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मुख्यमंत्री ने स्वास्थ्य विभाग हर एक योजना की विस्तृत समीक्षा की

रायपुर-  प्रदेश के सुपेबेड़ा में लंबे समय से किडनी पीड़ित मरीज आ रहे हैं। इनके इलाज की सुविधा के लिए गरियाबंद में किडनी यूनिट आरंभ की गई है लेकिन इस समस्या के स्थाई निदान पर भी काम करने की जरूरत है। इसके लिए बीमारियों के कारण जानने संबंधी जो भी रिसर्च किया जा सकता है वह किया जाए। इसके साथ ही मरीजों के पर्याप्त इलाज की सुविधा भी हो ताकि सुपेबेड़ा के लोगों को भविष्य में किडनी संबंधी समस्याओं से पूरी तरह मुक्त किया जा सके। साथ ही पंखाजूर जैसे क्षेत्रों में जहां अधिक मरीज आ रहे हैं, वहां डायलिसिस सेंटर की स्थापना की जाए। यह बात मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा बैठक में कही। 4 घंटे से अधिक समय तक चली इस समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री ने स्वास्थ्य विभाग की आगामी योजनाओं पर विस्तृत चर्चा की तथा राष्ट्रीय एवं राज्य स्तर के कार्यक्रमों के क्रियान्वयन की जानकारी ली एवं उनके बेहतर क्रियान्वयन के लिए निर्देश भी दिए। बैठक में स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल भी मौजूद रहे।

मुख्यमंत्री ने बैठक में प्रदेश में स्वास्थ्य संबंधी अधोसंरचना एवं स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति की जानकारी ली। मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले 6 महीने में स्वास्थ्य के क्षेत्र में अच्छा काम हुआ है। पिछली सरकार में जो काम अधूरे रह गए थे उन्हें शीघ्र पूरा करने के निर्देश दिए। उन्होंने आगामी मानसून को देखते हुए मौसमी बीमारियों की आशंका से निपटने के लिए तैयारी करने के निर्देश दिए। एंटी वेनम आदि की उपलब्धता भी रखने की बात कही। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के स्वास्थ्य ढांचे में युक्तियुक्तकरण की जरूरत है। बस्तर और सरगुजा जैसे क्षेत्रों में जहां पर स्वास्थ्य अमले की कमी है वहां पर पर्याप्त स्वास्थ्य अमले की पदस्थापना की जाए। विशेषज्ञ डाक्टरों की पूर्ति के संबंध में मुख्यमंत्री ने विशेष तौर पर निर्देशित किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी पदस्थापना के समय विशेष रूप से यह ध्यान दिया जाए कि कहीं पर गाइनिकोलॉजिस्ट की पदस्थापना की जाती है तो वहां पर एनेस्थीसिया के चिकित्सक भी हो ताकि वहां पर जरूरत पड़ने पर आसानी से सीजेरियन डिलीवरी हो सके।

मुख्यमंत्री ने रिस्पांस टाइम के संबंध में भी अधिकारियों को निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि 108, 102 और शव वाहन जैसी गाड़ियां अच्छी स्थिति में रहे। 108 जैसी गाड़ियों की स्क्रीन में ड्राइवर को पता चल जाए कि उसे मरीज को कौन से निकटतम अस्पताल में ले जाना है। सबसे निकट के सरकारी अस्पताल के डॉक्टर को भी मैसेज के माध्यम से अलर्ट कर दिया जाए ताकि अस्पताल में इमरजेंसी रिस्पांस की तैयारी की जा सके।

मुख्यमंत्री ने कहा कि संभाग मुख्यालय में कम से कम 2 एडवांस लाइफ सपोर्ट सिस्टम वाली एंबुलेंस की व्यवस्था होनी चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि संस्थागत प्रसव को शत प्रतिशत करना सबसे अहम कार्य है। इसके लिए नियमित अंतराल पर एएनसी जांच करना सुनिश्चित करें। शिशु मृत्यु दर को रोकने के लिए अस्पताल में न्यू बार्न केयर यूनिटों को बढ़ाया जाए। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के अंतर्गत अधिकतम संख्या में लोगों को लाभान्वित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि योजना के क्रियान्वयन में जो खामियां हैं उन्हें दूर करें। नियद नेल्लानार योजना के सभी हितग्राहियों का आयुष्मान कार्ड बन जाए, यह सुनिश्चित करें। इसके लिए आधार कार्ड बनाने इन क्षेत्रों में नियमित कैंप लगाया जाए।

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि प्रधानमंत्री जन मन योजना के अंतर्गत हितग्राहियों को आयुष्मान कार्ड से लाभ दिया जा रहा है। 6 महीने में 1373 हितग्राहियों ने एक करोड़ 38 लाख रुपए के क्लेम किए हैं।

