आरबीआई ने नहीं दी महंगे लोन से राहत, किस्त सस्ती होने का इंतजार करने वाले लोनधारकों को झटका ..
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने MPC बैठक के नतीजों का ऐलान करते हुए रेपो रेट स्थिर रखने की जानकारी दी।रेपो रेट स्थिर रहने से आपके लोन की ईएमआई में भी कोई बदलाव नहीं होगा। रेपो रेट का सीधा कनेक्शन बैंक लोन लेने वाले ग्राहकों से होता है।लोन सस्ता होने और ईएमआई की राशि कम होने का इंतजार कर रहे लोनधारकों को आरबीआई से झटका लगा है.
दरअसल, लोनधारक भारतीय रिजर्व बैंक की एमपीसी बैठक में रेपो रेट घटाने की उम्मीद लगाए थे, लेकिन आरबीआई ने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है और पहले से लागू 6.50 फीसदी को बरकरार रखा है.
ऐसे में होमलोन, पर्सनल लोन समेत अन्य तरह के लोन की ब्याज दरों में कोई राहत नहीं मिली है। बता दें कि रिजर्व बैंक ने आखिरी बार फरवरी 2023 में रेटो रेट बदला था और इसे 25 बेसिस पॉइंट बढ़ाकर 6.50 फीसदी कर दिया था.इसके बाद से इसे चेंज नहीं किया गया है.
भारतीय रिजर्व बैंक की एमपीसी बैठक के नतीजे सामने आ गए हैं और इस बार भी रेपो रेट (Repo Rate) में कोई बदलाव नहीं किया गया है.यानी ये 6.50 फीसदी पर बरकरार रखा गया है.
इससे पहले इस वित्तीय वर्ष 2024-25 की पहली MPC Meeting में भी पॉलिसी रेट स्थिर रखे गए थे।आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को मुंबई में शुरू हुई बैठक के नतीजों का ऐलान किया.
रेपो रेट स्थिर रहने से आपके लोन की ईएमआई में भी कोई बदलाव नहीं होगा। हालांकि, केंद्रीय बैंक ने GDP Growth के अनुमान को बढ़ा दिया है. इसे 7 फीसदी से 20 बेसिस पॉइंट बढ़ाते हुए 7.20 फीसदी कर दिया गया है.
Repo Rate का EMI पर असर..
RBI की MPC की बैठक हर दो महीने में होती है और इसमें शामिल रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास समेत छह सदस्य महंगाई समेत अन्य मुद्दों और बदलावों (Rule Changes) पर चर्चा करते हैं. रेपो रेट का सीधा कनेक्शन बैंक लोन लेने वाले ग्राहकों से होता है.
इसके कम होने से लोन की ईएमआई घट जाती है और इसमें इजाफा होने से ये बढ़ जाती है.
दरअसल, रेपो रेट (Repo Rate) वह दर है जिस पर किसी देश का केंद्रीय बैंक धन की किसी भी कमी की स्थिति में कमर्शियल बैंकों को पैसा उधार देता है। रेपो रेट का उपयोग मौद्रिक अधिकारियों द्वारा महंगाई को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है।
महंगाई दर का अनुमान भी जस का तस...
केंद्रीय बैंक के मुताबिक खुदरा महंगाई (Retail Inflation) में कमी देखने को मिल रही है।हालांकि, खाद्य वस्तुओं की महंगाई की वजह से थोक महंगाई दर की गिरावट सुस्त हुई है।
ऐसे में रिजर्व बैंक ने महंगाई दर के अनुमान को 4.5 फीसदी पर बरकरार रखा है। गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि केंद्रीय बैंक महंगाई दर को 4 फीसदी के लक्ष्य के अनुरूप लाने के लिए प्रतिबद्ध है.
महंगाई के आंकड़े
मई महीने की रिटेल महंगाई दर के आंकड़े इस महीने के आखिरी में जारी किए जाएंगे. SBI रिसर्च के मुताबिक, अक्टूबर से वित्त वर्ष 2024-25 के अंत तक महंगाई दर 5 फीसदी से नीचे रहने की उम्मीद जताई जा रही है.
इससे पहले अप्रैल महीने में थोक महंगाई बढ़कर 1.26% हो गई है, जो इसका 13 महीने का हाई लेवल है. इसके अलावा अप्रैल में रिटेल महंगाई 4.83 फीसदी रही थी.







