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बेमेतरा फैक्ट्री ब्लास्ट में न्यायिक जांच शुरु, इन 4 बिंदुओं पर होगी मजिस्ट्रियल इन्वेस्टिगेशन

बेमेतरा- छत्तीसगढ़ के बेमेतरा स्थित बारूद फैक्ट्री में भीषण आगजनी के मामले में आज मंगलवार को मजेस्ट्रीयल जांच शुरु हो गई है। बेरला SDM पिंकी मनहर के नेतृत्व में फैक्ट्री में ब्लास्ट की न्यायिक जांच 4 बिंदुओं पर की जाएगी।

बता दें, बेमेतरा जिले के बेरला ब्लॉक के ग्राम पिरदा स्थित स्पेशल ब्लास्ट लिमिटेड कंपनी के बारूद फैक्ट्री में 25 मई (शनिवार) की सुबह ब्लास्ट हो गया, जिसमें 1 कर्मचारी की मौत हो गई और 10-12 लोग घायल हो गए। वहीं मलबे में दब कर हुई मौतों की पुष्टी अब तक नहीं हो पाई है। लेकिन 8 से 10 कर्मचारियों के परिजनों ने विस्फोट के दौरान अपने परिवार के सदस्त (जो फैक्ट्री में कार्रयरत थे) वहीं मौजूद थे। इस तरह विस्फोट में 8-10 और कर्मचारियों की मौत की भी आशंका जताई जा रही है। इस घटना के बाद सीएम साय ने विस्फोट की मजेस्ट्रीयल जांच की घोषणा की थी, जिसके अनुसार अब न्यायिक जांच शुरु हो गई है। 

कांग्रेस ने प्रदर्शन की दी चेतावनी

वहीं इस मामले में अब तक प्रशासन की तरफ से स्पेशल ब्लास्ट कंपनी प्रबंधन पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं किये जाने को लेकर क्रांग्रेस ने उग्र प्रदर्शन की चेतावनी दी है। 

इन चार बिंदु पर होगी जांच

1. दुर्घटना विस्फोट का कारण।

2. फैक्ट्री प्रबंधन द्वारा किए गए सुरक्षात्मक उपायों का परीक्षण ,अनुज्ञप्ति, भंडारण उपयोग आदि का विवरण।

3. दुर्घटना विस्फोट के लिए यदि कोई त्रुटि लापरवाही है, तो उत्तरदायित्व का निर्धारण।

4. अन्य कोई सुझाव या बिंदु जो जांच अधिकारी सम्मिलित करना आवश्यक समझे।

बता दें, इन चार बिंदुओं पर बेमेतरा जिला कलेक्टर ने 27 मई को आदेश जारी किया था। इस मामले में SDM पिंकी मनहर के नेतृत्व में 45 दिन के अंदर न्यायिक जांच पूरी की जाएगी।

करोड़ों की शासकीय भूमि को प्रशासन ने जेसीबी चलाकर कराया अतिक्रमण मुक्त, तोड़ी बाउंड्रीवाल

रायपुर- शासकीय भूमि पर अवैध कब्जे को राजस्व और पुलिस विभाग की संयुक्त टीम ने मुक्त कराया. अभनपुर के ग्राम पारागांव में करोड़ रुपए की कीमती लगभग ढाई एकड़ भूमि को कब्जाधारियों ने अतिक्रमण कर लिया था. राजस्व और पुलिस विभाग की संयुक्त टीम ने कार्रवाई करते हुए कब्जा मुक्त कराया. अतिक्रमण हटाने से पहले राजस्व विभाग ने गोबरा नवापारा तहसील में बाकायदा न्यायालय प्रक्रिया पूरी की. 17 मई को बेदखली का नोटिस भी जारी किया गया था.

