औरंगाबाद के इस प्रखंड में कई स्कूलों में पेड़ की छांव तले चलती हैं 9वीं से 12वीं तक की कक्षाएं, खुले आसमान के नीचे पढाई करने को बच्चे मजबूर
औरंगाबाद – बिहार में शिक्षा की स्थिति को सुधारने में अपर मुख्य सचिव केके पाठक जुटे हुए हैं। लेकिन सख्ती के बाद भी गोह प्रखंड के कई स्कूलों की हालत में कोई सुधार नहीं देखने को मिल रहा है। प्रखंड के देवकुंड स्थित गंगाधारी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में संसाधन व भवन का घोर कमी है।
सबसे बड़ी समस्या इस विद्यालय में एक भी वर्ग कक्षा नहीं है। पहले से बने खपरैल भवन है। वे पूरी तरह से जर्जर हो चुके हैं। 45 वर्ष पूर्व का बना विद्यालय भवन * पूरी तरह जर्जर हो गया है। नौवीं, दसवीं, ग्यारहवीं एवं बारहवीं कक्षा के छात्र खुले आसमान के नीचे पढ़ने को विवश हैं।
औरंगाबाद व अरवल जिले के सीमावर्ती क्षेत्र में स्थित होने के कारण दोनों जिलों से करीब दर्जनों से अधिक गांवों के छात्र यहां पढ़ाई करते हैं। वर्तमान में इस विद्यालय में कुल नामांकित छात्र 720 है जिसमें 336 छात्र छात्राएं मैट्रिक बोर्ड परीक्षा के लिए सेंटअप हो चुके हैं। शिक्षा विभाग द्वारा पठन पाठन के 21 शिक्षक व शिक्षिका पदस्थापित है। शिक्षा पाने की ललक लिये इस विद्यालय पढ़ने वाले बच्चे ठंड, गर्मी और बरसात हर मौसम में परेशानी झेलकर पढ़ने की ललक है लेकिन शिक्षा विभाग मानो कुंभकर्णी नींद में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का हसीन सपना देखने में मशगुल है।
खुले आसमान तले पढ़ते हैं यहां बच्चे खुले आसमान के नीचे पेड़ एवं झाडियों के बीच बोरा, तिरपाल बिछा कर इस विद्यालय के छात्र विद्या अर्जन करते हैं। इस विद्यालय में ड्रेस कोड का पालन कर पंक्ति बद्ध बच्चों की भीड़ अनायास ही हर किसी की नजर खींच लेती है लेकिन अफसोस कि गोह प्रखंड का गंगाधारी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय वर्षों से विभागीय उपेक्षा का दंश झेल रहा है। विद्यालय पर आज तक सरकारी मुलाजिमों की नजरें इनायत नहीं हुईं, जो विभागीय कार्यशैली को दरशाता है। इस भवन विहिन व कक्षा विहिन विद्यालय की जमीनी हकीकत यह है कि खुले आसमान के नीचे अध्ययनरत सैकड़ों बच्चे बारिश शुरू होते ही सिर छपाने के लिए इधर-उधर भागते फिरते हैं फिर भी इस विद्यालय में 75 से 80 प्रतिशत रहती छात्रों की उपस्थिति रहती है।
विद्यालय में संसाधनों का अभाव विद्यालय के पुराने शिक्षकों में प्रभारी प्रधानाध्यापक सहित कई शिक्षकों ने बताया कि वर्षों से जीर्ण-शीर्ण अवस्था में भवन के अभाव में बच्चों की पढ़ाई लिखाई की जा रही है। यहां वर्तमान में छात्रों के उपस्थिति के अनुसार कम से कम 10 क्लास रूम, 01 लाइब्रेरी, 01 छात्राओं के लिए कॉमन रूम 01 शिक्षक कक्ष और कम-से-कम 05 शौचालय की जरूरत है।
औरंगाबाद से धीरेन्द्र
Feb 14 2024, 13:33