्वाद लें।

​तुला राशि के जातक आज मानसिक तनाव महसूस करेंगे

तुला राशि वालों के लिए आज का दिन चुनौतियों भरा रहेगा। आपकी राशि में आज चंद्रमा का आगमन हुआ है ऐसे में आज आपका मन उलझन और तनाव में रह सकता है। भावुकता में आकर आपको कोई भी फैसला लेने से बचना होगा। साथ ही आज आपको अपनी सेहत पर ध्यान देने की जरूरत पड़ सकती है। आपको अपने खान-पान और व्यायाम पर विशेष ध्यान देना होगा। आज आपको अपने पारिवारिक रिश्तों पर ध्यान देने की जरूरत पड़ सकती है। वैवाहिक जीवन में जीवनसाथी के साथ मतभेद होने की आशंका है। किसी निकट संबंधी की ओर से आपको कोई ऐसी खबर मिल सकती है जिससे आपको मानसिक तनाव होगा। खर्च पर आपको आज कंट्रोल करना होगा। गैर जरूरी खर्चों की वजह से बजट प्रभावित हो सकता है।

आज भाग्य 95% आपके पक्ष में रहेगा। गायत्री चालीसा का पाठ करें।

​वृश्चिक राशि वालों की दबी हुई परेशानी उभर सकती है

वृश्चिक राशि के जातकों को आज कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में आपको अपनी शक्ति और क्षमता पर पूरा भरोसा रखना होगा। आज आपको अपने लक्ष्य तक पहुंचने में कई बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है इसलिए धैर्य और साहस बनाए रखें। आपको अपने स्वास्थ्य का भी आज ध्यान रखना होगा, कोई दबी हुई आपकी परेशानी फिर से उभर सकती है। कामकाज को लेकर आज आपको बहुत जोश और उत्साह से काम करना होगा। आपको अपने काम में अधिक धैर्य और संयम से काम लेना होगा जो आपको सफलता की ओर ले जाएगा। विद्यार्थियों को आज अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करना होगा और अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी। सामाजिक गतिविधियों में भाग लेने के लिए आज का दिन आपके लिए अनुकूल रह सकता है।

आज भाग्य 81% आपके पक्ष में रहेगा। हनुमानजी को सिंदूर भेट करें।

​धनु राशि वालों को सफलता मिलेगी

धनु राशि वालों के लिए आज का दिन बेहद शुभ रहने वाला है। आप अपने जीवन में ढेर सारी खुशियां और समृद्धि अनुभव करेंगे जिससे आपका आत्मबल आज बढा रहेगा। आज आपको अपने सपने पूरे करने और जीवन में नई ऊंचाइयों तक पहुंचने का मौका मिल सकता है। आपके करियर के लिए भी दिन बहुत ही शुभ रहेगा। आपको अपने प्रयास से बढकर आज कार्यक्षेत्र में सफलता मिलने की संभावना है। आज धनु राशि के छात्रों के लिए भी दिन बहुत ही शुभ रहेगा। आपकी मेहनत और लगन से अच्छे परिणाम मिलेंगे और आप शिक्षा के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों को छू सकते हैं। बिजनस के क्षेत्र में आपको पैसा कमाने का अच्छा मौका मिल सकता है।

आज भाग्य 65% आपके पक्ष में रहेगा। भगवान विष्णु की आराधना करें और विष्णु चालीसा का पाठ करें।

​मकर राशि वालों को खर्च पर नियंत्रण रखना होगा

आज का दिन मकर राशि के लिए मिलाजुला रहने वाला है। आप अपने काम में सफल हो सकते हैं और अपने परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताने का आपको मौका मिल सकता है। आपको आज तकनीकी योग्यता और अनुभव का लाभ मिलेगा। बिजनस में आज आपकी कमाई अच्छी होगी, लेकिन आपको आज अपने विरोधियों से सावधान रहने की जरूरत है। खर्च के मामले में सितारे कहते हैं कि आज आपको थोड़ा यहां संभलकर चलना होगा। कुछ अचानक बनने वाली परिस्थिति से वजह से आपको धन खर्च करना होगा। वाहन पर भी आज खर्च का योग बना हुआ है। आज विद्यार्थियों को अपनी पढ़ाई और लक्ष्य के प्रति अधिक गंभीर रहना होगा। शाम के समय आपको अपने परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताने का मौका मिल सकता है।

