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राहुल गांधी के अमेठी छोड़कर रायबरेली सीट से लड़ने पर पीएम मोदी ने कसा तंज, बोले-'डरो मत, भागो मत'*
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लोकसभा चुनाव 2024 के लिए 7 मई को तीसरे चरण में मतदान होने जा रहा है। इसके लिए चुनाव प्रचार तेज हो गया है। इसी क्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर पहुंचे। इस रैली में पीएम मोदी ने विपक्षी पार्टियों पर निशाना साधते हुए बताया कि वह जनता की सेवा करने के लिए पैदा हुए हैं। इस रैली में पीएम मोदी ने राहुल गांधी के रायबरेली से लोकसभा चुनाव लड़ने के फैसले पर भी कटाक्ष किया। उन्होंने बताया कि राहुल गांधी डर के कारण रायबरेली भाग गए। पीएम मोदी ने कांग्रेस सांसद से कहा, 'डरो मत, भागो मत'। प्रधानमंत्री ने पश्चिम बंगाल के बर्द्धमान-दुर्गापुर में एक चुनावी रैली में कहा कि पहले सोनिया गांधी डरकर राजस्थान चली गई, अब राहुल गांधी हार के डर से भागकर रायबरेली भाग गए। पीएम मोदी ने आगे कहा कि मैंने पहले ही ये भी बता दिया था कि शहजादे वायनाड में हार के डर से अपने लिए दूसरी सीट खोज रहे हैं। अब इन्हें अमेठी से भागकर रायबरेली सीट चुननी पड़ी है। ये लोग घूम-घूम कर सबको कहते हैं – डरो मत! मैं भी इन्हें यही कहूंगा – डरो मत! भागो मत! बता दें कि इस बार गांधी परिवार अमेठी सीट से चुनाव नहीं लड़ रहा है। रायबरेली सीट से सोनिया गांधी 2004 से लगातार जीतती रही हैं। रायबरेली में राहुल का मुकाबला बीजेपी के दिनेश प्रताप सिंह हैं। राहुल गांधी वायनाड से भी चुनाव लड़ रहे हैं, जहां दूसरे चरण में वोटिंग हुई थी। वायनाड में इस बार 2019 के मुकाबले वोटिंग का प्रतिशत कम रहा था। पिछले चुनाव में वहां करीब 72 प्रतिशत मतदान हुआ था, 2024 में 63.9 प्रतिशत वोटिंग हुई है। पीएम ने आगे कहा कि मैंने कल टीवी पर देखा कि यहां बंगाल में टीएमसी के एक विधायक ने सरेआम धमकी दी। वो कह रहे थे कि “हिंदुओं को 2 घंटे में भागीरथी में बहा देंगे”। बंगाल में टीएमसी की सरकार ने यहां हिंदुओं को दोयम दर्जे का नागरिक बनाकर रख दिया है। ये कैसे लोग हैं कि जय श्रीराम के उदघोष से भी इन्हें आपत्ति है। इनको राम मंदिर के निर्माण से आपत्ति है, रामनवमी की शोभायात्रा से आपत्ति है। मैं टीएमसी सरकार से पूछना चाहता हूं कि यहां संदेशखाली में हमारी दलित बहनों के साथ इतना बड़ा अपराध हुआ। पूरा देश कार्रवाई की मांग करता रहा, लेकिन टीएमसी गुनहगार को बचाती रही। क्या सिर्फ इसलिए, क्योंकि उस गुनाहगार का नाम शाहजहां शेख था। इन वोट के भूखे लोगों की पहले 2 चरणों में लुटिया डूब चुकी है।अब ये खुलेआम एक नया खेल लेकर आए हैं। अब ये कहते हैं कि मोदी के खिलाफ वोट जिहाद करो। जिहाद क्या होता है, ये हमारे देश के लोग भली-भांति जानते हैं।
मेरे पिता को विरासत में संपत्ति नहीं शहादत मिली थी, ये मोदी नहीं समझेंगे..', पीएम पर प्रियंका गांधी का बड़ा हमला

कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि उनके पिता पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को अपनी मां से संपत्ति नहीं, बल्कि शहादत विरासत में मिली थी। वंशवादी राजनीति और विरासत टैक्स पर प्रधानमंत्री की टिप्पणियों की आलोचना करते हुए प्रियंका गांधी ने कहा कि, "यह एक ऐसी भावना है जिसे नरेंद्र मोदी कभी नहीं समझ पाएंगे।" दरअसल, पीएम मोदी ने पिछले हफ्ते एक जनसभा में बताया था कि राजीव गांधी ने सत्ता में आने के बाद विरासत टैक्स को खत्म कर दिया था, ताकि उन्हें अपनी मां से विरासत में मिली संपत्ति पर टैक्स न लगे और पूरी संपत्ति उनके बच्चों को मिले। 

इस पर गुरुवार को, मध्य प्रदेश के मुरैना में एक रैली में बोलते हुए, प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि, "जब मोदी जी मंच पर खड़े होते हैं और मेरे पिता को गद्दार कहते हैं, जब वह कहते हैं कि उन्होंने अपनी मां से विरासत लेने के लिए कानून बदल दिया। वह यह नहीं समझेंगे कि मेरे पिता को विरासत में कोई संपत्ति नहीं मिली, उन्हें केवल शहादत के विचार मिले। प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा, "यह एक ऐसी भावना है जिसे मोदी जी कभी नहीं समझेंगे।" 