मुख्यमंत्री ने जन औषधि केंद्रों पर भी विशेष फोकस करने कहा। उन्होंने कहा कि जन औषधि केंद्र ऐसी जगह पर स्थापित किए जाएं जहां अधिकाधिक संख्या में लोग दवा लेने सुविधा से पहुंच सकें। मुख्यमंत्री ने टीबी, कुष्ठ और मलेरिया जैसी बीमारियों की रोकथाम के लिए चलाई जा रही योजनाओं की समीक्षा भी की। उन्होंने कहा कि मलेरिया उन्मूलन के अभियान में काफी सफलता मिली है लेकिन बस्तर को मलेरिया मुक्त करने इसे और बेहतर करने की जरूरत है।

सिकल सेल के संबंध में मुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय स्तर के रिसर्च सेंटर का प्रस्ताव केंद्र को भेजने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि सिकल सेल के मरीजों की नियमित रूप से काउंसलिंग हो और इनका बेहतर उपचार होता रहे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी अस्पतालों में जहां उपकरण तो है लेकिन आपरेटर नहीं है वहां ऑपरेटर की व्यवस्था की जाए। कीमोथेरेपी की सुविधा का विस्तार करें। डायलिसिस की सुविधा का लाभ ब्लॉक मुख्यालयों में भी आरंभ करें। मुख्यमंत्री ने मानसिक मरीजों के लिए भी नए अस्पताल आरंभ करने अधिकारियों को निर्देशित किया।

स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने बैठक में अधिकारियों को कहा कि छत्तीसगढ़ लिंगानुपात में बेहतर स्थिति में है। हमें इसे और अच्छा करने के लिए लगातार मॉनिटरिंग करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि चिरायु योजना शासन की बहुत अच्छी योजना है इसका ज्यादा से ज्यादा प्रचार प्रसार किया जाए ताकि इसका लाभ अधिकतर लोग उठा सकें। श्री जायसवाल ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि शहरी क्षेत्रों के मोबाइल मेडिकल यूनिट एवं धन्वंतरी जैसी योजनाओं को स्वास्थ्य विभाग में शामिल कर दिया जाए, ताकि बेहतर समन्वय से इन योजनाओं का उत्कृष्ट क्रियान्वयन किया जा सके।

समीक्षा बैठक में मुख्य सचिव अमिताभ जैन, अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार पिंगुआ, मुख्यमंत्री के सचिव राहुल भगत, पी. दयानंद, डॉ. बसव राजू एस, स्वास्थ्य विभाग के विशेष सचिव चंदन कुमार, संचालक स्वास्थ्य सेवाएं ऋतुराज रघुवंशी, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के संचालक जगदीश सोनकर, खाद्य एवं औषधि विभाग के नियंत्रक कुलदीप शर्मा, सीजीएमएससी की प्रबंध संचालक पद्मिनी भोई साहू, आयुष की प्रबंध संचालक इफ्फत आरा,चिकित्सा शिक्षा के संचालक डॉक्टर यू एस पैकरा सहित संबंधित अधिकारी मौजूद थे।

मुख्यमंत्री से भारतीय प्रशासनिक सेवा 2023 के प्रशिक्षु अधिकारियों ने की सौजन्य मुलाकात

रायपुर-  मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से उनके निवास कार्यालय में भारतीय प्रशासनिक सेवा 2023 के प्रशिक्षु अधिकारियों ने सौजन्य मुलाकात की। मुख्यमंत्री को अपर मुख्य सचिव तथा छत्तीसगढ़ प्रशासन अकादमी निमोरा के महानिदेशक सुब्रत साहू ने बताया कि भारतीय प्रशासनिक सेवा 2023 के चार अधिकारियों अनुपमा आनंद, तन्मय खन्ना, एम भार्गव और दुर्गाप्रसाद अधिकारी को छत्तीसगढ़ कैडर मिला है। छत्तीसगढ़ प्रशासन अकादमी निमोरा में इन अधिकारियों ने आठ सप्ताह का प्रशिक्षण प्राप्त किया है। इसके पश्चात इनकी पदस्थापना रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग व जांजगीर-चांपा जिलों में की जाएगी।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने प्रशिक्षु अधिकारियों को बधाई एवं शुभकामनाएं दीं और उनसे प्रशिक्षण के दौरान हुए अनुभवों के बारे में जानकारी ली। मुख्यमंत्री ने कहा कि वे प्रशिक्षण अवधि का पूरा लाभ उठाकर प्रशासनिक दक्षता प्राप्त करें ताकि उत्कृष्टता के साथ पदेन दायित्वों का निर्वहन कर सकें। भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के रूप में आपके पास राष्ट्र की सेवा का महत्वपूर्ण अवसर है। इस मौके पर छत्तीसगढ़ प्रशासन अकादमी के संचालक टीसी महावर और प्रशिक्षण संचालक सीमा सिंह उपस्थित रहीं।