यूपी में लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे बीजेपी के लिए काफी खराब है। इस चुनाव में बीजेपी ने अपनी कई जीती हुई सीटें गवां दी। यहां तक कि फैजाबाद लोकसभा सीट भी समाजवादी पार्टी ने छीन लिया। यही वो सीट है जहां अयोध्या का राम मंदिर मोदी सरकार के इसी कार्यकाल में बन कर तैयार हुआ। अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के भव्य आयोजन के बाद किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी बीजेपी के हाथों से ये सीट निकल जाएगी।फैजाबाद लोकसभा सीट बीजेपी के हाथ से निकल जाने का जितना मलाल पार्टी को है, उससे ज्यादा ये लोगों के बीच चर्चा का मुद्दा बना हुआ है। सालों से तंबू में रखे गए भगवान राम को भव्य मंदिर में प्रतिष्ठित किया गया। फैजाबाद जिले का नाम अयोध्या कर दिया गया। मंडल भी अयोध्या बना दिया गया। फैजाबाद रेलवे स्टेशन अयोध्या छावनी बना दिया गया। अयोध्या स्टेशन पर यात्रियों के ठहरने के बेहतरीन इंतजाम किए गए। अयोध्या शहर का कायाकल्प भी किया गया। चौक चौराहे सजाए गए। छोटी मोटी दुकानों को तोड़, सलीके से व्यावसायिक कांप्लेक्स तमीर कर दिए गए। मंदिर बनने के बाद रिकॉर्ड संख्या में श्रद्धालु भी अयोध्या आने लगे। इस सव से लोग खुश थे। तो बड़ा सवाल है, बीजेपी कैसे हार गई? *जमीनी स्तर पर लोगों से जुड़ नहीं पाए पूर्व सांसद* लोगों की माने तो अयोध्या में विकास काफी हुआ है लेकीन यहाँ के कैंडिडेट लल्लू सिंह के वजह से बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा। लल्लू सिंह जमीनी स्तर पर लोगों से जुड़ नहीं पाए हैं। कहा जा रहा है कि वे मतदाताओं से कनेक्ट करने की बजाय अपने समर्थकों को 400 सीटें लाकर संविधान बदलने की बात कहते सुने गए। उनका एक वीडियो भी खूब वायरल हुआ था। लल्लू सिंह ने नाराजगी के अलावा जो भी वोट भाजपा को मिले वह पीएम मोदी की लोकप्रियता और राम मंदिर के मुद्दे पर ही पड़े। *मंदिर की व्यवस्था से परेशानियां* यही नहीं, अयोध्या के लोगों को मंदिर की व्यवस्था से परेशानियों से जूझना पड़ा है। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद चुनाव तक मंदिर में लगातार वीआईपी दर्शनार्थियों का आना लगा रहा। इस दौरान प्रशासन सुरक्षा के नाम पर ऐसा इंतजाम करता रहा है कि लोगों का मंदिर के आस पास जाना दूभर हो जाता था। अयोध्या – फैजाबाद के लोग मंदिर दर्शन करने जा ही नहीं सके। मंदिर के आस पास जो भी स्कूल और अस्पताल वगैरह है वहां जाने आने में रोज लोगों को मुसीबतों से दो चार होना पड़ा है। *कार्यकर्ताओं की उपेक्षा और सांसद से नाराजगी* मीडिया रिपोर्ट्स में ये भी दावा किया जा रहा है कि अयोध्या जिले में भाजपा के सामान्य कार्यकर्ताओं की उपेक्षा की गई। मंदिर बनने के बाद VIP जिला होने से यहाँ बड़े नेताओं की ही चली और स्थानीय कार्यकर्ताओं का फीडबैक ऊपर तक नहीं पहुँचा। इसी कारण से कार्यकर्ताओं का एक बड़ा वर्ग उदासीन हो गया और नाराज रहा, जिससे नुकसान हुआ। *जमीन अधिग्रहण और मुआवजा* अयोध्या में विकास के लिए काफी जमीन अधिग्रहण किया गया। प्रशासन ने इसके लिए स्थानीय लोगों की काफी जमीन ली। मीडिया रिपोर्ट्स में दावा है कि अयोध्या में जमीन अधिग्रहण में गड़बड़ियाँ हुईं और मुआवजे का बँटवारा सही से नहीं हुआ। कई लोगों के घर तोड़े गए और उनकी सुनी नहीं गई। इस कारण से लोगों में गुस्सा रहा और उन्होंने वोट नहीं दिया। *सपा का दलित प्रत्याशी उतारना* बीजेपी की हार का एक बड़ा कारण सपा का इस सीट से दलित प्रत्याशी उतारना था। सपा प्रत्याशी अवधेश प्रसाद 9 बार के विधायक हैं। उनको दलितों का वोट काफी बड़े स्तर पर मिला। भाजपा से दलित वोट का छिटकना भी एक हार का एक बड़ा कारण रहा। बताया गया कि इस लोकसभा क्षेत्र में 26% दलित वोट को सपा ने अपने प्रत्याशी के चयन से ही अपनी तरफ मिला लिया। इसके अलावा मुस्लिम वोटर भी एकतरफा सपा की तरफ गए जिसने यहाँ उसे बढ़त दिलाई। सपा से कॉन्ग्रेस के गठबंधन के कारण मुस्लिम वोट छिटका नहीं। बड़े स्तर पर मुस्लिम वोट ने सपा को यहाँ बढ़त दिलाई, जिससे उसे जीत हासिल करने में आसानी हुई।
Jun 07 2024, 13:40
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