प्रियंका गांधी ने कहा कि, "19 साल की उम्र में, जब मैं अपने पिता के क्षत-विक्षत अवशेषों को घर लाइ, तो मैं इस देश से परेशान हो गई थी। मैंने सोचा, 'मैंने अपने पिता को भेजा था। उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना आपका काम था। मैंने उन्हें आपकी देखभाल में रखी थी, लेकिन आपने मुझे उनके अवशेष राष्ट्रीय ध्वज में लपेटकर लौटा दिए।' उन्होंने कहा कि जब 2019 में पुलवामा में 40 सैनिक मारे गए, तो वह उत्तर प्रदेश में उनके कुछ परिवारों से मिलने गई थीं। वहां शहीदों के बच्चों ने उनसे कहा कि वे सेना में भर्ती होना चाहते हैं। प्रियंका ने कहा कि, "एक लड़की थी जिसका भाई वायु सेना में था। उसने कहा, 'दीदी मैं वायु सेना में शामिल होना चाहती हूं और पायलट बनना चाहती हूं। यह शहादत की भावना है। मोदी जी इसे कभी नहीं समझेंगे। मोदी जी इंदिरा जी जैसी शहीद के बारे में जो चाहें कहते हैं। उन्हें केवल वंशवाद की राजनीति दिखती है, उन्हें देशभक्ति, देश सेवा कभी नहीं दिखती। वह कभी इसे नहीं समझेंगे।" 

बता दें कि, पिछले हफ्ते मुरैना में एक रैली में पीएम मोदी ने कहा था कि पहले कानून के अनुसार, मृत व्यक्ति की आधी संपत्ति सरकार के पास चली जाती थी। उन्होंने धन पुनर्वितरण और विरासत टैक्स के कांग्रेस के वादों पर हमला करते हुए कहा था कि, "तब ऐसी चर्चा थी कि इंदिरा जी ने अपनी संपत्ति अपने बेटे राजीव गांधी के नाम पर कर दी थी। इंदिरा जी की मृत्यु के बाद सरकार को मिलने वाले पैसे को बचाने के लिए, तत्कालीन प्रधान मंत्री राजीव गांधी ने विरासत कर को समाप्त कर दिया था।" उन्होंने कहा, संपत्ति शुल्क समाप्त करने से लाभ के बाद, कांग्रेस अब उसे को वापस लाना चाहती है।

दरअसल, ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा ने एक बयान में कहा था कि भारत में विरासत टैक्स लगना चाहिए, जिसमे इंसान के मरने के बाद उसकी 55 फीसद संपत्ति सरकार के पास चली जाती है और उसके बच्चों को बस 45 फीसद ही मिलता है। इसके बाद कांग्रेस पर सवाल उठने लगे थे, लोग कहने लगे थे कि ऐसे तो लोग अपनी संपत्ति उजागर ही नहीं करेंगे, छिपाने लगेंगे, इंसान अपने बाल-बच्चों के लिए जीवनभर कमाकर जमापूंजी बनाता है, उसे अगर सरकार छीन लेगी, तो वो क्यों ही बचाएगा ? या अगर बचाएगा भी तो उसे छिपा देगा, सरकार की नज़र में नहीं आने देगा, इससे काला बाज़ारी भी बढ़ेगी।

क्या भारत में कभी लगा था विरासत टैक्स ?

बता दें कि, 'विरासत कर' भारत के लिए नया नहीं है। यह 40 साल पहले तक प्रभावी था, जब 1985 में राजीव गांधी सरकार ने इंदिरा गांधी की संपत्ति को अपने पास ही रखने के लिए इस कानून को ख़त्म कर दिया था। पहले, संपत्ति शुल्क अधिनियम 1953 के तहत, किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसकी संपत्ति पर विरासत कर 85% तक जा सकता था। दरें तय की गईं थीं, 20 लाख रुपये से अधिक की संपत्ति पर 85% टैक्स लगाया गया था। हालाँकि, ये कानून मंशा के अनुरूप काम नहीं कर सका। नागरिकों को दो बार संपत्ति कर देना पड़ता था, एक बार अपने जीवनकाल के दौरान (जिसे 2016 में मोदी सरकार ने रोक दिया था) और फिर उनकी मृत्यु के बाद। इसके अतिरिक्त, इस कर के माध्यम से धन जुटाने की कांग्रेस की योजना सफल नहीं रही, क्योंकि बेनामी संपत्ति और संपत्ति छुपाने के मामले बढ़ गए। लोग टैक्स देने से बचने के लिए अपनी संपत्ति छुपाने लगे और काला धन बढ़ने लगा, जिससे गुंडागर्दी भी बढ़ी और रंगदारी भी। जिसने संपत्ति छुपाई है, उससे गुंडे खुलकर हफ्ता मांग सकते थे और वो पुलिस में शिकायत भी नहीं कर सकता था, वरना खुद फंसता।  

दिलचस्प बात यह है कि संपत्ति शुल्क अधिनियम को ठीक उसी समय निरस्त किया गया था, जब पूर्व प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी की संपत्ति उनके पोते-पोतियों को हस्तांतरित की जानी थी। राजीव गांधी सरकार ने इंदिरा गांधी की लगभग 21.5 लाख रुपये की संपत्ति उनके तीन पोते-पोतियों को हस्तांतरित करने से ठीक पहले अप्रैल 1985 में इस अधिनियम को समाप्त कर दिया। यह संपत्ति, जिसकी कीमत अब लगभग 4.2 करोड़ रुपये है, 2 मई 1985 को स्थानांतरित कर दी गई थी।