आज भाग्य 74% आपके पक्ष में रहेगा। विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें।

​कुंभ राशि वालों को उपहार और परिश्रम का लाभ मिलेगा

कुंभ राशि वालों के लिए आज का दिन संतान पक्ष से खुशी प्रदान करने वाला रहेगा। आज आपकी राशि से मंगल जा रहे हैं ऐसे में शनि मंगल योग का समाप्त होना आपके लिए शुभ रहेगा। आज आपको अपने रिश्तेदारों से कुछ उपहार मिल सकता है जिससे आपको खुशी मिलेगी। कार्यक्षेत्र में आज आपको अपनी मेहनत का पूरा लाभ मिलेगा। जो लोग लोहा औऱ गृह निर्माण के कार्य से संबंधित क्षेत्र से जुडे़ हुए हैं उनकी आज अच्छी कमाई होगी। आपके दांपत्य जीवन में प्यार और तालमेल बना रहेगा। सरकारी क्षेत्र के काम में आज आपको सफलता मिलेगी। कोई काम जो आपका बहुत दिनों से अटक रहा है आज वह पूरा हो सकता है। लव लाइफ में आज आपको कुछ यादगार पल प्रेमी के साथ बिताने का मौका मिलेगा।

आज भाग्य 83% आपके पक्ष में रहेगा। श्रीराम रक्षा स्तोत्र का पाठ करें।

​मीन राशि वालों की अधूरी इच्छा पूरी हो सकती है

आज का दिन मीन राशि के जातकों के लिए बहुत ही शुभ और लाभकारी रहने वाला है। आज आपकी राशि में मंगल का प्रवेश हुआ है जो आपके लिए मंगलकारी रहेगा। आज आपकी कोई अधूरी इच्छा पूरी हो सकती है और आपका मन खुशी से भर जाएगा। साहस और आत्मविश्वास से आज आप भरपूर रहेंगे और आपका स्वास्थ्य भी आज अच्छा रहेगा। आज मीन राशि के जातक कुछ नए काम की भी शुरुआत कर सकते हैं। वैवाहिक जीवन में आज प्रेम और आपसी सहयोग बना रहेगा जिससे घर का माहौल खुशनुमा रहेगा। महिलाओं को आज ननद और सासु मां से सहयोग और लाभ मिल सकता है। आपको आज बच्चों की सेहत और शिक्षा पर ध्यान देने की जरूरत होगी।

आज भाग्य 81% आपके पक्ष में रहेगा। श्रीहनुमान चालीसा का पाठ करना आपके लिए लाभकारी रहेगा।

