पटना हाई कोर्ट के निर्देश के बावजूद भी समय पर विश्वविद्यालय शिक्षक व शिक्षकेतर कर्मचारियों को नहीं हो रहा है वेतन भुगतान: प्रो अश्वनी
गया। मगध विश्वविद्यालय, बोधगया के अर्थशास्त्र विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष सह सोशल साइंस के डीन रहे प्रो० (डॉ) अश्वनी कुमार ने विश्वविद्यालय शिक्षकों एवं कर्मचारियों को बीते 5 महीने से वेतन भुगतान नहीं होने पर रोष व्यक्त करते हुए कहा कि भारत के जिस ब्यूरोक्रेट्स को देश के पहले गृह मंत्री 'लौह पुरुष' सरदार वल्लभभाई पटेल ने इस्पाती ढांचे की संज्ञा दी थी। आज बिहार के शिक्षा विभाग में यह परिदृश्य देखने को मिल रहा है।
शिक्षा विभाग के ये ब्यूरोक्रेट्स ना तो कुलाधिपति सह राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर, ना तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की बात मान रहे हैं। आश्चर्य तब होता है जब उच्च न्यायालय, पटना ने 16 मई 2024 को विश्वविद्यालय शिक्षकों एवं कर्मचारियों का वेतन 10 दिनों में भुगतान करने का स्पष्ट आदेश दिया था। लेकिन शिक्षा विभाग के अधिकारी उस आदेश को नहीं मानने और अलग-अलग आदेश निर्गत कर भुगतान प्रक्रिया को पेचीदा बना रहे हैं। डॉ अश्वनी कुमार ने कहा कि शिक्षा विभाग को मालूम होना चाहिए की शिक्षक 65 वर्ष की आयु में सेवानिवृत हो जाते हैं और बिहार में औसत जीवन प्रत्यशादर 69.1 वर्ष है।
पिछले 5 महीने से वेतन भुगतान नहीं होने के कारण अर्थ के अभाव में लोग अपने गंभीर बीमारी का इलाज कराने में असमर्थ हो रहे हैं। इसी बीच बहुत सारे शिक्षक और कर्मचारी पैसे के अभाव में समुचित इलाज नहीं होने से उनकी मौत हो गई है। बिहार जैसे पिछड़े प्रदेश में 5 महीनें से वेतन भुगतान नहीं होने से बाजार में क्रय शक्ति की कमी से विक्रय पर प्रभाव पड़ रहा है और जीएसटी राजस्व संग्रह में कमी आई है।
साथ ही 2023-24 बजट से (जनवरी- फरवरी) वेतन नहीं मिलने से विश्वविद्यालय आयकर जमा नहीं कर पाया, जिस पर काफी राशि जुर्माना के रूप में भुगतान करना पड़ेगा। विश्वविद्यालय कर्मियों को आवास लोन का ईएमआई प्रीमियम जमा न करने पर चक्रीय ब्याज देना पड़ेगा। साथ ही बैंकों के तरलता में कमी आएगी।जीवन बीमा प्रीमियम जमा नहीं होने पर फाइन देना पड़ेगा।
कर्मचारियों के एनपीएस जमा नहीं होने पर पेंशन पर बुरा असर पड़ रहा है। नीति आयोग, जो एक थिंक टैंक के रूप में स्थापित की गई है, जो को-ऑपरेटिव फेडरेलिज्म के अंतर्गत राज्यों के शक्ति करण से केंद्र का शक्ति करण के रूप में स्थापित किया गया है। प्रधानमंत्री का ध्यान इस ओर आकृष्ट करना चाहता हूं कि इस "स्टील फ्रेम" में लगी जंग को सबसे पहले ठीक किए बिना अमृत काल में विकसित भारत का सपना साकार होना मुश्किल है।
रिपोर्ट: मनीष कुमार।
May 30 2024, 16:05