फ्रांस के पहले दौर के चुनावों में धुर दक्षिणपंथी मरीन ले पेन की पार्टी की जीत, उल्टा पड़ा मैंक्रों का मध्यावधि चुनाव वाला दांव
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फ्रांस में संसदीय चुनाव के पहले दौर के मतदान के बाद अनुमान जताया जा रहा है कि सत्ता की बागडोर पहली बार राष्ट्रवादी एवं धुर-दक्षिणपंथी ताकतों के हाथों में जा सकती है।फ्रांस संसदीय चुनावों के पहले चरण के मतदान में धुर दक्षिणपंथी नेता मरीन ले पेन की पार्टी नेशनल रैली (आरएन) की धमाकेदार जीत हुई है। इसके बाद 7 जुलाई को दूसरे चरण का मतदान होना है। मगर तमाम एग्जिट पोल के अनुसार धुर दक्षिणपंथी नेता मरीन ले पेन की पार्टी नेशनल रैली (आरएन) ही सरकार बनाती दिख रही है। वहीं राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की विदाई अब तय मानी जा रही है।मैंक्रों की पार्टी तीसरे स्थान पर खिसक गई है।
आईपीएसओएस के शुरुआती अनुमानों के मुताबिक नेशनल रैली (आरएन) के नेतृत्व वाला धुर दक्षिणपंथी गठबंधन 34 फीसदी वोट के साथ पहले स्थान पर है, जबकि वामपंथी गठबंधन 28.1 फीसदी वोट के साथ दूसरे स्थान पर है, वहीं मैंक्रों की पार्टी 20.3 प्रतिशत के साथ तीसरे स्थान पर चल रही है।
कई फ्रांसीसी मतदाता महंगाई और आर्थिक चिंताओं से परेशान हैं और वे राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के नेतृत्व से भी निराश हैं। मरीन ले पेन की आव्रजन विरोधी ‘नेशनल रैली’ पार्टी ने इस असंतोष को चुनाव में भुनाया है और उसे विशेष रूप से ‘टिकटॉक’ जैसे ऑनलाइन मंचों के जरिए हवा दी है। चुनाव-पूर्व सभी जनमत सर्वेक्षणों में ‘नेशनल रैली’ की जीत का अनुमान जताया गया है। नया वामपंथी गठबंधन ‘न्यू पॉपुलर फ्रंट’ भी व्यापार समर्थक मैक्रों और उनके मध्यमार्गी गठबंधन ‘टुगेदर फॉर द रिपब्लिक’ के लिए चुनौती पेश कर रहा है।
इस साल जून की शुरुआत में यूरोपीय संसद के चुनाव में ‘नेशनल रैली’ से मिली करारी शिकस्त के बाद मैक्रों ने फ्रांस में मध्यावधि चुनाव की घोषणा की थी।इस महीने की शुरुआत में छह जून को यूरोपीय संसद के लिए चुनाव हुए थे। इस दौरान फ्रांस में सबसे चौंकाने वाली राजनीतिक परिस्थितियां थीं। यहां फ्रांस की धुर दक्षिणपंथी नेता मरीन ला पेन की नेशनल रैली ने मैक्रों की पार्टी को जबरदस्त झटका दिया था। इसके बाद ही राष्ट्रपति ने अंतिम नतीजे आने से पहले ही अचानक राष्ट्रीय चुनावों की घोषणा कर सबको हैरान कर दिया था। ‘नेशनल रैली’ का नस्लवाद और यहूदी-विरोधी भावना से पुराना संबंध है और यह फ्रांस के मुस्लिम समुदाय की विरोधी मानी जाती है। चुनाव परिणाम संबंधी पूर्वानुमान के अनुसार, संसदीय चुनाव में ‘नेशनल रैली’ की जीत की संभावना है।
Jul 01 2024, 14:30