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मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने पीएम जनमन योजना के हितग्राहियों को सौंपी घर की चाबी

रायपुर-  मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने आज बगिया प्रवास के दौरान अपने निवास में आयोजित संक्षिप्त कार्यक्रम में पीएम जनमन योजना के तीन लाभार्थियों को नवनिर्मित घर की चाबी सौंपी। इस दौरान तीनों लाभार्थियों ने बांस से बनी टोकरी में आम, फल्ली और केला भेंटकर मुख्यमंत्री श्री साय के प्रति आभार व्यक्त किया। आदिवासी समुदाय के आर्थिक-सामाजिक उत्थान के लिए शुरू की गई पीएम जनमन योजना के तहत जिले के पहाड़ी कोरवा, बिरहोर लोगों को लाभ मिल रहा है।

जशपुर जिले के जनपद बगीचा के ग्राम पंचायत सुलेसा में प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) अन्तर्गत 2016-23 तक कुल 90 आवास स्वीकृत किये गये थे। जिसमें 82 आवास अच्छी गुणवत्ता के साथ बनाकर पूर्ण हो गए हैं। शेष 08 आवास का कार्य प्रगति पर है। वर्ष 2023-24 में पी.एम. जनमन आवास योजना के तहत कुल 07 हितग्राहियों का आवास स्वीकृत किया गया, जिसमें 03 आवास अच्छी गुणवत्ता के साथ बनाकर पूर्ण कर दिया गया है। शेष 04 आवास की ढलाई का कार्य पूर्ण हो गया है। प्लास्टर कार्य प्रगति पर है। आगामी वर्ष में पीडब्ल्यूएल सूची के बचे सभी शेष हितग्राहियों को आवास प्रदान कर पक्का मकान बनाने का लक्ष्य रखा गया है।

लाभार्थी आलू राम पहाड़ी पिता कोटेंग ने आवास बनने पर कहा कि हर एक नागरिक का सपना होता है कि उसका अपना एक पक्का मकान हो, जिसमें वह अपने परिवारजनों के साथ सुकून से जीवन यापन कर सके। लेकिन आर्थिक स्थिति के कारण हर किसी का यह सपना साकार नही हो पाता। गरीब असहाय के सपने को साकार करने के लिए प्रधानमंत्री जनमन आवास योजना वरदान साबित हो रही है। जिसके लिये हम परिवार सहित माननीय प्रधानमंत्री जी एवं माननीय मुख्यमंत्री जी के प्रति आभार व्यक्त करते हैं।

इसी तरह बगीचा जनपद पंचायत के ग्राम पंचायत सुलेसा (महुआपानी) निवासी लाभार्थी बैशाखू राम पिता झिंगो राम जिसकी उम्र 50 वर्ष हो चुकी है, उसके पास अपना पुश्तैनी कच्चा आवास था। जिसमें वह अपनी पत्नी और बच्चों के साथ मुश्किल से जीवन यापन कर रहा था और बरसात के मौसम में उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ता था। प्रधानमंत्री जनमन आवास योजना अंतर्गत वर्ष 2023-24 में पक्का आवास बनाने के लिए स्वीकृति प्रदान की गई। शासन से अनुदान में मिली राशि से अपना पक्का मकान बना कर अब वह अपने परिवार के साथ पक्के मकान में रहते हैं।

बैसाखू राम ने बताया कि मेरा कच्ची दीवार वाला पुराना घर था, जिसके ऊपर पन्नी तान कर गुजर-बसर चल रहा था बरसात के दिनों में जब मूसलाधार बारिश होती थी तो मेरे घर के चारों तरफ पानी ही पानी भर जाता था। आर्थिक स्थिति ठीक नही होने के कारण घर बनवाने की दूर-दूर तक कोई उम्मीद नहीं दिख रही थी। एक दिन ग्राम पंचायत के रोजगार सहायक मेरे घर आये और उन्होंने मेरा आधार कार्ड और बैंक पास बुक मांगा और मेरा मोबाईल पर पंजीयन कराया। कुछ दिनों बाद मुझे मेरा आवास स्वीकृत होने की सूचना मिली।