आकांक्षी जिलों में रैंक सुधार के लिए समर्पण भावना से कार्य करें: नोडल अधिकारी निधि छिब्बर, आकांक्षी जिलों में किए जा रहे कार्यों की नीति आयोग

रायपुर-    छत्तीसगढ़ के आकांक्षी जिले में हो रहे कार्यों की नीति आयोग द्वारा आज समीक्षा की गई। नीति आयोग नई दिल्ली से छत्तीसगढ़ के लिए राज्य नोडल अधिकारी निधि छिब्बर ने आकांक्षी जिलों के 20 विकासखण्डों के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों और ब्लॉक फैलो से चर्चा की। उन्होंने कहा कि आकांक्षी जिलों के लिए तय किए गए सभी इंडीकेटर में रैंक सुधार के लिए समर्पण की भावना से काम करें।

राज्य नोडल अधिकारी श्रीमती छिब्बर ने कहा कि सरकार अपने नागरिकों के जीवन स्तर को ऊपर उठाने और सभी के समावेशी विकास सुनिश्चित करने हेतु प्रतिबद्ध है। आकांक्षी जिला कार्यक्रम का उद्देश्य विकास के दौर में पिछड़ चुके जिलों में समावेशी विकास सुनिश्चित हो सके। बैठक में उन्होंने स्वास्थ्य एवं पोषण, शिक्षा, कृषि एवं संबंधित सेवाएं, बेसिक इन्फ्रास्ट्रक्चर और सामाजिक विकास के सभी इंडीकेटर पर विस्तार से समीक्षा की। उन्होंने कहा कि आकांक्षी जिलों के लिए तय किए गए सभी इंडीकेटर में रैंक सुधार के लिए समर्पण की भावना से काम करें। योजनाओं के क्रियान्वयन में यह देखा जाना चाहिए कि जमीनी स्तर पर योजनाओं का क्रियान्वयन कैसे हो रहा है। बैठक में उन्होंने बेसलाईन डाटा में किए गए सुधार और कार्यक्रम से जुड़े अन्य गतिविधियों की भी समीक्षा की।

श्रीमती छिब्बर ने कहा कि सतत विकास के लक्ष्य को स्थानीय बनाया जाए। बैठक में भारत नेट परियोजना की वर्तमान स्थिति एवं प्रगति की भी समीक्षा की गई। उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में कनेक्टिविटी बढ़ाने के संबंध में अधिकारियों को निर्देशित किया। व्यवस्थित ढंग से डाटा एंट्री के लिए ट्रेनिंग की पर्याप्त व्यवस्था के निर्देश दिए। इस मौके पर सभी ब्लॉक फैलो और मुख्य कार्यपालन अधिकारियों ने आकांक्षी जिलों में किए जा रहे कार्यों की प्रगति के संबंध में पावर प्वाइंट के माध्यम से अपना प्रेजेंटेशन भी दिया।

बैठक में नीति आयोग के सदस्य सचिव अनूप श्रीवास्तव, योजना आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग के सचिव अंकित आनंद, चिप्स के मुख्य कार्यपालन अधिकारी रितेश अग्रवाल, स्वास्थ्य विभाग, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, इलेक्ट्रॉनिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी विभाग, कृषि, स्कूल शिक्षा एवं महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।

प्रदेश की नई औद्योगिक नीति का पहला ड्राफ्ट 31 जुलाई तक होगा तैयार, उद्योग मंत्री श्री देवांगन ने नई उद्योग नीति के लिए मेल आईडी पर सुझाव किए

रायपुर-  उद्योग मंत्री लखन लाल देवांगन ने प्रदेश की नवीन औद्योगिक नीति 2024-29 के पहले ड्राफ्ट को 31 जुलाई तक जारी करने के निर्देश विभाग के अधिकारियों को दिए हैं। नई औद्योगिक नीति के लिए उद्योग विभाग द्वारा लगातार अलग-अलग उद्योग संगठनों से विचार-विमर्श कर उनके अमूल्य सुझाव लिए जा रहे हैं, अब तक प्रदेश के 20 अलग-अलग उद्योग संघों से सुझाव लिए जा चुके हैं। इसके अतिरिक्त गुजरात, महाराष्ट्र, ओडिसा, मध्यप्रदेश समेत अन्य प्रदेशों के उद्योग नीति पर स्टडी भी विभाग द्वारा की जा रही है। राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय निवेशकों और उद्योगपतियों को छत्तीसगढ़ में निवेश प्रोत्साहन बढ़ाने की दिशा में जोर दिया जा रहा है।

