आज झारखंड में धूमधाम से मनाया गया बकरीद,दी गई बकरे की कुर्वानी,ईदगाह में पढ़े गए अकीदत के नमाज
आज बकरीद का त्योहार सोमवार 17 जून को मनाया जा रहा है. सुबह से ही ईदगाहों में नमाज अदा की जा रही है. कुर्बानी के इस त्योहार की सभी तैयारी पूरी कर ली गयी है. ईदगाहों व मस्जिदों में विशेष व्यवस्था की गयी है.
रांची में सुहाने मौसम में बकरीद की नमाज अदा कर रहे लोग
रांची के कई इलाकों में रविवार की देर रात हुई बारिश के बाद राजधानी में सुहाने मौसम में लोगों ने ईदगाहों में नमाज अदा की. रांची ईदगाह में सुबह 9 बजे मौलाना डॉ असगर मिसबाही व डोरंडा ईदगाह में सुबह 8 बजे मौलाना अलकमा सिबली नमाज पढ़ायेंगे.
सबसे पहले मक्का मस्जिद हिंदपीढ़ी में नमाज होगी. यहां 5:20 बजे नमाज पढ़ी गई. इसके बाद डोरंडा ईदगाह में नमाज अदा की गई. अब अन्य मस्जिदों व ईदगाहों में नमाज होगी.
बकरीद बलिदान देने का प्रतीक है
एदारे शरिया के नाजिमे आला मौलाना कुतुबुद्दीन रिजवी ने कहा कि बकरीद एक इंसान को दूसरे इंसान व संपूर्ण मानव जीवन के लिए बलिदान देने का प्रतीक है. किसी भी मनुष्य को घमंड, लालच और द्वेष रहित होकर अपने जीवन को रब के आगे समर्पित कर देना ही असली कुर्बानी है. आपसी समरसता व भाईचारे के माहौल में कुर्बानी का त्योहार मनाना हम सबका दायित्व है.
मसजिदे जाफरिया के इमाम मौलाना तहजीबुल हसन ने कहा कि बकरीद का पर्व लोगों को इस बात का संदेश देता है कि हर इंसान को किसी न किसी मौके पर चाहत की कुर्बानी देनी चाहिए. जानवर की कुर्बानी देना आसान है, लेकिन चाहत की कुर्बानी देना मुश्किल है और जो चाहत की कुर्बानी देता है, वह कामयाब है. उन्होंने कहा कि इस त्योहार को आपसी भाईचारे के साथ मनायें. वहीं कोई ऐसा काम न करें, जो दूसरों को तकलीफ पहुंचाये.
उन्होंने कहा कि कहा कि मजहबे इस्लाम में तकलीफ देकर इबादत करने को सही नहीं माना गया है. उन्होंने कहा कि जज्बा ए कुर्बानी जिस समाज में पाया जाता है, वह समाज तरक्की करता है. हमारा हिंदुस्तान एकता का प्रतीक है और इस एकता को मजबूती प्रदान करना हर हिंदुस्तानी का फर्ज है. यही कारण है कि हमारे पर्व में मुसलमान के साथ-साथ सभी भारतवासी हमारा हिस्सा बनते हैं.
बाजारों में रही चहल-पहल
त्योहार को लेकर बाजारों में चहल-पहल रही. यह चहल-पहल बकरा बाजार से लेकर सेवई व सब्जियों की दुकानों में देखने को मिली. मेन रोड डॉ फतेउल्लाह रोड में बाजार की रौनक देखते ही बन रही थी. यहां दस-तीस हजार रुपये तक के बकरे खूब बिके. यहां 50 हजार रुपये से भी अधिक का बकरा था लेकिन इसके खरीदार नहीं मिल रहे थे।
रांची में कुर्बानी के पर्व बकरीद का उल्लास, मस्जिदों व ईदगाहों में अदा की जा रही नमाज 2
यहां के अलावा कई अन्य जगहों पर भी छोटा-छोटा बाजार लगा था, जहां लोगों ने इसकी खरीदारी की. कई लोग दो, तो कई लोग तीन, तो कई लोग एक बकरे की खरीदारी कर रहे थे. मालूम हो कि बकरीद का त्योहार तीन दिनों तक मनाया जाता है. वहीं बाजार में सब्जियों की दुकान विशेषकर प्याज की दुकानों में खासी भीड़ रही.
कुर्बानी का पाकीजा मकसद : डॉ शाहनवाज कुरैशी
पवित्र कुरान में अल्लाह ने अनेक स्थानों पर कुर्बानी देने का आदेश दिया है. सूरा बकरा (2:196), सूरा इमरान (3:183), सूरा अल मायदा (5:2, 5:29, 5:97), सूरा अनाम (6:162), सूरा अनफाल (8: 75), सूरा हज (22:33, 22:36, 22:67), सूरा सफ़्फ़ात (37:107), सूरा अल फतह (48: 25), सूरा हशर (59:8), सूरा अल कौसर (108 :2) आदि में दर्जनों जगह कुर्बानी से संबंधित निर्देश है.
कुर्बानी के संबंध में स्पष्ट रूप से फरमाया गया- अल्लाह को कुर्बानी का न गोश्त पहुंचता है और न खून, बल्कि तुम्हारी तक़वा पहुंचता है. (22:37) व्यक्ति अपने अंदर की कमियों को भी इस त्योहार में दूर करने का संकल्प ले. ईश्वर के प्रति समर्पण का भाव सदैव प्रदर्शित होना चाहिए. कुर्बानी त्याग और समर्पण की परीक्षा है. इस्लामिक मान्यता है कि यह संसार थोड़े समय के लिए ठहराव की जगह है.
इंसानों को अल्लाह ने अपनी इबादत के लिए पैदा किया. ईश्वर के प्रति समर्पण का भाव प्रदर्शित करने का एक माध्यम है कुर्बानी. यह पैगम्बर इब्राहिम (अ) की सुन्नत है. यह कुर्बानी हज का भी अहम हिस्सा है. जब मक्का में दुनिया भर से जुटे लाखों लोग मीना में कुर्बानी पेश करते हैं. इस कुर्बानी का गोश्त गरीब अफ्रीकी देशों में भेज दिया जाता है.
इस्लाम ने खुशी के अवसर पर गरीबों को शामिल करने का निर्देश दिया है. ईद के मौके पर जहाँ फ़ितरा, जकात और सदका के माध्यम से गरीबों का ख्याल रखा गया है. वहीं ईद-उल-अज़हा के समय जानवरों के मांस को तीन हिस्सों में बांट कर एक हिस्सा गरीबों के लिए निश्चित कर दिया गया.
इस्लाम में प्रवेश के लिए ईश्वर के प्रति समर्पण पहली शर्त है. इस्लामिक कैलेंडर का पहला महीना मुहर्रम सच्चाई के मार्ग पर सब कुछ कुर्बान करने की सीख देता है. वहीं अंतिम महीना जिलहिज़्ज़ भी अल्लाह के रास्ते ओर अपना प्रियतम चीज भी कुर्बान करने की भावना को दर्शाता है.
Jun 17 2024, 20:27