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कोविशील्ड के बाद अब कोवैक्सीन टीके लगवाने वाले में भी दिख रहे है साइड इफेक्ट






*नयी दिल्ली :* कोरोना वायरस से बचने के लिए दुनियाभर में लोगों ने बढ़ चढ़ कर टीकाकरण अभियान में भाग लिया था। हालांकि, वैक्सीन कोविड से बचने का एकमात्र उपाय है।कोरोना महामारी के वक्त इससे बचाव के लिए देश में बड़े पैमाने पर लोगों ने कोविशील्ड और कोवैक्सीन टीके लगवाए थे. लेकिन, धीरे-धीरे अब इन दोनों टीकों के साइड इफेक्ट की बात सामने आने लगी है. कोविशील्ड को विकसित करने वाली ब्रिटिश कंपनी एस्ट्राजेनिका ने पिछले दिनों वहां की एक अदालत में स्वीकार किया था कि उसके टीके से कुछ लोगों में गंभीर बीमारी हो सकती है. इसी तरह अपने देश में विकसित भारत बायोटेक कंपनी की वैक्सीन 'कोवैक्सीन' के साइड इफेक्ट को लेकर एक रिपोर्ट आई है. इसमें दावा किया गया है कि इस वैक्सीन को लगवाने के करीब एक साल बाद तक ठीक ठाक संख्या में लोगों में इसके साइड इफेक्ट देखे गए. इससे सबसे ज्यादा प्रभावित किशोर लड़कियां थीं. कुछ साइड इफेक्ट बेहद गंभीर किस्म के थे. एक रिपोर्ट के मुताबिक इस वैक्सीन के साइड इफेक्ट को लेकर एक 'ऑब्जर्वेशनल स्टडी' की गई. इसमें टीका लगवाने वाले एक तिहाई लोगों में 'एडवर्स इवेंट्स ऑफ स्पेशल इंट्रेस्ट' यानी एईएसआई पाया गया. यह स्टडी रिपोर्ट स्प्रिंगर लिंक जर्नल में प्रकाशित हुई है. *बीएचयू में हुई स्टडी* यह स्टडी बनारस हिंदू विश्वविद्याल की संखा शुभ्रा चक्रबर्ती और उनकी टीम ने किया है. रिपोर्ट के मुताबिक टीका लगवाने वाले अधिकतर लोगों में एक साल तक साइड इफेक्ट देखा गया. स्टडी में 1024 लोगों को शामिल किया गया. इसमें 635 किशोर और 391 युवा थे. इन सभी से टीका लगवाने के एक साल बाद तक फॉलोअफ चेकअप के लिए संपर्क किया गया. स्टडी में 304 किशोरों यानी करीब 48 प्रतिशत में 'वायरल अपर रेस्पेरेट्री ट्रैक इंफेक्शन्स' देखा गया. ऐसी स्थिति 124 यानी 42.6 युवाओं में भी दिखी. इसके अलावा 10.5 फीसदी किशोरों में 'न्यू-ऑनसेट स्कीन एंड सबकुटैनियस डिसऑर्डर', 10.2 जनरल डिसऑर्डर यानी आम परेशानी, 4.7 फीसदी में नर्वस सिस्टम डिसऑर्डर यानी नसों से जुड़ी परेशानी पाई गई. इसी तरह 8.9 फीसदी युवा लोगों में आम परेशानी, 5.8 फीसदी में मुस्कुलोस्केलेटल डिसऑर्डर यानी मांसपेशियों, नसों, जोड़ों से जुड़ी परेशानी और 5.5 में नर्वस सिस्टम से जुड़ी परेशानी देखी गई. रिपोर्ट के मुताबिक कोवैक्सीन का साइड इफेक्ट युवा महिलाओं में भी देखा गया. 4.6 फीसदी महिलाओं में पीरियड से जुड़ी परेशानी सामने आई. 2.7 फीसदी में ओकुलर यानी आंख से जुड़ी दिक्कत दिखी. 0.6 फीसदी में हाइपोथारोइडिज्म पाया गया. 1 फीसदी लोगों में गंभीर साइड इफेक्ट जहां तक गंभीर साइड इफेक्ट की बात है तो यह करीब एक फीसदी लोगों में पाया गया. 0.3 फीसदी (यानी 300 में से एक व्यक्ति) में स्ट्रॉक की दिक्कत और 0.1 फीसदी में गुईलैइन-बैरे सिंड्रोम पाया गया. स्टडी में कहा गया है कि इस वैक्सीन को लगवाने के बाद युवा-किशोर महिलाओं में थायरायड बीमारी का प्रभाव काफी ज्यादा बढ़ गया. कई किशोरियों में थायरायड का लेवल कई गुना बढ़ गया. *एक साल बाद भी असर* चिंताजनक बात यह है कि वैक्सीन लगवाने के एक साल बाद जब इन लोगों से संपर्क किया गया तो इनमें से अधिकतर लोगों में ये बीमारियां मौजूद थीं. इसमें यह भी कहा गया है कि कोवैक्सीन के साइड इफेक्ट का पैटर्न कोरोना की अन्य वैक्सीन के साइड इफेक्ट के पैटर्न से अलग है. ऐसे में उनका सुझाव है कि वैक्सीन के प्रभाव को गहराई से समझने के लिए और अधिक दिनों तक नजर रखने की जरूरत है.
गर्मियों में अगर लू से बचना है तो घर से निकलने से पहले कर ले ये जरूरी काम।