पारागांव की शासकीय घास भूमि खसरा नंबर 1047, रकबा 4.35 हेक्टेयर भूमि के भाग रकबा 0.87 हेक्टेयर भूमि पर गोबरा नवापारा निवासी महेश सोनकर, मोंगराज सोनकर, मुकुंद मेश्राम और राकेश सोनकर अतिक्रमण कर शासकीय भूमि के चारों ओर बाउंड्री वाला बनवा ली थी और कमरों का निर्माण भी करा लिया था.

मंगलवार को गोबरा नवापारा तहसीलदार सूरज बंछोर, नायब तहसीलदार और टीआई अवधराम साहू अपने अमले के साथ जेसीबी लेकर मौके पर पहुंचे. शासकीय भूमि पर किए गए बाउंड्रीकरण और कमरों को ध्वस्त कर अतिक्रमण मुक्त कराया.

राज्य सरकार ने व्यापारियों का दमन शुरू किया : कन्हैया अग्रवाल

रायपुर- प्रदेश चैंबर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के अध्यक्ष आनंद चोपकर और कार्यकारी अध्यक्ष कन्हैया अग्रवाल ने राज्य में ई-वे बिल के प्रावधानों में दी गई छूट को समाप्त किए जाने का कड़ा प्रतिकार करते हुए कहा कि सरकार के इस निर्णय से अफसरशाही बढ़ेगी, व्यापारी परेशान होगा और भ्रष्टाचार का बोलबाला होगा । उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में व्यवसायियों के लिए अब जिले के अंदर भी 50 हजार रुपए मूल्य से अधिक के सामान विक्रय कर परिवहन करने पर ई-वे बिल जेनरेट करना आवश्यक होगा जिससे व्यापार में जटिलता बढ़ेगी और व्यापारियों को जबरन चोर ठहरा कर वसूली होगी ।

उन्होंने कहा कि सरकार बने अभी 06 महीने भी नहीं हुए हैं और व्यापारियों के ऊपर लगातार आफत आ रही है । पहले स्टेट जीएसटी के हजारों की संख्या में जारी नोटिस से व्यापारी घबराया हुआ था अब ई – वे बिल के रूप में एक और मुसीबत आ गई है ।उन्होंने कहा कि सरकार व्यापारियों को प्रताड़ित करना तत्काल बंद करे। जीएसटी के नोटिस ऑन के माध्यम से जिस तरह से अधिकारी व्यापारियों को धमका रहे हैं उस पर तत्काल रोक लगनी चाहिए और जिले के अंदर पचास हजार से अधिक के प्रत्येक बिल पर लगने वाले ई वे बिल के कानून को सरकार तत्काल प्रभाव से वापस ले अन्यथा व्यापारी आंदोलन के लिए बाध्य होंगे ।

श्रमिकों के लिए महंगाई भत्ता में हुई वृद्धि, श्रम विभाग ने जारी किया आदेश

रायपुर-  श्रम विभाग छत्तीसगढ़ शासन द्वारा विभिन्न अनुसूचित नियोजनों में कार्यरत श्रमिकों के लिए 01 अप्रैल 2024 से परिवर्तनशील महंगाई भत्ता निर्धारित की गई है। लेबर ब्यूरों शिमला से प्राप्त औद्योगिक सूचकांक में जुलाई 2023 से दिसम्बर 2023 के मध्य 14 बिन्दु की औसत वृद्धि हुई। जिसके अनुसार प्रति बिन्दु 20 रूपए के मान से 45 अनुसूचित नियोजनों में कार्यरत श्रमिकों के परिवर्तनशील महंगाई भत्ता में प्रतिमाह 280 रूपए की वृद्धि की गई।

श्रम विभाग के अधिकारियों ने बताया कि कृषि नियेाजन में कार्यरत श्रमिकों हेतु लेबर ब्यूरों शिमला से प्राप्त सूचकांक में 56 बिन्दु की औसत वृद्धि होने से 5 रूपए प्रति बिन्दु के मान से 280 रूपए प्रतिमाह परिवर्तनशील महंगाई भत्ते में वृद्धि की गई। इसी प्रकार अगरबत्ती उद्योग में नियोजित श्रमिकों हेतु उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में औसत वृद्धि के आधार पर परिवर्तनशील महंगाई भत्ते 7.08 रूपए प्रति हजार अगरबत्ती निर्माण में निर्धारित की गई।

उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ शासन श्रम विभाग द्वारा न्यूनतम वेतन अधिनियम 1948 के अंतर्गत 45 अनुसूचित नियोजनों, कृषि नियोजन एवं अगरबत्ती नियोजन में कार्यरत श्रमिकों के लिए महंगाई भत्ते का निर्धारण लेबर ब्यूरो शिमला द्वारा जारी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आधार पर वर्ष में दो बार 01 अप्रैल एवं 01 अक्टूबर को किया जाता है।

जारी आदेशानुसार श्रमिकों के लिए 01 अप्रैल 2024 से 30 सितम्बर 2024 तक न्यूनतम वेतन की दरें निर्धारित की गई है। जिसमें अकुशल ‘अ‘ श्रमिक वर्ग के लिए प्रतिमाह 10,900 रूपए, ‘ब‘ वर्ग के लिए 10,640 रूपए तथा ‘स‘ वर्ग के लिए 10,380 रूपए निर्धारित की गई है। अर्द्धकुशल ‘अ‘ वर्ग के लिए 11,550 रूपए, ‘ब‘ वर्ग के लिए 11,290 रूपए तथा ‘स‘ वर्ग के लिए 11,030 रूपए निर्धारित की गई है। कुशल ‘अ‘ वर्ग के लिए 12,330 रूपए, ‘ब‘ के लिए 12,070 रूपए तथा ‘स‘ के लिए 11,810 रूपए निर्धारित की गई है। इसी प्रकार उच्च कुशल ‘अ‘ वर्ग के लिए 13,110 रूपए, ‘ब‘ के लिए 12,850 रूपए तथा ‘स‘ वर्ग के लिए 12,590 रूपए किया गया है। उक्त प्रभावशील न्यूनतम वेतन की दरें छत्तीसगढ़ शासन, श्रम विभाग की वेबसाईट www.cglabour.nic.in पर भी उपलब्ध है।

सड़क बनाने किसानों की जमीन अधिग्रहित, मुआवजा मांगने पर धमका रहे अधिकारी, मियाद खत्म होने के बाद भी नहीं बनी सड़क

सक्ती- छत्तीसगढ़ के सक्ती जिले में सड़क बनाने वाली कंपनी एडीबी की मनमानी देखने को मिल रही है। जिले में सड़क निर्माण के लिए सालों पहले किसानों की जमीनें अधिग्रहित की गई थी। लेकिन कई किसानों को अब तक मुआवजे के लिए भटकना पड़ रहा है। मुआवजे की मांग करने पर अधिकारी प्रशासन की मदद से किसानों को धमका रहे हैं। 

वहीं समय सीमा खत्म होने और सालों बीतने के बाद अब तक सड़क बनकर तैयार नहीं हो पाई है। अब आगामी बरसात को देखते हुए एडीबी नियम विरुद्ध जा कर सड़क बनाने की तैयारी कर रही है। एडीबी की मनमानी और मुआवजे ना मिलने को लेकर किसानों में शासन प्रशासन के प्रति आक्रोश उभरने लगा है।

जानिए क्या है पूरा मामला

दरअसल, सालों पहले जिले में सक्ती से टुंडरी मार्ग पर लम्बाई 31-481 कि. मी. और मालखरौदा से जैजैपुर मार्ग के सड़क निर्माण और चौड़िकरण के लिए किसानों की जमीनें अधिग्रहित की गई थी। जिसमें सक्ती-टुन्ड्री मार्ग के लिए अतिरिक्त जमीन क्रय निति शासन का आदेश क्रमांक एफ 7-4-1/20215 दिनांक 30 मार्च 2016 का संशोधन दिनांक 27-09-2017 के अनुसार ग्राम कर्रापाली एवं झर्रा के किसानों को मुआवजा दिया गया। 

