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आने वाले दो दिनों में पूरे देश में मानसून देगा दस्तक, दिल्ली-एनसीआर समेत 10 राज्यों में बारिश के आसार*
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पूरे देश ने भीषण गर्मी से राहत की सांस ली है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से लेकर देश के सभी हिस्सों में मानसून छा गया है। जो हिस्सा बचा है वो आज या कल में कवर हो जाएगा। दक्षिण-पश्चिम मानसून हरियाणा, पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों छोड़कर पूरे देश में पहुंच गया है। मानसून की एंट्री ने बारिश के जबरदस्त आसार बनाए हैं। मौसम विभाग ने अगले दो दिन के दौरान पूरे देश में मानसून के पहुंचने की संभावना जताई है। अगले 4-5 दिनों के दौरान उत्तर पश्चिम, मध्य और पूर्वी भारत में भारी वर्षा होने की भी संभावना है। वहीं, पूर्वोत्तर भारत के ज्यादातर इलाकों में भी मूसलाधार बारिश होगी। भारतीय मौसम विभाग ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और आसपास के इलाकों में अगले तीन दिन तक भारी बारिश का अनुमान जताया है। मौसम वैज्ञानिकों ने दिल्ली-चंडीगढ़ और हरियाणा के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। 1 जुलाई तक इन तीनों राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 64.5 (भारी) से 204.4 मिलीमीटर (बहुत भारी) बारिश होने की संभावना है। शुक्रवार (27 जून) को हुई भारी बारिश के चलते दिल्ली के कई हिस्सों में जलजमाव की समस्या बनी हुई है। इस बीच और बारिश होने पर दिल्ली के लोगों की परेशानी बढ़ सकती है। पश्चिम विक्षोभ और मानसून के प्रभाव से बीते 24 घंटे के दौरान दिल्ली-एनसीआर के अलावा, छत्तीसगढ़, पश्चिमी मध्य प्रदेश, ओडिशा, कोंकण और गोवा में अलग-अलग स्थानों पर भारी से बहुत भारी बारिश हुई है। हरियाणा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश में भी विभिन्न स्थानों पर अत्यधिक वर्षा हुई है।पंजाब, राजस्थान, अरुणाचल प्रदेश, असम और मेघालय, मणिपुर, उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल और सिक्किम और तमिलनाडु के विभिन्न क्षेत्रों में भारी से बहुत भारी वर्षा रिकॉर्ड की गई है। मौसम विभाग ने दिल्ली सहित 23 राज्यों में भारी बारिश को लेकर ऑरेंज अलर्ट जारी किया है और अरुणाचल प्रदेश को लेकर रेड अलर्ट जारी किया है। शुक्रवार को दिल्ली के शपदरगंज में सबसे ज्यादा बारिश हुई थी और सबसे ज्यादा जल भराव के हालात भी यहीं हैं।
धार्मिक आजादी अमेरिकी की रिपोर्ट पर भारत की दो टूक, बताया-पक्षपाती और वोटबैंक की सोच से है प्रेरित*
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भारत ने धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी सरकार की रिपोर्ट में अपनी आलोचना पर शुक्रवार को कड़ी प्रतिक्रिया दी। भारत ने रिपोर्ट के तथ्यों को पूरी तरह से पक्षपातपूर्ण, वोट बैंक की सोच से प्रेरित बताया।भारतीय विदेश मंत्रालय ने अमेरिकी विदेश विभाग की अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर रिपोर्ट की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने इसे पूरी तरह से पक्षपाती और भारत की सामाजिक संरचना को समझे बिना बताया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि रिपोर्ट में भारत के खिलाफ पूर्वाग्रहपूर्ण बयान को आगे बढ़ाने के लिए चुनिंदा घटनाओं को शामिल किया गया है। विदेश मंत्रालय के साप्ताहिक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान रणधीर जायसवाल ने कहा, हमने अमेरिकी विदेश विभाग की ओर से जारी धार्म‍िक आजादी पर सालाना अंतरराष्‍ट्रीय र‍िपोर्ट पर गौर किया है। पहले की तरह ही यह रिपोर्ट भी पूरी तरह से पक्षपातपूर्ण है। इस रिपोर्ट में भारत के सामाजिक ताने-बाने की समझ का अभाव दिखता है।उन्होंने कहा कि यह पूरा उपक्रम अपने आप में आरोप-प्रत्यारोप, गलतबयानी, पक्षपातपूर्ण स्रोतों पर निर्भरता और मुद्दों को एकतरफा तरीके से पेश करने का मिश्रण है। यह रिपोर्ट स्पष्ट रूप से वोट बैंक को ध्यान में रखते हुए जारी किया गया है। हम इस रिपोर्ट को पूरी तरह से खारिज करते हैं। जायसवाल ने कहा कि यह हमारे संवैधानिक प्रावधानों और भारत के विधिवत अधिनियमित कानूनों के चित्रण तक गया है। इसमें पूर्व में तय विमर्श को आगे बढ़ाने के लिए चुनिंदा घटनाओं को चुना गया है। रणधीर ने तर्क दिया कि यह रिपोर्ट भारतीय न्यायालयों के कुछ कानूनी निर्णयों की ईमानदारी को भी चुनौती देती लगती है। उन्होंने कहा कि कुछ मामलों में, रिपोर्ट में कानूनों की वैधता पर भी सवाल उठाया गया है। साथ ही उन्हें लागू करने के विधायिकाओं के अधिकार पर भी सवाल उठाया गया है। अमेरिका पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि वहां और कड़े कानून और नियम हैं। अमेरिका कभी भी अपने लिए ऐसे समाधान नहीं सुझाएगा। मानवाधिकार और विविधता को लेकर दोनों देशों के बीच चर्चा का एक विषय रहा है और रहेगा। पिछले साल भारत ने आधिकारिक तौर पर अमेरिका में घृणित अपराधों, भारतीय नागरिकों और अन्य अल्पसंख्यकों पर नस्लीय हमलों, पूजा स्थलों पर तोड़फोड़ और निशाना बनाने, कानून प्रवर्तन अधिकारियों द्वारा हिंसा और दुर्व्यवहार के साथ-साथ राजनीतिक स्थान के कई मामले उठाए हैं। बता दें कि अमेरिका के विदेश विभाग ने साल 2023 के लिए धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट जारी की है। दुनिया भर में धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने साल 2023 के लिए अपनी रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में भारतीय अल्पसंख्यकों के खिलाफ होने वाली हिंसा का जिक्र है। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने इस रिपोर्ट को जारी करते हुए विशेष तौर पर भारत का नाम लिया। भारत के खिलाफ ब्लिंकन का बयान मोदी 3.0 में अमेरिका द्वारा देश पर आरोप लगाने का पहला उदाहरण है। ब्लिंकन ने बिना नाम लिए मोदी सरकार और बीजेपी पर मुस्लिम और ईसाई अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव करने का आरोप लगाया है।
टी20 वर्ल्ड कपः भारत और साउथ अफ्रीका के बीच आज फाइनल की जंग, क्या 17 साल बाद विश्व चैंपियन बनेगी टीम इंडिया*
#india_vs_south_africa_t20_world_cup_final
रोहित शर्मा की अगुवाई में भारतीय टीम शनिवार को टी20 वर्ल्ड कप के फाइनल में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ मैदान पर उतरेगी। दोनों टीमें अपने फाइनल तक के अभियान में दोनों टीमें अजेय रही हैं। यानी जो भी टीम जीतेगी, वह टूर्नामेंट में एक भी मैच हारे बिना ट्रॉफी पर कब्जा करेगी। यह कमाल आईसीसी टी20 वर्ल्ड कप में पहली बार होने जा रहा है।यह मैच बारबाडोस के केनसिंगटन ओवल में खेला जाएगा। 2007 की विजेता भारतीय टीम के पास 17 साल बाद फिर से टी20 विश्व चैंपियन बनने का मौका है।भारत ने आखिरी बार साल 2007 में महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में टी20 वर्ल्ड कप का खिताब जीता था। वहीं, दूसरी तरफ साउथ अफ्रीका के पास पहली बार टी20 वर्ल्ड कप का खिताब जीतने का मौका है। भारतीय टीम का यह तीसरा टी20 विश्व कप फाइनल है। वहीं, द. अफ्रीका पहली बार किसी विश्व कप के फाइनल में पहुंचा है। भारत अंतिम बार 10 साल पहले 2014 में टी-20 विश्व कप के फाइनल में पहुंचा था, जहां उसे श्रीलंका के हाथों हार मिली थी।भारतीय टीम किसी भी प्रारूप में विश्व चैंपियन बनने का सपना पिछले 13 वर्षों से देखती आ रही है। रोहित की टीम के पास 17 वर्ष बाद टी20 विश्व कप जीतने का तो मौका होगा ही साथ में 2011 के बाद टीम इंडिया को एक बार फिर विश्व विजेता का ताज पहनाने का भी अवसर होगा। भारत ने 2013 चैंपियंस ट्रॉफी के बाद कोई आईसीसी का खिताब नहीं जीता है और 11 साल के आईसीसी के सूखे को खत्म करने का भी मौका होगा। यह फाइनल उन दो टीमों के बीच है, जो अब तक टूर्नामेंट में अपराजेय हैं। भारत सात मैच जीता है, एक मैच उसका बारिश में धुला है, जबकि द. अफ्रीका लगातार आठ मैच जीतकर फाइनल में पहुंचा है। द. अफ्रीका के लिए भी यह फाइनल विशेष है, क्योंकि उनकी टीम पहली बार किसी विश्वकप के खिताबी मुकाबले में पहुंची है। वहीं, साउथ अफ्रीका की टीम ‘चोकर्स’ के अपने तमगे को पीछे छोड़कर फाइनल में पहुंची है और वे खिताबी मुकाबले में भी इस तमगे को धत्ता बताने की कोशिश करेंगे। दक्षिण अफ्रीका 1998 के बाद पहली बार आईसीसी के किसी टूर्नामेंट के फाइनल में पहुंचा है। टी20 वर्ल्ड कप में भारत का अभियान पिछले साल घरेलू वनडे विश्व कप के समान ही रहा है, जहां वह फाइनल में पहुंचा। लेकिन तब भारत खिताबी मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया से हार गया था. भारत यहां भी अब तक सर्वश्रेष्ठ टीम रहा है। दक्षिण अफ्रीका की आईसीसी टूर्नामें में एकमात्र जीत 1998 में चैंपियंस ट्रॉफी (उस समय इसका नाम आईसीसी नॉक-आउट ट्रॉफी था) में हुई थी। दक्षिण अफ्रीका उसके बाद कभी भी आईसीसी इवेंट के फाइनल में नहीं पहुंचा है। गयाना में सेमीफाइनल में भारत की इंग्लैंड पर जीत के अंदाज को देखा जाए तो रोहित शर्मा की टीम खिताब की प्रबल दावेदार होगी। भारत की टीम का संयोजन कैरेबियाई देशों की पिचों के मुताबिक है। टीम इस मैच में पिछले साल 19 नवंबर को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मिली वनडे वर्ल्ड कप फाइनल की निराशा को पीछे छोड़ने के लिए बेकरार है।
कर्नाटक में नया सियासी नाटक, वोक्कालिगा संत ने कर दी शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनाने की मांग