आज का पंचांग- 06 जुलाई 2024;जानिए पंचांग के अनुसार आज का मुहूर्त और ग्रहयोग

विक्रम संवत - 2081 पिङ्गल

शक सम्वत - 1946 क्रोधी

ज्येष्ठ - पूर्णिमान्त

वैशाख - अमान्त

तिथि

प्रतिपदा - 04:26 ए एम, जुलाई 07 तक

नक्षत्र

पुनर्वसु - 04:48 ए एम, जुलाई 07 तक

योग

व्याघात - 02:47 ए एम, जुलाई 07 तक

सूर्य और चंद्रमा का समय

सूर्योदय - 05:29 ए एम

सूर्यास्त - 07:23 पी एम

चन्द्रास्त - 08:06 पी एम

शुभ काल

अभिजीत मुहूर्त - 11:58 ए एम से 12:54 पी एम

अमृत काल - 02:20 ए एम, जुलाई 07 से 03:58 ए एम, जुलाई 07

ब्रह्म मुहूर्त - 04:08 ए एम से 04:48 ए एम

अशुभ काल

राहूकाल-   08:57 ए एम से 10:42 ए एम

यम गण्ड - 02:10 पी एम से 03:54 पी एम

गुलिक - 05:29 ए एम से 07:13 ए एम

दुर्मुहूर्त - 05:29 ए एम से 06:25 ए एम, 06:25 ए एम से 07:20 ए एम

वर्ज्य - 04:27 पी एम से 06:06 पी एम

शुभ योग

त्रिपुष्कर योग- 04:26 ए एम, जुलाई 07 से 04:48 ए एम, जुलाई 07

ज्योतिर्लिंग-4:मध्यप्रदेश के खंडवा स्थित ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मानव निर्मित नही ,शिव ने स्वत:प्रकट होकर हुए थे स्थापित,जानिए उनके महामात्य

- -विनोद आनंद

भारत के धार्मिक स्थलों में शिव भगवान के जिन 12 ज्योतिर्लिंगों की हम चर्चा इस एपिशोड में लगातार कर रहे हैं उसमे आज चौथे ज्योतिर्लिंग ओंकारेश्वर ले चलते हैं ।वैसे आप को बता दें कि ज्योतिर्लिंग का दर्शन पूजन हमारे हिन्दू धर्म में बहुत हीं कल्याणकारी और फलदायक है।भगवान शिव की कृपा हमेशा बनी रहती है।दूसरी सबसे बड़ी बात है कि हमे भारत के धार्मिक परम्परा और ऐतिहासिक स्थलों की जानकारी भी मिलती है।

तो आइए हम जानते हैं द्वादश ज्योतिर्लिंग में चतुर्थ शिव के सिद्धपीठ औंकारेश्वर के बारे में ।

 यह मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में स्थित है। नर्मदा नदी के बीच मन्धाता या शिवपुरी नामक द्वीप पर स्थित यह भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है।

सदियों पहले कोली जनजाति ने इस जगह पर लोगो की बस्तियां बसाई और अब यह जगह अपनी भव्यता और इतिहास से प्रसिद्ध है यहां के मोरटक्का गांव से लगभग 14 कि॰मी॰ दूर बसा है। यह द्वीप हिन्दू पवित्र चिन्ह ॐ के आकार में बना है। यहां दो मंदिर स्थित हैं जिसे ॐकारेश्वर और दूसरे मंदिर को ममलेश्वर के नाम से जाना जाता है।

ऐसा माना जाता है कि ॐकारेश्वर का निर्माण नर्मदा नदी से स्वतः ही हुआ है। यह नदी भारत की पवित्रतम नदियों में से एक है और अब इस पर विश्व का सर्वाधिक बड़ा बांध परियोजना का निर्माण हो रहा है।

जिस ओंकार शब्द का उच्चारण सर्वप्रथम सृष्टिकर्ता विधाता के मुख से हुआ है, वेद का पाठ इसके उच्चारण किए बिना नहीं होता है। इस ओंकार का भौतिक विग्रह ओंकार क्षेत्र है। इसमें 68 तीर्थ हैं। यहाँ 33 कोटि देवता परिवार सहित निवास करते हैं तथा 2 ज्योतिस्वरूप लिंगों सहित 108 प्रभावशाली शिवलिंग हैं।

 मध्यप्रदेश में देश के प्रसिद्ध 12 ज्योतिर्लिंगों में से 2 ज्योतिर्लिंग विराजमान हैं। एक उज्जैन में महाकाल के रूप में और दूसरा ओंकारेश्वर में ओम्कारेश्वर- ममलेश्वर के रूप में विराजमान हैं।

जनश्रुति


मध्यप्रदेश के खंडवा स्थित ॐकारेश्वर मंदिर को लेकर जो कथा है उसके अनुसार यहां 

राजा मान्धाता ने नर्मदा किनारे इस पर्वत पर घोर तपस्या कर भगवान शिव को प्रसन्न किया और शिवजी के प्रकट होने पर उनसे यहीं निवास करने का वरदान माँग लिया। तभी से उक्त प्रसिद्ध तीर्थ नगरी ओंकार-मान्धाता के रूप में पुकारी जाने लगी। 