यूनाइटेड प्रेस इंटरनेशनल (UPI) की 2 मई, 1985 की रिपोर्ट के अनुसार, 1981 में हस्ताक्षरित इंदिरा गांधी की वसीयत में उनके बेटे राजीव गांधी और उनकी पत्नी सोनिया गांधी को वसीयत के निष्पादक के रूप में नामित किया गया था। हालाँकि, बाद में उन्होंने उन्हें हटा दिया और अपनी बहू मेनका गांधी के लिए कुछ नहीं छोड़ा। पूरी संपत्ति उनके तीन पोते-पोतियों के लिए छोड़ दी गई थी। वसीयत में महरौली में निर्माणाधीन एक फार्म और एक फार्महाउस शामिल है, जिसकी कीमत 98,000 डॉलर (आज के संदर्भ में 81,72,171 रुपये), इंदिरा गांधी और जवाहरलाल नेहरू द्वारा लिखी गई पुस्तकों के कॉपीराइट, साथ ही नकदी, स्टॉक और बांड लगभग 75,000 डॉलर के हैं। इंदिरा गांधी की प्राचीन वस्तुएं और निजी आभूषण, जिनकी कीमत लगभग 2500 डॉलर थी, प्रियंका गांधी के लिए छोड़ दिए गए।

ध्यान देने वाली बात यह है कि ऐसे समय में जब 20 लाख रुपये से अधिक की 85% संपत्ति सरकार के पास चली जाती थी, राजीव गांधी की सरकार के दौरान इस नियम को उलट दिया गया, जब उनके बच्चों को उनकी दादी की विरासत मिलनी थी। यानी, इंदिरा गांधी की संपत्ति पर वो कानून लागू नहीं हो सका, जो 40 सालों तक तमाम भारतीयों पर लागू होता रहा और उनकी सम्पत्तियाँ कब्जाई जाती रहीं।

क्या हार के डर से राहुल गांधी अमेठी के बजाय रायबरेली से लड़ रहे चुनाव? जानें क्या है कांग्रेस की रणनीति

#why_did_rahul_gandhi_have_to_come_to_rae_bareli

इस बार के लोकसभा चुनाव में अगर किसी सीट को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा है, तो वो है अमेठी और रायबरेली। इन दोनों सीटों की चर्चा पीएम मोदी के संसदीय सीट वाराणसी से भी ज्यादा हो गई है। दरअसल, आज अमेठी औरह रायबरेली सीट पर नामांकन का आखिरी दिन है और नामांकन के आखिरी दिन कांग्रेस ने इन दोनों सीटों पर अपने प्रत्याशियों की घोषणा की है। कांग्रेस ने अमेठी से सोनिया गांधी के प्रतिनिधि किशोरी लाल शर्मा को चुनाव मैदान में उतारा है। वहीं रायबरेली सीट पर कांग्रेस के “युवराज” ने ताल ठोंका है। राहुल गांधी के इस सीट से प्रत्याशी बनाए जाने के बाद रायबरेली लोकसभा सीट देश के सबसे हॉट सीटों में से एक हो गई है।

सोनिया गांधी के चुनावी राजनीति से सन्यास लेने की घोषणा के बाद से रायबरेली सीट पर कई प्रकार के दावे किए जा रहे थे। दावा यह भी किया जा रहा था कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा को इस सीट से उम्मीदवार बनाया जा सकता है। हालांकि, गांधी परिवार की सहमति के बाद कांग्रेस ने इस सीट पर राहुल गांधी की उम्मीदवारी तय कर दी है। राहुल गांधी रायबरेली से अब अपनी राजनीति को आगे बढ़ते दिख सकते हैं।

राहुल गांधी अब अपनी मां सोनिया गांधी और दादी इंदिरा गांधी की सीट से चुनावी मैदान में किस्मत आजमाएंगे। राहुल गांधी को अमेठी के बजाय रायबरेली से उतारना कांग्रेस की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है।राहुल गांधी का अमेठी सीट छोड़कर रायबरेली से चुनाव लड़ने के फैसले के पीछे चुनाव हारने का डर नहीं बल्कि भाजपा की रणनीति को फेल करने की मंशा मानी जा रही है। 2024 का चुनावी माहौल पूरी तरह से मोदी बनाम राहुल के इर्द-गिर्द नजर आ रहा है। ऐसे में राहुल गांधी अगर अमेठी सीट से चुनावी मैदान में उतरते तो यह नैरेटिव बदलकर राहुल बनाम ईरानी हो जाता। कांग्रेस ने ऐसा नैरेटिव नहीं बनने देने के लिए ही राहुल गांधी को अमेठी के बजाय रायबरेली से चुनाव मैदान में उतारने का फैसला किया।

वहीं, यूपी में कांग्रेस की स्थिति पिछले वर्षों में काफी खराब हुई है। लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस केवल एक सीट रायबरेली से ही जीत दर्ज कर पाने में कामयाब रही थी। अब राहुल गांधी के सामने कांग्रेस के इस मजबूत गढ़ को बचाने की चुनौती होगी। वहीं, लोकसभा चुनाव 2024 में भी वायनाड से वे चुनावी मैदान में हैं। हालांकि, इस बार उन्हें इस सीट पर माकपा से कड़ी टक्कर का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में कांग्रेस राहुल के लिए रायबरेली को सुरक्षित सीट मान रही है।

यही नहीं, राहुल गांधी अगर अमेठी से चुनावी मैदान में उतरते तो फिर प्रियंका गांधी को मजबूरन रायबरेली सीट से प्रत्याशी बनना पड़ता। प्रियंका गांधी के चुनावी मैदान में उतरने से बीजेपी के हाथों कांग्रेस को परिवारवाद के मुद्दे पर घेरने का मौका मिल जाता। साथ ही कांग्रेस ने रणनीति के तहत राहुल गांधी को रायबरेली से उतारा है ताकि उन पर प्रदेश छोड़कर भागने के आरोप न लग सकें।