दिल्ली:- मई का महीना शुरू हों गया और गर्मी अब अपने शबाब पे है,पिछले कुछ दिनों से गर्मी ने अपने तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं। मई-जून की गर्मी हर साल लोगों पर अपना कहर ढाती है। इस साल भी मौसम का मिजाज ठीक नहीं है। इस सीजन में लोगों को कई तरह की समस्याएं होती हैं, जिसमें लू लगना काफी कॉमन है। अप्रैल, मई जून में लोगों को लू लगने की परेशानी काफी ज्यादा होती है।

अगर आपको भी लू के खतरे का डर सता रहा है, तो परेशान न हों। हम आपको कुछ ऐसे तरीके बताएंगे, जिससे लू के खतरे से बचा जा सकता है। आइए जानते हैं लू से बचने के लिए क्या करें?

शरीर को रखें हाइड्रेट

बढ़ती गर्मी से अगर आप लू से बचना चाहते हैं, तो सबसे पहले अपने शरीर को हाडाइट्रेट रखें। इसके लिए समय-समय पर कुछ अंतराल में पानी पीते रहें।

अगर सादा पानी नहीं पी पा रहे हैं, तो नारियल पानी, नींबू पानी, खीरा, तरबूज जैसी चीजों का सेवन करें।

शरीर को अच्छे से ढकें

लू से बचाव के लिए अपने शरीर को सूर्य की किरणों के संपर्क में न आने दें। इसके लिए लाइट रंग के कपड़े पहनें, आंखों पर चश्मा लगाएं, टोपी, गमछा इत्यादि का इस्तेमाल करके सिर को ढकें। इससे आप खुद को सूर्य की किरणों से काफी हद तक प्रोटेक्ट कर सकते हैं। शरीर को अच्छे से ढकें लू से बचाव के लिए अपने शरीर को सूर्य की किरणों के संपर्क में न आने दें। इसके लिए लाइट रंग के कपड़े पहनें, आंखों पर चश्मा लगाएं, टोपी, गमछा इत्यादि का इस्तेमाल करके सिर को ढकें। इससे आप खुद को सूर्य की किरणों से काफी हद तक प्रोटेक्ट कर सकते हैं।

फिजिकल एक्टिविटी ज्यादा न करें

गर्मी और लू से बचने के लिए इस सीजन में काफी ज्यादा फिजिकल एक्टिविटी न करें। इससे आपके बॉडी का टेम्प्रेचर काफी ज्यादा बढ़ जाता है। साथ ही हीट स्ट्रोक का भी खतरा रहता है।

धूप में जाना करें अवॉयड

लू से बचने के लिए सबसे पहले धूप में बिना वजह बाहर जाना अवॉइड करें। साथ ही अगर आप घर के अंदर हैं, तो अपने खिड़की और पर्दे को अच्छी तरह से बंद करके रखें। इस से लू से काफी हद तक बचाव किया जा सकता है।

केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की मां माधवी राजे सिंधिया का निधन


नयी दिल्ली : केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की मां माधवी राजे सिंधिया का बुधवार को दिल्ली एम्स में निधन हो गया.का बुधवार को दिल्ली एम्स में निधन हो गया.उन्होंने सुबह 9.28 बजे अंतिम सांस ली. सिंधिया परिवार की राजमाता बीते कुछ दिनों से AIIMS में वेंटिलेटर पर थीं।

माधवी राजे का पिछले तीन महीने से दिल्ली के प्रमुख अस्पताल में इलाज चल रहा था और वह निमोनिया के साथ-साथ सेप्सिस से भी पीड़ित थीं.

पिछले दिनों तीसरे चरण के मतदान (गुना लोकसभा) से ठीक पहले ही ज्यादा तबीयत बिगड़ने की वजह से सिंधिया परिवार की राजमाता को दिल्ली एम्स में भर्ती किया गया था।

आज है अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस आइए जानते है परिवार का जीवन में क्या महत्व है और क्यों जरूरी है फैमली के साथ बॉडिंग


 नयी दिल्ली : किसी भी समाज की परिकल्पना परिवार के बिना अधूरी है. परिवार एक-दूसरे को जोड़ कर रखने में अहम भूमिका निभाता है. ये हर खुशी और गम के मौकों में साथ होता है।परिवार ही इंसान को जीवन जीने की सही राह दिखाता है. 

अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस हर साल 15 मई को मनाया जाता है. इसका मकसद, दूर होते परिवार को जोड़ना. दरअसल किसी भी समाज की परिकल्पना परिवार के बिना अधूरी होती है. परिवार एक-दूसरे को जोड़ कर रखने में अहम भूमिका निभाता है. ये हर खुशी और गम के मौकों में साथ होता है।

परिवार ही इंसान को जीवन जीने की सही राह दिखाता है. हालांकि आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में अपनों से दूर रहने से परिवार की अहमियत कम हुई है. समाज में कई ऐसे परिवार हैं, जिनमे आपसी तनाव के चलते दूरियां बढ़ गई हैं. इन्हीं दूरियों कम करने के लिए परिवार दिवस मनाया जाता है, ताकि युवा पीढ़ी में परिवार के प्रति जागरूकता लाई जा सके. 

आइए इंटरनेशनल डे ऑफ फैमलीज पर जानते हैं परिवार का जीवन में क्या महत्व है और क्यों जरूरी है फैमली के साथ बॉडिंग.

कब से शुरू हुआ परिवार दिवस मनाने का चलन

संयुक्त राष्ट्र जनरल एसेंबली ने वर्ष 1993 में हर साल अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस मनाने की घोषणा की थी. इसके बाद इसको मनाने के लिए 15 मई की तारीख तय की गई थी. इसके बाद से लगातार इस दिन को मनाया जा रहा है. इसका मकसद था कि बिखड़े परिवारों में फिर से जोड़ना. लोगों में जागरूकता लाना, ताकि परिवार टूटे नहीं और परिवार की अहमियत को समझें.

सुख-दुख में परिवार होता है साथ

दुनियाभर में परिवार दिवस इसलिए मनाया जाता है, ताकि परिवारों को जोड़कर रखा जा सके. परिवार ही इंसान को सही रास्ता दिखाता है. किसी भी तरह की दिक्कत-परेशानी होने पर परिवार का ही साथ मिलता है. परिवार में बेशक कई उतार-चढ़ाव भी आ सकते है, लेकिन इस दौरान आपकी समझदारी ही बेहतर विकल्प होगा. क्योंकि जब कोई साथ नहीं होता तब परिवार होता है.

अवसाद में होगा सुधार

कई परिवारों में मतभेद होने से लोग दूर चले जाते हैं. ऐसे में वहां आने वाले कष्टों को सहन करते-करते वह अवसाद का शिकार होने लगते हैं. क्योंकि यहां उन्हें ढांढस बधाने वाला कोई नहीं होता है. यदि आप परिवार के साथ होते हैं तो बेशक कुछ अनबन हो जाए पर आपसी संवाद से दिमाग को रिलेक्स मिलता है. हालांकि कुछ लोगों को मजबूरी में घर से बाहर जाना होता है. ऐसे वह मोबाइल का सहारा लेते हैं, लेकिन यह परिवार के साथ रहने के मुकाबले नाकाफी है.

बिहेवियर में होगा सुधार

बच्चे जब परिवार के साथ होते हैं तो माता-पिता उन्हें अच्छी सीख देते है. उनके हर दुख को दूर करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ते हैं. लेकिन जब यही बच्चे छोटी-छोटी बातों में परिवार से दूर हो जाते हैं तो इसके बिहेवियर लगत हो जाता है. हालांकि परिवार के साथ रहने पर बिहेवियर प्रॉब्‍लम का चांस कम होता है.

आत्‍मविश्‍वास में होती है बढ़ोतरी

परिवार में रहने वाले हर सदस्य में आत्मविश्वास तब बढ़ता है, जब वह परिवार के साथ होता है. ऐसे में बच्चे खुद को महफूज समझते हैं और घर में बड़ों के होने से खुद टेंशन फ्री रहते हैं. इसके साथ बच्चे बेहतर पेरेंटिंग भी सीखते हैं.

आज का इतिहास:आज के दिन राइट बंधुओं ने अपने अलावा किसी अन्य को हवाई सफर कराया था,14 मई से जुड़ी जानते है खास बाते


नयी दिल्ली : इजराइल एक ऐसा देश जिसने दुश्मनों से घिरे होने के बाद भी उनकी नाक में दम कर रखा है. क्षेत्रफल में भारत के केरल से भी छोटा ये देश आज हर मामले में दुनिया के बड़े-बड़े देशों से आगे है. आज ही के दिन 1948 में इजराइल ने खुद को आजाद राष्ट्र घोषित किया था.

कभी इजराइल की जगह तुर्की का ओटोमान साम्राज्य हुआ करता था. पहले विश्वयुद्ध में तुर्की की हार के बाद इस इलाके में ब्रिटेन का कब्जा हो गया. लेकिन दूसरे विश्वयुद्ध में अमेरिका और सोवियत संघ दो नई ताकत बनकर उभरे. ब्रिटेन को इस युद्ध में काफी नुकसान उठाना पड़ा. 1945 में ब्रिटेन ने इस इलाके को यूनाइटेड नेशन को सौंप दिया.

