नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण से पहले किले में तब्दील दिल्ली, इस तरह होगी निगहबानी
#pmswearinginceremonynoflyingzoneindelhifortwo_days
नरेंद्र मोदी तीसरी बार रविवार को प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे। पीएम मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में 7 देशों के प्रमुख नेता शामिल होंगे। पड़ोसी देशों के दो राष्ट्रपति, एक उपराष्ट्रपति और 4 प्रधानमंत्री होंगे शामिल।मोदी सरकार के शपथ ग्रहण की तैयारियां तेज हो गई हैं। राष्ट्रीय राजधानी को किले में तब्दील कर दिया गया है। पूरी दिल्ली को नो फ्लाइंग जोन घोषित कर दिया गया है, 9 और 10 जून को दिल्ली में धारा-144 लागू रहेगी। राष्ट्रपति भवन के आसपास एनएसजी कमांडो, ड्रोन और स्नाइपर की तैनाती होगी।
![]()
दिल्ली पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा ने निषेधाज्ञा आदेश जारी करते हुए बताया कि ऐसी सूचना है कि भारत विरोधी कुछ आपराधिक, असामाजिक तत्व या आतंकवादी आम जनता, गणमान्य व्यक्तियों और महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों की सुरक्षा के लिए खतरा पैदा कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि दिल्ली क्षेत्र को नो फ्लाइंग जोन घोषित करने के साथ इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे और अन्य संवेदनशील क्षेत्रों के पास ड्रोन और लेजर बीम गतिविधियों को रोकने के लिए भी निषेधाज्ञा लागू की गई है। बड़ी संख्या में दिल्ली पुलिस व सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया जा रहा है। किसी भी अनधिकृत वाहन को सुरक्षा क्षेत्रों में प्रवेश करने से रोकने के लिए गहन जांच की जा रही है।
इन देशों के शीर्ष नेताओं के शामिल होने की उम्मीद
शपथ ग्रहण समारोह में बांग्लादेश, श्रीलंका, मालदीव, भूटान, नेपाल, मॉरीशस और सेशेल्स के शीर्ष नेताओं के शामिल होने की उम्मीद है। अधिकारियों ने बताया कि शपथ ग्रहण समारोह के लिए दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन के सदस्य देशों की गणमान्य हस्तियों को आमंत्रित किए जाने के मद्देनजर राष्ट्रीय राजधानी ‘हाई अलर्ट’ पर रहेगी। समारोह के दिन दिल्ली पुलिस के स्वाट और एनएसजी के कमांडो राष्ट्रपति भवन एवं विभिन्न अहम स्थानों के आसपास तैनात रहेंगे। शपथ ग्रहण के लिए दिल्ली में थ्री टियर सिक्योरिटी (तीन लेयर की) रहेगी।
ऐसे होंगे तीन लेयर सुरक्षा के इंतजाम
-आंतरिक परिधि : राष्ट्रपति भवन और कर्तव्य पथ के आसपास का उच्च सुरक्षा क्षेत्र। शपथ समारोह यहीं होगा।
-बाहरी परिधि : उन होटलों के आसपास सुरक्षा की दूसरी परत, जहां विदेशी राष्ट्राध्यक्ष और गणमान्य व्यक्ति ठहरेंगे। इनमें ताज, मौर्य, लीला और ओबेरॉय होटल शामिल हैं।
-सबसे बाहरी परिधि मध्य दिल्ली के आसपास सुरक्षा की तीसरी परत, जिसमें जमीन से हवा तक निगरानी और व्यापक सुरक्षा कवर शामिल है।






पाकिस्तान गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य चुना गया। वह दो साल तक सुरक्षा परिषद का सदस्य बना रहेगा। पाकिस्तान के अलावा 4 और देशों को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की पांच अस्थायी सीटों के चुन लिया गया है।पाकिस्तान के साथ डेनमार्क, ग्रीस, पनामा और सोमालिया को भी सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य चुना गया है। नए सदस्य देशों का ऐलान संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष डेनिस फ्रांसिस ने किया। नए सदस्य देश जापान, इक्वाडोर, माल्टा, मोजाम्बिक और स्विटजरलैंड की जगह लेंगे, जिनका कार्यकाल 31 दिसंबर को समाप्त हो रहा है। पाकिस्तान 1 जनवरी, 2025 को जापान की जगह लेगा, जो वर्तमान में एशियाई सीट पर काबिज है, और अपना आठवां दो वर्षीय कार्यकाल शुरू करेगा। 15 सदस्यीय परिषद के सदस्य के रूप में पाकिस्तान की प्राथमिकताओं और लक्ष्यों के बारे में बोलते हुए, संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि मुनीर अकरम ने कहा कि देश का चुनाव "संयुक्त राष्ट्र चार्टर के उद्देश्यों और सिद्धांतों को बढ़ावा देने की पाकिस्तान की क्षमता में अंतरराष्ट्रीय समुदाय के विश्वास का प्रतिनिधित्व करता है। पाकिस्तान को अस्थायी सदस्यता मिलने पर प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ का कहना है, हमारा देश दुनिया की चुनौतियों से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ मिलकर काम करने को लेकर उत्सुक है। हम देशों के बीच शांति, स्थिरता और सहयोग को बढ़ावा देने के लिए अपनी भूमिका निभाते रहेंगे। सुरक्षा परिषद का सदस्य चुने जाते ही पाकिस्तान ने एक बार फिर कश्मीर राग अलापा। संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि मुनीर अकरम ने अपनी प्राथमिकताओं को गिनाया, जिसमें दक्षिण एशिया में शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देना, फिलिस्तीन और कश्मीर के लोगों के लिए आत्मनिर्णय के सिद्धांत को कायम रखना, अफगानिस्तान में सामान्यीकरण को बढ़ावा देना, अफ्रीका में सुरक्षा चुनौतियों के लिए न्यायसंगत समाधान को बढ़ावा देना, संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों की प्रभावशीलता को बढ़ाना शामिल है। संयुक्त राष्ट्र संघ की सबसे महत्वपूर्ण इकाई सुरक्षा परिषद का गठन दूसरे विश्व युद्ध के दौरान साल 1945 में किया गया था। मूल रूप से इसके 11 सदस्य थे, जिनकी संख्या साल 1965 में बढ़ाकर 15 कर दी गई, जिससे दुनिया भर में क्षेत्रीय स्थिरता बनी रह सके. इसके पांच स्थायी सदस्य ब्रिटेन, अमेरिकी, फ्रांस, रूस और चीन हैं। इनके पास वीटो का अधिकार होता है यानी किसी मुद्दे पर अगर सभी सदस्य देश सहमत भी हो जाते हैं पर स्थायी सदस्यों में से कोई एक देश सहमत नहीं होता तो वह वीटो कर देता है और वह मुद्दा या प्रस्ताव खारिज हो जाता है। स्थायी सदस्यों के अलावा 10 अस्थायी सदस्य चुने जाते हैं, जिनका कार्यकाल दो साल के लिए होता है।



Jun 08 2024, 10:51
- Whatsapp
- Facebook
- Linkedin
- Google Plus
1- Whatsapp
- Facebook
- Linkedin
- Google Plus
3.9k