उद्योग मंत्री श्री देवांगन ने अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं की नई औद्योगिक नीति में हर सेक्टर पर फोकस होना चाहिए। नए सेक्टर जैसे फार्मास्युटिकल, एग्रीकल्चर, टेक्सटाइल समेत अन्य सेक्टरों के उद्योग ज्यादा से ज्यादा लगें, ताकि रोजगार भी अधिक लोगों को मिले और प्रदेश में निवेश भी बढ़े। इन सेक्टरों के उद्योग लगने से प्रदूषण के बढ़ने की संभावना भी कम रहेगी।

नई औद्योगिक नीति के लिए इस मेल आईडी पर भेज सकते हैं सुझाव

उद्योग मंत्री लखन लाल देवांगन ने बताया की नई औद्योगिक नीति 2024-29 के लिए मेल आईडी पर या फिर सीधे विभाग में अपने अमूल्य सुझाव दे सकते हैं।

उद्योग मंत्री स्वयं जाएंगे अन्य राज्य, उद्योग प्रतिनिधियों से लेंगे सुझाव

नई नीति के लिए उद्योग मंत्री श्री देवांगन स्वयं अन्य राज्यों का दौरा कर वहां के उद्योग प्रतिनिधियों से मुलाकात कर सुझाव लेंगे। ताकि उन राज्यों के उद्योग नीति के अच्छे और प्रोत्साहन परक अनुदान मांगों पर अध्ययन परीक्षण किया जा सके। अभी हाल ही में मंत्री श्री देवांगन ने नई दिल्ली में आईसीसी के प्रतिनिधियों से नई नीति हेतु विचार विमर्श किया था।

सभी मंत्रीगण और विभागों से भी लिए जाएंगे राय

प्रदेश की नई औद्योगिक नीति के लिए सभी विभागों और मंत्री गणों से विमर्श के पश्चात ही आगे 5 वर्षों के लिए नीति बनाई जाएगी। ताकि नीति में सभी विभागों का समावेश हो और हर सेक्टर में उद्योग लग सके।

IAS नीरज कुमार बंसोड को केंद्र में संयुक्त सचिव के लिए किया गया इम्पैनल

रायपुर- छत्तीसगढ़ के 2008 बैच के आईएएस नीरज कुमार बंसोड को केंद्र में संयुक्त सचिव या समकक्ष पद के लिए इम्पैनल किया गया है. बंसोड के साथ भारतीय प्रशासनिक सेवा के 2008 बैच के 64 अधिकारियों को पैनल में शामिल किया गया है.

मूलत: महाराष्ट्र के रहने वाले 2008 बैच के आईएएस नीरज कुमार बंसोड ने प्रोडक्शन इंजीनियरिंग में बीई किया है. उसके बाद उन्होंने निजी क्षेत्र में भी काम किया और सिविल सेवा की तैयारी के लिए दिल्ली चले गए. 2007 में उन्होंने यूपीएससी से सिविल सेवा परीक्षा पास की, जिसमें उन्होंने एआईआर 88वीं रैंक सेक्योर की थी.

आईएएस चयनित होने के बाद उन्होंने छत्तीसगढ़ में अपने कार्यभार की शुरुआत बिलासपुर जिला पंचायत के सीईओ और सुकमा जिला कलेक्टर के रूप में कार्य की थी.

राजधानी में निगम की बड़ी कार्रवाई: अवैध प्लाटिंग पर बुलडोजर चलाकर 10 एकड़ जमीन को किया कब्जा मुक्त, अब प्लाटिंग करने वालो पर गिरेगी गाज

रायपुर-  रायपुर जिला कलेक्टर डॉ. गौरव कुमार सिंह के आदेशानुसार नगर निगम क्षेत्र में अवैध प्लाटिंग के प्रकरणों पर लगातार कार्रवाई जारी है. आज राजधानी के जोन 6 और जोन 8 में निजी भूमि पर की जा रही अवैध प्लाटिंग पर रोक लगते हुए करीब 10 एकड़ जमीन को कब्ज़ा मुक्त कराया गया. निगम ने तहसील कार्यालय से निजी भूमि के वास्तविक भूमि स्वामियों की जानकारी उपलब्ध कराने को कहा है.