क्या हार के डर से राहुल गांधी अमेठी के बजाय रायबरेली से लड़ रहे चुनाव? जानें क्या है कांग्रेस की रणनीति*
#why_did_rahul_gandhi_have_to_come_to_rae_bareli
इस बार के लोकसभा चुनाव में अगर किसी सीट को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा है, तो वो है अमेठी और रायबरेली। इन दोनों सीटों की चर्चा पीएम मोदी के संसदीय सीट वाराणसी से भी ज्यादा हो गई है। दरअसल, आज अमेठी औरह रायबरेली सीट पर नामांकन का आखिरी दिन है और नामांकन के आखिरी दिन कांग्रेस ने इन दोनों सीटों पर अपने प्रत्याशियों की घोषणा की है। कांग्रेस ने अमेठी से सोनिया गांधी के प्रतिनिधि किशोरी लाल शर्मा को चुनाव मैदान में उतारा है। वहीं रायबरेली सीट पर कांग्रेस के “युवराज” ने ताल ठोंका है। राहुल गांधी के इस सीट से प्रत्याशी बनाए जाने के बाद रायबरेली लोकसभा सीट देश के सबसे हॉट सीटों में से एक हो गई है। सोनिया गांधी के चुनावी राजनीति से सन्यास लेने की घोषणा के बाद से रायबरेली सीट पर कई प्रकार के दावे किए जा रहे थे। दावा यह भी किया जा रहा था कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा को इस सीट से उम्मीदवार बनाया जा सकता है। हालांकि, गांधी परिवार की सहमति के बाद कांग्रेस ने इस सीट पर राहुल गांधी की उम्मीदवारी तय कर दी है। राहुल गांधी रायबरेली से अब अपनी राजनीति को आगे बढ़ते दिख सकते हैं। राहुल गांधी अब अपनी मां सोनिया गांधी और दादी इंदिरा गांधी की सीट से चुनावी मैदान में किस्मत आजमाएंगे। राहुल गांधी को अमेठी के बजाय रायबरेली से उतारना कांग्रेस की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है।राहुल गांधी का अमेठी सीट छोड़कर रायबरेली से चुनाव लड़ने के फैसले के पीछे चुनाव हारने का डर नहीं बल्कि भाजपा की रणनीति को फेल करने की मंशा मानी जा रही है। 2024 का चुनावी माहौल पूरी तरह से मोदी बनाम राहुल के इर्द-गिर्द नजर आ रहा है। ऐसे में राहुल गांधी अगर अमेठी सीट से चुनावी मैदान में उतरते तो यह नैरेटिव बदलकर राहुल बनाम ईरानी हो जाता। कांग्रेस ने ऐसा नैरेटिव नहीं बनने देने के लिए ही राहुल गांधी को अमेठी के बजाय रायबरेली से चुनाव मैदान में उतारने का फैसला किया। वहीं, यूपी में कांग्रेस की स्थिति पिछले वर्षों में काफी खराब हुई है। लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस केवल एक सीट रायबरेली से ही जीत दर्ज कर पाने में कामयाब रही थी। अब राहुल गांधी के सामने कांग्रेस के इस मजबूत गढ़ को बचाने की चुनौती होगी। वहीं, लोकसभा चुनाव 2024 में भी वायनाड से वे चुनावी मैदान में हैं। हालांकि, इस बार उन्हें इस सीट पर माकपा से कड़ी टक्कर का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में कांग्रेस राहुल के लिए रायबरेली को सुरक्षित सीट मान रही है। यही नहीं, राहुल गांधी अगर अमेठी से चुनावी मैदान में उतरते तो फिर प्रियंका गांधी को मजबूरन रायबरेली सीट से प्रत्याशी बनना पड़ता। प्रियंका गांधी के चुनावी मैदान में उतरने से बीजेपी के हाथों कांग्रेस को परिवारवाद के मुद्दे पर घेरने का मौका मिल जाता। साथ ही कांग्रेस ने रणनीति के तहत राहुल गांधी को रायबरेली से उतारा है ताकि उन पर प्रदेश छोड़कर भागने के आरोप न लग सकें।
प्रियंका गांधी का पीएम मोदी पर जोरदार पलटवार, बोलीं-मेरे पिता को अपनी मां से विरासत में संपत्ति नहीं, शहादत मिली

#priyanka_gandhi_emotional_speech_about_her_father_rajiv_gandhi

पूरे देश में तापमान 40 के पार पहुंच गया है। भीषण गर्मी के बीच लोकसभा चुनाव को लेकर जारी सियासी हलचल से पारा और चढ़ गया है। जनता को अपने पाले में करने के लिए नेता लच्छेदार भाषण को अपना हथियार बनाए हुए हैं। बयानवाजियों और वार-पलटवार के इस दौरा में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा गुरुवार को एक चुनावी जनसभा के दौरान अपने पिता को याद करते हुए भावुक हो गईं। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने एक भावनात्मक भाषण में अपने पिता के शरीर के टुकड़े घर लाने का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि राजीव गांधी को उनकी मां से विरासत में संपत्ति नहीं ‘शहादत’ मिली।

कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी गुरुवार को मध्य प्रदेश के मुरैना पहुंचीं हुई थीं। जहां, एक रैली को संबोधित करते हुए कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी ने 'विरासत वाले बयान' पर एक बार फिर निशाना साधा। प्रियंका गांधी ने कहा कि, 'जब अपने पिता के टुकड़े लेकर आई तो इस देश से नाराज थी। मैंने अपने पिता को हिफाजत से तुम्हारे पास भेजा और तुमने टुकड़े में लौटाया। प्रियंका गांधी ने कहा कि मैं जानती हूं शहादत का क्या मतलब है। जब मंच पर खड़े होकर मेरे पिता पर आरोप लगाते हैं कि मेरे पिता ने कोई कानून बदल दिया उनसे विरासत लेने के लिए। मेरे पिता को विरासत में धन-दौलत नहीं, शहादत की भावना मिली।