पहली बार में मुझे यकीन नहीं हुआ लेकिन मैंने बैंक जाकर पता किया तो मेरे खाते में पैसे आ गये थे। मैने अपना घर बनवाना शुरू कर दिया। आवास की धन राशि तथा मनरेगा की मजदूरी मिलाकर मिले पैसों से अपना आवास बनवाया। मैं सरकार का शुक्रगुजार हूँ जिन्होंने घर बनवाने के लिये धनराशि उपलब्ध कराकर मेरी अंधेरी जिन्दगी में रोशनी लाने का काम किया।

इसी तरह पीएम जनमन योजना के तहत योजना सुलेसा निवासी सोंगलत राम पिता लब्जी राम को भी पक्का आवास मिला है। श्री सोंगलत बताते हैं कि गरीबी के कारण कच्चे मकान में रहना एक मजबूरी बन गयी थी। जब बरसात होती थी तो पानी टपकने से रात भर बच्चों सहित जागकर रात बितानी होती थी। परन्तु अब प्रधानमंत्री जनमन आवास योजना अन्तर्गत वर्ष 2023-24 में मेरा आवास स्वीकृत हुआ और आज हमारा पक्का मकान बन कर तैयार है। हम आभारी है माननीय प्रधानमंत्री एवं माननीय मुख्यमंत्री के जिन्होंने गरीबों को उनके सपने पूरे करने का अवसर दिया।

उप मुख्यमंत्री अरुण साव और स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ‘ये शाम डॉक्टर्स के जज्बे के नाम’ कार्यक्रम में हुए शामिल

रायपुर-  उप मुख्यमंत्री अरुण साव और स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल आज शाम माई एफएम द्वारा नवा रायपुर में आयोजित ‘ये शाम डॉक्टर्स के जज्बे के नाम’ कार्यक्रम में शामिल हुए। उन्होंने कार्यक्रम में राजधानी रायपुर के 35 चिकित्सा विशेषज्ञों और डॉक्टरों को सम्मानित किया। उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि माई एफएम द्वारा बहुत सराहनीय आयोजन किया गया है। मैं आज यहां सम्मानित हो रहे डॉक्टरों के साथ ही माई एफएम की टीम को भी बधाई देता हूं। उन्होंने कहा कि डॉक्टरों को यूं ही धरती का भगवान नहीं कहा जाता है। वे अपनी काबिलियत और अथक परिश्रम से लोगों की जान बचाते हैं।

स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने कहा कि इस कार्यक्रम में मौजूदगी मेरे लिए गौरव का क्षण है। राज्य में मैं जिस विभाग का प्रभार संभाल रहा हूं, उसके कर्णधारों के सम्मान के लिए यह कार्यक्रम आयोजित है। प्रदेश में लगातार स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर किया जा रहा है। जिस समय छत्तीसगढ़ राज्य बना, उस समय यहां मात्र एक ही मेडिकल कॉलेज था। आज प्रदेश में एम्स सहित 11 मेडिकल कॉलेज संचालित हो रहे हैं। श्री जायसवाल ने कहा कि आयुष्मान कॉर्ड के जरिए लोगों को हर साल पांच लाख रुपए तक की चिकित्सा सेवाएं मुहैया कराई जा रही है। इसमें सरकारी अस्पतालों के साथ ही निजी क्षेत्र के अस्पतालों का भी सहयोग मिल रहा है। कार्यक्रम में माई एफएम के क्षेत्रीय बिजनेस प्रमुख श्री शाजी मुकुल के साथ ही आयोजन में सहयोगी संस्थानों के वरिष्ठ अधिकारी तथा अनेक डॉक्टर सपरिवार मौजूद थे।

जलजीवन मिशन से करिहापहर के ग्रामीणों को पेयजल संकट से मिली राहत, योजना के क्रियान्वयन में गांव की महिलाएं निभा रहीं महत्वपूर्ण भूमिका

रायपुर-  जलजीवन मिशन योजना अंतर्गत दूरस्थ एवं दुर्गम क्षेत्रों में हर घर जल का सपना साकार हो रहा है। इस योजना से जिले के दूरस्थ अंचलों में भी घर-घर शुद्ध पेयजल पहुंचने से ग्रामीणों का पेयजल संकट भी दूर हो रहा है। महिलाओं को इस योजना से काफी राहत मिल रही है। पहले कई ग्रामीण महिलाओं को शुद्ध पेयजल के लिए कई किलोमीटर की दूरी भी तय करनी पड़ती थी, जिससे आने-जाने में परेशानी का सामना करना पड़ता था और शारीरिक परिश्रम भी अधिक लगता था। जल जीवन मिशन में ग्रामवासियों की सहभागिता सुनिश्चित की गई है, जिसमें महिलाओं की भूमिका महत्वपूर्ण है।