बता दें कि जोन 6 के डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी वार्ड क्रमांक 61 के भाठागांव भर्री खार क्षेत्र में लगभग 5 एकड़ निजी भूमि पर की जा रही अवैध प्लाटिंग की जा रही थी. जिसपर नगर पालिक निगम मुख्यालय नगर निवेश उड़नदस्ता और नगर पालिक निगम जोन क्रमांक 6 नगर निवेश विभाग ने मौके पर पहुंच कर रोक लगाई. जोन 6 के जोन कमिश्नर को रमेश जायसवाल ने बताया कि अज्ञात प्लाटिंगकर्ता द्वारा यहां लगभग 5 एकड़ निजी भूमि पर अवैध मुरुम रोड बनाई गई थी, जिसपर बुलडोजर चलाकर कारगर रोक लगाई गई है. वहीं मौके से लगभग 2 ट्रक मुरूम जब्त की गयी है.

कोटा में 3 एकड़ निजी भूमि पर अवैध प्लाटिंग पर लगाई रोक

जोन 6 की तरह जोन 8 में रामकृष्ण परमहंस वार्ड 20 में कोटा स्थित साईंनाथ कॉलोनी की लगभग 3 एकड़ निजी भूमि में अवैध प्लाटिंग की जा रही थी. अवैध प्लाटिंगकर्ता ने प्लाट कटिंग करने मार्किंग कर रखी थी जिसे हटाया गया, डीपीसी और अवैध मुरुम रोड को काटकर आवागमन बाधित करते हुए कारगर रोक लगाई गयी. नगर निगम जोन 8 के जोन कमिश्नर अरुण ध्रुव ने बताया कि जोन 8 के रामकृष्ण परमहंस वार्ड नंबर 20 के तहत कोटा में साईंनाथ कॉलोनी फेस-2 क्षेत्र में भिन्न 3 स्थानों में लगभग 3 एकड़ निजी भूमि पर साथ ही पंडित जवाहर लाल नेहरू वार्ड नंबर 2 के क्षेत्र में कबीर नगर फेस – 4 में अविनाश आशियाना अपार्टमेंट परिसर के पीछे लगभग 5 एकड़ निजी भूमि पर की गई अवैध प्लाटिंग पर रोक लगायी गयी है.

अवैध प्लाटिंगकर्ताओं के खिलाफ होगी कार्रवाई

बता दें कि नगर निगम जोन 6 और जोन 8 के नगर निवेश विभाग ने रायपुर तहसीलदार को पत्र लिखकर निजी भूमि के वास्तविक भूमि स्वामियों की जानकारी उपलब्ध करवाने कहा गया है. तहसील कार्यालय से जानकारी मिलते ही छत्तीसगढ़ शासन के अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार सम्बंधित अवैध प्लाटिंगकर्ताओं के खिलाफ संबंधित पुलिस थाना में नियमानुसार प्रक्रिया के अंतर्गत कड़ी कानूनी कार्यवाही करने नामजद एफआईआर दर्ज करवाई जायेगी.

राजधानी में निगम की बड़ी कार्रवाई: अवैध प्लाटिंग पर बुलडोजर चलाकर 10 एकड़ जमीन को किया कब्जा मुक्त, अब प्लाटिंग करने वालो पर गिरेगी गाज

रायपुर-  रायपुर जिला कलेक्टर डॉ. गौरव कुमार सिंह के आदेशानुसार नगर निगम क्षेत्र में अवैध प्लाटिंग के प्रकरणों पर लगातार कार्रवाई जारी है. आज राजधानी के जोन 6 और जोन 8 में निजी भूमि पर की जा रही अवैध प्लाटिंग पर रोक लगते हुए करीब 10 एकड़ जमीन को कब्ज़ा मुक्त कराया गया. निगम ने तहसील कार्यालय से निजी भूमि के वास्तविक भूमि स्वामियों की जानकारी उपलब्ध कराने को कहा है.

बता दें कि जोन 6 के डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी वार्ड क्रमांक 61 के भाठागांव भर्री खार क्षेत्र में लगभग 5 एकड़ निजी भूमि पर की जा रही अवैध प्लाटिंग की जा रही थी. जिसपर नगर पालिक निगम मुख्यालय नगर निवेश उड़नदस्ता और नगर पालिक निगम जोन क्रमांक 6 नगर निवेश विभाग ने मौके पर पहुंच कर रोक लगाई. जोन 6 के जोन कमिश्नर को रमेश जायसवाल ने बताया कि अज्ञात प्लाटिंगकर्ता द्वारा यहां लगभग 5 एकड़ निजी भूमि पर अवैध मुरुम रोड बनाई गई थी, जिसपर बुलडोजर चलाकर कारगर रोक लगाई गई है. वहीं मौके से लगभग 2 ट्रक मुरूम जब्त की गयी है.