#disputeinkarnatakacongressovercmpostvokkaligasaintsupportd_k 

कर्नाटक में नया सियासी ड्रामा शुरू हो गया है। सत्तारूढ़ कांग्रेस के भीतर जारी सत्ता संघर्ष के बीच वोक्कालिगा समुदाय से ताल्लुक रखने वाले एक महंत ने सार्वजनिक रूप से कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया से पद छोड़ने और राज्य के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार को सत्ता सौंपने का आग्रह किया। एक वोक्कालिगा संत ने गुरुवार को कहा कि कर्नाटक सीएम सिद्धारमैया को पद छोड़ देना चाहिए और डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार जगह देनी चाहिए।महंत की यह अपील ऐसे समय में आई है, जब सिद्धरमैया मंत्रिमंडल में तीन और उपमुख्यमंत्री बनाने की मांग बढ़ रही है।

कांग्रेस की कर्नाटक इकाई के अध्यक्ष और राज्य के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार वोक्कालिगा समुदाय से हैं। यह समुदाय राज्य के दक्षिणी भागों में एक प्रमुख समुदाय है। चंद्रशेखरनाथ स्वामी ने कहा, "राज्य में हर कोई मुख्यमंत्री बन गया है और सत्ता का सुख सभी ने भोगा है, लेकिन हमारे डीके शिवकुमार अभी तक मुख्यमंत्री नहीं बन पाए हैं, इसलिए अनुरोध है कि सिद्धरमैया कृपया हमारे डीके शिवकुमार को सत्ता सौंप दें और उन्हें आशीर्वाद दें। सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, "सिद्धरमैया अगर मन बना लें तो ही यह संभव है, अन्यथा नहीं, इसलिए नमस्कार के साथ मैं सिद्धरमैया से अनुरोध करता हूं कि वह डी.के. शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनाएं।"