जिला मुख्यालय कांकेर से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित नरहरपुर विकासखण्ड अंतर्गत ग्राम पंचायत बिरनपुर के आश्रित ग्राम करियापहर भी ऐसा गांव है, जहां जलजीवन मिशन के तहत हर घर शुद्ध पेयजल पहुंच रहा है। ग्राम करियापहर गांव में 149 परिवारों की कुल जनसंख्या 767 है, जिसमें महिलाओं की संख्या 369 एवं पुरूषों की संख्या 398 है। यह गांव के कुल भू-भाग का 3 प्रतिशत हिस्सा उबड़-खाबड़ तथा पथरीला होने के कारण यहां पानी सामान्य से कम मात्रा में पाया जाता है। साथ ही सभी मौसमों में पानी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं रहता है। यहां निस्तारी के लिए अन्य स्त्रोतों का उपयोग किया जाता है, जिनमें तालाब तथा कुएं शामिल हैं। यहां के पानी में उपलब्ध खनिजों में लोहे की अधिकता पाई गई। अलग-अलग मौसमों में यहां के लोगों को पानी से जुड़ी विभिन्न समस्याओं का सामना करना पड़ता था। कई मोहल्लों में गर्मी के दिनों में हैण्डपम्प सूख जाने से पीने तथा निस्तारी के लिए अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता था। कई लोगों के घरों में शासन द्वारा शौचालय का निर्माण किया गया है, परन्तु पानी की कमी के कारण गांव वालों द्वारा शौचालयों का उपयोग नही किया जाता था। स्कूल तथा आंगनबाड़ी में भी पीने के पानी की समस्या हमेशा बनी रहती थी, लेकिन अब जलजीवन मिशन के तहत योजना के शत-प्रतिशत क्रियान्वयन से करियापहर के ग्रामवासियों को पानी की समस्याओं से छुटकारा मिला है।

ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति द्वारा जल संरक्षण का दिया जा रहा संदेश

जलजीवन मिशन के सदस्य सचिव और कार्यपालन अभियंता लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी बी.एन. भोयर ने बताया कि इसके तहत सबसे पहले गांव में ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति का गठन किया गया एवं उन्हें नियमानुसार प्रशिक्षण प्रदान किया गया। गांव के लोगों को साफ एवं शुद्ध पेयजल से होने वाले लाभों के बारे में जानकारी दी गई। गांव की पांच महिलाओं का चयन कर उन्हें जल गुणवत्ता परीक्षण सिखाया गया है। स्कूलों में बच्चों को सफाई की आदतों को अपनाने एवं साफ-सफाई के बारे में जानकारी प्रदान की गई। ग्रामवासियों को जल स्रोतों के स्थायित्व के लिए भूमिगत जल के संरक्षण के संबंध में जानकारी दी गई। साथ ही गांव में जलजीवन मिशन द्वारा लगाए गए जल स्रोतों की सुरक्षा तथा रख-रखाव हेतु गांव के लोगों को प्रेरित किया गया।

जलजीवन मिशन के सफल क्रियान्वयन में गांव की महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका

लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग की ओर से जलजीवन मिशन के तहत ग्राम करियापहर में ग्रामसभा का आयोजन कर समिति के सदस्यों द्वारा जलजीवन मिशन और इसके क्रियान्वयन के विषय में जानकारी दी गई। इस अवसर पर गांव में जल प्रबंधन समिति का गठन किया गया, जिसमें 50 प्रतिशत महिलाओं की सहभागिता सुनिश्चित की गई। इस समिति में गांव के सरपंच को अध्यक्ष तथा पंचायत सचिव को सचिव बनाया गया। इसके अलावा गुणवत्ता समिति व पानी जांच समिति का गठन कर समिति के सदस्यों को जल परीक्षण की दोनों विधियों (एफ.टी.के. एवं एच.2एस.) की जानकारी के लिए प्रशिक्षण दिया गया है। इस गुणवत्ता समिति में गांव की मितानिन एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के साथ-साथ गांव की अन्य महिलाओं को भी शामिल किया गया है। समिति की सदस्यगण जल की गुणवत्ता की जांच के बाद परिणामों को पोर्टल पर अपलोड करते हैं।