एक दूसरी जनश्रुति के अनुसार

इस मंदिर में शिव भक्त कुबेर ने तपस्या की थी तथा शिवलिंग की स्थापना की थी। जिसे शिव ने देवताओ का धनपति बनाया था। कुबेर के स्नान के लिए शिवजी ने अपनी जटा के बाल से कावेरी नदी उत्पन्न की थी। यह नदी कुबेर मंदिर के बाजू से बहकर नर्मदाजी में मिलती है, जिसे छोटी परिक्रमा में जाने वाले भक्तो ने प्रत्यक्ष प्रमाण के रूप में देखा है, यही कावेरी ओमकार पर्वत का चक्कर लगाते हुए संगम पर वापस नर्मदाजी से मिलती हैं, इसे ही नर्मदा कावेरी का संगम कहते है।

दीपावली की रात ज्वार चढाने का है परम्परा


इस मंदिर पर प्रतिवर्ष दिवाली की की रात को ज्वार चढाने का विशेष महत्त्व है इस रात्रि को जागरण होता है तथा धनतेरस की सुबह 4 बजे से अभिषेक पूजन होता हैं इसके पश्चात् कुबेर महालक्ष्मी का महायज्ञ, हवन, जिसमे कई जोड़े बैठते हैं, धनतेरस की सुबह कुबेर महालक्ष्मी महायज्ञ नर्मदाजी का तट और ओम्कारेश्वर जैसे स्थान पर होना विशेष फलदायी होता हैं। उसके बाद यहां भंडारा होता है लक्ष्मी वृद्धि पेकेट सिद्धि वितरण होता है, जिसे घर पर ले जाकर दीपावली की अमावस को विधि अनुसार धन रखने की जगह पर रखना होता हैं।जिससे घर में प्रचुर धन के साथ सुख शांति आती हैं I 

इस अवसर पर हजारों भक्त दूर दूर से यहां आते है और कुबेर का भंडार प्राप्त कर प्रचुर धन के साथ सुख शांति पाते हैं I

 नवनिर्मित मंदिर प्राचीन मंदिर ओम्कारेश्वर बांध में जलमग्न हो जाने के कारण भक्त श्री चैतरामजी चौधरी, ग्राम - कातोरा गुर्जर दादा के अथक प्रयास से नवीन मंदिर का निर्माण बांध के व् ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग के बीच नर्मदाजी के किनारे 2006-07 में बनाया गया हैं I

कैसे होता है ओंकारेश्वर का दर्शन?


नर्मदा किनारे जो बस्ती है उसे विष्णुपुरी कहते हैं। यहाँ नर्मदाजी पर पक्का घाट है। सेतु अथवा नौका द्वारा नर्मदाजी को पार करके यात्री मान्धाता द्वीपमें पहुँचता है। उस ओर भी पक्का घाट है। यहाँ घाट के पास नर्मदाजी में कोटितीर्थ या चक्रतीर्थ माना जाता है। यहीं स्नान करके यात्री सीढ़ियों से ऊपर चढ़कर ऑकारेश्वर-मन्दिर में दर्शन करने जाते हैं। मन्दिर तट पर ही कुछ ऊँचाई पर है।

मन्दिर के अहाते में पंचमुख गणेशजी की मूर्ति है। प्रथम तल पर ओंकारेश्वर लिंग विराजमान हैं। श्रीओंकारेश्वर का लिंग अनगढ़ है। यह लिंग मन्दिर के ठीक शिखर के नीचे न होकर एक ओर हटकर है। लिंग के चारों ओर जल भरा रहता है। मन्दिर का द्वार छोटा है। ऐसा लगता है जैसे गुफा में जा रहे हों। पास में ही पार्वतीजी की मूर्ति है। ओंकारेश्वर मन्दिर में सीढ़ियाँ चढ़कर दूसरी मंजिल पर जाने पर महाकालेश्वर लिंग के दर्शन होते हैं। यह लिंग शिखर के नीचे है।