वोक्कालिगा समुदाय से आते हैं डीके

उन्होंने यह बयान कैंपा गौड़ा जयंती समारोह में उस समय दिया, जब मंच पर शिवकुमार और सिद्धारमैया दोनों मौजूद थे। इसके बाद स्वामी निर्मलानंद ने भी डीके शिवकुमार को सीएम बनाने की वकालत की। बता दें कि डीके वोक्कालिगा समुदाय से आते हैं और विधानसभा चुनाव के दौरान मठ की ओर से कांग्रेस को खुले तौर पर समर्थन मिला था। ओल्ड मैसुरू इलाके में मठ की अपील का फायदा भी कांग्रेस को मिला था।

सिद्धारमैया बोले- पार्टी जो कहेगा, हम वही करेंगे

संत की इस अपील को लेकर सिद्धारमैया से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि कांग्रेस हाईकमान पार्टी है। यह लोकतंत्र है। हम वही करेंगे जो हाईकमान हमें करने को कहेगा। वहीं शिवकुमार ने कहा कि कुछ बातें कही गईं हैं। मैं और सिद्धारमैया दोनों ही राज्य के रुके हुए प्रोजेक्ट्स के बारे में राज्य के सांसदों से बात करने के लिए नई दिल्ली जा रहे हैं।

सिद्धारमैया के समर्थक ने उठाई तीन डिप्टी सीएम की मांग

वहीं, सिद्धारमैया के समर्थक मंत्रियों केएन राजन्ना, बी जेड ज़मीर अहमद खान और सतीश जरकीहोली ने तीन डिप्टी सीएम की मांग रख दी। माना जा रहा है कि मंत्रियों ने डीके शिवकुमार को काबू में करने के लिए तीन डिप्टी सीएम का मुद्दा उछाला गया है। अभी कर्नाटक में कांग्रेस सरकार ने एक वर्ष का कार्यकाल पूरा किया है और डीके फॉर्मूले तहत सीएम पद के दावेदार हैं। 

शह और मात का खेल शुरू

लोकसभा चुनाव के बाद कर्नाटक कांग्रेस में सीएम पद को लेकर शह और मात का खेल शुरू हो गया है। डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार से समर्थक खुले तौर पर नेतृत्व परिवर्तन का राग छेड़ा है तो सिद्धारमैया समर्थक मंत्रियों ने तीन डिप्टी सीएम के फॉर्मूले को लागू करने का दांव चल दिया है। कई मंत्री लिंगायत, दलित और अल्पसंख्यक डिप्टी सीएम बनाने के लिए आवाज बुलंद करने लगे हैं। इसके अलावा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के बदलाव की मांग भी शुरू हो गई है। यह पद अभी डीके शिवकुमार के पास ही है। पॉलिटिकल एक्सपर्ट मानते हैं कि विधानसभा चुनाव के बाद निकाले गए फॉर्मूले के तहत डीके शिवकुमार सीएम पद के दावेदार हैं। पार्टी में वह संकटमोचक के तौर पर उभरे हैं। उन्हें केंद्रीय नेतृत्व का विश्वास भी हासिल है, ऐसे में सिद्धारमैया समर्थकों ने प्रेशर पॉलिटिक्स शुरू कर दी है। फिलहाल इस खेल के शुरू होने के बाद डीके शिवकुमार ने चुप्पी साध रखी है।

J&K | First batch of Shri Amarnath Yatra pilgrims reaches Nunwan base camp in Pahalgam
The pilgrims who have arrived here from different parts of the country say, "There are good arrangements for pilgrims here. We also want to thank the p

यौन शोषण मामले में सीआईडी ने येदियुरप्पा के खिलाफ दायर किया आरोप पत्र, लगाया गंभीर आरोप

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कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा के खिलाफ नाबालिग लड़की से यौन शोषण के मामले में अपराध जांच शाखा (सीआईडी) लगातार जांच कर रही है। यौन शोषण मामले में राज्य पुलिस के आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) ने उनके और तीन अन्य के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया है। आरोप पत्र में कहा है कि पूर्व सीएम ने अपने तीन सहयोगियों के साथ मिलकर पीड़िता और उसकी मां को चुप रहने के लिए मोटी रकम दी है। येदियुरप्पा और उनके के तीन सहयोगियों पर भी सुबूत नष्ट करने और रिश्वत देने के आरोप दर्ज किए गए हैं। बता दें कि येदियुरप्पा पर आरोप है कि उन्होंने नाबालिग लड़की के साथ अपने आवास पर अश्लील हरकत की थी। उनके खिलाफ पॉक्सो एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।