14 मई 1948 को डाविड बेन गुरियॉन ने मध्य पूर्व में स्वतंत्र राज्य इस्राएल की स्थापना की घोषणा की. वे यहूदियों के इस नए देश के पहले प्रधानमंत्री भी बने. लेकिन इस घोषणा के तुरंत बाद ही सीरिया, लीबिया और इराक ने इजराइल पर हमला कर दिया जो इजराइल अरब युद्ध की शुरुआत बना. इस युद्ध में साऊदी अरब, मिस्र और यमन भी शामिल हो गए. एक साल बाद युद्ध विराम के बाद जोर्डन और इजराइल के बीच नई सीमा रेखा बनाई गई जिसे हरी रेखा कहा गया और गाजा पट्टी पर मिस्र का अधिकार हो गया. इजराइल को 11 मई 1949 को संयुक्त राष्ट्र से मान्यता मिली.

1908: पहली बार किसी व्यक्ति ने हवाई जहाज में उड़ान भरी

आज ही के दिन यानी 14 मई 1908 को राइट बंधुओं ने पहली बार अपने अलावा किसी अन्य को हवाई सफर कराया था। विल्बर राइट ने अपनी साइकिल कंपनी के मकैनिक चार्ली फर्नास के साथ अमेरिका के नॉर्थ कैरलीना स्थित किटी हॉक से उड़ान भरी थी। वे 28 सेकंड में दो हजार फीट उड़े. एक मशीन में बैठकर उड़ना और ऊपर से पृथ्वी को देखना सबके लिए रोमांचित करनेवाला अनुभव होता है. उस जमाने में इस खबर ने कि एक लोहे की मशीन आसमान में उड़ेगी, लोगों को रोमांचित कर दिया था. लेकिन वो सफर आज के जैसा आरामदायक नहीं था. 

1984: मार्क जुकरबर्ग का हुआ था जन्म

Meta के CEO और फाउंडर मार्क जुकरबर्ग को आज पूरी दुनिया जानती है. दुनिया को फेसबुक जैसा प्लेटफॉर्म देने वाले मार्क जुकरबर्ग का जन्म 14 मई 1984 को अमेरिका के न्यूयॉर्क में स्थित डाब्स फेरी में हुआ था.

जुकरबर्ग ने 20 साल की उम्र में फेसबुक की शुरुआत की थी, लेकिन यह उनका पहला एक्सपेरिमेंट नहीं था. इससे पहले वे 12 साल की उम्र में पिता की क्लिनिक के लिए मैसेजिंग प्रोग्राम और 16 साल की उम्र में हाईस्कूल के प्रोजेक्ट के तौर पर म्यूजिक ऐप बना चुके थे. जकरबर्ग ने 12 साल की उम्र में इंस्टैंट मैसेजिंग प्रोग्राम बनाया था. इसे वे जकनेट कहते थे. उनके डेंटिस्ट पिता इसका उपयोग अपने क्लिनिक पर करते थे. जब भी कोई पेशेंट क्लिनिक पर आता था, तो रिसेप्शनिस्ट आवाज लगाने की बजाय इस मैसेजिंग प्रोग्राम से डॉक्टर को सूचना देती थी.

मार्क जुकरबर्ग ने अपने तीन दोस्तों डस्टिन मोस्कोविट्ज, क्रिस ह्यूज और एडुआर्डो सेवेरिन के साथ फेसबुक की शुरुआत की. उस वक्त नाम द फेसबुक रखा गया. इसे हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के छात्रों के लिए 4 फरवरी 2004 को लॉन्च किया गया. कुछ ही समय में इसकी पहुंच अमेरिका के कई कॉलेजों में हो गई. 

14 मई की अन्य महत्वपूर्ण घटनाएं :

1610: फ्रांस में हेनरी IV की हत्या और लुईस XIII फ्रांस की गद्दी पर बैठा.

1702: इंग्लैंड और नीदरलैंड ने फ्रांस और स्पेन के खिलाफ़ युद्ध की घोषणा की.

1908: पहली बार किसी व्यक्ति ने हवाई जहाज में उड़ान भरी.

1941: 36000 परशियन यहूदी को गिरफ्तार किया गया.

1948: इजराइल ने अपनी आजादी की घोषणा की.

1981: नासा ने स्पेश व्हिकल S-192 लांच किया.

1984: फेसबुक के जनक मार्क एलियट ज़करबर्ग का जन्म 14 मई को 1984 को अमेरिका में हुआ था.

