बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय में महिला लघु उद्योग पर हुआ कार्यशाला का आयोजन
लखनऊ।
बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय में आज भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएसएसआर) नई दिल्ली एवं प्रबंध अध्ययन विभाग के संयुक्त तत्वाधान मे ' उत्तर प्रदेश में महिला उद्यमी के लिए स्टैंड अप योजना की ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुँच एवं सामाजिक - आर्थिक प्रभाव का आंकलन ' विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया।
आईसीएसएसआर द्वारा पोषित इस कार्यशाला में मुख्य अतिथि के तौर पर लखनऊ के अग्रणी जिला प्रबंधक श्री मनीष पाठक मौजूद रहे। इसके अतिरिक्त मंच पर प्रबंध अध्ययन विभाग के प्रमुख प्रो अमित कुमार सिंह, डॉ कृष्ण मुरारी, डॉ सलिल सेठ एवं प्रोग्राम डायरेक्टर डॉ० लता बाजपेयी उपस्थित रहीं। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन एवं बाबासाहेब के छायाचित्र को पुष्पांजलि अर्पित करने के साथ हुई। इसके पश्चात आयोजन समिति की ओर से मुख्य अतिथि एवं शिक्षकों को पुष्पगुच्छ एवं स्मृतिचिन्ह भेंट कर उनके प्रति आभार व्यक्त किया गया। सर्वप्रथम डॉ० लता बाजपेयी ने सभी को अतिथियों के परिचय एवं कार्यक्रम की रुपरेखा से अवगत कराया।
लखनऊ के अग्रणी जिला प्रबंधक मनीष पाठक ने सभी को संबोधित करते हुए कहा, कि स्टैंड अप योजना के माध्यम से महिला उद्यमियों, अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोगों को व्यापार के क्षेत्र में बढ़ावा दिया जाता है, जिससे कि वह स्वयं आर्थिक रूप से सशक्त होने के साथ- साथ राष्ट्र के विकास में अहम योगदान दे सकें।
प्रो अमित कुमार सिंह ने महिलाओं में प्रबंधन के विशेष गुण की प्रशंसा की और कहा, कि महिलायें विपरीत परिस्थितियों में भी एक साथ कई जिम्मेदारी निभाने में सक्षम है। साथ ही महिलाओं ने अन्य क्षेत्रों की तरह व्यापार के क्षेत्र में भी अग्रणी रहकर अपनी योग्यता को सिद्ध किया है।
डॉ कृष्ण मुरारी ने चर्चा के दौरान कहा, कि आज का युग उद्यम केंद्रित युग है। लोग छोटे- छोटे व्यापार शुरू करके आत्मनिर्भर बन रहे हैं, जो कि किसी भी राष्ट्र के लिए एक सकारात्मक कदम है। इसके अतिरिक्त सरकार द्वारा कई ऐसी योजनायें चालू की गयी है, जिससे बैंक द्वारा व्यापार शुरू करने के लिए आसानी से ऋण प्राप्त किया जा सकता है।
प्रोग्राम डायरेक्टर डॉ लता बाजपेयी ने कार्यशाला के विषय में विचार रखते हुए कहा कि इस प्रकार की कार्यशाला का उद्देश्य हाशिए पर रहने वाले समुदायों में उद्यमशीलता और आर्थिक सशक्तिकरण को बढ़ावा देना है। ताकि सभी लोग श्रेष्ठ भारत को बनाने में अपना योगदान दे सकें। डॉ० सलिल सेठ ने भी इस प्रकार की कार्यशाला को महिलाओं एवं छोटे व्यापार शुरू करने की इच्छा रखने वालों के लिए उपयोगी बताया।
कार्यक्रम के दौरान विभिन्न शिक्षक, स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलायें एवं विश्वविद्यालय के अन्य विद्यार्थी मौजूद रहे।
Feb 13 2024, 17:13