इनमें से बहुत से किसानों ने मुआवजा राशी पर सहमती नहीं दी थी। जिसके बाद उनके जमीनों का फिर से नाप हुआ और राजस्व विभाग द्वारा जमीन का प्रकरण बनाया गया। लेकिन आज तक उन बचे हुए किसानों को मुआवजा नहीं दिया गया। किसान लगातार साल 2021 से शासन-प्रशासन से गुहार लगा रहे हैं। 

नियम विरुद्ध हो रहा सड़क निर्माण

जानकारी के अनुसार, इन दोनों मार्गों पर सड़क बनाने के लिए 16 मीटर चौड़ी जमीन की आवश्यकता थी, लेकिन कई जगहों पर किसान मुआवजा राशि से संतुष्ट नहीं थे, जिसके कारण एडीबी के साथ उन किसानों का समझौता नहीं हो सका। उन जगहों पर अब एडीबी के अधिकारी नियम विरुद्ध सड़क बना रहे हैं। कई जगहों पर 12 मीटर तो कही 10 मीटर तो कही 8 मीटर सड़क बनाने की तैयारी चल रही है। जबकि सड़क निर्माण के लिए पहले से ही एस्टीमेट तैयार हो चुका है, लेकिन अब एडीबी द्वारा एस्टीमेट से हटकर कार्य कराया जा रहा है जो की नियम विरुद्ध है।

क्या कहते है अधिकारी

इस मामले में राजस्व अधिकारी का कहना है, की कुछ किसानों से सहमति नहीं बन पाई है, मगर बरसात को देखते हुए वहां पूर्व की शासकीय सड़क पर ही सड़क निर्माण कराया जाएगा। बाद में किसानों से अगर सहमति बनती है, तो सड़क और चौड़ी कर देंगे।

बेमेतरा ब्लास्ट में किसे बचा रही सरकार : पूर्व सीएम ने सत्ता पक्ष से किए 5 सवाल, कहा- अब तक FIR क्यों नहीं

रायपुर- छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिले के पिरदा गांव स्थित स्पेशल ब्लास्ट लिमिटेड फैक्ट्री में हुए धमाके को लेकर पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने सोशल मीडिया साइट x पर पोस्ट कर लिखा है कि बेमेतरा ब्लास्ट, किसकी गारंटी और किसके सुशासन में गुनहगारों को संरक्षण दिया जा रहा है। सत्ता के किस करीबी को बचाने का प्रयास? जवाब तो देना होगा।

बता दें ब्लास्ट को 2 दिन से ज्यादा बीत चुके हैं, इसके बावजूद अब तक लापता लोगों की संख्या स्पष्ट नहीं है। इसे लेकर ही भूपेश बघेल ने बीजेपी सरकार से 5 सवालों का जवाब मांगा है। प्रशासन केवल 8 मजदूरों के लापता होने की बात कह रहा है। जबकि ग्रामीणों का कहना है कि संख्या इससे कहीं ज्यादा है।

ये है सरकार से भूपेश के 5 सवाल

1. 48 घंटे बाद भी घटना की अब तक FIR क्यों नहीं?

2. क्या प्रशासन ने फैक्ट्री प्रबंधन से पूछा है कि घटना वाले दिन कितने मजदूर वहां काम पर गए थे?

3. अब तक कितने मजदूर लापता हैं क्योंकि प्रशासन के 8 लोगों के दावे को तो ग्रामीण नकार रहे हैं।

4. क्षमता से अधिक रखी विस्फोटक सामग्री को क्यों निकाला जा रहा है? जांच में विस्फोटक सामग्री की क्या मात्रा दर्ज की जाएगी?