छत्तीसगढ़ विधानसभा में आयोजित हुआ युवा गोठ का मॉक सदन

रायपुर- आज छत्तीसगढ़ विधानसभा परिसर स्थित ऑडिटोरियम में प्रदेश सरकार, यूनिसेफ और नेहरू युवा केंद्र के संयुक्त प्रयास से युवा गोठ कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में 146 विकासखंडों से आए 150 युवा प्रतिनिधियों, जिसमें विशेष रूप से बस्तर संभाग के युवाओं ने भागीदारी की। उन्होंने जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा उत्पादन और पर्यावरण संरक्षण जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर सदन का प्रारूप बनाकर चर्चा की। इस चर्चा के उपरांतकांत पांडे, स्टेट डायरेक्टर, नेहरू युवा केंद्र ने छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा डॉ रमन सिंह जी ने मुख्यमंत्री रहते हुए डेढ़ दशक के कार्यों का विशेष रूप से उल्लेख किया गया। भाजपा की डेढ़ दशक की सरकार में जब तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने युवाओं पर विशेष ध्यान दिया और कौशल उन्नयन के लिए कानून बनाकर संवैधानिक अधिकार दिया था। इसके साथ ही प्राकृतिक संरक्षण की दिशा में राज्य निर्माण के बाद से ही वृक्षारोपण की पहल और वनांचलों के बेहतर रखरखाव के लिए भी भाजपा सरकार ने अपना दायित्व निभाया था। इस संबोधन के बाद विभिन्न क्षेत्रों में सक्रीय 16 युवा मितानों को पर्यावरण संरक्षण, स्वच्छता के प्रति जागरूकता जैसे महत्वपूर्ण कार्यों के लिए अतिथियों द्वारा पुरुस्कृत किया गया और विधानसभा अध्यक्ष डॉ रमन सिंह ने युवा गोठ का वीडियो लांच किया।

इसके उपरांत छत्तीसगढ़ शासन के कैबिनेट मंत्री केदार कश्यप ने अपना संबोधन किया जिसमें उन्होंने प्रदेश में पर्यावरण संरक्षण के लिए शासन द्वारा किए जा रहे प्रयासों का उल्लेख करते हुए प्रकृति के संरक्षण और जलवायु के महत्व पर युवाओं को संबोधित किया और युवा गोठ के इस कार्यक्रम के आयोजन के लिए सभी युवाओं को शुभकामनाएं दी। उन्होंने बताया कि किस प्रकार माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में “एक पेड़ मां के नाम” अभियान पूरे देश में संचालित हो रहा है और हर नागरिक इस अभियान से जुड़कर प्रकृति और पर्यावरण के प्रति जागरूक हो रहा है। प्रदेश और देश में बढ़ते तापमान और छत्तीसगढ़ के पर्यावरण संवर्धन की दिशा में जन-जागरूकता प्रसारित कर रहे यूनिसेफ, नेहरू युवा केंद्र के युवा साथियों के योगदान के लिए उन्होंने आभार प्रकट करते हुए ऐसे आयोजनों को समाज और पर्यावरण की दिशा में महत्वपूर्ण बताया।

कार्यक्रम में आगे मुख्य अतिथि विधानसभा अध्यक्ष डॉ रमन सिंह ने अपना प्रेरक संबोधन दिया उन्होंने कहा कि आज प्रदेश के युवा संसदीय प्रक्रिया के अनुरूप पर्यावरण परिवर्तन और जलवायु संरक्षण जैसी राष्ट्रव्यापी समस्या पर इस कार्यक्रम में चर्चा कर रहे हैं, यह न केवल युवा विचारधारा को दिखाता है बल्कि यह भी प्रदर्शित करता है कि छत्तीसगढ़ का भविष्य कितना सजग, जागरूक और प्रकृति को लेकर संवेदनशील है।