शुक्रवार को सीआईडी के दायर किए आरोप पत्र में बताया गया कि 81 वर्षीय येदियुरप्पा के खिलाफ पोक्सो की धारा 8 व आईपीसी की धारा 354ए, 204, 214 और उनके सहयोगियों अरुण वाइएम और रुद्रेश एम. के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 204, 214 के तहत मामले दर्ज किए गए हैं। आरोप पत्र में बताया गया है कि दो फरवरी को सुबह 11.15 बजे 17 वर्षीय नाबालिग और उसकी मां डॉलर कॉलोनी स्थित येदियुरप्पा के आवास पहुंचे थे। आवास पर जब येदियुरप्पा नाबालिग की मां से बात कर रहे थे तब उन्होंने अपने बाएं हाथ से पीड़िता की दाहिनी कलाई पकड़ रखी थी। इसके बाद येदियुरप्पा ने नाबालिग को हॉल के बगल में स्थित एक बैठक रूम के भीतर बुलाया और दरवाजे को अंदर से बंद कर दिया। चार्जशीट में आगे दावा किया गया है कि कमरे में येदियुरप्पा ने पीड़िता से पूछा कि क्या उसे उस व्यक्ति का चेहरा याद है जिसने पहले उसका यौन उत्पीड़न किया था। इसके जवाब में पीड़िता ने दो बार कहा कि हां उसे याद है।

सीआईडी ने चार्जशीट में आगे कहा कि पीड़िता ने येदियुरप्पा के हाथ को झटकते हुए दूर हट गई और उनसे दरवाजा खोलने के लिए कहा। इसके बाद येदियुरप्पा ने दरवाजा खोला और पीड़िता के हाथ में कुछ पैसे रखकर बाहर निकल गए। बाहर निकलने के बाद उन्होंने पीड़िता की मां से कहा कि वो इस मामले में उनकी मदद नहीं कर सकते हैं। इसके बाद उन्होंने पीड़िता की मां को भी कुछ पैसे दिए और फिर आवास से बाहर भेज दिया।

पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, येदियुरप्पा पर यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (POCSO) अधिनियम की धारा 8 (यौन उत्पीड़न के लिए सजा) और धारा 354A (यौन उत्पीड़न), 204 (इसे रोकने के लिए दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड को नष्ट करना) के तहत आरोप लगाया गया है। वहीं, तीन अन्य सह अभियुक्तों अरुण वाई एम, रुद्रेश एम और जी मारिस्वामी, जो येदियुरप्पा के सहयोगी हैं पर पॉस्को अधिनियम के साथ-साथ आईपीसी की धारा 204 और 214 के तहत आरोप लगाए गए हैं।

ISRO जासूसी मामले में साजिश के तहत फंसाए गए थे अंतरिक्ष वैज्ञानिक नंबी नारायणन, अब जिम्मेदार अफसरों पर सीबीआई फाइल करेगी चार्जशीट

 केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने दो पूर्व DGP, केरल के सिबी मैथ्यूज और गुजरात के आरबी श्रीकुमार के साथ-साथ तीन अन्य सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया है। यह कार्रवाई 1994 के ISRO जासूसी मामले में अंतरिक्ष वैज्ञानिक नंबी नारायणन को फंसाने में उनकी कथित संलिप्तता से संबंधित है।

बता दें कि, यह विवाद अक्टूबर 1994 में शुरू हुआ था, जब केरल पुलिस ने मालदीव की नागरिक रशीदा को तिरुवनंतपुरम में गिरफ़्तार किया और उस पर पाकिस्तान को ISRO रॉकेट इंजन के गोपनीय चित्र बेचने की कोशिश करने का आरोप लगाया। जांच जल्द ही फैल गई, जिसके परिणामस्वरूप ISRO के क्रायोजेनिक प्रोजेक्ट के तत्कालीन निदेशक नंबी नारायणन, ISRO के उप निदेशक डी शशिकुमारन और रशीदा की मालदीव की दोस्त फ़ौसिया हसन को गिरफ़्तार कर लिया गया। नंबी नारायणन को हिरासत में केरल पुलिस और IB अधिकारियों द्वारा पूछताछ के दौरान उन्हें गंभीर शारीरिक और मानसिक यातनाएं दी गईं। यह यातना 50 दिनों तक चली, जिससे उनकी प्रतिष्ठा और करियर को काफी नुकसान पहुंचा। हालांकि, बाद में CBI जांच हुई और नंबी नारायणन पर लगे इन तमाम आरोपों को निराधार पाया गया।

