लोकसभा चुनावः दूसरे फेज में पहले से भी कम रही वोटिंग, क्या है वजह और इस ट्रेंड का किस पर पड़ेगा असर?
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देश में लोकसभा चुनाव हो रहे हैं। सात चरणों में होने वाले चुनाव के दो चरण की वोटिंग पूरी हो चुकी है। कुल 543 सीटों में से 190 सीटों पर वोटिंग हो चुकी है। 19 अप्रैल को पहले चरण में 102 सीटों पर वोटिंग हुई। इनमें औसत मतदान 65.5% रहा, जो 2019 में इन्हीं सीटों के औसत वोटर टर्नआउट से 4.4% कम है। वहीं, 26 अप्रैल को दूसरे चरण में 88 सीटों पर 61% वोटिंग हुई, जो 2019 के मुकाबले 7% कम है। दोनों चरण में इस बार मतदान घटने का ट्रेंड साफ तौर पर दिख रहा है।गिरते वोट प्रतिशत ने सभी दलों को बेचैन कर दिया है।
लोकसभा चुनाव के पहले चरण की तरह दूसरे चरण में भी वोटिंग 2019 के लोकसभा चुनाव के मुकाबले कम हुई है। पहले चरण में 21 राज्यों की 102 लोकसभा सीटों पर 64 प्रतिशत वोटिंग हुई थी। जबकि पिछले लोकसभा चुनाव में उन सीटों पर भी 70 प्रतिशत से ज्यादा मतदान हुए थे। ऐसे ही इस बार दूसरे चरण में 13 राज्यों की 88 लोकसभा सीटों पर करीब 63 फीसदी वोट पड़े। यह 2019 के लोकसभा चुनाव में 70.09% मतदान के मुकाबले काफी कम रहा। यूपी, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे बड़े राज्यों में वोटिंग उम्मीद से काफी कम रही। यूपी में 54.85%, बिहार में 55.08% , महाराष्ट्र में 57.83% , एमपी में 57.88 % वोटिंग हुई। सबसे अधिक वोट त्रिपुरा, मणिपुर, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल में पड़े।त्रिपुरा और मणिपुर में मतदान प्रतिशत सबसे अधिक - 75 प्रतिशत से अधिक रहा। पहले चरण में भी दोनों राज्यों में अपेक्षाकृत अधिक मतदान हुआ।
वोट करने के लिए लोगों के घरों से बाहर नहीं निकलने को लेकर राजनीतिक दलों को साथ-साथ चुनाव आयोग की भी चिंता बढ़ा दी है। खासकर हिंदी भाषी राज्यों में तो मतदाता वोटिंग को लेकर जैसे नीरस हो गए हैं। पूरे उत्तर भारत में इन दिनों मौसम का तापमान काफी बढ़ गया है। लू और गर्म हवाओं ने लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त किया हुआ है। लोगों के वोट करने को लेकर घर से बाहर नहीं निकलने की ये भी एक वजह बताई जा रही है। वहीं चुनाव में विपक्षी पार्टियों की कम सक्रियता से भी कम वोटिंग प्रतिशत को जोड़कर देखा जा रहा है।
मौसम विभाग का कहना है कि इस साल अप्रैल से जून तक देश के अधिकांश हिस्सों में तापमान सामान्य से अधिक रहने की संभावना है। विशेष रूप से मध्य भारत और पश्चिमी प्रायद्वीपीय भारत में इस बार अधिक गर्मी पड़ेगी। लोकसभा चुनाव के दो चरण पूरे हो चुके हैं। अब 7 मई, 13 मई, 20 मई, 25 मई और 1 जून को क्रमश: तीसरा, चौथे, पांचवे, छठे और सातवें चरण का चुनाव होना है। इस दौरान देश के अधिकतर हिस्सों में गर्मी के साथ लू का असर बना रहेगा। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के आंकड़ों के मुताबिक लोकसभा चुनाव के दौरान, लगभग 72% निर्वाचन क्षेत्रों में अधिकतम तापमान 35°C या इससे अधिक हो सकता है। विशेष रूप से, 59 सीटों पर 40-42 डिग्री सेल्सियस के बीच तापमान का सामना करना पड़ सकता है। जबकि 194 सीटों पर 37.5-40 डिग्री सेल्सियस के बीच तापमान देखा जा सकता है।
हालांकि, एक्सपर्ट का मानना है कि मौसम के साथ ही विपक्षी दलों की कम सक्रियता भी वोटिंग प्रतिशत में कमी की एक वजह है। इसके अलावा आजकल जमीन से अधिक प्रचार सोशल मीडिया पर ही चल रहा है। इससे भी वोटिंग में पहले जैसा उत्साह नहीं दिख रहा है। कई लोगों का मानना है कि बीजेपी वोटरों और कार्यकर्ताओं के बीच अति आत्मविश्वास भी कम वोटिंग की वजह हो सकता है। उनको लग रहा है कि चुनाव परिणाम तो लगभग तय ही है। दूसरी तरफ आएगा तो मोदी ही, नारे विपक्षी मतदाताओं में उत्साह कम हो सकता है। इसके अलावा राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में राजपूत/जाट जैसे जाति समूहों का असंतोष भी कम वोटिंग की वजह हो सकती है।
अब सवाल है कि इस बार कम वोटिंग परसेंटेज से किसे नुकसान होने वाला है।कुछ जानकारों का कहना है कि कम मतदान से सत्ताधारी दलों को फायदा हो सकता है, क्योंकि लोगों की सोच होती है कि सरकार अच्छा काम कर रही है और वो बदलाव नहीं चाहते। इसीलिए वो वोट के लिए घर से बाहर नहीं निकलते।पिछले 12 में से 5 चुनावों में वोटिंग प्रतिशत कम हुए हैं और इनमें से चार बार सरकार बदली है। 1980 के चुनाव में मतदान प्रतिशत कम हुआ और जनता पार्टी को हटाकर कांग्रेस ने सरकार बनाई। वहीं 1989 में मत प्रतिशत गिरने से कांग्रेस की सरकार चली गयी। केंद्र में बीपी सिंह के नेतृत्व में सरकार बनी। 1991 में भी मतदान में गिरावट के बाद केंद्र में कांग्रेस की वापसी हुई। हालांकि 1999 में वोटिंग प्रतिशत में गिरावट के बाद भी सत्ता नहीं बदली। वहीं 2004 में एक बार फिर मतदान में गिरावट का फायदा विपक्षी दलों को मिला।
Apr 29 2024, 15:27