1992: भारत ने तमिल टाइगर्स के नाम से मशहूर श्रीलंकाई विद्रोही संगठन एलटीटीई पर प्रतिबंध लगा दिया था. भारत के अतिरिक्त कई अन्य देशों ने भी तमिल टाइगर्स पर प्रतिबंध लगाया.1948

गर्मियों में तरबूज खाने से होते है कई फायदे सेहत ही नहीं त्वचा को भी मिलेंगे ये जबरदस्त फायदे


दिल्ली:- गर्मियों में तरबूज बाजारों में काफी मात्रा में मिलता है। अधिकतर लोगों को तरबूज खाना काफी पसंद होता है। इसको खाने से सेहत को फायदे मिलने के साथ स्किन को भी कई तरह के फायदे मिलते हैं।इसे खाने के बाद आप फ्रेश फील करते हैं. ये आपको ठंडा रखने में मदद करते हैं. ये न केवल आपको हाइड्रेटेड रखने का काम करते हैं. बल्कि ये आपके स्वास्थ्य को भी कई तरह के फायदे पहुंचाने का काम करते हैं।

तरबूज खाने से आपकी त्वचा को भी कई फायदे मिलते हैं. इससे त्वचा को सनबर्न से बचाने में मदद मिलती है. ये मुंहासे की समस्या से छुटकारा दिलाने में भी मदद करता है.

यहां तरबूज के कुछ ब्यूटी बेनिफिट्स के बारे में बताया गया है. आप इन फायदों के लिए भी तरबूज को डाइट में शामिल कर सकते हैं.आइए जानें तरबूज खाना सेहत के लिए कैसे फायदेमंद है.

विटामिन सी

तरबूज में विटामिन सी भरपूर होता है. इसे खाने से त्वचा को ग्लोइंग बनाए रखने में मदद मिलती है. गर्मियों में इसे खाने से त्वचा को गहराई से पोषण मिलता है. इसलिए आप गर्मियों में तरबूज खा सकते हैं.

त्वचा को हाइड्रेटेड रखता है

तरबूज में हाइड्रेटिंग गुण होते हैं. इसे खाने से त्वचा मॉइस्चराइज्ड रहती है. ये त्वचा को हेल्दी और हाइड्रेटेड बनाए रखने में मदद करता है.

त्वचा को शांत करता है

गर्मियों में तरबूज खाने से त्वचा को हानिकारक यूवी किरणों से बचाने में मदद करती है. कई बार सूरज के संपर्क में आने से त्वचा पर सनबर्न और जलन की समस्या हो जाती है. ऐसे में तरबूज त्वचा पर शांत प्रभाव डालता है

झुर्रियों को दूर करता है

तरबूज में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं. इसमें विटामिन्स भूरपर मात्रा में होते हैं. एंटीऑक्सीडेंट गुण त्वचा को फ्री रेडिकल्स के नुकसान से बचाने का काम करते हैं. इससे फाइन लाइंस और झुर्रियों से छुटकारा मिलता है.

हेल्दी त्वचा

तरबूज विटामिन ए, बी और सी का एक बेहतरीन स्त्रोत है. ये त्वचा को हेल्दी और पोषित रखने का काम करता है. ये विटामिन कोलेजन उत्पादन को बढ़ावा देता है. इससे त्वचा को ग्लोइंग बनाए रखने में मदद मिलती है. ये दाग-धब्बों को कम करता है.

नही रहे बिहार के राजनीति के पुरोधा पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी,एम्स में उन्होंने ली अंतिम सांस,पिछले कुछ दिनों से वे कैंसर से थे पीड़ित

बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी का निधन हो गया। बिहार के वरिष्ठ बीजेपी नेताओं में सुशील मोदी एक थे।वह 72 वर्ष के थे और कैंसर से पीड़ित थे।

बिहार के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने X पर पोस्ट करके उनके निधन की जानकारी दी। साथ ही दुख भी जताया।उन्होंने लिखा कि 'बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री व पूर्व राज्यसभा सांसद श्री सुशील कुमार मोदी जी के निधन पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि।यह बिहार भाजपा के लिए अपूरणीय क्षति है।

वहीं डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा ने भी उनके निधन पर श्रद्धांजलि व्यक्त की है। उन्होंने X पर लिखा, 'भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री श्री सुशील मोदी जी अब हमारे बीच नहीं रहे।पूरे भाजपा संगठन परिवार के साथ-साथ मेरे जैसे असंख्य कार्यकताओं के लिए यह एक अपूरणीय क्षति है।अपने संगठन कौशल, प्रशासनिक समझ और सामाजिक राजनीतिक विषयों पर अपनी गहरी जानकारी के लिए वे हमेशा याद किए जाएंगे

 ईश्वर दिवंगत आत्मा को चिरशांति और परिजनों को इस शोक की घड़ी में सम्बल प्रदान करें।

विदित हो कि सुशील मोदी ने 40 दिन पहले कैंसर की बीमारी से ग्रस्त होने की सूचना देते हुए सक्रिय राजनीति से सन्यास की बात कही थी।लेकिन कैंसर ने उन्हे इस दुनिया से रुखसत कर दिया। वे बिहार की राजनीति के पुरोधा थे।