सितंबर 2018 में, सुप्रीम कोर्ट ने नंबी नारायणन के खिलाफ पुलिस कार्रवाई को "मनोवैज्ञानिक उपचार" करार दिया, जिसमें कहा गया कि उनकी "स्वतंत्रता और गरिमा", जो उनके मानवाधिकारों के लिए बुनियादी है, उन्हें हिरासत में लिए जाने के कारण खतरे में डाल दिया गया और अतीत के सभी गौरव के बावजूद, अंततः उन्हें "निंदनीय घृणा" का सामना करने के लिए मजबूर होना पड़ा। 15 अप्रैल, 2021 को सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश दिया कि ISRO वैज्ञानिक नंबी नारायणन से जुड़े 1994 के जासूसी मामले में दोषी पुलिस अधिकारियों की भूमिका पर एक उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को दी जाए।

सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद 2021 में मामला दर्ज करने के बाद, CBI ने तत्कालीन पुलिस उप महानिरीक्षक मैथ्यूज, जिन्होंने मामले की जांच करने वाले विशेष जांच दल (SIT) का नेतृत्व किया था, श्रीकुमार, जो खुफिया ब्यूरो में उप निदेशक थे, पीएस जयप्रकाश, जो उस समय SIB-केरल में तैनात थे, तत्कालीन पुलिस उपाधीक्षक केके जोशुआ और निरीक्षक एस विजयन के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया है। अधिकारियों ने बताया कि CBI ने उन पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धाराओं 120बी (आपराधिक साजिश), 342 (गलत तरीके से बंधक बनाना), 330 (स्वीकारोक्ति करवाने के लिए स्वेच्छा से चोट पहुंचाना), 167 (झूठे दस्तावेज तैयार करना), 193 (मनगढ़ंत साक्ष्य तैयार करना), 354 (महिलाओं पर आपराधिक हमला) के तहत आरोप लगाए हैं।

बता दें कि, 1994 में जब डॉ नंबी नारायणन एक महत्वपूर्ण अंतरिक्ष मिशन पर काम कर रहे थे और देश को दुनिया में आगे बढ़ाने के लिए मेहनत कर रहे थे, उस समय उनके जीवन में एक दुखद मोड़ आया जब उन्हें एक मनगढ़ंत जासूसी मामले में फंसा दिया गया। उन पर फर्जी आरोप लगाया गया था कि, उन्होंने गोपनीय भारतीय अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी को विदेशी एजेंसियों को लीक कर दिया था, ये सब अंतरिक्ष में भारत के बढ़ते क़दमों को रोकने के लिए किया गया था। घटनाओं की एक श्रृंखला के कारण इस वैज्ञानिक की गिरफ्तारी हुई और बाद में कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा उन्हें कई तरह से यातनाएं दी गई, जिसमें भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के वैज्ञानिक के साथ अपमानजनक व्यवहार किया गया, जिसने देश की अंतरात्मा को झकझोर कर रख दिया।

सत्य और न्याय की जीत होने से पहले डॉ नंबी नारायणन का मामला दो दशकों से अधिक समय तक चला। उनकी कानूनी टीम, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और शुभचिंतकों के अथक प्रयासों के कारण अंततः 2018 में, यानि 24 साल प्रताड़ना झेलने के बाद, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने एक ऐतिहासिक निर्णय लिया। न्यायालय ने न केवल उन्हें निर्दोष घोषित किया, बल्कि उनकी गलत गिरफ्तारी में राज्य सरकार की भूमिका की भी आलोचना की। इस ऐतिहासिक फैसले ने न केवल डॉ. नारायणन को सही साबित किया, बल्कि प्रणालीगत विफलताओं और निहित हितों के बावजूद भी न्याय, निष्पक्षता और अखंडता के सिद्धांतों को बनाए रखने के महत्व को रेखांकित किया।

बता दें कि, डॉ नारायणन के खिलाफ साजिश के समय, भारत में केंद्रीय स्तर और केरल राज्य दोनों में कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार थी, लेकिन सरकार भी अपने देश के वैज्ञानिक के साथ खड़ी नहीं दिखी थी। डॉ नंबी नारायणन की कहानी उल्लेखनीय संघर्ष और देशभक्ति की कहानी है, जहां एक प्रतिभाशाली वैज्ञानिक ने अकल्पनीय प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना किया और विजयी हुआ। सत्य, विज्ञान और न्याय के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता सभी के लिए प्रेरणा का काम करती है। नंबी नारायणन के मामले ने न्याय में गड़बड़ी को रोकने के लिए कानूनी सुधारों और तंत्र की तत्काल आवश्यकता के बारे में भी चर्चा को प्रेरित किया है। आखिर कैसे, देश को चाँद पर पहुंचाने के लिए अथक मेहनत कर रहे एक वैज्ञानिक को एक फर्जी मामले में खुद को बेकसूर साबित करने में 24 साल लग गए ? तब तक वो न जाने देश के लिए कितना काम कर चुके होते ?