 तीसरी मंजिल पर सिद्धनाथ लिंग है। यह भी शिखर के नीचे है। चौथी मंजिल पर गुप्तेश्वर लिंग है। पांचवीं मंजिल पर ध्वजेश्वर लिंग है।

तीसरी, चौथी व पांचवीं मंजिलों पर स्थित लिंगों के ऊपर स्थित छतों पर अष्टभुजाकार आकृतियां बनी हैं जो एक दूसरे में गुंथी हुई हैं। द्वितीय तल पर स्थित महाकालेश्वर लिंग के ऊपर छत समतल न होकर शंक्वाकार है और वहां अष्टभुजाकार आकृतियां भी नहीं हैं। प्रथम और द्वितीय तलों के शिवलिंगों के प्रांगणों में नन्दी की मूर्तियां स्थापित हैं। तृतीय तल के प्रांगण में नन्दी की मूर्ति नहीं है। यह प्रांगण केवल खुली छत के रूप में है। चतुर्थ एवं पंचम तलों के प्रांगण नहीं हैं। वह केवल ओंकारेश्वर मन्दिर के शिखर में ही समाहित हैं। प्रथम तल पर जो नन्दी की मूर्ति है, उसकी हनु के नीचे एक स्तम्भ दिखाई देता है। ऐसा स्तम्भ नन्दी की अन्य मूर्तियों में विरल ही पाया जाता है।

श्रीओंकारेश्वरजी की परिक्रमा में रामेश्वर-मन्दिर तथा गौरीसोमनाथ के दर्शन हो जाते हैं। ओंकारेश्वर मन्दिर के पास अविमुतश्वर, ज्वालेश्वर, केदारेश्वर आदि कई मन्दिर हैं।

ममलेश्वर भी ज्योतिर्लिंग है।


 ममलेश्वर मन्दिर अहल्याबाई का बनवाया हुआ है। गायकवाड़ राज्य की ओर से नियत किये हुए बहुत से ब्राह्मण यहीं पार्थिव-पूजन करते रहते हैं। यात्री चाहे तो पहले ममलेश्वर का दर्शन करके तब नर्मदा पार होकर औकारेश्वर जाय; किंतु नियम पहले ओंकारेश्वर का दर्शन करके लौटते समय ममलेश्वर-दर्शन का ही है। पुराणों में ममलेश्वर नाम के बदले अमलेश्वर उपलब्ध होता है।ममलेश्वर-प्रदक्षिणा में वृद्धकालेश्वर, बाणेश्वर, मुक्तेश्वर, कर्दमेश्वर और तिलभाण्डेश्वरके मन्दिर मिलते हैं।

ममलेश्वरका दर्शन करके निरंजनी अखाड़े में स्वामी कार्तिक अघोरी नाले में अघेोरेश्वर गणपति, मारुति का दर्शन करते हुए नृसिंहटेकरी तथा गुप्तेश्वर होकर (ब्रह्मपुरीमें) ब्रह्मेश्वर, लक्ष्मीनारायण, काशीविश्वनाथ, शरणेश्वर, कपिलेश्वर और गंगेश्वरके दर्शन करके विष्णुपुरी लौटकर भगवान् विष्णु के दर्शन करे। यहीं कपिलजी, वरुण, वरुणेश्वर, नीलकण्ठेश्वर तथा कर्दमेश्वर होकर मार्कण्डेय आश्रम जाकर मार्कण्डेयशिला और मार्कण्डेयेश्वर के दर्शन करे।

भगवान के महान भक्त अम्बरीष और मुचुकुन्द के पिता सूर्यवंशी राजा मान्धाता ने इस स्थान पर कठोर तपस्या करके भगवान शंकर को प्रसन्न किया था। उस महान पुरुष मान्धाता के नाम पर ही इस पर्वत का नाम मान्धाता पर्वत हो गया।