5. प्रशासन ने मृतकों के परिजनों को जो मुआवज़ा देने की घोषणा की है उसे तो लेने से ग्रामीणों ने इनकार कर दिया है। क्या प्रशासन मुआवजा बढ़ाएगा?

अब तक FIR क्यों नहीं

इस दिल दहलाने वाली घटना में मृतकों के शरीर के चिथड़े उड़ गए हैं। शरीर के अंगों को पॉलीथिन में जमा करके DNA जांच के लिए भेजा गया है लेकिन इतने भयावह हादसे के बाद अब तक FIR दर्ज नहीं हुई है। सवालों के जवाब तो देने होंगे।

अफसर बोले- जांच के बाद FIR

हादसे के बाद घटनास्थल पहुंचे डिप्टी सीएम अरुण साव ने विभागीय अधिकारियों को मामले में दंडाधिकारी जांच कराने की बात कही थी और अधिकारी इस जांच के बाद ही किसी भी तरह की FIR दर्ज करने की बात कह रहे हैं। लेकिन दंडाधिकारी जांच के अधिकारी कौन रहेंगे? वे कब तक रिपोर्ट सबमिट करेंगे? इस सवाल का जवाब विभागीय अधिकारियों के पास नहीं है।

लॉरेंस बिश्नोई गैंग पर डिप्टी सीएम विजय शर्मा का बड़ा बयान, कहा-

रायपुर- लॉरेंस बिश्नोई गैंग के शूटरों के टारगेट में छत्तीसगढ़ के व्यापारी मामले में उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि इनका कारोबार झारखंड का है, ये लोग छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं. प्रदेश के व्यापारियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी हमारी है. उन्होंने कहा, लॉरेंस हो चाहे फॉरेंस छत्तीसगढ़ में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. ऐसे लोगों को ठोका जाएगा. इस्क्के साथ ही डिप्टी सीएम शर्मा ने अन्य मुद्दों पर भी बयान दिया.

दरअसल, आईईडी ब्लास्ट में घायल महिला से मिलने आज उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा रायपुर AIIMS पहुंचे. इस दौरान उन्होंने महिला का हाल चाल और चल रहे इलाज के बारे में जानकारी ली. जानकारी के अनुसार बीजापुर के भीमापुरम गांव की घायल महिला मड़कम सुक्की के घर में नक्सलियों ने जबरदस्ती बम छिपाकर रखने कहा था. ऐसा करने से पहले गांववालों के मना करने के बाद भी नक्सली नहीं माने. जहां अचानक से IED ब्लास्ट हो गया था.

प्रेशर बम की चपेट में आने से घायल महिला को मुलाकात करने AIIMS पहुंचे डिप्टी सीएम विजय शर्मा ने कहा कि स्पष्ट दिखता है कि नक्सली डरे हुए हैं. एम्स में मड़कम सुक्की का इलाज चल रहा है, आईडी ब्लास्ट में पैर क्षतिग्रस्त हुआ है. उन्होंने बताया कि महिला का पैर नहीं बच पाएगा, किंतु जान बच जाएगी. इस घटना को लेकर एसपी से लगातार बातचीत हो रही थी.

उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा ने आगे कहा कि आईईडी बम नहीं पहचानता की कौन सुरक्षा बल है, नक्सली है या ग्रामीण है. बस्तर में बारूद बिछाकर रखना बहुत गलत है. नक्सलिज्म खत्म होने की बात होनी चाहिए, माओवाद ने दुनिया को कुछ नहीं दिया.

आचार संहिता के बाद गृहविभाग में 8 हजार पदों पर भर्ती पर उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने कहा कि हर साल तय महीने में भर्ती की जाएगी. इसको निर्धारित किया जाएगा.

पीसीसी चीफ दीपक बैज के पत्र पर उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने कहा कि जब प्रवीरचन्द्र भंजदेव की हत्या हुई थी, उस कालखंड को याद करना चाहिए. ये विष्णुदेव साय की सरकार है. उनको चिंता नहीं करनी चाहिए. सरल सरकार है पालनहारी सरकार है.