बिहार में भारतीय जनता पार्टी की लंबे समय तक वे पहचान रहे दिग्गज नेता सुशील कुमार मोदी को कैंसर ने लील लिया। बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री और राज्यसभा के पूर्व सांसद सुशील मोदी का सोमवार की रात दिल्ली में निधन हो गया। पिछले महीने की तीन तारीख को उन्होंने कैंसर होने की जानकारी देते हुए सक्रिय राजनीति से संन्यास की घोषणा की थी।

इतिहास में आज : 13 मई के ही दिन 1952 में आरंभ हुआ था स्‍वतंत्र भारत का पहला संसद सत्र आइए जानते हैं 13 मई से जुड़ी खास बातें


नयी दिल्ली : (भाषा) भारत के इतिहास में 13 मई का अपना खास मुकाम है। देश के लोकतांत्रिक इतिहास में यह दिन एक मील का पत्थर है। स्वतंत्र भारत का पहला संसद सत्र 13 मई, 1952 से आहूत किया गया था। तीन अप्रैल, 1952 को पहली बार उच्च सदन यानी राज्यसभा का गठन किया गया और इसका पहला सत्र 13 मई, 1952 को आयोजित किया गया। इसी तरह 17 अप्रैल, 1952 को पहली लोकसभा का गठन किया गया, जिसका पहला सत्र 13 मई, 1952 को आहूत किया गया।

देश दुनिया के इतिहास में 13 मई की तारीख पर दर्ज अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं का सिलसिलेवार ब्योरा इस प्रकार है:-

1830 : इक्वाडोर गणराज्य की स्थापना, जुआन जोस फ्लोरेंस पहले राष्ट्रपति बने।

1846 : अमेरिका और मेक्सिको के बीच पिछले एक साल से टेक्सास को लेकर चल रहे तनाव के बीच कांग्रेस ने अपने इस पड़ोसी देश के खिलाफ युद्ध का ऐलान किया।

1905 : भारत के पूर्व राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद का जन्म।

1952 : स्वतंत्र भारत में संसद का पहला सत्र आहूत।

1960 : मैक्स इसेलीन के नेतृत्व में स्विट्जरलैंड का एक खोजी दल हिमालय में धौलागिरी पर्वत शिखर पर पहुंचा।

1962 : सर्वपल्ली राधाकृष्णन देश के दूसरे राष्ट्रपति बने।

1981 : पोप जॉन पॉल द्वितीय को तुर्की के एक नागरिक ने वेटिकन सिटी के सेंट पीटर्स स्क्वेयर में गोली मार दी। पोप इस हमले में गंभीर रूप से घायल हुए।

1995 : ब्रिटेन की एक महिला, जो दो बच्चों की मां थी, ने शेरपाओं की मदद और ऑक्सीजन के बिना एवरेस्ट फतह करने के कारनामे को अंजाम दिया।

1998 : विश्व भर की आलोचना और दबाव की परवाह न करते हुए भारत ने दो और परमाणु परीक्षण किए।

2001 : भारतीय साहित्य जगत के सबसे बड़े नामों में से एक आर. के. नारायण का निधन।

2009 : यूरोपीय आयोग ने कंप्यूटर चिप बनाने वाली कंपनी इंटेल पर प्रतिद्वंद्वी कंपनी के प्रति गलत व्यावसायिक नीतियां अपनाने पर एक अरब यूरो से अधिक का इतिहास का सबसे बड़ा जुर्माना लगाया।

2014 : तुर्की की एक खदान में विस्फोट होने और आग लगने से 238 खदान कर्मियों की मौत।

2016 : भारत के प्रसिद्ध संत और संत निरंकारी मिशन के आध्यात्मिक गुरु बाबा हरदेव सिंह का निधन।

2021 : ‘टाइम्स ऑफ इंडिया मीडिया समूह’ की प्रमुख इंदु जैन का निधन।

लोकसभा चुनाव के चौथे चरण का मतदान् सोमवार को होगा,10 राज्यों के 96 सीटों पर लोग डालेंगे वोट

लोकसभा चुनाव के चौथे चरण में सोमवार को आंध्र प्रदेश, तेलंगाना एवं जम्मू-कश्मीर समेत 10 राज्यों की 96 लोकसभा सीटों पर मतदान होगा। इसमें आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की सभी लोकसभा सीटें शामिल हैं। इसी चरण में आंध्र प्रदेश विधानसभा की सभी 175 सीटों पर भी वोट डाले जायेंगे। वहीं, चार चरणों में घोषित 147 सदस्यों वाली ओड़िशा विधानसभा की 28 सीटों पर भी मतदान होगा।