उन्होंने कहा कि जब प्रकृति में मौजूद पंच महाभूत का संतुलन बिगड़ जाता है, तब प्रकृति का विकराल स्वरूप दिखाई देता है। आज पूरी दुनिया में पर्यावरण संरक्षण और वृक्षारोपण को लेकर एक चिंताजनक स्थिति बन गई है तब इसके पीछे एक सबसे बड़ी वजह यह है कि कोविड के दौर में हिंदुस्तान के साथ-साथ पूरी दुनिया को यह मालूम हुआ कि ऑक्सीजन जोकि प्रकृति हमें बिना किसी शुल्क के उपलब्ध करवाती है, उसकी कीमत कितनी ज्यादा होती है। विधानसभा अध्यक्ष डॉ रमन सिंह ने आगे कहा कि हमारे शरीर का 50-70% हिस्सा पानी का हिस्सा होता है, पृथ्वी पर चारों दिशा में पानी दिखाई पड़ता है लेकिन इसमें 97% पानी समुन्द्र का खारा पानी है जो पीने योग्य नहीं है, शेष बचे 3% पानी में 2.5% पानी ग्लेशियर में जमा हुआ है जिससे पिघलकर नदियाँ बनती हैं और भूमि को सिंचित रखती हैं। पूरी पृथ्वी पर मौजूद पानी का केवल 0.5% पानी ही पीने योग्य और मानव उपयोग के लिए है।

जिस प्रकार अभी दिल्ली का तापमान 52 से ऊपर हो गया था, इतनी भीषण गर्मी कभी नहीं पड़ी थी जो इस बार दिल्लीवासियों को झेलनी पड़ी है, कभी बेमौसम बरसात और कभी फसलों को मौसम में पानी न मिल पाना यह पर्यावरण परिवर्तन के स्पष्ट संकेत अब दिखाई देने लगे हैं।

भारतीय प्रशासनिक सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी दिलीप वासनीकर विभागीय जांच आयुक्त नियुक्त

रायपुर-  राज्य शासन के सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा आज एक आदेश जारी कर भारतीय प्रशासनिक सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी दिलीप वासनीकर को विभागीय जांच आयुक्त नियुक्त किया गया है। जारी आदेश में कहा गया है कि श्री वासनीकर की संविदा नियुक्ति की अवधि में 5 जुलाई 2024 से एक वर्ष तक की वृद्धि की गई है।

लखपति दीदी बनने के सपने को साकार कर रही गीदम की महिलाएं

रायपुर-  महिलाएं अपनी मेहनत और लगन से आगे बढ़ रही है। और कामयाबी का परचम लहरा रही है। मेहनत करने वालों की राह स्वयं ही खुल जाती है। इस बात को दूरस्थ अंचल जिला मुख्यालय दंतेवाड़ा के गीदम विकासखंड अंतर्गत 30 से 35 किलोमीटर दूरी पर स्थित हिड़पाल ग्राम पंचायत में माँ गौरी स्व-सहायता समूह की महिलाएं चरितार्थ कर रहीं हैं। सुदूर वनक्षेत्र में निवासरत ये ग्रामीण महिलाएं आज सीमेंट ईट बनाने जैसा श्रम साध्य कार्य को अंजाम देने में जुटी हैं। ईंट बनाने के काम में 5 पुरूष मिस्त्रियों ने महिलाओं को इस काम में सहयोग करते हुए तैयारी के संबंध में समझाया फिर उन्हें ईट बनाने की मशीन संचालन करना, रेत, डस्ट में सीमेंट की मात्रा की मिलावट के बारे में जानकारी दी। इस तरह 10 महिलाओं ने शुरूआती दौर में 500 ईंट निर्माण की तैयारी की।

ईंट निर्माण की प्राथमिक जानकारी मिलने से महिलाओं को सबसे बड़ा लाभ यह हुआ कि आने वाले समय पर वे स्वयं मशीन ऑपरेट कर रही हैं। इस संबंध में मॉ गौरी स्व सहायता समूह की महिलाओं ने इसे अब अपनी आजीविका का साधन बनाने का मन बना लिया हैं। ज्ञात है कि राज्य सरकार की ओर से प्रधानमंत्री आवास निर्माण को प्राथमिकता दिए जाने से ग्रामीण क्षेत्रों में ईंट की मांग बढ़ गई है। ईंट निर्माण से जुड़ी मॉ गौरी स्व-सहायता समूह की कमला कोर्राम का इस संबंध मे कहना है कि ईंट निर्माण कार्य से जुड़ कर उन्हें बहुत अच्छी लग रही है और काफी खुशी भी हो रही है क्योंकि हमें कुछ नया सीखने को मिल रहा है।

अन्य सदस्य तुलसी कश्यप ने बताया कि शुरूआत में निःशुल्क डस्ट एवं सीमेंट जिला प्रशासन द्वारा उपलब्ध कराया गया। ईंट बनाने के सांचे भी उन्हे राष्ट्रीय आजीविका मिशन के तहत प्राप्त हुए हैं। साथ ही ईंट बनाने के लिए प्रशासन की ओर से उन्हें निःशुल्क प्रशिक्षण भी प्रदान किया गया। इसके लिए उन्होंने मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और जिला प्रशासन के प्रति अभार व्यक्त किया।