बेमेतरा ब्लास्ट पर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के 48 घंटों बाद भी एफआईआर नहीं होने वाले ट्वीट पर उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने कहा कि FIR तो होगा ही, मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिये हैं. सबकुछ निकलकर सामने आयेगा और स्पष्ट होगा. FIR नहीं होने जैसी कोई बात ही नहीं है.

*ई-वे बिल के प्रावधान में छूट समाप्त करने से ईमानदारी से टैक्स जमा करने वाले व्यापारियों को होगा फायदा

रायपुर-  वाणिज्यिक कर (जीएसटी) विभाग द्वारा कर अपवंचन पर निगरानी तंत्र को मजबूत बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुये राज्य में ई-वे बिल के प्रावधानों में दी गई छूट को समाप्त कर दिया गया है। इसके लिए सरकार ने 24 मई को ही अधिसूचना जारी कर दी है। राज्य में व्यवसायियों के लिए अब 50 हज़ार रूपए से अधिक के गुड्स का परिवहन करने पर ई-वे बिल जेनरेट करना आवश्यक होगा। अभी तक राज्य में एक जिले के भीतर माल के परिवहन करने पर ई-वे बिल जारी करना आवश्यक नहीं था, साथ ही 15 वस्तुओं को छोड़ कर राज्य के भीतर किसी भी वस्तु के परिवहन पर ई-वे बिल कि आवश्यकता नहीं थी।

वर्ष 2018 में ई-वे बिल के प्रावधानों से छूट इसलिए दी गई थी क्योंकि ये प्रावधान नए थे और व्यवसायियों/ट्रांसपोर्टर्स को इन प्रावधानों से अच्छी तरह परिचित होने के लिए समय दिया जाना जरूरी था। देश भर में ई-वे बिल के प्रावधान लागू हुये अब 6 साल का समय हो गया है और सभी इससे अच्छी तरह परिचित भी हो चुके हैं, यहाँ यह बात उल्लेखनीय है कि एक दो राज्यों को छोडकर देश के अधिकांश राज्यों में राज्य के भीतर माल के परिवहन पर ई-वे बिल अनिवार्य है। केंद्रीय कर विभाग द्वारा भी ई-वे बिल से छूट को खत्म करने पर सहमति दी गई है।

ई-वे बिल जारी करने में दिये गए छूट का सबसे अधिक दुरुपयोग सर्क्युलर ट्रेडिंग करने वाले और बोगस बिल जारी करने वालों ने किया है, इसलिए इस छूट को समाप्त किए जाने का सबसे अधिक लाभ उन व्यवसायियों को होगा जो ईमानदारी से अपना कर जमा करते हैं परंतु सर्क्युलर ट्रेडिंग या बोगस बिल जारी करने वालों के कारण उन्हें आइ.टी.सी. का लाभ नहीं मिल पाता है। ई-वे बिल के प्रावधान लागू होने से सर्क्युलर ट्रेडिंग और बोगस बिलिंग रोकने में विभाग को मदद मिलेगी।

ई-वे बिल के प्रावधानों में दी गई छूट को समाप्त किए जाने से राज्य में कर अनुपालन के वातावरण में सकारात्मक प्रभाव होगा। इससे बोगस बिल जारी करने, कच्चा बिल जारी करके कर अपवंचन करने की प्रवृत्तियों पर अंकुश लगेगा।

निर्वाचन प्रक्रिया का अंतिम पड़ाव है मतगणना, प्रेक्षकों की भूमिका महत्वपूर्ण - रीना बाबासाहेब कंगाले