प्रियंका ने रैली को संबोधित करते हुए भावुक स्वर में कहा, जब मोदीजी इंदिराजी जैसी महिला के बारे में बकवास करते हैं, जब मोदीजी देशभक्ति की इस भावना को देखकर केवल वंशवादी राजनीति देखते हैं, तो वह इस बलिदान को नहीं समझ सकते। बीजेपी पर हमला बोलते हुए प्रियंका गांधी ने कहा कि वे हमें देशद्रोही कहें, घर से निकाल दें, संसद से निकाल दें, कुछ भी कर लें, लेकिन ये भावना हमारे दिल से कोई नहीं निकाल सकता। आज विपक्ष की आवाज को दबाने का प्रयास किया जा रहा है लेकिन हम आवाज उठाते रहते हैं, हम डरने वाले नहीं हैं।

मोदी ने पिछले हफ्ते मुरैना में एक रैली में आरोप लगाया था कि राजीव गांधी ने सत्ता में आने के बाद विरासत कर को खत्म कर दिया था ताकि उन्हें उनकी मां से विरासत में मिली संपत्ति पर कर न लगे। उन्होंने कहा था कि पहले मृत व्यक्ति की आधी संपत्ति कानूनन सरकार के पास चली जाती थी। प्रधानमंत्री ने कहा था, तब चर्चा थी कि इंदिराजी ने अपनी संपत्ति की वसीयत अपने बेटे राजीव गांधी के नाम कर दी थी। (उनकी मृत्यु के बाद) सरकार को मिलने वाले पैसे को बचाने के लिए, तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने विरासत कर को समाप्त कर दिया।

अमेठी से केएल शर्मा पर कांग्रेस ने खेला दांव, क्या हारी सीट आएगी “हाथ” में या स्मृति ईरानी कमल खिलाने में होंगी कामयाब?

#why_did_congress_make_kl_sharma_its_candidate

अमेठी लोकसभा सीट से कांग्रेस के टिकट को लेकर सस्पेंस समाप्त हो गया है। कांग्रेस ने गांधी परिवार का गढ़ मानी जाने वाली अमेठी सीट से सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र प्रतिनिधि रहे किशोरी लाल शर्मा को टिकट देने का ऐलान किया है।दूसरी तरफ सोनिया गांधी की सीट रायबरेली से राहुल गांधी चुनाव लड़ेंगे।

ऐसे में लोगों में यह जानने की उत्सुकता बढ़ रही है कि केएल शर्मा कौन हैं जिस पर कांग्रेस ने भरोसा जताया है? यहीं नहीं लोगों के मन में ये सवाल भी उठ रहे हैं कि क्या केएल शर्मा कांग्रेस की हारी हुई अमेठी सीट को वापस लाने में कामयाब होंगे?

केएल शर्मा कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी के विश्वासपात्र हैं। जब सोनिया रायबरेली से सांसद थीं तो वह उनके सांसद प्रतिनिधि हुआ करते थे।किशोरी लाल काफी समय से अमेठी और रायबरेली दोनों क्षेत्रों में कांग्रेस पार्टी का कामकाज देखते आ रहे हैं।मूल रूप से किशोरी लाल शर्मा पंजाब के लुधियाना से ताल्लुक रखते हैं। 1983 के आसपास राजीव गांधी उन्हें पहली बार अमेठी लेकर आए थे।

तब से वह यहीं के होकर रह गए। वह 1983 से रायबरेली और अमेठी में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।

1991 में राजीव गांधी की मौत के बाद जब गांधी परिवार ने यहां से चुनाव लड़ना बंद किया तो भी शर्मा कांग्रेस पार्टी के सांसद के लिए काम करते रहे।केएल शर्मा का अमेठी और रायबरेली से जुड़ाव लगातार बना रहा। उन्होंने शीला कौल और सतीश शर्मा का भी कामकाज देखा।किशोरी लाल को सोनिया के लिए चाणक्य का किरदार निभाने वाला माना जाता है। 1999 के लोकसभा चुनाव में सोनिया की अमेठी से जीत में किशोरी लाल की अहम भूमिका रही। चुनाव के बाद पांच साल तक किशोरी ने अमेठी में रहकर पूरी जिम्मेदारी संभाली। शर्मा की कांग्रेस के लिए उपयोगिता इसी से समझिए कि अगर वह अमेठी से चुनाव लड़ रहे तो भी रायबरेली सीट पर राहुल का काम देखेंगे।

हालांकि, लंबे समय से कांग्रेस और उसके चुनाव मैनेजमेंट से जुड़े रहे किशोरी लाल शर्मा के सामने गांधी परिवार का खोया गढ़ वापस पाने की चुनौती होगी।शर्मा के सामने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के टिकट पर चुनाव लड़ रहीं केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की मजबूत चुनौती है।स्मृति ईरानी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष राहुल गांधी को हराया था।