चुनाव आयोग के मुताबिक सोमवार को चौथे चरण के मतदान की सभी तैयारियां पूरी कर ली गयी हैं। इस चरण में 10 राज्यों की 96 लोकसभा सीटों पर मतदान होगा। इस चरण में 17.7 करोड़ मतदाताओं के लिए कुल 1.92 लाख मतदान केन्द्र बनाये हैं।

मौसम विभाग का अनुमान है कि तापमान सामान्य रहेगा। अधिक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए तेलंगाना में मतदान का समय बढ़ाया गया है। मतदान सुबह 07 बजे से शुरू होकर शाम 05 बजे तक चलेगा।

इस चरण में आंध्र प्रदेश की सभी 25, तेलंगाना की सभी 17 सीटों, उत्तर प्रदेश की 13, महाराष्ट्र की 11, पश्चिम बंगाल की 08, मध्य प्रदेश की 08, बिहार की 05, झारखंड और ओड़िशा की 04-04 सीटों और जम्मू-कश्मीर की एक सीट पर मतदान होगा।

अभी तक तीन चरणों में 20 राज्यों की 283 सीटों पर मतदान सम्पन्न हो चुका है। मतदान एक जून तक सात चरणों में पूरा होगा और 04 जून को नतीजे आयेंगे। चौथे चरण के मतदान में 63 सीटें सामान्य, 20 अनुसूचित जाति और 12 अनुसूचित जनजाति कि लिए आरक्षित हैं।

लोकसभा चुनाव के चौथे चरण में 10 राज्यों व केन्द्रशासित प्रदेशों से 1717 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। सभी सीटों पर चुनाव लड़नेवाले उम्मीदवारों की औसत संख्या 18 है। इस चरण में 1.92 लाख मतदान केंद्रों पर 19 लाख से अधिक चुनाव कर्मी तैनात किये गये हैं।

इस चरण में 17.70 करोड़ से अधिक मतदाताओं में 8.73 करोड़ महिला और 8.97 करोड़ पुरुष मतदाता हैं। 85 से अधिक आयुक के 12.49 लाख से अधिक पंजीकृत और 19.99 लाख दिव्यांग मतदाता हैं, जिन्हें अपने घर से आराम से मतदान करने का विकल्प प्रदान किया गया है।

चरण 04 के लिए 364 पर्यवेक्षक (126 सामान्य पर्यवेक्षक, 70 पुलिस पर्यवेक्षक, 168 व्यय पर्यवेक्षक) मतदान से कुछ दिन पहले ही अपने निर्वाचन क्षेत्रों में पहुंच चुके हैं। मतदाताओं को किसी भी प्रकार के प्रलोभन से सख्ती से और तेजी से निपटने के लिए कुल 4661 उड़न दस्ते, 4438 स्थैतिक निगरानी दल, 1710 वीडियो निगरानी दल और 934 वीडियो देखने वाली टीमें चौबीसों घंटे निगरानी रख रही हैं। कुल 1016 अंतरराज्यीय और 121 अंतरराष्ट्रीय सीमा चौकियां शराब, ड्रग्स, नकदी और मुफ्त वस्तुओं के किसी भी अवैध प्रवाह पर कड़ी निगरानी रख रही हैं। समुद्री और हवाई मार्गों पर कड़ी निगरानी रखी गयी है।

इन सीटों पर होगा मतदान

आंध्र प्रदेश की अराकू (एसटी), श्रीकाकुलम, विजयनगरम, विशाखापत्तनम, अनाकापल्ली, काकीनाडा, अमलापुरम (एससी), राजमुंदरी, नरसापुरम, एलुरु, मछलीपट्टनम, विजयवाड़ा, गुंटूर, नरसरावपेट, बापटला (एससी), ओंगोल, नंद्याल, कुरनूल, नेल्लोर, तिरुपति (एससी), राजमपेट, चित्तूर (एससी), हिन्दूपुर, अनंतपुर और कडपा।

बिहार की दरभंगा, उजियारपुर, समस्तीपुर, बेगुसराय, मुंगेर। जम्मू-कश्मीर की श्रीनगर। मध्य प्रदेश की देवास, उज्जैन, मंदसौर, रतलाम, धार, इंदौर, खरगोन और खंडवा। महाराष्ट्र की नंदुरभार, जलगांव, रावेर, जालना, औरंगाबाद, मावल, पुणे, शिरूर, अहमदनगर, शिरडी और बीड। ओडिशा की कालाहांडी, नबरंगपुर (एसटी), बेरहामपुर और कोरापुट (एसटी)।

तेलंगाना की आदिलाबाद (एसटी), पेद्दापल्ली (एससी) , करीमनगर, निजामाबाद, जहीराबाद, मेडक, मल्काजगिरी, सिकंदराबाद, हैदराबाद, चेवेल्ला, महबूबनगर, नलगोंडा, नागरकुर्नूल (एससी), भोंगिर, वारंगल (एससी), महबूबाबाद (एसटी) और खम्मम।