एक राष्ट्र के रूप में, भारत को इस दर्दनाक अध्याय से सीखना जारी रखना चाहिए और एक ऐसे समाज के निर्माण की दिशा में काम करना चाहिए, जहां ज्ञान और सत्य की खोज का जश्न मनाया जाए और उसकी रक्षा की जाए। डॉ। नारायणन की दोषमुक्ति न केवल उनकी व्यक्तिगत जीत है, बल्कि उन सभी लोगों की सामूहिक जीत भी है, जो न्याय और अखंडता की वकालत करते हुए उनके पीछे खड़े थे।

इस बार घोड़े पर सवार होकर आएंगी मां दुर्गा, जानिए किस बात का है संकेत?

नवरात्रि का त्योहार वर्ष में चार बार मनाया जाता है. वर्ष की पहली नवरात्रि चैत्र माह में पड़ती है. जिसे चैत्र नवरात्रि बोलते हैं. जबकि दूसरी नवरात्रि आश्विन महीने में मनाई जाती है. जिसे शारदीय नवरात्र बोलते हैं. दो गुप्त नवरात्रि आषाढ़ तथा माघ के महीने में होते हैं. चतुर्थी तिथि की वृद्धि होने की वजह से इस बार आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 9 दिन की नहीं, बल्कि 10 दिनों की होगी. गुप्त नवरात्रि में 10 महाविद्याओं (मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां ध्रुमावती, मां बंगलामुखी, मातंगी और कमला देवी) की साधना की जाती है। मान्यता है इन 9 दिन में तप, साधना करने वालों को दुर्लभ सिद्धियां प्राप्त होती है। बता दें कि इस वर्ष आषाढ़ गुप्त नवरात्रि का आरम्भ 6 जुलाई से हो रहा है। 

शनिवार से आरंभ होने की वजह से दुर्गा माता अश्व पर सवार होकर आएंगी. वैसे तो दुर्गा माता का वाहन सिंह है, किन्तु नवरात्रि में दिनों के मुताबिक, उनके अलग-अलग वाहन ज्योतिष शास्त्र में बताए गए हैं. जब माता घोड़े पर सवार होकर आती है तो देश में और दुनिया भर में उपद्रव तथा अराजकता फैलने की संभावना होती है. जनता में असंतोष रहने की संभावना होती है. यद्यपि वर्षा की अधिकता रहेगी जो फसल के लिए किसानों के लिए शुभ योग है. दुर्गा सप्तमी का व्रत 13 जुलाई को रखा जाएगा. दुर्गा अष्टमी का व्रत 14 जुलाई को तथा महानवमी 15 जुलाई को होगी. उसी दिन भगवती मां का विसर्जन हो जाएगा.

गुप्त नवरात्रि महत्व

शास्त्रों के मुताबिक, इन दिनों मां दुर्गा की पूजा अर्चना करने से सभी तरह के दुख दूर हो जाते हैं तथा घर में सुख समृद्धि बनी रहती है. प्रत्येक युग में नवरात्रि का अपना अपना महत्व रहा है. सतयुग में चैत्र मास की नवरात्रि का ज्यादा प्रचलन था, वहीं त्रेतायुग में आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि का, द्वापर युग में माघ मास की गुप्त नवरात्रि तथा कलयुग में अश्विन और शारदीय नवरात्रि को बहुत धूमधाम से मनाया जाता है.

पीएम मोदी 73 बार, तो राहुल गांधी केवल 6 बार..., कांग्रेस ने उठाया संसद टीवी पर सवाल

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क्या संसद टीवी भी मोदी सरकार पर मेहरबान है? ये सवाल कांग्रेस ने उठाया है। दरअसल, गुरूवार को 18वीं लोकसभा के पहले सत्र में आज राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दोनों सदनों को संबोधित किया। राष्ट्रपति के अभिभाषण के खत्म होने के बाद कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। विपक्षी नेताओं ने परियोजनाओं के इस रोड मैप को सरकार की झूठ पर आधारित पटकथा बताया है। इसके साथ ही कांग्रेस ने संसद टीवी को लेकर भी एक बड़ा दावा किया है। 