कोटा में 3 एकड़ निजी भूमि पर अवैध प्लाटिंग पर लगाई रोक

जोन 6 की तरह जोन 8 में रामकृष्ण परमहंस वार्ड 20 में कोटा स्थित साईंनाथ कॉलोनी की लगभग 3 एकड़ निजी भूमि में अवैध प्लाटिंग की जा रही थी. अवैध प्लाटिंगकर्ता ने प्लाट कटिंग करने मार्किंग कर रखी थी जिसे हटाया गया, डीपीसी और अवैध मुरुम रोड को काटकर आवागमन बाधित करते हुए कारगर रोक लगाई गयी. नगर निगम जोन 8 के जोन कमिश्नर अरुण ध्रुव ने बताया कि जोन 8 के रामकृष्ण परमहंस वार्ड नंबर 20 के तहत कोटा में साईंनाथ कॉलोनी फेस-2 क्षेत्र में भिन्न 3 स्थानों में लगभग 3 एकड़ निजी भूमि पर साथ ही पंडित जवाहर लाल नेहरू वार्ड नंबर 2 के क्षेत्र में कबीर नगर फेस – 4 में अविनाश आशियाना अपार्टमेंट परिसर के पीछे लगभग 5 एकड़ निजी भूमि पर की गई अवैध प्लाटिंग पर रोक लगायी गयी है.

अवैध प्लाटिंगकर्ताओं के खिलाफ होगी कार्रवाई

बता दें कि नगर निगम जोन 6 और जोन 8 के नगर निवेश विभाग ने रायपुर तहसीलदार को पत्र लिखकर निजी भूमि के वास्तविक भूमि स्वामियों की जानकारी उपलब्ध करवाने कहा गया है. तहसील कार्यालय से जानकारी मिलते ही छत्तीसगढ़ शासन के अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार सम्बंधित अवैध प्लाटिंगकर्ताओं के खिलाफ संबंधित पुलिस थाना में नियमानुसार प्रक्रिया के अंतर्गत कड़ी कानूनी कार्यवाही करने नामजद एफआईआर दर्ज करवाई जायेगी.

पूर्व मंत्री कवासी लखमा ने सांसद बृजमोहन अग्रवाल को लेकर दिया बड़ा बयान, कहा- खुद को डॉन समझते थे अब बन गए बिल्ली…

रायपुर- लोकसभा चुनाव के परिणाम आने के साथ ही छत्तीसगढ़ के साय कैबिनेट में फेरबदल की चर्चा तेज हो गई है. रायपुर लोकसभा सीट से शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने प्रचंड बहुमत से चुनाव जीता और अब संसद में पहुंचने के बाद उनके मंत्री पद से इस्तीफे को लेकर भी चर्चा तेज है. वहीं बृजमोहन अग्रवाल के मंत्री और सांसद पद से इस्तीफे को लेकर पूर्व मंत्री कवासी लखमा ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि बृजमोहन अग्रवाल खुद को छत्तीसगढ़ का डॉन समझते थे, लेकिन अब डॉन बिल्ली बन गए हैं.

पूर्व मंत्री कवासी लखमा ने साय सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा में अंदरूनी मामला शुरू हो गया है. बृजमोहन अग्रवाल को भाजपा ने न घर का रखा और ना ही घाट का. 

डॉन बिल्ली बन गए : कवासी लखमा

उन्होंने तंज कसते हुए आगे कहा, कि बृजमोहन अग्रवाल खुद को छत्तीसगढ़ का डॉन समझते थे, लेकिन अब डॉन (बृजमोहन अग्रवाल) बिल्ली बन गए हैं.विष्णुदेव सरकार उनको कहीं का नहीं छोड़ने वाली है. वह न विधायक बन पाएंगे और न ही सांसद.

राजस्व मंत्री टंक राम वर्मा ने ली विभागीय समीक्षा बैठक

रायपुर-   छत्तीसगढ़ में राजस्व प्रशासन को चुस्त-दुरूस्त करने का काम शुरू कर दिया गया है। राज्य में अब डिजिटल क्रॉप सर्वे के लिए तैयारियां की जा रही हैं, इस सर्वे को अंजाम देने के लिए राजस्व विभाग द्वारा भूमि का जियो-रेफ्रेंसिंग का कार्य तेजी से चल रहा है। एक ओर जियो-रेफ्रेंसिंग से भूमि विवादों में कमी आएगी। वहीं दूसरी ओर फसलों की ई-गिरदावरी का कार्य आसान हो जाएगा।

गौरतलब है कि मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने राज्य में सुशासन के लिए पारदर्शी और बेहतर प्रशासन के लिए शासकीय काम-काज में अधिक से अधिक आईटी का उपयोग करने के निर्देश सभी विभागों को दिए हैं। मुख्यमंत्री की मंशा के अनुरूप राजस्व मंत्री श्री टंकराम वर्मा ने राजस्व विभाग की समीक्षा बैठक में राजस्व अधिकारियों को भूमि के जियो-रेफ्रेंसिंग का कार्य तेजी से पूर्ण कराने के निर्देश दिए हैं।

