झारखंड की चिकित्सा व्यवस्था:राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में आज भी है समुचित संसाधन,और चिकित्सक,कर्मचारी का अभाव
झारखंड डेस्क
झारखंड अलग राज्य को बने हए 24 साल पूरा होने जा रहा है। लेकिन किसी राज्य के बुनियादी ढांचा को मजबूत बनाने के लिए मौलिक चीज है चिकित्सा ,शिक्षा और रोजगार । कोई राज्य के विकास के लिए ये तीन महत्वपूर्ण व्यवस्था है।हम इस एपिशोड में चर्चा करेंगे झारखंड के चिकित्सा व्यवस्था कितना मज़बूत हो पाया है।और लगातार इस तीनो व्यवस्था में झारखंड कहाँ है।
आज हम चर्चा करेंगे राज्य सरकार द्वारा संचालित सबसे बड़े अस्पताल रिम्स की।ओर सबसे क्रिटिकल चिकित्सा न्यूरो विभाग की है।
राज्य के बड़े सरकारी अस्पताल राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (रिम्स) के न्यूरो सर्जरी विभाग है। यह विभाग इसीलिए सबसे ज्यादा मायने रखता है कि इस विभाग में एक साल में लगभग 1800 मरीजों की सर्जरी हुई है। इसमें 250 ब्रेन ट्यूमर और 300 स्पाइन की सर्जरी शामिल हैं। यह इलाज इतना महंगा है और इतना क्रिटिकल की गरीब जनता की निर्भरता राज्य के सरकारी अस्पताल पर हीं निर्भर रहना पड़ता है। इसलिए रिम्स जैसे अस्पतालों को इस विभाग को काफी सुविधायुक्त करना जरूरी है।लेकिन इन 24 सालों में ऐसा नही हो पाया।
यहां ओपीडी में भी हर दिन 150-200 मरीजों को परामर्श दिया जाता है।डॉक्टरों की कमी के कारण सर्जरी और मरीजों को परामर्श देने में काफी परेशानी हो रही है। इसके अलावा विभाग के ओटी में जरूरी मशीनें 12 से 15 साल पुरानी हैं, जो बीच-बीच में खराब होती रहतीं हैं. ऐसे में इन मशीनों को तत्काल बदलने की जरूरत है।
न्यूरो विभाग में अभी 3 डॉक्टर हैं जो देते हैं सेवा
विभाग में फिलहाल सिर्फ 3 डॉक्टर हैं। ऐसे में इमरजेंसी सर्जरी को प्राथमिकता देनी पड़ती है. वहीं, रूटीन सर्जरी के लिए मरीजों को रिम्स में 30 से 45 दिनों तक इंतजार करना पड़ता है। वर्तमान में इस विभाग के वार्डों में 140 बेड हैं, जबकि 225 मरीज भर्ती हैं। कई मरीज कॉरिडोर और दूसरे विभागों के वार्ड में भर्ती हैं।
ओपीडी में यहां 4 दिन मरीजों को दिया जाता है परामर्श
विभाग में 4 दिन ओपीडी में मरीजों को परामर्श दिया जाता है। शनिवार को निदेशक सह न्यूरो सर्जन डॉ राजकुमार परामर्श देते हैं। विभाग में एक सीनियर चिकित्सक डॉ आनंद की यूनिट है, जिसमें असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ गौतम दत्ता और डॉ सौरभ कुमार मिलकर मरीजों का इलाज और सर्जरी करते हैं. वहीं, 13 एकेडमिक सीनियर रेजीडेंट (पीजी स्टूडेंट) और दो नन एकेडमिक सीनियर रेजीडेंट हैं।
नर्सिंग स्टाफ की भी है कमी
आइसीयू में मरीजों की देखभाल के लिए जरूरत से कम नर्सिंग स्टाफ है। यहां 40 मरीजों की देखभाल का जिम्मा दो से तीन नर्सों पर है। इसके अलावा सिर्फ 2 ड्रेसर हैं। इस कारण कई मरीजों की समय पर ड्रेसिंग नहीं हो पाती है। अगर इस विभाग में एनएमसी का निरीक्षण हो जाये, यहां पीजी की सीटें घट सकती हैं।
बार्ड के बाथरूम में दरवाजा तक है नहीं
न्यूरो सर्जरी विभाग के वार्ड में मामूली सुविधाओं का भी अभाव है. वार्ड में मरीजों की भीड़ की वजह से बेड को भी बेतरतीब तरीके से रखना पड़ रहा है। बाथरूम में दरवाजा तक नहीं है, जिससे मरीज और परिजनों को परेशानी होती है। कई वार्डों का बाथरूम जाम रहता है, जिससे परिजनों को दूसरे वार्ड में जाना पड़ता है।
मरीजों की संख्यां के अनुसार दो ओटी की है जरूरत
न्यूरो सर्जरी विभाग में 2 ऑपरेशन थियेटर (ओटी) हैं. मरीजों की भीड़ को देखते हुए यहां और 2 ओटी की जरूरत है। इसका प्रस्ताव प्रबंधन को भेजा गया है। ओटी में जरूरी मशीनें काफी पुरानी हैं, जिन्हें बदलने की जरूरत है। माइक्रोस्कोप, बाइपोलर डायथर्मी मशीन और एनेस्थीसिया वर्क स्टेशन की नयी मशीनें खरीदने की प्रक्रिया चल रही है। सी-आर्म मशीन के लिए निविदा निकाली गयी है, लेकिन सिर्फ एक कंपनी रुचि दिखा रही है. इसकी वजह से निविदा नहीं हो पा रही है।
क्या कहते हैं रिम्स के पीआरओ
इस सम्बंध में रिम्स के पीआरओ से जानकारी लेने पर बताया कि न्यूरो सर्जरी विभाग की ओटी के लिए नयी मशीन खरीदने लिए निविदा की प्रक्रिया अंतिम चरण में है. आधारभूत संरचना को दुरुस्त करने के लिए संपदा विभाग की बैठक हो चुकी है. शीघ्र बाथरूम आदि की मरम्मत की जायेगी. फैकल्टी की कमी दूर करने के लिए आवेदन निकाला गया है, जो प्रक्रिया में है.
डॉ राजीव कुमार, पीआरओ, रिम्स
Jul 02 2024, 14:08