आने वाले समय पर रेती, डस्ट एवं सीमेंट की खरीदी का पूरा दारोमदार समूह पर रहेगा। समूह की अन्य महिला मंगलदई ने आगे और जानकारी देते हुए कहा कि मॉ गौरी स्व सहायता समूह के द्वारा बैंक से 3 लाख रूपये का ऋण भी लिया गया है। पहले हम सभी महिलाएं लाल ईंट निर्माण कार्य से जुड़ी हुई थी जिसमें मिट्टी को अच्छे से मिलाकर ईंट बनाया जाता था। अभी इसमें फर्क इतना ही है कि मशीन के रेती, डस्ट, सीमेंट तीनों पदार्थों को एक साथ मिक्सर मशीन में डाल कर घुमाया जाता है और जिससे मिक्स होने के बाद उसे ईंट बनाने वाले मशीन में डाला जाता है। जिससे एक बार में 10 ईंट बन कर निकलती है। ईंट निर्माण के माध्यम से महिलाओं के लिए स्वरोजगार की एक और राह खुल गई है। इस प्रकार अब जिले की हर एक ग्रामीण महिला शासन की महत्वाकांक्षी लखपति दीदी योजना के तहत लखपति दीदी बनने का सपना साकार कर सकती है।

अब नहीं टपकता बारिश का पानी, विद्यार्थियों की दूर हुई परेशानी, जीर्णाेद्धार से संवर गए पांच सौ से अधिक विद्यालय

रायपुर-  कुछ समय पहले की बात है, वनांचल के इस विद्यालय में कक्षा पांच में पढ़ाई करने वाली विशेष पिछड़ी जनजाति परिवार की पहाड़ी कोरबा कुमारी रत्नी बाई और कक्षा चार में पढ़ने वाले सुनील को भलीभांति याद है कि जब भी बारिश होती थी, उनके स्कूल की छतों से अकस्मात कहीं पर से भी पानी टपकने लग जाता था। बारिश के साथ शुरू हुई इस परेशानी से बचने उन्हें ही नहीं, स्कूल के सभी विद्यार्थियों को इधर-उधर भाग कर अपनी कॉपी-किताबे और खुद को भीगने से बचाने जद्दोजेहद करनी पड़ती थी। कमोवेश अब यह स्थिति नहीं है। बारिश चाहे जितनी भी जोर से और जितनी भी देर से ही क्यों न हो ? छत से न तो पानी टपकता है और न ही उन्हें अपनी कॉपी-किताबों को भीगने से बचाने के लिए इधर-उधर भागना पड़ता है। स्कूल भवन का जीर्णाेद्धार हो जाने से कक्षाएं भी बेरोकटोक संचालित होती है। कोरबा जिले में पांच सौ से अधिक ऐसे विद्यालय है, जिनकी मरम्मत हाल ही में की गई है और बारिश के दिनों में परेशानी झेलने वाले विद्यार्थियों को राहत पहुचाई गई है।

कोरबा जिले के अंतर्गत ग्राम छातासरई पहाड़ी कोरवाओं का एक मुहल्ला है। मुख्यमार्ग से दूर वनांचल व ऊंचाई पर स्थित इस गांव में पहाड़ी कोरवाओं को शिक्षा से जोड़कर उन्हें विकास की राह में आगे बढ़ाने विद्यालय संचालित किया जा रहा है। यहां अध्ययन करने वाले सभी विद्यार्थी पहाड़ी कोरवा जनजाति से ही है। दूरस्थ वनांचल क्षेत्र में स्थित इस स्कूल भवन की स्थिति पहले जर्जर होने के साथ ही विद्यार्थियों के लिए भी मुसीबत भरी थी। विद्यालय के शिक्षक परदेशी राम का कहना है कि स्कूल भवन की मरम्मत होने के बाद अब छत से पानी नहीं टपकता। कक्षा पांचवी में पढ़ाई करने वाल पहाड़ी कोरवा बालिका रत्नी बाई ने बताया कि पहले पानी गिरते ही फर्श गीला हो जाता था। रात्रि में पानी गिरने के बाद सुबह फर्श पर पानी भरा रहता था। जिससे उन्हें बैठने में भी परेशानी होती थी। कक्षा चौथी के छात्र सुनील ने बताया कि जब से स्कूल के भवन को मरम्मत कराया गया है, उन्हें कक्षा में बैठने में कोई परेशानी नहीं उठानी पड़ती। विद्यालय में पढ़ने वाली अनिता, ओम कुमार का भी कुछ यहीं कहना है। यहां पढ़ने वाले सभी छात्रों ने बताया कि उन्हें स्कूल में कॉपी-किताबें भी मिल गई है। ड्रेस भी दिया गया है। दोपहर को भोजन भी मिलता है। उन्हें अपना स्कूल अच्छा लगता है। प्राथमिक शाला चुईया, कोरई, सोनगुढ़ा के विद्यार्थियों ने भी बताया कि उन्हें कॉपी-किताब, स्कूल ड्रेस मिलने की बहुत खुशी है।

उल्लेखनीय है कि कोरबा जिले में कुल 536 स्कूलों का जीर्णाेद्धार पूर्ण कर लिया गया है, जबकि 64 विद्यालयों में जीर्णाेद्धार का कार्य प्रगतिरत है। यह बताना भी लाजिमी होगा कि कोरबा जिले में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के निर्देश पर जिला प्रशासन द्वारा शिक्षा के माहौल को बेहतर बनाने की दिशा में जिले के स्कूलों में विशेष पिछड़ी जनजाति परिवारों के 129 बेरोजगार युवाओं को उनकी योग्यता के आधार पर कलेक्टर अजीत वसंत द्वारा सहायक शिक्षक, भृत्य के पदों पर आसपास के विद्यालयों में मानदेय के आधार पर नियुक्ति दी गई है। साथ ही जिले के हायर सेकण्डरी, हाई स्कूलों में रिक्त 118 विषय-विशेषज्ञ शिक्षकों के पदों पर भी मानदेय आधार पर नियुक्ति की कार्यवाही की जा रही है।

मुख्यमंत्री की संवेदनशील पहल: जनदर्शन में आवेदन देने के दूसरे दिन खाते में पहुंचा एक साल से रूका वेतन

रायपुर-   धान संग्रहण केन्द्रों में कार्यरत् 28 कर्मचारियों के उस समय चेहरे खिल गए, जब उन्हें एक साल से रूका वेतन मिला। दरअसल ये कर्मचारी मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के जनदर्शन कार्यक्रम में बड़ी आस लेकर गए थे, मुख्यमंत्री ने उनके आवेदन पर सहानुभूतिपूर्वक विचार किया और इन कर्मचारियों को वेतन दिलाने के निर्देश दिए।

मुख्यमंत्री के जनदर्शन कार्यक्रम में रायपुर के 6 धान संग्रहण केन्द्रों के कार्यरत् कर्मचारी इस महीने की 4 तारीख को आवेदन लेकर मुख्यमंत्री निवास कार्यालय पहुंचे थे। इन कर्मचारियों में मुख्यमंत्री को विस्तार से अपनी बात बतायी थी। कर्मचारियों ने बताया कि उन्हें काफी लंबे समय से वेतन नहीं मिला है, इससे वे कर्मचारी परेशान है। विभागीय अधिकारियों से उन्हें सिर्फ आश्वासन मिल रहा है। मुख्यमंत्री ने इन कर्मचारियों के बातों को ध्यानपूर्वक सुना और कलेक्टर रायपुर को इन कर्मचारियों को वेतन दिलाने को कहा।

मुख्यमंत्री श्री साय के निर्देश पर कलेक्टर डॉ. गौरव सिंह ने जनदर्शन के अगले ही दिन विभागीय अधिकारियों को वेतन दिलाने की पहल की। उन्होंने इस संबंध में विभागीय अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए। इसके बाद धान संग्रहण केन्द्रों के 28 कर्मचारियों को उनके बैंक खातों में वेतन ट्रांसर्फर कर दिया गया।

बैंक खाते में राशि आने पर धान संग्रहण केंद्र बकतरा के कर्मचारी कुंजलाल चंद्राकर, ग्राम कुरूदभाठा के नोखेलाल साहू, ग्राम जौंदा के हीरदेश साहू व अन्य कर्मचारी काफी प्रसन्न हुए और मुख्यमंत्री विष्णु देव साय द्वारा त्वरित कार्रवाई कराते हुए उनका वेतन दिलाने के लिए उनके प्रति अभार जताया है।