भ्रष्टाचार की शिकायत पर होगी कार्यवाही

राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा ने बैठक में कहा कि ग्रामीणों और किसानों को नामांतरण, बटवारा, सीमांकन और व्यपवर्तन कार्य में किसी प्रकार की दिक्कत नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी अधिकारी जनता की दिक्कतों को पूरी संवदेनशीलता के साथ दूर करने के लिए तैयार रहें। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार की शिकायत पाए जाने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने राजस्व विभाग के अधिकारी-कर्मचारी को अपनी कार्यशैली में बदलाव लाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि शैक्षणिक सत्र को ध्यान रखते हुए सभी राजस्व अधिकारी सुनिश्चित करें कि बच्चों को आय और जाति प्रमाण पत्र के लिए भटकना न पड़ें।

भू-अभिलेख में त्रुटि सुधार के लिए अभियान चलेगा

राजस्व मंत्री श्री वर्मा ने कहा कि अविवादित नामांतरण प्रकरणों के निराकरण में यह देखा गया है कि ऐसे प्रकरणों को बिना किसी कारण के अनावश्यक खारिज किया जा रहा है। ऐसे प्रकरणों पर नियमानुसार कार्यवाही की जाए। उन्होंने कहा कि किसानों के भू-अभिलेख में त्रुटि सुधार के लिए अभियान चलाया जाए, इसके लिए पंचायत स्तर पर आवेदन लेकर उसका निराकरण किया जाए। उन्होंने युवाओं को रचनात्मक गतिविधियों से जोड़ने के लिए राज्य के सभी जिलों में जिला स्तरीय खेल आयोजन के लिए मैदान का चिन्हांकन करने के निर्देश दिए।

राजस्व प्राप्ति बढ़ाने पर जोर

राजस्व मंत्री श्री वर्मा ने कहा कि राज्य सरकार को विभिन्न स्त्रोतों से हो रही राजस्व प्राप्तियों में वृद्धि के लिए हरसंभव प्रयास किए जाएं। राजस्व प्राप्तियां बढ़ाने के लिए पारदर्शिता और ईमानदारी से कार्य हो। डायवर्सन भूमि का लंबित शुल्क वसूली की जाए। अधिक राजस्व प्राप्तियों से ही विकास और जनकल्याणमूलक कार्यों को गति मिलेगी।

राजस्व मामलें के निराकरण के लिए ठोस रणनीति

समीक्षा बैठक में राजस्व विभाग के सचिव अविनाश चंपावत ने कहा कि राज्य में राजस्व संबंधी प्रकरणों के तेजी से निराकरण के लिए ठोस रणनीति बनाई जा रही है। संचालक रमेश शर्मा ने बताया कि भुइँया सॉफ्टवेयर में राजस्व रिकार्ड अद्यतन है। साथ ही जमीनों के स्थायी चिन्हांकन के लिए चांदा-मुनारा निर्माण करने का कार्य तेजी से किया जा रहा है।

प्रदेश में कुल 4527 करोड़ रुपए लागत की 71 मल्टी-विलेज योजनाओं का काम शुरू, उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने गुणवत्ता सुनिश्चित करते हुए सभी कार्यों

रायपुर-    प्रदेश में भू-जल में समस्या वाले गांवों में पेयजल आपूर्ति के लिए जल जीवन मिशन के तहत मल्टी-विलेज योजना (Multi-Village Scheme) शुरू की जा रही है। खारे पानी, भू-जल में भारी तत्वों की मौजूदगी या जल स्तर के ज्यादा नीचे चले जाने की समस्या से जूझ रहे गांवों में इन योजनाओं के माध्यम से नदी का मीठा पानी पहुंचाया जाएगा। कुल 4527 करोड़ रुपए की लागत से राज्य के 18 जिलों में 71 मल्टी-विलेज योजनाओं का काम प्रारंभ हो चुका है। इन योजनाओं के माध्यम से 3234 गांवों में शुद्ध पेयजल की आपूर्ति की जाएगी। इन गांवों के दस लाख से अधिक घरों में पाइपलाइन के जरिए स्वच्छ व सुरक्षित पेयजल पहुंचाया जाएगा। उप मुख्यमंत्री तथा लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री अरुण साव ने सभी मल्टी-विलेज योजनाओं में गुणवत्ता सुनिश्चित करते हुए सभी कार्यों को समय-सीमा में पूर्ण करने के निर्देश दिए हैं, जिससे लोगों तक यथाशीघ्र साफ पेयजल पहुंच सके।