अमेठी से केएल शर्मा पर कांग्रेस ने खाल दांव, क्या हारी सीट आएगी “हाथ” में या स्मृति ईरानी कमल खिलाने में होंगी कामयाब?*
#why_did_congress_make_kl_sharma_its_candidate अमेठी लोकसभा सीट से कांग्रेस के टिकट को लेकर सस्पेंस समाप्त हो गया है। कांग्रेस ने गांधी परिवार का गढ़ मानी जाने वाली अमेठी सीट से सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र प्रतिनिधि रहे किशोरी लाल शर्मा को टिकट देने का ऐलान किया है।दूसरी तरफ सोनिया गांधी की सीट रायबरेली से राहुल गांधी चुनाव लड़ेंगे। ऐसे में लोगों में यह जानने की उत्सुकता बढ़ रही है कि केएल शर्मा कौन हैं जिस पर कांग्रेस ने भरोसा जताया है? यहीं नहीं लोगों के मन में ये सवाल भी उठ रहे हैं कि क्या केएल शर्मा कांग्रेस की हारी हुई अमेठी सीट को वापस लाने में कामयाब होंगे? केएल शर्मा कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी के विश्वासपात्र हैं। जब सोनिया रायबरेली से सांसद थीं तो वह उनके सांसद प्रतिनिधि हुआ करते थे।किशोरी लाल काफी समय से अमेठी और रायबरेली दोनों क्षेत्रों में कांग्रेस पार्टी का कामकाज देखते आ रहे हैं।मूल रूप से किशोरी लाल शर्मा पंजाब के लुधियाना से ताल्लुक रखते हैं। 1983 के आसपास राजीव गांधी उन्हें पहली बार अमेठी लेकर आए थे। तब से वह यहीं के होकर रह गए। वह 1983 से रायबरेली और अमेठी में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। 1991 में राजीव गांधी की मौत के बाद जब गांधी परिवार ने यहां से चुनाव लड़ना बंद किया तो भी शर्मा कांग्रेस पार्टी के सांसद के लिए काम करते रहे।केएल शर्मा का अमेठी और रायबरेली से जुड़ाव लगातार बना रहा। उन्होंने शीला कौल और सतीश शर्मा का भी कामकाज देखा।किशोरी लाल को सोनिया के लिए चाणक्य का किरदार निभाने वाला माना जाता है। 1999 के लोकसभा चुनाव में सोनिया की अमेठी से जीत में किशोरी लाल की अहम भूमिका रही। चुनाव के बाद पांच साल तक किशोरी ने अमेठी में रहकर पूरी जिम्मेदारी संभाली। शर्मा की कांग्रेस के लिए उपयोगिता इसी से समझिए कि अगर वह अमेठी से चुनाव लड़ रहे तो भी रायबरेली सीट पर राहुल का काम देखेंगे। हालांकि, लंबे समय से कांग्रेस और उसके चुनाव मैनेजमेंट से जुड़े रहे किशोरी लाल शर्मा के सामने गांधी परिवार का खोया गढ़ वापस पाने की चुनौती होगी।शर्मा के सामने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के टिकट पर चुनाव लड़ रहीं केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की मजबूत चुनौती है।स्मृति ईरानी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष राहुल गांधी को हराया था।
राहुल गांधी ने प्रज्वल रेवन्ना मामले में पीएम मोदी को घेरा, बोले- मास रेपिस्ट के लिए मांगा वोट, अब मांगे माफी

#rahul_gandhi_attacks_pm_narendra_modi_prajwal_revanna

पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा के पोते प्रज्वल रेवन्ना के कथित अश्लील वीडियो सार्वजनिक होने के बाद मामला गरम है। रेवन्ना का सेक्स स्कैंडल अब उसके साथ गठबंधन में लोकसभा चुनाव लड़ रही भाजपा के लिए परेशानी बन गया है। विपक्षी दलों ने इसे लेकर भाजपा को घेरना शुरू कर दिया है। इस बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पीएम मोदी को इस मुद्दे पर घेरा। राहुल ने कहा कि पीएम मोदी महिलाओं से माफी मांगे।पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने गुरुवार को प्रज्वल रेवन्ना के लिए वोट मांगने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भारतीय महिलाओं से माफी मांगने को कहा।

प्रज्वल रेवन्ना और प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधते हुए राहुल गांधी ने कर्नाटक के शिवमोगा में कहा, प्रधानमंत्री को भारत की माताओं-बहनों से भी माफी मांगनी चाहिए। प्रज्वल रेवन्ना ने 400 महिलाओं का रेप किया और उनका वीडियो बनाया है। यह सेक्स स्कैंडल नहीं बल्कि मास रेप है। राहुल ने कहा, 'प्रधानमंत्री कर्नाटक में भरे मंच पर मास रेपिस्ट को डिफेंड कर रहे थे। उन्होंने (मोदी) कहा था कि कर्नाटक यदि आप इस रेपिस्ट के लिए वोट करेंगे तो इसका लाभ मुझे होगा। राहुल ने आगे कहा, कर्नाटक में हर महिला को जानना चाहिए कि जब प्रधानमंत्री उनसे वोट मांग रहे थे तो वह प्रज्वल की हरकत के बारे में जानते थे।

राहुल गांधी ने सवाल उठाया कि ऐसे आरोपी का बीजेपी ने कैसे समर्थन किया। उसे जर्मनी जाने से क्यों नहीं रोका गया? इसी के साथ उन्होंने ये भी कहा कि हैरत है कि जिस वक्त प्रधानमंत्री मोदी ने रेवन्ना का समर्थन किया, उस वक्त उनको उसके कारनामे कैसे नहीं मालूम थे? राहुल गांधी ने कहा कि उनके पास सारी एजेंसियां हैं, फिर भी उन्हें कैसे नहीं पता चला कि उस पर क्या आरोप हैं और वह विदेश भागने वाला है?

