भाजपा से 3 मज़बूत महिला शख्शियत झारखंड के चुनावी समर में,गठबंधन की भी है तैयारी,महिला मतदाताओं के लिए है बड़ी चुनौती
झारखंड डेस्क
झारखंड के चुनावी जंग इस बार बहुत ही रोचक और बहुत महत्वपूर्ण है।वह इस लिए भी की यह पहला मौका है जब भाजपा ने इस बार इस चुनावी समर में तीन महिलाओं को उतारा है।ये तीनो महिलाएं झारखंड की राजनीति में मील के पत्थर साबित होंगी। ये तीनो महिलाएं शक्तिशाली है,झारखंड की राजनीतिक हलकों में इनकी मज़बूत पकड़ है।और तीनों की जीत भी लगभग पक्की मानी जाती है।
इस बार झारखंड की राजनीति में यह महिला उम्मीदवार और महिला मतदाता, दोनों की अहम भूमिका होने जा रही है।
इस चुनावी जंग में महिला नेताओं के लिए भी बड़ा इम्तिहान भी है।भजपा ने जिन तीन महिलाओं को उम्मीदवार बनाया है।उसमे अनपूर्णा देवी भाजपा से वर्तमान सांसद और केंद्र में मंत्री हैं।लेकिन दूसरी तरफ ये तीनो महिलाएं दूसरी पार्टी की मज़बूत शख्शियत रही है।अनपूर्णा देवी पहले राजद में थी।विंधानसभा का चुनाव जीतती रही और सयुंक्त बिहार में और झारखंड अलग होने के बाद झारखण्ड में मंत्री भी रही।पिछले चुनाव में भाजपा इन्हें पार्टी का हिस्सा बनाने में सफल रही।और ये चुनाव जीत कर लोकसभा गयी।मंत्री भी बनी।इस बार फिर कोडरमा से ये चुनाव मैदान में हैं।
इसी तरह भाजपा ने इस बार गीता कोड़ा और सीता सोरेन को अपने पार्टी में लाने में सफल रही।गीता कोड़ा पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा की पत्नी और सिंहभूम से कांग्रेस की सांसद हैं।ये मज़बूत जनाधार वाली नेता मानी जाती है। 2019 के लोकसभा में इन्होंने मोदी लहर में भी झारखंड में कांग्रेस की इज्जत बचाई।और एक मात्र सिंहभूम की सीट जीत कर लोकसभा में गयी।लेकिन झारखंड में कांग्रेस के मठाधीशों के वर्चस्व और लगातार इस महत्वपूर्ण सांसद की उपेक्षा ने भाजपा के दामन थमने के लिए इन्हें बाध्य कर दिया।आज ये भाजपा की हिस्सा बन गयी।
तीसरी महत्वपूर्ण महिला नेता सीता सोरेन है जो लगातार तीन बार विधायक रही, शिबू सोरेन परिवार की बहू है,लेकिन इनका भी आरोप है कि तीन बार विधायक रहने के बाद भी उनकी पार्टी उन्हें मंत्री नही बनाया।परिवार और पार्टी की उपेक्षा से त्रस्त होकर ये भाजपा की हिस्सा बनी।और भाजपा ने इन दोनों को बहु सम्मान देते हुए गीता को सिंहभूम और सीता को दुमका से टिकट दिया। अब इस समर में ये अपनी जीत के लिए जनता के बीच जा रही है।
भाजपा के इस कदम के बाद विपक्षी इंडिया गठबंधन ने भी एक महिला प्रत्याशी को मैदान में उतारा है। इसके अतिरिक्त दो अन्य सीटों पर महिला नेताओं की उम्मीदवारी पर विचार चल रहा है। इंडिया गठबंधन की ओर से राज्य की 14 में से सात सीटों पर प्रत्याशी का ऐलान अब तक नहीं हुआ है। इनमें से दो सीटों पर महिला प्रत्याशी उतर सकती हैं। गोड्डा में कांग्रेस की ओर से दीपिका पांडेय सिंह और जमशेदपुर में झामुमो की ओर से स्नेहा महतो की उम्मीदवारी पर विचार चल रहा है। ऐसा हुआ तो राज्य के इतिहास में पहली बार होगा, जब दो प्रमुख सियासी गठबंधनों की ओर से तीन-तीन महिला प्रत्याशी मैदान में होंगी।
झारखंड बनने के बाद अब तक तीन महिलाएं लोकसभा पहुंच पाई हैं। वर्ष 2004 में कांग्रेस की सुशीला केरकेट्टा ने खूंटी लोकसभा सीट से जीत दर्ज की थी। 2019 में कोडरमा से अन्नपूर्णा देवी और सिंहभूम से गीता कोड़ा विजयी हुई थीं।
झारखंड में चार लोकसभा सीट ऐसी हैं जिन पर आदिवासी महिला मतदाता निर्णायक भूमिका निभाएंगी क्योंकि यहां महिलाओं की संख्या पुरुषों से अधिक है। झारखंड की राजमहल, सिंहभूम, खूंटी और लोहरदगा लोकसभा सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं।
खूंटी लोकसभा सीट पर कुल 6,67,946 महिला मतदाता हैं। खूंटी सीट का प्रतिनिधित्व बीजेपी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा करते हैं। पार्टी ने फिर उन्हें इस सीट से प्रत्याशी बनाया है. सिंहभूम लोकसभा सीट पर 7,27,734 महिला और 7,05,167 पुरुष मतदाता हैं।
उधर, राजद ने पलामू सीट पर ममता भुइयां को प्रत्याशी बनाया है. वह महीने भर पहले तक भाजपा में थीं। उनका ताल्लुक भी सियासी परिवार से है। वह जुगसलाई विधानसभा क्षेत्र से कई बार विधायक रहे दुलाल भुइयां के भाई की पत्नी हैं।यहां उनका मुकाबला भाजपा के दो बार के सांसद बीडी राम से होगा।
अब देखना है कि इस बार कितनी महिलाएं झारखंड से लोकसभा जा पाती है और झारखंड के महिलाओं का प्रतिनिधित्व कर पाती है या नही।
Apr 09 2024, 08:54