उत्तर प्रदेश की शाहजहांपुर, खीरी, धारुहारा, सीतापुर, हरदोई, मिश्रिख, उन्नाव, फरुर्खाबाद, इटावा, कन्नौज, कानपुर, अकबरपुर और बहराईच (एससी)। पश्चिम बंगाल की बहरामपुर, कृष्णानगर, राणाघाट, बर्धमान पुरबा, बर्धमान-दुर्गापुर, आसनसोल, बोलपुर और बीरभूम। झारखंड की सिंहभूम, खूंटी, लोहरदगा और पलामू।

प्रमुख उम्मीदवार

भाजपा ने हैदराबाद में मौजूदा सांसद असदुद्दीन ओवैसी के खिलाफ शास्त्रीय नृत्यांगना माधवी लता को उम्मीदवार बनाया है। सिकंदराबाद में भाजपा के मौजूदा सांसद जी किशन रेड्डी तीसरी बार जीत के लिए उतरेंगे। भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और सांसद बंडी संजय कुमार करीमनगर लोकसभा सीट पर बीआरएस के बी विनोद कुमार के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं।

उत्तर प्रदेश के कन्नौज से सपा प्रमुख अखिलेश यादव अपने परिवार के गढ़ में जीत के लिए मैदान में हैं। उनका मुकाबला भाजपा के सुब्रत पाठक से है। लखीमपुर खीरी से केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी मैदान में हैं।

तृणमूल कांग्रेस की महुआ मोइत्रा पश्चिम बंगाल के कृष्णानगर लोकसभा क्षेत्र से भाजपा की अमृता रॉय के खिलाफ चुनाव लड़ रही हैं। बहरामपुर में कांग्रेस के दिग्गज नेता अधीर रंजन चौधरी का मुकाबला पूर्व क्रिकेटर यूसुफ पठान से है। आसनसोल में भाजपा नेता एसएस अहलूवालिया और तृणमूल के शत्रुघ्न सिन्हा के बीच कड़ा मुकाबला है।

बिहार की बेगुसराय लोकसभा सीट से भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह फिर से चुनाव लड़ रहे हैं। केन्द्रीय मंत्री और झारखंड के पूर्व सीएम अर्जुन मुंडा खूंटी सीट से लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। जम्मू-कश्मीर की श्रीनगर सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला है। यहां नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी से क्रमश: आगा सैयद रुहुल्लाह मेहदी और वहीद पारा उम्मीदवार हैं और अपनी पार्टी के मोहम्मद अशरफ मीर मैदान में हैं।

हर साल मई के दूसरे रविवार को ही क्यों मनाई जाती है मदर्स डे,जानिए कैसे और कब हुई मदर्स डे की शुरुआत।


नयी दिल्ली : मदर्स डे की शुरुआत कब हुई?

बात 20वीं सदी की है। फिलाडेल्फिया में रहने वाली एक बेटी एना जार्विस ने अपनी मां की याद में जो किया, उससे इस दिन की नींव पड़ी। एना की मां ने अपना जीवन महिलाओं के अधिकारों, शिक्षा और गुलामी हटाने की वकालत करते हुए बिताया था। 1905 में उनकी मृत्यु के बाद, एना ने उनकी विरासत को आगे बढ़ाने और उन्हें श्रद्धांजलि देने का फैसला किया।

एना की सभा

12 मई 1907 को, एना जार्विस ने वेस्ट वर्जीनिया के ग्राफ्टन के चर्च में अपनी मां की याद में ग्राफ्टन, वेस्ट वर्जीनिया के एक चर्च में एक सभा आयोजित की। पांच साल के भीतर, अमेरिका के लगभग हर राज्य में ये दिन मनाया जाने लगा।

मई के दूसरे रविवार को मदर्स डे क्यों मनाते हैं?

फिर 1914 में यूएस प्रेसिडेंट वूड्रो विल्सन ने इसे नेशनल हॉलिडे घोषित कर दिया। मई के सेकंड सन्डे को मदर्स डे के रूप में मनाने के लिए उन्होंने एक उद्घोषणा पर हस्ताक्षर किए। इसके अलावा मई के दूसरे रविवार को प्राचीन ग्रीक और रोमन परंपरा की वजह से भी चुना गया। वसंत के त्योहारों के दौरान यहां लोग अपनी मां को उनकी ममता और बलिदान के लिए धन्यवाद देते हैं।

White Carnation क्यों हैं मदर्स डे का प्रतीक?

मां के सम्मान में एना का पहला समारोह बहुत सफल रहा। एना ने वहां उपस्थित सभी महिलाओं को अपनी मां का पसंदीदा फूल सफेद कारनेशन दिया। तब से व्हाइट कारनेशन मदर्स डे का प्रतीक बन गया, जो पवित्रता और प्रेम के लिए जाना जाता है।