महिलाओं को कानूनी मदद देगा हेल्प लाइन नंबर-181

रायपुर-  संकटग्रस्त महिलाओं की सहायता हेतु शासन द्वारा चलाई जा रही आपातकालीन सेवा हेल्पलाइन नंबर 181 है जो 24 घंटे सातों दिन कार्यरत है। जिस पर कोई भी महिला, जो किसी प्रकार की शारीरिक,मानसिक, या यौन प्रताड़ना का शिकार है, कॉल कर सकती है। महिला हेल्पलाईन पीड़ित महिला की शिकायत को सुनकर प्रकरण के तर्कसंगत समाधान हेतु प्रयास करती है। इस हेतु वह राज्य के सभी जिलो के सखी वन स्टाप सेंटर, संबंधित थाना एवं आपातकालीन स्थिति में 112 से समन्वय स्थापित करती है। महिला हेल्पलाईन किसी भी संकटग्रस्त महिला की सहायता हेतु टोल फ्री नंबर है। इस नंबर पर कॉल कर महिला 24 घंटे सातों दिन मदद ले सकती है। कोई भी महिला जो किसी भी प्रकार की शारीरिक मानसिक प्रताड़ना से ग्रस्त है, वह इस नंबर पर कॉल कर सकती है।

इन मामलों में घरेलू हिंसा, यौन प्रताड़ना, छेड़छाड़ टोनही प्रताड़ना कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न, साइबर काईम दहेज प्रताड़ना एवं अन्य सभी अपराध शामिल है, जिसमें महिला शारीरिक अथवा मानसिक रूप से प्रताडित हो। सर्वप्रथम पीड़िता का कॉल आने पर उनकी समस्या को सुनकर समस्या को समझा जाता है। पीड़िता की समस्या को समझने के बाद उन्हें समस्या समाधान संबंधी उपयुक्त विकल्पों से अवगत कराया जाता है। पीड़िता की सहमति से श्रेष्ठ विकल्प का चयन कर मामला अग्रिम कार्यवाही हेतु सखी वन स्टाप सेंटर में भेजा जाता है। आपातकालीन स्थिति में 112/संबंधित थाने के माध्यम से पीड़िता को पुलिस सहायता उपलब्ध कराते हुए मामला सखी वन स्टाप सेंटर में भेजा जाता है, जहाँ से पीड़िता की समस्या का यथासंभव समाधान सुनिश्चित किया जाता है। रेस्क्यू के मामलों में 112/संबंधित थाने के माध्यम से पीड़िता का रेस्क्यू तय किया जाता है, एवं सखी वन स्टाप सेंटर से समन्वय स्थापित कर पीड़िता की मेडिकल जॉच, आश्रय एवं उनके पुनर्वास की व्यवस्था की जाती है।

चाईल्ड हेल्पलाइन के लिए 1098 नंबर पर कॉल करें

रायपुर-  शासन द्वारा चाईल्ड लाईन 1098 संकटग्रस्त बालकों की सहायता हेतु आपातकालीन सेवा उपलब्ध कराई गई है जो 24 घंटे सातों दिन कार्यरत है। जिस पर कोई भी बालक के संबंध कोई भी व्यक्ति बालक के शारीरिक, मानसिक, या यौन प्रताड़ना का शिकार है, कॉल कर सकता है। चाईल्ड लाईन कंट्रोल रूम पीड़ित बालक के संबंध में शिकायत को सुनकर समस्या के तर्कसंगत समाधान हेतु प्रयास करती है। इस हेतु वह राज्य के सभी जिलो के चाईल्ड लाईन, बाल कल्याण समिति एवं आपातकालीन स्थिति में 112 से समन्वय स्थापित करती है। चाईल्ड लाईन बालकों की सहायता हेतु टोल फ्री नंबर है। इस नंबर पर कॉल कर बालक 24 घंटे सातों दिन मदद ले सकते है। 1098 चाईल्ड लाईन मुख्यतः बाल विवाह, आश्रय सहायता, बालश्रम निरोध, परामर्श, गुमशुदा बालक नशे के आदी बालकों के अलावा अन्य सभी बालकों की सहायता हेतु तत्पर रहता है। चाईल्ड लाईन स्वंय सेवी संस्थाओं से समन्वय स्थापित करते हुए समस्या के समुचित निराकरण का प्रयास करती है।