रायपुर  मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी रीना बाबासाहेब कंगाले ने रायपुर के नवीन विश्राम गृह में आयोजित मतगणना प्रेक्षकों के प्रशिक्षण कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि मतगणना प्रेक्षक (काउंटिंग ऑब्जर्वर) की भूमिका मतगणना के दौरान अत्यधिक महत्वपूर्ण होती है। मतगणना संपूर्ण निर्वाचन प्रक्रिया का अंतिम पड़ाव है। इसलिए सभी की नजर मतगणना की प्रक्रिया पर केंद्रित होती है। ऐसे में मतगणना प्रेक्षक की भूमिका सबसे अहम हो जाती है।

मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी श्रीमती कंगाले ने मतगणना प्रेक्षकों के प्रशिक्षण में कहा कि मतगणना के दौरान मतगणना प्रेक्षक की भूमिका निभाने वाले अधिकारियों को मतगणना के सभी पहलुओं की बारीक जानकारी होनी चाहिए। मतगणना केंद्र पर पारदर्शी ढंग से मतगणना की प्रक्रिया पूर्ण हो, इसके लिए मतगणना प्रेक्षक को निष्पक्ष और सभी प्रक्रियाओं से संबंधित जानकारी से परिपूर्ण होना चाहिए।

भारत निर्वाचन आयोग द्वारा लोकसभा आम निर्वाचन-2024 के अंतर्गत आगामी 4 जून को होने वाली मतगणना के लिए छत्तीसगढ़ के 56 अधिकारियों को देश के विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों में मतगणना प्रेक्षक की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इनमें भारतीय प्रशासनिक सेवा के 20 और राज्य प्रशासनिक सेवा के 36 अधिकारी शामिल हैं।

प्रशिक्षण के दौरान मास्टर ट्रेनर यू.एस. अग्रवाल, विनय अग्रवाल और रुपेश कुमार वर्मा ने मतगणना स्थल पर प्रेक्षक की भूमिका, ईटीपीबीएस एवं डाक मतपत्रों की गणना एवं ईवीएम से मतगणना संबंधी सभी बिंदुओं पर विस्तार से जानकारी दी। मास्टर ट्रेनर्स ने मतगणना हॉल में कितने टेबल लगाए जाने हैं, टेबल किस प्रकार लगाए जाने हैं, प्रत्याशी, उनके अधिकृत प्रतिनिधि और मतगणना अभिकर्ता कितने होंगे तथा किन स्थानों पर बैठेंगे, वीवीपैट की गणना के लिए कौन सा टेबल निर्धारित किया जाए, डाक मतपत्रों की गणना कहाँ हो, कौन सी सावधानियां बरतने की जरूरत है जैसे कई महत्वपूर्ण विषयों पर भी जानकारी साझा की। भारत निर्वाचन आयोग द्वारा मतगणना प्रेक्षक के रूप में नियुक्त राज्य के अधिकारियों के व्यावहारिक प्रशिक्षण के लिए प्रशिक्षण स्थल पर मास्टर ट्रेनर रुपेश कुमार वर्मा ने प्रायोगिक तौर पर ईवीएम का संचालन भी अधिकारियों के समक्ष किया।

प्रशिक्षण कार्यक्रम में अतिरिक्त मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी निलेशकुमार महादेव क्षीरसागर और मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय के वरिष्ठ अधिकारीगण उपस्थित थे।

बेमेतरा फैक्ट्री हादसे के बाद एक्शन में सरकार, उद्योगों की विशेष सुरक्षा जांच करने उद्योग मंत्री लखन लाल देवांगन ने दिए निर्देश

रायपुर- बेमेतरा फैक्ट्री हादसे के बाद सरकार उद्योगों में सुरक्षा मापदंड को लेकर गंभीर हो गई है. उद्योग और श्रम मंत्री लखन लाल देवांगन ने श्रम विभाग के सचिव को उद्योगों में जानलेवा हादसों में कमी लाने के लिए कई महत्वपूर्ण निर्देश दिए गए हैं. इनमें विस्फोटक और ज्वलनशील सामग्रियों का उत्पादन या प्रयोग करने वाले उद्योगों का विशेष सुरक्षा जांच करना शामिल है.