राज्य के अनेक जिलों में नलकूपों के गिरते हुए जल स्तर के कारण गर्मी के दिनों में पेयजल की समस्या आती है। ऐसे गांवों में जल जीवन मिशन के अंतर्गत सिंगल-विलेज योजनाओं के लिए सफल पेयजल स्त्रोतों की कमी को देखते हुए सतही स्त्रोत पर आधारित मल्टी-विलेज योजनाएं बनाई गई हैं। राज्य जल एवं स्वच्छता मिशन के माध्यम से प्रदेश में 71 मल्टी-विलेज योजनाओं की स्वीकृति दी गई है। उप मुख्यमंत्री अरुण साव के निर्देश पर सभी योजनाओं के अवयवों की ड्राइंग एवं डिजाइन की चेकिंग राष्ट्रीय स्तर पर सुविख्यात आई.आई.टी. एवं एन.आई.टी. (Indian Institute of Technology & National Institute of Technology) के माध्यम से कराए जा रहे हैं।

जल जीवन मिशन के तहत इन मल्टी-विलेज योजनाओं में स्थानीय नदी पर निर्मित एनीकट, बांध एवं नहर के पानी का उपयोग किया जाएगा। जल संग्रहण के लिए इन्टेकवेल तथा जल शुद्धिकरण के लिए वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण किया जा रहा है। योजना के अंतर्गत उच्च स्तरीय एम.बी.आर. (Master Balance Reservoir) भी बनाए जा रहे हैं। इन्टेकवेल से वाटर ट्रीटमेंट प्लांट तक डी.आई. पाइप रॉ वाटर पम्पिग मेन तथा ट्रीटमेंट प्लांट से एम.बी.आर. तक क्लियर वाटर पम्पिग मेन बिछाए जा रहे हैं। एम.बी.आर. के माध्यम से योजना से लाभान्वित होने वाले गांवों में निर्मित उच्च स्तरीय टंकियों तक पेयजल पहुंचाने के लिए डीआई/ओ-पी.वी.सी. पाइपलाइन भी बिछाए जा रहे हैं। इन योजनाओं का काम पूर्ण करने के लिए ठेकेदारों को 12 महीने का समय दिया गया है।

उप मुख्यमंत्री श्री साव के निर्देश पर कार्यों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने और योजनाओं को समय-सीमा में पूर्ण कराने के लिए लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के मुख्य अभियंता एवं अधीक्षण अभियंता तथा जल जीवन मिशन के वरिष्ठ अभियंताओं द्वारा कार्यस्थलों का लगातार निरीक्षण किया जा रहा है। इस दौरान योजनाओं में प्रयोग की जा रही सामग्रियों, उपकरणों एवं आर.सी.सी. के कार्यों में गुणवत्ता नियंत्रण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है। मल्टी-विलेज योजनाओं में प्रयुक्त होने वाली सभी सामग्रियों एवं उपकरणों की गुणवत्ता की जांच (टेस्टिंग) के लिए थर्ड पार्टी इन्सपेक्सन (Third Party Inspection) भी कराए जा रहे हैं।

18 जिलों के 3234 गांवों को मिलेगा साफ पेयजल

जल जीवन मिशन के अंतर्गत मल्टी-विलेज योजनाओं के माध्यम से 18 जिलों के 3234 गांवों में जलापूर्ति की जाएगी। इनमें रायगढ़ जिले के 396, गौरेला-पेंड्रा-मरवाही के 16, कोरबा के 245, जांजगीर-चांपा के 32, राजनांदगांव के 393, महासमुंद के 48, कबीरधाम के 31, गरियाबंद के नौ, बिलासपुर के 93, सूरजपुर के 413, मुंगेली के 240, दुर्ग के 201, बलौदाबाजार-भाटापारा के 192, बेमेतरा के 219, कोरिया के 292, बालोद के 148, सरगुजा के 190 और धमतरी जिले के 76 गांव शामिल हैं।

किस जिले में कितनी योजनाएं ?

जल जीवन मिशन के तहत प्रदेश भर में अभी कुल 71 मल्टी-विलेज योजनाएं मंजूर की गई हैं। इनमें सूरजपुर जिले की 11, कोरिया की दस, दुर्ग की सात, बलौदाबाजार-भाटापारा और रायगढ़ की छह-छह, बालोद, सरगुजा, राजनांदगांव और बिलासपुर की चार-चार, बेमेतरा की तीन, धमतरी, मुंगेली, कबीरधाम और जांजगीर-चांपा की दो-दो तथा गौरेला-पेंड्रा-मरवाही, कोरबा, महासमुंद और गरियाबंद जिले की एक-एक योजनाएं शामिल हैं। इन योजनाओं से कुल दस लाख 445 परिवार लाभान्वित होंगे।