जल के बीच स्थित शिवलिंग प्राकृतिक है


ओंकारेश्वर लिंग किसी मनुष्य के द्वारा गढ़ा, तराशा या बनाया हुआ नहीं है, बल्कि यह प्राकृतिक शिवलिंग है। इसके चारों ओर हमेशा जल भरा रहता है। प्राय: किसी मन्दिर में लिंग की स्थापना गर्भ गृह के मध्य में की जाती है और उसके ठीक ऊपर शिखर होता है, किन्तु यह ओंकारेश्वर लिंग मन्दिर के गुम्बद के नीचे नहीं है। इसकी एक विशेषता यह भी है कि मन्दिर के ऊपरी शिखर पर भगवान महाकालेश्वर की मूर्ति लगी है। कुछ लोगों की मान्यता है कि यह पर्वत ही ओंकाररूप है।

परिक्रमा के अन्तर्गत बहुत से मन्दिरों के विद्यमान होने के कारण भी यह पर्वत ओंकार के स्वरूप में दिखाई पड़ता है। ओंकारेश्वर के मन्दिर ॐकार में बने चन्द्र का स्थानीय ॐ इसमें बने हुए चन्द्रबिन्दु का जो स्थान है, वही स्थान ओंकारपर्वत पर बने ओंकारेश्वर मन्दिर का है। मालूम पड़ता है इस मन्दिर में शिव जी के पास ही माँ पार्वती की भी मूर्ति स्थापित है। यहाँ पर भगवान परमेश्वर महादेव है।

ऐतिहासिक और पुरत्ताविक तथ्य


अगर इतिहास के कसौटी पर हम ओंकारेश्वर तीर्थ नगरी को समझने की कोशिश करें तो यहां बहुत-सी ऐतिहासिक और पुरातात्विक संपदा मौजूद है।

सम्भावना है कि अनादिकाल में यहां अध्यात्म का प्रमुख केंद्र रहा होगा। यहां मौजूद अवशेष और हाल ही में भगवान ज्योतिर्लिंग मंदिर के नीचे खुदाई में निकला मंदिर सातवीं सदी से भी पुराना लगता है।

यह बात खुदाई में निकले मंदिर का निरीक्षण करने आए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के हेरिटेज आर्कियोलॉजिस्ट मुनीष पंडित के अनुसार यह मंदिर दर्शन हॉल बनाने के लिए साधारण द्वार के सामने की सीढ़ियों की खुदाई के बीच निकला था। यह अवशेष मार्च 2018 के अंतिम सप्ताह में हुई थी। खुदाई के दौरान भगवान ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के नीचे जो मंदिर निकला है, उसकी बनावट व आर्किटेक्टर देखकर लगता है कि यह सातवीं शताब्दी से भी पहले का है। 

 ओंकारेश्वर के ओंकार पर्वत पर बने मंदिर और वहां बिखरे अवशेषों को देखकर यह प्रमाणित होता है कि ओंकारेश्वर अनादिकाल में ऋषि मुनियों और साधु-संन्यासियों की तपोभूमि और अध्यात्म का केंद्र रही है। इतिहास में उल्लेख है कि भगवान आदिगुरु शंकराचार्य के गुरु गोविंदपदाचार्य की तपोस्थली भी है। ओंकार पर्वत का वर्णन तो यजुर्वेद में भी मिलता है। इन मंदिरों को बनाने के लिए जिन पत्थरों का उपयोग किया गया वे पत्थर भी यहां के नहीं हैं। ये कहीं बाहर से लाकर मंदिर बनाए गए हैं।

आक्रमण या भूकंप से क्षतिग्रस्त हुए होंगे मंदिर!


पंडित ने बताया कि ओंकार पर्वत पर जो मंदिर जीर्ण-शीर्ण हालत में हैं, इन मंदिरों को या तो तोड़ा गया या भूकंप के कारण नष्ट हुए हैं। सभी मंदिरों को संरक्षित कर विश्व के सामने यह भी प्रमाणित किया जा सकता है कि भारत अनादिकाल से संस्कृति व आध्यात्म में सबसे आगे है। उस समय के राजा-महाराजाओं ने परिस्थितिवश मौजूदा संसाधनों के हिसाब से जिस तरह का सुधार संभव था, करवा दिया।