मंत्री देवांगन ने अपने पत्र में बेमेतरा हादसे पर दुःख प्रकट करते हुए लिखा है कि भीषण हादसे में कई श्रमिकों ने अपनी जान गंवाई जो की अत्यंत ही दुखद है. चूंकि राज्य में श्रम विभाग का कार्य राज्य के उद्योगों में कार्यरत श्रमिकों व कर्मचारियों के हितप्रहरी के रुप में कार्य करते हुए उनके स्वास्थ्य और सुरक्षा को सर्वोपरी रखते हुए श्रमवीरों के आजीविका व जीवन को सुरक्षित रखने के लिए कार्यस्थल पर आवश्यक उपाय सुनिश्चित करना है.

इसके लिए इंडस्ट्रियल सेफ्टी ट्रेनिंग का आयोजन किसी मान्यता प्राप्त एजेंसी द्वारा करवाना व उसकी रिपोर्ट विभाग को प्रदाय करना, जिसकी मासिक और वार्षिक समीक्षा हो. थर्ड पार्टी सेफ्टी ऑडिट एजेंसी की मान्यता को पुनः निर्धारित करना. उद्योग जो प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से ज्वलनशील या विस्फोटक सामग्री का प्रयोग या उत्पादन करते हों, ऐसे सभी उद्योगों का विशेष सुरक्षा जांच व समीक्षा की जाए.

बेमेतरा फैक्ट्री हादसे पर सीएम से की चर्चा

उद्योग मंत्री देवांगन ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से कल शाम भेंट कर बेमेतरा के औद्योगिक हादसे पर गहन चर्चा की, माननीय मुख्यमंत्री ने भी उद्योगों में सुरक्षा सर्वोपरि भाव के साथ सेफ्टी उपायों पर जोर देने पर गंभीरता जताई है. मंत्री देवांगन ने बताया कि उद्योग व्यवस्था में सेफ्टी के साथ कोई लापरवाही नहीं बरती जाएगी. शासन द्वारा अधिकारियों को अधिकार दिया जाएगा ताकि वे सुरक्षा मानकों का नियमित जांच कर सके. इसके लिए माननीय मुख्यमंत्री भी बेहद गंभीर हैं.

श्रमिकों से 8 घण्टे से अधिक न लें काम

मंत्री लखन लाल देवांगन ने श्रम विभाग के सचिव को निर्देशित किया है की किसी भी उद्योग में श्रमिकों से 8 घंटे से अधिक काम नहीं लिया जाए. मंत्री देवांगन ने विधानसभा के बीते सत्र में कई विधायकों द्वारा लाए गए संज्ञान का उल्लेख करते हुए की उद्योगों द्वारा श्रम कानून का पालन न करते हुए मनमाने ढंग से श्रमिकों से 12 घंटे से अधिक समय तक कार्य लिया जा रहा है. इस पर अधिकारियों को तत्काल श्रम कानूनों का पालन कराने के निर्देशित किया गया है.

अकुशल श्रेणी में 100 फीसदी श्रमिक स्थानीय हों

मंत्री देवांगन ने एक बार फिर स्थानीय श्रमिकों को लेकर गंभीरता दिखाई है. उन्होंने अपने पत्र में लिखा है की स्थानीय बेरोजगारों को रोजगार के अवसर कम उपलब्ध कराए जा रहे हैं, जबकि छत्तीसगढ ओद्योगिक नीति 2019–24 के अनुरूप उद्योगों द्वारा आर्थिक निवेश प्रोत्साहन प्राप्त करने हेतु अकुशल श्रेणी में न्यूनतम 100 फीसदी, कुशल श्रेणी में न्यूनतम 70 फीसदी और प्रबंधकीय श्रेणी में न्यूनतम 40 फीसदी रोज़गार दिए जाने का प्रावधान है. मंत्री देवांगन ने प्रावधान का पालन करने सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए.