भ्रामक विज्ञापन मामले में सुप्रीम कोर्ट ने रामदेव को पेशी से दी छूट, माफीनामा की ई-फाइलिंग करने पर फटकारा
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पतंजलि आयुर्वेद भ्रामक विज्ञापन मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में फिर से सुनवाई हुई।पतंजलि विज्ञापन केस में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में करीब डेढ़ घंटे सुनवाई हुई। जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच में रामदेव और बालकृष्ण पांचवीं बार पेश हुए।सुनवाई शुरू होते ही कोर्ट ने पतंजलि के वकील को ओरिजिनल माफीनामा (न्यूज पेपर्स की कॉपी) की जगह ई-फाइलिंग करने पर फटकार लगाई। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने योग गुरु रामदेव और उनके सहयोगी आचार्य बालकृष्ण को अगली सुनवाई के लिए व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट दे दी।
पतंजलि की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि हमने माफी संबंधी विज्ञापन दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये हमारे आदेश का अनुपालन नहीं है। आपने विज्ञापन की वास्तविक प्रति नहीं दाखिल की, आखिर ऐसा क्यों किया गया। रोहतगी ने कहा कि मैं आपके सामने अखबार की प्रति लेकर सामने हूं। यह मैं आपको यहीं दे रहा हूं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपकी ओर से ई-फाइलिंग प्रति दी गई, वास्तविक नहीं, मसला ये है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपने हलफनामा दाखिल किया। उसमें वास्तविक प्रति नहीं लगाई। कैसे पता चलेगा कि विज्ञापन का आकार क्या है? हमने पिछली सुनवाई में विज्ञापन को लेकर स्पष्ट आदेश दिया था। तब भी आप अखबार की प्रति हमें कोर्ट रूम में दे रहे हैं। फाइल क्यों नहीं की।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस माफीनामे को देखने के बाद बाबा रामदेव के प्रति नरमी दिखाई।बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई में पेश नहीं होना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने छूट दी है। हालांकि स्पष्ट किया कि अभी सिर्फ अगली सुनवाई के लिए छूट दे रहे हैं। अगली सुनवाई 14 मई को होगी।
आईएमए को दी चेतावनी
सुनवाई के दौरान ही मुकुल रोहतगी ने आईएमए यानी इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के प्रमुख के बयान का जिक्र किया, जिसमें उन्होंने पतंजलि के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट की आलोचना की थी। मुकुल रोहतगी ने अदालत को बताया कि आखिर आईएमए चीफ ने क्या कहा था। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए कहा कि आईएमए के अध्यक्ष का बयान रिकॉर्ड पर लाया जाए। ये बेहद गंभीर मामला है, इसका परिणाम भुगतने के लिए वे तैयार हो जाएं।
सुप्रीम कोर्ट से उत्तराखंड सरकार को फटकार
वहीं, उत्तराखंड सरकार ने दवाओं के भ्रामक विज्ञापन को लेकर उठाए गए कदमों पर हलफनामा कोर्ट के सामने पढ़ा। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाई है। कोर्ट ने पूछा कि पिछले नौ माह से क्या कर रहे थे? राज्य सरकार की हम मौखिक कोई बात नहीं मानेंगे। सिर्फ हलफनामे में सबकुछ बताइए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य प्राधिकार का रवैया बहुत ही शर्मनाक है। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार को नया और सही हलफनामा दाखिल करने के लिए 10 दिनों का समय दिया।
पतंजलि आयुर्वेद और दिव्य फार्मेसी के 14 उत्पाद निलंबित
इससे पहले सोमवार (29 अप्रैल) को, उत्तराखंड सरकार ने शीर्ष अदालत को सूचित किया कि उसने पतंजलि आयुर्वेद और दिव्य फार्मेसी के 14 उत्पादों के विनिर्माण लाइसेंस को 'तत्काल प्रभाव' से निलंबित कर दिया है। भ्रामक विज्ञापनों के लिए पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने के लिए राज्य प्राधिकरण की पहले आलोचना की गई थी, जिसके बाद यह कार्रवाई की गई।
Apr 30 2024, 14:57