कांग्रेस पार्टी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अभिभाषण का वीडियो शेयर कर संसद टीवी पर निशाना साधा है। पार्टी के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने एक्स पर पोस्ट करते हुए दावा किया कि जब राष्ट्रपति मुर्मू अभिभाषण दे रही थी तो उस वक्त पीएम मोदी को अधिक और राहुल गांधी को कम बार दिखाया गया। जयराम रमेश ने लिखा कि राष्ट्रपति ने संसद के संयुक्त सत्र को 51 मिनट तक संबोधित किया। संसद टीवी ने किसको कितनी बार दिखाया? नेता सदन नरेंद्र मोदी -73 बार, प्रतिपक्ष नेता राहुल गांधी- 6 बार, सरकार- 108 बार, विपक्ष -18 बार संसद टीवी सदन की कार्यवाही दिखाने के लिए कैमराजीवी की आत्ममुग्धता के लिए नहीं।

बता दें कि राष्ट्रपति मुर्मू ने बृहस्पतिवार को अपने अभिभाषण में 1975 में लागू आपातकाल का उल्लेख किया और इसे ‘संविधान पर सीधे हमले का सबसे बड़ा एवं काला अध्याय’ करार देते हुए कहा कि ऐसे अनेक हमलों के बावजूद देश ने असंवैधानिक ताकतों पर विजय प्राप्त करके दिखाई। 

राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने आरोप लगाया कि राष्ट्रपति के, मोदी सरकार लिखित’ अभिभाषण को सुनकर ऐसा लगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2024 के लोकसभा चुनाव के जनादेश को नकारने की कोशिश कर रहे हैं।उन्होंने यह दावा भी किया कि प्रधानमंत्री मोदी राष्ट्रपति से ‘झूठ बुलवाकर’ अपनी वाहवाही करने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि देश की जनता उन्हें नकार चुकी है।

नीट पर विरोध के दौरान बेहोश हुईं कांग्रेस की महिला सांसद, ले जाया गया अस्पताल

#congress_mp_phulo_devi_netam_felt_dizzy_and_fell_in_parliament 

18वीं लोकसभा का पहला सत्र चल रहा है। इस दौरान विपक्ष की ओर से नीट परीक्षा में पेपर लीक के मामले को लेकर प्रदर्शन लगातार जारी है। शुक्रवार को सत्र के पांचवें दिन भी सदन में विरोध-प्रदर्शन चल रहा था। लेकिन, इसी दौरान अचानक राज्यसभा सांसद फूलो देवी नेताम की तबीयत बिगड़ गई। विरोध प्रदर्शन के दौरान कांग्रेस की राज्यसभा सांसद फूलो देवी नेताम अचानक बेहोश हो गईं। जिसके बाद तुरंत एंबुलेंस बुलाई गई और उन्हें अस्पताल ले जाया गया। 

बता दें कि मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन के लिए होने वाली नीट परीक्षा में हुई गड़बड़ी को लेकर विपक्षी दल आक्रामक रुख अपनाए हुए हैं। कांग्रेस ने दोपहर में एक ट्वीट कर नीट पर विपक्ष की आवाज दबाने का आरोप लगाया। उन्होंने ट्वीट में लिखा था कि जहां एक ओर नरेंद्र मोदी नीट पर कुछ नहीं बोल रहे, उस वक्त विपक्ष के नेता राहुल गांधी जी युवाओं की आवाज़ सदन में उठा रहे है। लेकिन... ऐसे गंभीर मुद्दे पर माइक बंद करने जैसी ओछी हरकत करके युवाओं की आवाज को दबाने की साजिश की जा रही है।

इससे पहले सुबह कांग्रेस सांसदों ने लोकसभा और राज्यसभा में नीट व एनटीए मुद्दे पर चर्चा के लिए स्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया था। कांग्रेस की रंजीत रंजन और सैयद नासिर हुसैन समेत विपक्षी पार्टियों के सांसदों ने नियम 267 के अंतर्गत राज्यसभा में चर्चा कराए जाने की मांग की थी। हुसैन ने अपने नोटिस में कहा कि सदन में आज के लिए सूचीबद्ध सभी कामकाज को स्थगित कर, नीट-यूजी और यूजीसी-नेट सहित विभिन्न परीक्षाओं के प्रश्न पत्र लीक होने और एनटीए की ‘नाकामी’ पर चर्चा कराई जाए। विपक्षी सांसद चाहते हैं कि नियम 267 के अंतर्गत सदन के अन्य कार्यों को स्थगित कर इन मुद्दों पर चर्चा कराई जाए। ऐसा नहीं होने पर विपक्षी सदस्य अपना विरोध जता रहे थे।