राहुल गांधी ने आगे कहा कि आज बीजेपी सत्ता के लिए किसी का भी समर्थन करने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि आज पूरी दुनिया में इस बात का शोर है कि एक 400 महिलाओं के रेप के आरोपी को बीजेपी अपना समर्थन दे रही है। राहुल गांधी ने कहा कि पिछले 10 साल में इस सरकार ने केवल 22 लोगों के लिए काम किया। केवल अमीरों की जेब में धन डाला. उन्होंने चंद अमीरों का 16 लाख करोड़ का कर्ज माफ किया है।

बता दें कि प्रज्वल रेवन्ना इस बार भी हासन लोकसभा सीट से भाजपा के समर्थन के साथ जेडीएस कैंडीडेट के तौर पर चुनाव लड़े हैं। इस सीट पर 26 अप्रैल को मतदान हो चुका है। पूर्व प्रधानमंत्री और जद (एस) के मुखिया एचडी देवेगौड़ा के पोते प्रज्वल पर महिलाओं के साथ यौन शोषण का आरोप है। राज्य सरकार ने मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है।

कोविशील्ड वैक्‍सीन से कितना खतरा? भारत में 90 प्रतिशत लोगों ने ली है एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन*
#covishield_what_are_the_risks_side_effects_of_corona_vaccine एक समय था जब कोरोना महामारी के बीच लोग वायरस से बचाव के लिए वैक्सीन का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। जब वैक्सीन आई तो बड़े पैमाने पर वैक्सीनेशन भी हुआ। हालांकि कई बार कोरोना वैक्सीन से होने वाले प्रभावों को लेकर सवाल उठते रहे। इस बीच अब ब्रिटेन की फार्मास्युटिकल कंपनी एस्ट्राजेनेका ने स्वीकार किया है कि उनकी कोविड-19 वैक्सीन से कुछ दुर्लभ साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। इस खुलासे के बाद कोरोना की वैक्सीन लेने वाले लोगों के मन में कई सवाल पैदा हो गए। *भारत में इसी फॉर्मूले से कोवीशील्ड बनी* एस्ट्राजेनेका के इस खुलासे के बाद भारत में भी इसकी चर्चा शुरू हो गई। दरअसल, एस्ट्राजेनेका का जो फॉर्मूला था उसी से भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने कोविशील्ड वैक्सीन बनाई। भारत में सबसे पहली कोरोना वैक्सीन कोवीशील्ड है। भारत में बड़े पैमाने पर ये वैक्सीन लगाई गई है। जिसके बाद लोग डरा हुआ महसूस कर रहे हैं। हालांकि, डॉक्टरों ने कहा कि यह एस्ट्राजेनेका के कोविड वैक्सीन का एक दुर्लभ दुष्प्रभाव है, और इसके लाभ जोखिम से कहीं अधिक हैं। *दो-ढाई साल बाद साइड इफेक्ट का कोई खतरा नहीं* ICMR के पूर्व महानिदेशक डॉक्टर बलराम भार्गव ने कोविशील्ड वैक्सीन लगवाने वाले लोगों को लेकर कहा कि इसका साइड इफेक्ट टीका लेने के अधिकतम तीन से चार हफ्तों तक ही हो सकता है। वह भी केवल दुर्लभ मामलों में ही। भारत में कोविशील्ड के करोड़ों डोज लगाए गए हैं लेकिन न के बराबर मामलों में ही साइड इफेक्ट देखने को मिला। उनकी ओर से कहा गया है कि वैक्सीन लगवाने के दो-ढाई साल बाद साइड इफेक्ट का कोई खतरा नहीं है और इससे बेवजह डरने की जरूरत नहीं। *दस लाख लोगों में केवल सात या आठ लोगों को ही खतरा* ICMR के पूर्व वैज्ञानिक डॉ. रमन गंगाखेड़कर ने एक न्यूज चैनल से बात करते हुए कहा कि वैक्सीन के लॉन्च होने के 6 महीने के अंदर टीटीएस को एडेनोवायरस वेक्टर वैक्सीन के एक साइड इफेक्ट के रूप में पहचाना गया था। इस वैक्सीन की समझ में कोई नया चेंज नहीं है। उनकी ओर से कहा गया कि यह समझने की जरूरत है कि टीका लगवाने वाले दस लाख लोगों में केवल सात या आठ लोगों को ही खतरा है। *भारत में सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा मामला* हालांकि, भारत में भी यह मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है। एक वकील की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की गई है कि वैक्सीन के साइड इफेक्ट की जांच के लिए मेडिकल एक्सपर्ट का पैनल बनाया जाए। इस पैनल में ऑल इंडिया इंस्‍टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (AIIMS) दिल्ली के एक्सपर्ट भी हों। पैनल की अध्यक्षता AIIMS के डायरेक्टर करें और जांच की निगरानी का जिम्मा सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज के पास हो। एक्सपर्ट पैनल इस बात की जांच करे कि कोवीशील्ड वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स हैं क्या? अगर हैं तो वो कितने गंभीर हैं? वैक्सीन लगाने के बाद किसी को गंभीर नुकसान पहुंचा हो या जान गई हो तो केंद्र को निर्देश दिए जाएं कि वो ऐसे लोगों को हर्जाना देने के लिए वैक्सीन डैमेज पेमेंट सिस्टम बनाए। बता दें कि ब्रिटेन की फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका ने माना है कि उनकी कोविड-19 वैक्सीन से खतरनाक साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। वैक्सीन बनाने वाली कंपनी एस्ट्राजेनेका ने ब्रिटेन की अदालत में पहली बार माना है कि कोविड-19 की उसकी वैक्सीन से टीटीएस जैसे दुर्लभ साइड इफेक्ट हो सकते हैं। टीटीएस यानी थ्रोम्बोसइटोपेनिया सिंड्रोम शरीर में खून के थक्के जमने की वजह बनती है। इससे पीड़ित व्यक्ति को स्ट्रोक, हृदयगति थमने जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं।
खरगे ने फिर पीएम मोदी को लिखा पत्र, बोले-आप और आपके मंत्री कर रहे चीनियों का तुष्टिकरण

#mallikarjun_kharge_again_wrote_letter_pm_modi 

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने लगातार दूसरे गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से 7 मई को लोकसभा चुनाव लड़ने वाले भाजपा उम्मीदवारों को पत्र लिखने के एक दिन बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने गुरुवार को फिर पीएम मोदी को पत्र लिखा है। पत्र में खरगे ने कांग्रेस के घोषणापत्र पर पीएम मोदी से बहस करने की मांग की है। साथ ही खड़गे ने चिठ्ठी में लिखा- आपने एनडीए के सभी उम्मीदवारों को पत्र लिखकर बताया है कि उन्हें वोटरों से क्या बात करनी है। चिट्ठी के लहजे से लगता है कि आपमें बहुत हताशा और चिंता है। यह आपको ऐसी भाषा का इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित कर रही है, जो प्रधानमंत्री पद को शोभा नहीं देती।

पीएम मोदी के पत्र का हवाला देते हुए मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रधानमंत्री को भेजे पत्र में लिखा कि पत्र के कंटेट और लहज़े से ऐसा लगता है कि आप बहुत ही ज़्यादा हताश और निराश हो गए हैं। यही कारण है कि आप ऐसी भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं जो प्रधानमंत्री पद की गरिमा के बिलकुल विपरीत है। पत्र से ऐसा लग रहा है कि आप अपने भाषणों में जो झूठ बोल रहे हैं उसका उस तरह से प्रभाव पड़ता हुआ आपको नहीं दिख रहा है जैसा आप चाहते थे। यही कारण है कि अब आप चाहते हैं कि आपके उम्मीदवार भी आपकी झूठी बातों को आगे बढ़ाएं। एक झूठ को हज़ार बार बोलने से वह सच नहीं बन जाता है प्रधानमंत्री जी।

हमने आपको और गृह मंत्री को यह कहते सुना है कि कांग्रेस तुष्टिकरण की राजनीति कर रही है। पिछले 10 वर्षों में हमने जो एकमात्र तुष्टिकरण नीति देखी है, वह है आपके और आपके मंत्रियों द्वारा चीनियों का तुष्टिकरण। आप आज भी चीन को 'घुसपैठिए' कहने से इनकार करते हैं, बल्कि 19 जून, 2020 को आपने गलवान में 20 भारतीय सैनिकों के सर्वोच्च बलिदान का अपमान करते हुए कहा था, "ना कोई घुसा है, ना ही कोई घुस आया है"। आपने चीन को जो 'क्लीन चिट' दी है उसने भारत के पक्ष को कमज़ोर कर दिया है और चीन को और अधिक आक्रामक बना दिया है। यहां तक कि अरुणाचल प्रदेश, लद्दाख और उत्तराखंड में एलएसी के पास बार-बार चीनी घुसपैठ और सैन्य इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण के कारण तनाव बढ़ गया है। भारत में चीनी सामानों का आयात भी काफ़ी बढ़ गया है - सिर्फ़ पिछले 5 वर्षों में 54.76% की वृद्धि हुई है और 2023-24 में 101 बिलियन डॉलर को पार कर गया। 

मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रधानमंत्री द्वारा उठाए गए आरक्षण के मुद्दे का भी खंडन किया। अपने पत्र में आपने लिखा है कि एससी, एसटी और ओबीसी से आरक्षण छीन लिया जाएगा और "हमारे वोट बैंक" को दे दिया जाएगा। हमारा वोट बैंक हर भारतीय है- गरीब, हाशिए पर रहने वाले लोग, महिलाएं, महत्वाकांक्षी युवा, श्रमिक वर्ग, दलित और आदिवासी। हर कोई जानता है कि यह आरएसएस-बीजेपी ही है जिसने 1947 से लगातार आरक्षण का विरोध किया है। हर कोई यह भी जानता है कि आरएसएस-बीजेपी आरक्षण को समाप्त करने के लिए संविधान को बदलना चाहती है। आपके नेताओं ने इस बारे में खुलकर बात की है। आपको यह स्पष्ट करना चाहिए कि आप हमारे संविधान के अनुच्छेद 16 के अनुसार एससी, एसटी और ओबीसी को उनकी जनसंख्या के आधार पर आरक्षण का विरोध क्यों करते हैं। 

कांग्रेस अध्यक्ष ने “धन पुनर्वितरण” नीतियों के उनके आरोपों को लेकर भी पीएम मोदी पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि अपने पत्र में कहा है कि लोगों की मेहनत की कमाई छीन ली जाएगी। यहां, मैं आपसे अनुरोध करना चाहता हूं कि आप अपनी पार्टी को गुजरात में गरीब दलित किसानों से ठगे गए और इलेक्टोरल बांड के रूप में दिए गए 10 करोड़ रुपए वापस करने का निर्देश दें। आपकी पार्टी ने चंदा दो-धंदा लो, ठेका लो-घूस दो, हफ्ता वसूली और फर्जी कंपनियों जैसे तरीक़ों से विभिन्न कंपनियों से "अवैध और असंवैधानिक इलेक्टोरल बांड के माध्यम से 8,250 करोड़ रुपए एकत्र किए। 8,250 करोड़ में से, आप कम से कम 10 करोड़ रुपए दलित परिवार को तो वापस कर ही सकते हैं।