क्या एमएसपी की कानूनी गारंटी पर अध्यादेश की मांग रहेगी जारी, या चौथे दौर की बातचीत के बाद खत्म होगा आंदोलन?
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केंद्र सरकार और किसानों के बीच रविवार देर रात हुई चौथे दौर की बैठक बेनतीजा रही है। हालांकि, बैठक में शामिल केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने इस बैठक को सकारात्मक बताया है। उन्होंने कहा कि 'नए विचारों और सुझावों के साथ हमने भारतीय किसान मज़दूर संघ और अन्य किसान नेताओं के साथ सकारात्मक चर्चा की। गोयल ने कहा कि पिछले 10 साल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से किए गए कार्यों को कैसे आगे बढ़ाया जाए, इस पर हमने विस्तार से बात की है। केंद्र सरकार ने किसानों के सामने फसलों के विविधीकरण का प्रस्ताव रखा है, जिसके तहत अलग-अलग फसलें उगाने पर उन्हें एमएसपी पर ख़रीदा जाएगा।
इससे पहले फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी और कर्ज माफी समेत 12 मांगों को लेकर दिल्ली कूच के लिए निकले किसान अध्यादेश की मांग की। रविवार को चंडीगढ़ में सरकार के साथ देर शाम करीब सवा आठ बजे शुरू हुई चौथे दौर की वार्ता में किसान संगठनों ने स्पष्ट कर दिया है कि एमएसपी की कानूनी गारंटी के लिए केंद्र अध्यादेश लेकर लाए। वह इससे कम किसी बात पर नहीं मानेंगे।
किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने केन्द्र सरकार से शनिवार को मांग की कि वह न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को कानूनी गारंटी देने के लिए अध्यादेश लाए। पंधेर ने शंभू बॉर्डर पर कहा कि अगर केन्द्र सरकार चाहे तो वह रातों रात अध्यादेश ला सकती है। अगर सरकार किसानों के आंदोलन का कोई समाधान चाहती है तो उसे यह अध्यादेश लाना चाहिए कि वह एमएसपी पर कानून लागू करेगी, तब बातचीत आगे बढ़ सकती है।
उधर, केंद्र सरकार ने हरियाणा से सटे पंजाब के सात जिलों पटियाला, एसएएस नगर (मोहाली), बठिंडा, मुक्तसर साहिब, मानसा, संगरूर और फतेहगढ़ साहिब में इंटरनेट पर पाबंदी 24 फरवरी तक बढ़ा दी है। इससे पहले 12 से 16 फरवरी तक तीन जिलों में इंटरनेट सेवाएं बंद की गई थीं। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने केंद्रीय मंत्रियों से चंडीगढ़ में 15 फरवरी को हुई बैठक में इंटरनेट बंद होने का मुद्दा उठाया था। वहीं, हरियाणा ने भी अंबाला, कुरुक्षेत्र, कैथल, जींद, हिसार, फतेहाबाद और सिरसा जिलों में मोबाइल इंटरनेट और बल्क एसएमएस सेवाएं बंद कर दी हैं।
किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए क़ानून बनाने और स्वामीनाथन आयोग की सभी सिफारिशों को लागू करने की मांग कर रहे हैं। किसान नेताओं ने अपनी मांगों को लेकर दिल्ली चलो का नारा दिया थाय़ 12 फ़रवरी को केंद्र सरकार के साथ बातचीत बेनतीजा रहने के बाद किसान अगले दिन पंजाब-हरियाणा की सीमा शंभू बॉर्डर पर पहुंचे थे। वहां से जब उन्होंने हरियाणा की सीमा में दाखिल होने की कोशिश की तो सुरक्षा बलों ने उन्हें रोक दिया। सुरक्षा बलों ने किसानों को रोकने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े, पैलेट गन से गोलियां चलाईं. किसानों पर ड्रोन से भी आंसू गैस के गोले छोड़े गए। इसमें कई किसान और पुलिसकर्मी घायल हुए।
बता दें कि दो साल पहले भी किसानों ने दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाला था। इसके बाद किसानों के आंदोलन के आगे झुकते हुए नरेंद्र मोदी सरकार ने कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) क़ानून -2020, कृषक (सशक्तीकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार कानून 2020 और आवश्यक वस्तुएं संशोधन अधिनियम 2020 को रद्द कर दिया था। इस क़दम के बाद सरकार ने किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी देने का वादा किया था। इस पर किसानों ने अपना आंदोलन वापस ले लिया था।
Feb 19 2024, 11:49